Sarsoun ke khet mein chudai मेरा नाम काजल है, और मैं उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के पास एक छोटे से गाँव में रहती हूँ। हमारा गाँव सरसों के खेतों से घिरा हुआ है, जहाँ हवा में सरसों की मादक खुशबू के साथ-साथ गुपचुप चुदाई की गर्मी भी तैरती रहती है। मैं 20 साल की हूँ, मेरी लंबाई 5 फीट 4 इंच है, और मेरा रंग गोरा है। मेरे 36 साइज़ के बूब्स, गोल और भारी नितंब, और पतली कमर गाँव के हर मर्द की नज़रों का शिकार हैं। मेरी चूत गुलाबी, चिकनी और बिना बालों वाली है, जो हमेशा लंड की तलाश में गीली रहती है। मेरी हंसी और बिंदास अंदाज़ गाँव में चर्चा का विषय है, लेकिन मेरी जवानी और वासना की आग ने मुझे गाँव की सबसे हसीन और बदनाम लड़की बना दिया है। Ganv me chudai
हमारे गाँव में सरसों के खेत चुदाई का अड्डा हैं। दिन हो या रात, लोग खेतों की आड़ में अपनी वासना शांत करते हैं। बात पिछले वेलेंटाइन डे की है, जब मैं सुबह-सुबह खेत में पानी देने गई थी। सरसों की फसल इतनी घनी थी कि उसमें छुपकर कुछ भी हो सकता था। सूरज की हल्की धूप में खेत चमक रहे थे, और हवा में ठंडक थी। मैंने अपनी लाल सलवार-कुरता पहना था, लेकिन नीचे ब्रा-पैंटी नहीं पहनी थी, क्योंकि मुझे खेत में अकेले रहना पसंद है। तभी मेरी नज़र दूर एक प्रेमी जोड़े पर पड़ी। वो दोनों पूरी तरह नंगे थे, सरसों के पौधों के बीच लेटे हुए। लड़के का मोटा लंड लड़की की चूत में ज़ोर-ज़ोर से अंदर-बाहर हो रहा था। लड़की की सिसकियाँ हवा में गूँज रही थीं, “आह… चोद… मेरी चूत फाड़ दे… और ज़ोर से!” उसकी चीखें और “पच-पच” की आवाज़ ने मेरी चूत में आग लगा दी। मैं पौधों के पीछे छुपकर उन्हें देखने लगी। मेरी उंगलियाँ अनायास मेरी चूत की ओर बढ़ीं, और मैंने धीरे-धीरे अपनी सलवार के ऊपर से चूत रगड़नी शुरू की। मेरी साँसें तेज़ हो रही थीं, और मैं सोच रही थी कि काश मेरा भी कोई लंड होता जिसके साथ मैं वेलेंटाइन डे मना सकती।
Gaon me chudai sex story
मेरे पास कोई बॉयफ्रेंड नहीं था। गाँव के लड़के मेरे पीछे पड़े रहते थे, लेकिन मुझे कोई पसंद नहीं आया। तभी मेरी नज़र विक्रम पर पड़ी, जो गाँव के सरपंच का बेटा था। विक्रम 28 साल का था, शादीशुदा, लेकिन उसका गठीला बदन, चौड़ा सीना, और शरारती मुस्कान किसी को भी दीवाना बना सकती थी। उसकी काली आँखों में हमेशा एक चमक रहती थी, जो वासना और शरारत का मिश्रण थी। मैंने सुना था कि वो गाँव की औरतों को पैसे देकर चोदता है, लेकिन मुझे पैसों की नहीं, लंड की ज़रूरत थी। मैंने ठान लिया कि आज वेलेंटाइन डे के दिन मैं विक्रम को ललचाकर अपनी चूत की आग बुझाऊँगी।
मैंने अपनी सलवार और कुरता उतार दिया और एक तरफ रख दिया। अब मैं पूरी तरह नंगी थी। मेरे बूब्स हवा में झूल रहे थे, और मेरी चूत ठंडी हवा में गीली हो रही थी। मेरे निप्पल सख्त हो गए थे, और मेरी साँसें तेज़ चल रही थीं। मैं जानबूझकर विक्रम के सामने खेत में खड़ी हो गई, जहाँ वो दूर से सरसों की फसल देख रहा था। मैंने अपने बूब्स को ज़ोर से दबाया और एक उंगली अपनी चूत में डाली, धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगी। विक्रम की आँखें फट गईं। वो दौड़ता हुआ मेरे पास आया और गुस्से में बोला, “काजल, ये क्या हरकत है, रंडी?” मैंने हंसते हुए जवाब दिया, “विक्रम भैया, मेरी चूत में आग लगी है। इसे बुझाने में मेरी मदद करो ना!” मेरी आवाज़ में शरारत और वासना दोनों थी।
