Jungle me Gangbang chudai मेरा नाम अनुष्का है। जब मैं 19 साल की थी, मैं दिल्ली के एक प्राइवेट स्कूल में 12वीं क्लास में थी। मेरी उम्र के हिसाब से मैं थोड़ी नटखट थी, हमेशा मस्ती के मूड में रहती थी। मेरे चार दोस्त – रोहन, विक्की, अजय और करण – मेरे साथ हमेशा हंसी-मजाक करते थे। रोहन सबसे अमीर था, उसके पास अपनी गाड़ी थी, एक चमचमाती हुई SUV। विक्की थोड़ा शर्मीला था, लेकिन उसकी आँखों में हमेशा एक शरारत भरी चमक रहती थी। अजय का बदन तगड़ा था, जिम जाता था और हमेशा अपनी ताकत दिखाने का मौका ढूंढता था। करण सबसे मजाकिया था, हमेशा गंदे जोक्स मारता और सबको हंसाता रहता था। मैं? मैं थी 5 फुट 4 इंच की, गोरी, भरे हुए कूल्हों और मोटी जांघों वाली लड़की, जिसके 34C के उभरे हुए स्तन स्कूल यूनिफॉर्म में भी छुपते नहीं थे। उस दिन मैंने अपनी स्कूल की छोटी स्कर्ट पहनी थी, जो मेरे घुटनों तक ही थी, क्योंकि मेरी दूसरी यूनिफॉर्म गंदी थी।
एक दिन हम पांचों ने स्कूल बंक करने का प्लान बनाया। कोई बड़ा प्लान नहीं था, बस यूं ही मस्ती करने का मन था। रोहन ने अपनी गाड़ी निकाली और हम सब एक सुनसान जगह पर मिले, जो दिल्ली के बाहरी इलाके में एक पुराने हाइवे के पास थी। गाड़ी में दो लड़के – रोहन और अजय – आगे बैठे, और मैं, विक्की और करण पीछे की सीट पर। मैं बीच में बैठी थी, मेरी स्कर्ट मेरी जांघों पर थोड़ा ऊपर चढ़ी हुई थी। रोहन ने गाड़ी स्टार्ट की, लाउड पंजाबी बीट्स वाले गाने चालू किए, और हम सब गाने की धुन में झूमने लगे। हवा मेरे बालों को उड़ा रही थी, और माहौल में एक अजीब सी उत्तेजना थी।
अचानक, विक्की ने मेरी जांघ पर हाथ रख दिया। उसका हाथ मेरी नरम, मोटी जांघों पर धीरे-धीरे रगड़ने लगा। मुझे ये सामान्य लगा, क्योंकि हम दोस्तों में ऐसी छेड़खानी चलती रहती थी। मैंने कुछ नहीं कहा, बस गाने की बीट्स में खोई रही। लेकिन फिर करण ने मेरी दूसरी तरफ से मेरे स्तनों को दबाना शुरू किया। उसने मेरी शर्ट के ऊपर के दो बटन खोल दिए, और मेरी ब्रा दिखने लगी। मेरे शरीर में एक अजीब सी गर्मी दौड़ गई। मैंने देखा कि विक्की का हाथ अब मेरी स्कर्ट के नीचे जा रहा था, मेरी पैंटी के ऊपर से मेरी योनि को सहलाने लगा। “अनुष्का, तू तो बिल्कुल गर्म है,” विक्की ने धीमी आवाज में कहा, उसकी उंगलियां मेरी पैंटी के किनारे से अंदर घुसने की कोशिश कर रही थीं।
मैं उत्तेजित हो रही थी, लेकिन थोड़ा झिझक भी रही थी। “यार, ये क्या कर रहे हो?” मैंने हंसते हुए कहा, लेकिन मेरी आवाज में एक हल्की सी कांप थी। तभी करण ने अपना फोन निकाला और रिकॉर्डिंग शुरू कर दी। “ये पल याद रखने लायक है,” उसने हंसते हुए कहा। मैंने विरोध नहीं किया, शायद उस पल की गर्मी ने मुझे रोकने की हिम्मत नहीं दी। विक्की ने मेरी पैंटी को एक तरफ सरकाया और अपनी उंगलियां मेरी योनि के अंदर डाल दीं। “आह्ह,” मैंने हल्की सी सिसकारी भरी। दूसरी तरफ, करण ने मेरी शर्ट पूरी तरह खोल दी और मेरी ब्रा को नीचे खींचकर मेरे स्तनों को आजाद कर दिया। उसने मेरे निप्पल को अपने मुंह में लिया और चूसने लगा। “उम्म… करण, धीरे,” मैंने कहा, लेकिन मेरी आवाज में विरोध कम और उत्तेजना ज्यादा थी।
रोहन ने गाड़ी एक सुनसान जगह पर रोकी, जो दिल्ली के पास यमुना नदी के किनारे एक जंगलनुमा इलाका था। वहां कोई नहीं था, बस पेड़ों की छांव और दूर-दूर तक सन्नाटा। रोहन गाड़ी से उतरा और पीछे की खिड़की के पास आया। उसने अपनी पैंट की ज़िप खोली और अपना लंड बाहर निकाला। “अनुष्का, इसे चूस,” उसने कहा, उसका 7 इंच का मोटा लंड मेरे सामने लटक रहा था। मैं झिझकी, लेकिन विक्की ने मुझे पीछे से पकड़ लिया और मेरे कूल्हों को उठाकर मेरी स्कर्ट ऊपर कर दी। करण अब मेरी योनि को चाट रहा था, उसकी जीभ मेरे क्लिटोरिस को तेजी से रगड़ रही थी। “आह्ह… उह्ह… यार, ये क्या हो रहा है,” मैं सिसकार रही थी। तभी अजय, जो अब तक सामने बैठा था, पीछे आया और मेरे स्तनों को जोर-जोर से दबाने लगा। “तेरे ये चूचे तो कमाल हैं,” उसने कहा, उसकी आवाज में लालच साफ झलक रहा था।
