मेरा नाम मानसी है, और आज मैं तुम्हें अपनी ज़िंदगी की वो सच्ची कहानी सुनाने जा रही हूँ, जिसने मुझे एक कच्ची कली से चुदाई की दुनिया की मालकिन बना दिया। जब मैंने हाई स्कूल पास किया, तो मेरे घरवालों ने मेरा दाखिला सेंट एंथनी कॉन्वेंट स्कूल में करवा दिया। ये मेरे शहर का सबसे बड़ा, सबसे महंगा और सबसे शानदार स्कूल था। चार मंजिला इमारत, चमचमाती दीवारें, हर तरफ़ रईसी की खुशबू। स्कूल का माहौल ऐसा था कि कोई भी लड़की यहाँ आकर अपने आप को किसी रानी से कम न समझे। लेकिन यही माहौल मेरे लिए वो जाल बन गया, जिसमें मैं फँसती चली गई।
स्कूल में दाखिल होते ही मेरी ज़िंदगी बदलने लगी। मेरी सहेलियाँ, जो अमीर घरानों की थीं, मुझे नई-नई चीज़ें सिखाने लगीं। चूत में उंगली करना, मुठ मारना, और लड़कियों के बीच वो गंदी बातें जो पहले मैंने कभी सुनी भी नहीं थीं। धीरे-धीरे मैं उस माहौल में रंग गई। मेरी सहेलियों ने मुझे नशे की लत लगाई। वो मुझे अश्लील मैगज़ीन और कॉमिक्स पढ़ने को देतीं, जिनमें चुदाई की कहानियाँ और नंगे चित्र होते। मैं उन अमीर बच्चों के बीच रहकर पूरी तरह बिगड़ चुकी थी। मेरे कपड़े छोटे होने लगे, मेरी बातें गंदी होने लगीं, और मेरे मन में हर वक़्त चुदाई की आग जलने लगी।
एक दिन मैं लेडीज़ बाथरूम में छिपकर मुठ मार रही थी। मेरी उंगलियाँ मेरी चूत में तेज़ी से अंदर-बाहर हो रही थीं, और मैं आँखें बंद करके उन कॉमिक्स के सीन में खोई हुई थी। तभी अचानक दरवाज़ा खुला, और मेरे प्रिंसिपल, मिस्टर एंड्रयू, जो एक ईसाई थे, मुझे पकड़ लिया। उनकी आँखों में गुस्सा और कुछ और था, जो मैं उस वक़्त समझ नहीं पाई।
“ऐ मानसी! ये क्या कर रही हो तुम? हम अभी तुम्हारी मम्मी को बुलाते हैं और तुम्हारी शिकायत करते हैं!” उन्होंने अपनी टूटी-फूटी हिंदी में, जो गोवा की बोली जैसी थी, चिल्लाकर कहा।
मेरा दिल धक-धक करने लगा। मैं डर के मारे काँप रही थी। “सर, प्लीज़! ऐसा मत कीजिए! मैं आपकी हर बात मानूँगी, लेकिन मेरे घरवालों को मेरी इस आदत के बारे में मत बताइए!” मैंने गिड़गिड़ाते हुए कहा और उनके सामने हाथ जोड़ लिए।
मिस्टर एंड्रयू ने मुझे सिर से पाँव तक घूरा। मैंने स्कूल की वर्दी पहनी थी—सफ़ेद शर्ट, छोटी सी स्कर्ट, और मेरे 34 साइज़ के बूब्स, जो पिछले कुछ महीनों में काफ़ी बड़े और गोल हो गए थे, शर्ट में से साफ़ झलक रहे थे। मेरी गोरी चमड़ी, लंबे बाल, और कच्ची कली जैसी शक्ल देखकर उनकी आँखों में वासना की चमक साफ़ दिख रही थी। मैं उस वक़्त नहीं समझी कि वो क्या सोच रहे थे, लेकिन उनकी नज़रें मेरे जिस्म पर साँप की तरह रेंग रही थीं।
“ठीक है, हम तुम्हारी मम्मी से शिकायत नहीं करेंगे, लेकिन तुम्हें हमारे साथ प्रिंसिपल रूम में आना पड़ेगा,” उन्होंने धीमे लेकिन दृढ़ स्वर में कहा।