मैंने रोहन के लंड को अपने मुंह में लिया और चूसना शुरू किया। उसका लंड मेरे गले तक जा रहा था, और मैं गैग कर रही थी। “उम्म… ग्लक… ग्लक,” मेरे मुंह से आवाजें निकल रही थीं। विक्की ने अब मेरी पैंटी पूरी तरह उतार दी और अपनी उंगलियों को मेरी योनि में और गहराई तक डालने लगा। “बाप रे, कितनी गीली है तू,” उसने कहा। करण अब मेरे कूल्हों को चाट रहा था, उसकी जीभ मेरे गुदा तक पहुंच गई थी। “यार, तेरी गांड भी चोदने लायक है,” उसने हंसते हुए कहा। मैं शर्म और उत्तेजना के बीच झूल रही थी, लेकिन मेरे शरीर ने विरोध करना बंद कर दिया था।
“चलो, जंगल में चलते हैं,” रोहन ने कहा। उन्होंने गाड़ी से एक पुराना कालीन निकाला और मुझे गोद में उठाकर जंगल की तरफ ले गए। विक्की का लंड अभी भी मेरी योनि में था, और वह चलते-चलते मुझे चोद रहा था। “आह्ह… उह्ह… धीरे, विक्की,” मैंने कहा, लेकिन मेरी सिसकारियां तेज हो रही थीं। जंगल में एक खुली जगह पर कालीन बिछाया गया। मैं घुटनों के बल बैठी, और तीनों लड़के मेरे सामने खड़े हो गए। करण अब भी रिकॉर्डिंग कर रहा था। मैंने रोहन और अजय के लंड को बारी-बारी से चूसा, जबकि विक्की मेरे पीछे से मेरी योनि में अपना लंड डाल रहा था। “फच… फच… फच,” उसकी चुदाई की आवाज जंगल में गूंज रही थी। “आह्ह… उह्ह… और जोर से,” मैंने सिसकारते हुए कहा।
अजय ने मुझे मिशनरी पोजीशन में लिटाया और मेरी टांगें फैलाकर अपना लंड मेरी योनि में डाला। उसका लंड 6 इंच का था, लेकिन मोटा और सख्त। “ले, अनुष्का, तुझे तो आज मजा दे दूंगा,” उसने कहा। मैं चिल्ला रही थी, “आह्ह… हाँ… चोदो मुझे!” रोहन ने अपना लंड मेरे मुंह में डाला, और मैं उसे चूस रही थी। विक्की मेरे स्तनों को दबा रहा था, मेरे निप्पल्स को मसल रहा था। “उम्म… कितने सख्त हैं ये,” उसने कहा। करण अब मेरी गांड को चाट रहा था, उसकी उंगलियां मेरे गुदा में अंदर-बाहर हो रही थीं। “अनुष्का, तेरी गांड में डालूं?” उसने पूछा। मैंने हल्का सा सिर हिलाया, डर और उत्तेजना दोनों महसूस हो रहे थे।
करण ने धीरे-धीरे अपना लंड मेरी गांड में डाला। “आआह्ह… धीरे… दर्द हो रहा है!” मैं चीखी। लेकिन उसने धीरे-धीरे गति बढ़ाई, और जल्द ही दर्द मजा में बदल गया। “उह्ह… हाँ… चोदो!” मैं सिसकार रही थी। रोहन मेरे मुंह को चोद रहा था, और अजय मेरी योनि में तेजी से धक्के मार रहा था। “फच… फच… फच,” चुदाई की आवाजें जंगल में गूंज रही थीं। विक्की अब रिकॉर्डिंग कर रहा था, और उसका लंड मेरे हाथ में था। मैं उसे हिला रही थी, और वह सिसकार रहा था।
हमने कई पोजीशन बदलीं। मैं काउगर्ल पोजीशन में अजय के लंड पर उछल रही थी, जबकि करण मेरी गांड में अपना लंड डाले हुए था। “आह्ह… उह्ह… कितना मजा आ रहा है,” मैं चिल्ला रही थी। रोहन मेरे मुंह में अपना लंड डाल रहा था, और विक्की मेरे स्तनों को चूस रहा था। करीब 40 मिनट तक ये सब चला। आखिर में, चारों ने मेरे चेहरे पर अपना वीर्य छोड़ा। “उम्म… कितना गर्म है,” मैंने हंसते हुए कहा, मेरे चेहरे पर उनका वीर्य चिपचिपा और गर्म महसूस हो रहा था।
मैंने पास के एक छोटे से तालाब में अपना चेहरा धोया। फिर, हमने थोड़ा मजाक किया और मैंने अपनी स्कर्ट और शर्ट ठीक की। लेकिन इससे पहले, मैंने जंगल में कुछ नंगी तस्वीरें खिंचवाईं, जो करण ने अपने फोन में कैद कीं। इसके बाद, हम सबने अपनी यूनिफॉर्म पहनी और यमुना नदी के किनारे एक पिकनिक स्पॉट पर चले गए। वहां हमने खाना खाया, हंसी-मजाक किया, और उस दिन की यादों को संजोया।
क्या आपको लगता है कि मैंने उस दिन कुछ ज्यादा ही हिम्मत दिखा दी थी? आपकी ऐसी कोई नटखट याद है, जो आप शेयर करना चाहें?