“ओके सर,” मैंने डरते-डरते जवाब दिया।
मैं उनके पीछे-पीछे उनके प्रिंसिपल रूम में चली गई। उन्होंने चपरासी को सख़्त हिदायत दी कि जब तक वो न कहें, कोई अंदर न आए। कमरे में घुसते ही उन्होंने दरवाज़ा बंद कर लिया और मुझे सोफे पर अपने बगल में बिठा लिया। उनका बड़ा सा हाथ मेरे नाज़ुक हाथ पर रखा गया, और मेरी रूह काँप उठी।
“मानसी, तुम्हें पता है तुम कितनी खूबसूरत हो? एकदम फूल जैसी! हम चाहते हैं कि तुम हमारे साथ थोड़ा प्यार का नाटक करो। बस इतना कर दो, फिर हम तुम्हें जाने देंगे और किसी से तुम्हारी शिकायत नहीं करेंगे,” उन्होंने अपनी टूटी-फूटी हिंदी में कहा, लेकिन उनकी आवाज़ में वो लालच साफ़ सुनाई दे रहा था।
मैं समझ गई कि अब मेरे पास कोई रास्ता नहीं है। अगर मैंने उनकी बात नहीं मानी, तो वो मेरे घरवालों को बता देंगे, और मेरी ज़िंदगी बर्बाद हो जाएगी। “ठीक है सर, मैं तैयार हूँ,” मैंने हिम्मत जुटाकर कहा।
उसके बाद मिस्टर एंड्रयू ने मेरा हाथ अपने होंठों तक लाकर चूमना शुरू कर दिया। उनके गर्म होंठ मेरी नाज़ुक उंगलियों पर रेंगने लगे, और मैं सिहर उठी। धीरे-धीरे वो मेरे और करीब आए। “मानसी, अब तुम हमारे गाल पर एक पप्पी दो,” उन्होंने आदेश दिया।
मैंने डरते-डरते अपने गुलाबी होंठ उनके काले, झुर्रियों भरे गाल पर रखे और एक हल्का सा चुम्मा दे दिया। उनके चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान फैल गई। उनके हाथ अब मेरी शर्ट पर मेरे कंधों तक पहुँच गए। धीरे-धीरे वो मेरे जिस्म पर साँप की तरह रेंगने लगे। उनकी उंगलियाँ मेरी पीठ को सहलाने लगीं, और मैं समझ गई कि अब वो मुझे सिर्फ़ अपनी स्टूडेंट नहीं, बल्कि चोदने का माल समझ रहे हैं।
मैंने प्यार का नाटक करने की कोशिश की, लेकिन मेरे दिल में डर और उत्तेजना का तूफ़ान उठ रहा था। वो 50 साल के बूढ़े थे, और मैं सिर्फ़ 14 की कच्ची कली। लेकिन मुझे पता था कि अब वो मुझे चोदने वाले हैं, और मेरे पास कोई चारा नहीं था। अगर मैंने मना किया, तो वो मेरे घरवालों को बता देंगे कि मैं बाथरूम में मुठ मार रही थी। मेरी चूत चाहे उनके मोटे लंड से फट जाए, लेकिन मुझे उनकी बात माननी ही थी।
मिस्टर एंड्रयू ने मुझे अपनी गोद में खींच लिया और मेरे खूबसूरत, गुलाबी होंठों को चूमने लगे। उनके होंठ मेरे होंठों पर ऐसे टूट पड़े जैसे कोई भूखा शेर अपने शिकार पर। उनकी जीभ मेरे मुँह में घुस गई, और वो मेरे मुँह को चूसने लगे। उनके बड़े-बड़े पंजे मेरी शर्ट के ऊपर से मेरे नाज़ुक बूब्स पर आ गए। वो मेरे 34 साइज़ के मम्मों को मज़े लेकर दबाने लगे, जैसे कोई टमाटर निचोड़ रहा हो। मुझे दर्द हो रहा था, लेकिन मेरे जिस्म में एक अजीब सी गर्मी भी उठ रही थी।
“सर, प्लीज़! थोड़ा आराम से दबाइए! मेरे बूब्स को आज तक किसी ने छुआ भी नहीं है, ये बहुत नाज़ुक हैं,” मैंने गिड़गिड़ाते हुए कहा।
वो हँसे और बोले, “ठीक है, मेरी जान, हम आराम से करेंगे।” लेकिन उनकी बातों का कोई मतलब नहीं था। कुछ देर तक वो मेरे बूब्स को हल्के-हल्के सहलाते रहे, लेकिन जल्द ही फिर से वो मेरे मम्मों को ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगे। दर्द के साथ-साथ मुझे अब मज़ा भी आने लगा था। मेरी चूत गीली होने लगी थी, और मेरे जिस्म में आग सी लग रही थी।
धीरे-धीरे उन्होंने मेरी शर्ट के बटन खोल दिए। एक-एक करके बटन खुलते गए, और मेरी शर्ट फर्श पर गिर गई। मैं अब सिर्फ़ काली ब्रा में थी। मेरी गोरी चमड़ी पर काली ब्रा ऐसी लग रही थी जैसे कोई कोहिनूर का हीरा चमक रहा हो। मिस्टर एंड्रयू की आँखें मेरे बूब्स पर टिक गईं। “मानसी, तुम तो सच्ची में माल हो!” उन्होंने लार टपकाते हुए कहा।
“सर, आप क्या करने जा रहे हैं?” मैंने डरते हुए पूछा, हालाँकि मुझे सब पता था।
“मानसी, मैं तुम्हें चोदने वाला हूँ। मुझे घुमा-फिराकर बात करना पसंद नहीं। आज मैं तुम्हें यहीं, इसी कमरे में चोदूँगा,” उन्होंने साफ़-साफ़ कहा।
‘चोदना’ शब्द सुनते ही मेरा दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा। मैंने सुना था कि चुदाई में बहुत दर्द होता है, लेकिन मज़ा भी खूब आता है। मैं डर रही थी, लेकिन मेरी चूत में गर्मी बढ़ती जा रही थी। उन्होंने मुझे अपनी शर्ट उतारने को कहा। मैंने काँपते हाथों से उनके बटन खोले। उनकी शर्ट उतरते ही उनका काला, झुर्रियों भरा जिस्म मेरे सामने था। उनके सीने पर सफ़ेद बाल थे, और वो किसी बूढ़े भेड़िए जैसे लग रहे थे।
उन्होंने मेरी ब्रा के ऊपर से मेरे बूब्स को और ज़ोर से दबाना शुरू कर दिया। उनकी उंगलियाँ मेरे निप्पलों को ब्रा के ऊपर से ही मसल रही थीं। पहले तो मुझे घबराहट हुई, लेकिन धीरे-धीरे मज़ा आने लगा। “मानसी, मेरी जान, तुम्हें बूब्स दबवाने में मज़ा आ रहा है न?” उन्होंने अपनी गोआन बोली में पूछा।
“हाँ सर, बहुत मज़ा आ रहा है। और ज़ोर से दबाइए!” मैंने बेशर्मी से कहा, क्योंकि अब मैं पूरी तरह उनके वश में थी।
उन्होंने मेरी ब्रा का हुक खोल दिया, और मेरे गोरे, चिकने, 34 साइज़ के बूब्स आज़ाद हो गए। मेरे निप्पल कड़े हो चुके थे, और उनके चारों ओर काले घेरे साफ़ दिख रहे थे। मिस्टर एंड्रयू की आँखों में हवस की आग जल रही थी। वो मेरे बूब्स को अपने बड़े-बड़े पंजों में लेकर मसलने लगे। उनके नाखून मेरे नाज़ुक मम्मों में चुभ रहे थे, लेकिन दर्द के साथ मज़ा भी इतना था कि मैं सिसकारियाँ लेने लगी। “आह… सर… ओह… और ज़ोर से!” मैं बड़बड़ा रही थी।
वो झुक गए और मेरे एक बूब को अपने मुँह में भर लिया। उनका मुँह इतना बड़ा था कि मेरा पूरा बूब उसमें समा गया। वो मेरे निप्पल को ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगे, और उनकी जीभ मेरे कड़े निप्पल पर गोल-गोल घूमने लगी। दूसरा बूब वो अपने हाथ से मसल रहे थे। मेरी चूत अब पूरी तरह गीली हो चुकी थी, और मेरे जिस्म में करंट सा दौड़ रहा था। “ओह सर… आह… क्या कर रहे हो… उफ़!” मैं सिसकारियाँ ले रही थी।
कुछ देर तक वो मेरे बूब्स को चूसते और मसलते रहे। फिर उन्होंने मुझे सोफे पर लिटा दिया। मेरे गोरे, चिकने बूब्स हवा में तने हुए थे, और मेरे निप्पल ऐसे कड़े थे जैसे कोई छोटी-छोटी गोलियाँ। वो मेरे बूब्स को चूसते हुए मेरी स्कर्ट की तरफ़ बढ़े। उनकी उंगलियाँ मेरी स्कर्ट के बटन तक पहुँचीं, और एक झटके में उन्होंने मेरी स्कर्ट खोल दी। स्कर्ट फर्श पर गिर गई, और मैं अब सिर्फ़ काली पैंटी में थी।
उनका हाथ मेरी पैंटी के ऊपर से मेरी चूत को सहलाने लगा। उनकी मोटी उंगलियाँ मेरी चूत के होंठों को पैंटी के ऊपर से रगड़ रही थीं। मेरी चूत गीली होकर पैंटी को भिगो रही थी। “मानसी, तुम्हारी चूत तो पहले से ही तैयार है!” उन्होंने हँसते हुए कहा। उनकी उंगलियाँ अब मेरी पैंटी के अंदर घुस गईं, और वो मेरी चूत के दाने को सहलाने लगे। मेरे पूरे जिस्म में बिजली सी दौड़ रही थी। “आह… सर… ओह… क्या कर रहे हो… उफ़!” मैं सिसकारियाँ ले रही थी।
10 मिनट तक वो मेरी चूत को सहलाते और उंगली करते रहे। मेरी चूत इतनी गीली हो चुकी थी कि मेरी पैंटी पूरी तरह भीग गई थी। आख़िरकार, उन्होंने मेरी पैंटी भी खींचकर उतार दी। अब मैं उनके सामने पूरी तरह नंगी थी। मेरी गोरी चमड़ी, मेरी चिकनी चूत, और मेरे कड़े निप्पल उनकी हवस को और भड़का रहे थे। वो मेरे जिस्म को सिर से पाँव तक ताड़ रहे थे, जैसे कोई भूखा शिकारी अपने शिकार को देख रहा हो।
उन्होंने अपनी पैंट उतारी, और फिर उनका कच्छा भी फर्श पर गिर गया। उनका लंड मेरे सामने था—काला, मोटा, और गुस्साए हुए साँप जैसा। उसका सुपाड़ा इतना बड़ा था कि मैं डर गई। उसमें से हल्की सी बदबू भी आ रही थी, लेकिन मुझे अब कोई चारा नहीं था। “मानसी, अब तुम्हें हमारा लंड अपने मुँह में लेकर चूसना पड़ेगा। अच्छे से चूसो, वरना हम तुम्हारी मम्मी को बुला लेंगे,” उन्होंने धमकी दी।
“सर, मैं आपका लंड अच्छे से चूसूँगी, लेकिन प्लीज़ मेरे घरवालों को मत बुलाइए,” मैंने डरते हुए कहा।
उन्होंने अपना काला, मोटा लंड मेरे मुँह के पास लाकर रख दिया। मैंने डरते-डरते उसे अपने होंठों से छुआ। उसका सुपाड़ा इतना गर्म और सख़्त था कि मेरे होंठ काँपने लगे। मैंने धीरे-धीरे उसका लंड अपने मुँह में लिया। उसकी बदबू मेरे नाक में चढ़ रही थी, लेकिन मैंने हिम्मत करके उसे चूसना शुरू कर दिया। मेरी जीभ उसके सुपाड़े पर गोल-गोल घूम रही थी, और मैं अपने हाथ से उसके लंड को हिलाने लगी।
“हाँ मानसी, ऐसे ही चूस! तू तो रंडी की तरह चूस रही है!” उन्होंने मेरे बाल पकड़कर कहा। मैं अब पूरी तरह बेशर्म हो चुकी थी। मैंने उनका लंड ज़ोर-ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया। मेरा मुँह उनके लंड से भरा हुआ था, और मैं उसे किसी लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी। मेरे हाथ उनके टट्टों को सहला रहे थे, और वो सिसकारियाँ लेने लगे। “आह… उफ़… मानसी… तू तो जन्मजात रंडी है!” वो बड़बड़ा रहे थे।
करीब 10 मिनट तक मैंने उनका लंड चूसा। मेरे मुँह में उनका लंड इतना बड़ा लग रहा था कि मेरा जबड़ा दर्द करने लगा। फिर उन्होंने मुझे सोफे पर लिटा दिया। मेरी टाँगें खोलकर वो मेरी चूत के पास आए। उनकी जीभ मेरी चूत के होंठों पर लगी, और वो मेरी चूत को किसी कुत्ते की तरह चाटने लगे। उनकी गर्म जीभ मेरी चूत के दाने को चूस रही थी, और मेरे पूरे जिस्म में करंट दौड़ रहा था। “आह… सर… ओह… उफ़… क्या कर रहे हो!” मैं सिसकारियाँ ले रही थी।
वो मेरी चूत को चूसते हुए अपनी उंगली अंदर डालने लगे। उनकी मोटी उंगली मेरी टाइट चूत में घुस रही थी, और मुझे दर्द के साथ मज़ा भी आ रहा था। मेरी चूत से पानी बह रहा था, और वो उसे चाट-चाटकर पी रहे थे। करीब 15 मिनट तक वो मेरी चूत को चाटते और उंगली करते रहे। मेरी चूत अब पूरी तरह तैयार थी। मेरे जिस्म में आग लग चुकी थी, और मैं अब चुदने के लिए तड़प रही थी।
फिर वो मेरी चूत के ऊपर आए। उनका मोटा, काला लंड मेरी चूत के दरवाज़े पर था। उन्होंने अपने लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के होंठों पर रगड़ा, और मैं सिहर उठी। “मानसी, अब तू कुंवारी नहीं रहेगी,” उन्होंने कहा और एक ज़ोरदार धक्का मारा। उनका लंड मेरी चूत की सील तोड़ता हुआ अंदर घुस गया। मैं दर्द से चीख पड़ी। मेरी चूत से खून निकलने लगा, और मैं रोने लगी।
“आह… सर… प्लीज़… दर्द हो रहा है!” मैं चिल्लाई। लेकिन वो नहीं रुके। उन्होंने मेरी गोरी, चिकनी जाँघों को पकड़ा और ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगे। उनका मोटा लंड मेरी टाइट चूत को चीर रहा था, और मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कोई मेरी चूत को फाड़ रहा हो। लेकिन कुछ देर बाद दर्द कम हुआ, और मज़ा बढ़ने लगा। मेरी चूत उनके लंड को अपने अंदर समाने लगी।
“हाँ मानसी, ले मेरा लंड! तू तो चुदने के लिए ही बनी है!” वो गुर्राते हुए बोले। मैं अब मज़े से चुदने लगी। मेरी टाँगें हवा में थीं, और मैं अपनी कमर उठा-उठाकर उनके धक्कों का जवाब दे रही थी। “आह… सर… और ज़ोर से… चोदो मुझे… उफ़!” मैं सिसकारियाँ ले रही थी। मेरी चूत में उनका लंड गच्च-गच्च अंदर-बाहर हो रहा था, और कमरे में मेरी सिसकारियों और उनकी गुर्राहट की आवाज़ें गूँज रही थीं।
वो मेरे बूब्स को मसलते हुए मुझे चोद रहे थे। उनकी उंगलियाँ मेरे निप्पलों को चुटकी में लेकर मरोड़ रही थीं, और मैं दर्द और मज़े के बीच झूल रही थी। मेरी चूत अब पूरी तरह खुल चुकी थी, और उनका लंड मेरी चूत की गहराइयों तक जा रहा था। “आह… सर… और गहरे… चोदो… उफ़!” मैं चिल्ला रही थी।
करीब 20 मिनट तक वो मुझे उसी तरह चोदते रहे। मेरी चूत में ज्वार-भाटा उठ रहा था, और मैं झड़ने के करीब थी। अचानक मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया, और मैं सिसकारियों के साथ झड़ गई। लेकिन वो नहीं रुके। उन्होंने मेरे बूब्स को चूसते हुए और ज़ोर से धक्के मारने शुरू कर दिए। कुछ देर बाद वो भी गुर्राए, और उनका गर्म माल मेरी चूत में छूट गया। उनकी चूत अब मेरे पानी और उनके माल से पूरी तरह भर चुकी थी।
वो मेरे ऊपर ही लेट गए, और हम दोनों हाँफ रहे थे। कुछ देर बाद उन्होंने मुझे कुतिया बनने को कहा। मैं अपने घुटनों और हाथों के बल कुतिया बन गई। मेरे गोल, चिकने चूतड़ हवा में थे, और वो उन्हें सहलाने लगे। “मानसी, तेरी गांड तो किसी हीरे से कम नहीं!” उन्होंने कहा और मेरे चूतड़ों पर एक ज़ोरदार चपत मारी। मैं सिहर उठी।
उन्होंने अपना लंड फिर से मेरी चूत में डाल दिया और पीछे से मुझे चोदना शुरू कर दिया। उनका लंड मेरी चूत की गहराइयों तक जा रहा था, और मेरे चूतड़ उनके धक्कों से थरथरा रहे थे। वो मेरे चूतड़ों को सहलाते हुए, कभी-कभी चपत मारते हुए मुझे चोद रहे थे। “आह… सर… और ज़ोर से… फाड़ दो मेरी चूत!” मैं चिल्ला रही थी।
इस बार वो और ज़्यादा जोश में थे। उनका लंड मेरी चूत को रगड़ता हुआ अंदर-बाहर हो रहा था, और मेरी चूत फिर से गीली हो रही थी। करीब 15 मिनट तक वो मुझे कुतिया बनाकर चोदते रहे। मेरी चूत फिर से झड़ गई, और मैं सिसकारियों के साथ काँपने लगी। कुछ देर बाद वो भी मेरी चूत में फिर से झड़ गए। उनका गर्म माल मेरी चूत में बह रहा था, और मैं पूरी तरह थक चुकी थी।
उसके बाद से मिस्टर एंड्रयू मुझे हफ़्ते में दो बार अपने कमरे में बुलाने लगे। हर बार वो मुझे नंगा करके अपने कमरे में चोदते। कभी सोफे पर, कभी टेबल पर, और कभी ज़मीन पर। मैं अब उनकी रंडी बन चुकी थी, लेकिन मुझे भी चुदाई का मज़ा मिलने लगा था। मेरी चूत अब उनके मोटे लंड की आदी हो चुकी थी, और मैं हर बार चुदाई के मज़े लेती थी।