विक्रम ने मेरी कमर पकड़ ली और मुझे सरसों के पौधों के बीच खींच लिया। उसने मेरे बूब्स को ज़ोर से दबाया और कहा, “साली, तेरे ये बूब्स तो किसी रसभरी से कम नहीं!” मैंने हंसकर जवाब दिया, “तो चूसो ना, भैया! मेरी चूत भी तुम्हारे लंड का इंतज़ार कर रही है!” विक्रम ने मेरे बूब्स को अपने बड़े-बड़े हाथों में लिया और मेरे निप्पल को मुँह में डाल लिया। उसकी गर्म जीभ मेरे निप्पल पर गोल-गोल घूम रही थी। मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “आह… विक्रम… और चूसो… मेरे बूब्स को खा जाओ… ओह्ह!” उसने मेरे एक बूब को चूसते हुए दूसरे को मसलना शुरू किया। मेरे निप्पल सख्त हो गए थे, और मेरी चूत से पानी टपक रहा था। मैंने उसकी शर्ट के बटन खोल दिए और उसका चौड़ा सीना सहलाने लगी। उसकी छाती पर हल्के-हल्के बाल थे, जो उसे और मर्दाना बना रहे थे।
विक्रम ने मुझे ज़मीन पर लिटाया और मेरी टाँगें फैलाईं। उसने मेरी चूत को देखा और बोला, “काजल, तेरी चूत तो बिल्कुल सील पैक लग रही है। ऐसा लगता है तू पहली बार चुदवाने वाली है!” मैंने शर्माते हुए कहा, “हाँ, भैया, आज मेरी पहली बार है। मेरी चूत की सील तोड़ दो!” यह सुनकर विक्रम की आँखों में वासना की चमक और बढ़ गई। उसने कहा, “साली, आज तेरी चूत का भोसड़ा बनाऊँगा!” उसने अपनी उंगली मेरी चूत में डाली। मैं चिल्ला उठी, “आह… मादरचोद… धीरे करो…!” लेकिन विक्रम ने मेरी चूत में उंगली तेज़ी से अंदर-बाहर करनी शुरू की। मेरी चूत गीली थी, और उसकी उंगली “पच-पच” की आवाज़ कर रही थी। मैं पागल हो रही थी। मेरी साँसें तेज़ थीं, और मैं चिल्ला रही थी, “विक्रम… और तेज़… मेरी चूत को फाड़ दो… ओह्ह!”
विक्रम ने मेरी चूत को चाटना शुरू किया। उसकी जीभ मेरी चूत के दाने पर रगड़ रही थी। मैं तड़प रही थी, “आह… विक्रम… चाटो… मेरी चूत का रस पी जाओ… उह्ह!” उसकी जीभ मेरी चूत के अंदर तक जा रही थी, और मैं अपनी गांड उठा-उठाकर उसका मुँह चोद रही थी। मेरी चूत से पानी की धार बह रही थी। विक्रम ने मेरी टाँगें और चौड़ी कीं और मेरी चूत के होंठों को अपने होंठों से चूसने लगा। मैं चिल्ला रही थी, “आह… भोसड़ी के… और चूसो… मेरी चूत को खा जाओ… ओह्ह!” मेरी सिसकियाँ खेत में गूँज रही थीं।
विक्रम ने अपनी पैंट उतारी। उसका लंड बाहर आया—9 इंच लंबा, मोटा, और नसों से भरा। मैं डर गई और बोली, “विक्रम, ये तो मेरी चूत फाड़ देगा!” वो हँस पड़ा और बोला, “काजल, डर मत, आज तुझे जन्नत दिखाऊँगा!” उसने मेरा सिर पकड़ा और अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया। मैं घबरा गई। उसका लंड मेरे गले तक जा रहा था। मैं “उम्म… उम्म…” की आवाज़ें निकाल रही थी। विक्रम ने मेरे बाल पकड़े और मेरा मुँह चोदने लगा। उसका लंड मेरे मुँह में गर्म और सख्त था। मुझे उल्टी जैसा लग रहा था, लेकिन मेरी चूत और गीली हो रही थी। मैंने उसका लंड चूसना शुरू किया, अपनी जीभ उसके सुपारे पर घुमाई। विक्रम सिसकारियाँ ले रहा था, “आह… काजल… तू तो रंडी से भी ज़्यादा मज़ा दे रही है… चूस… और चूस…!”
मैंने कहा, “विक्रम, अब मेरी चूत चोदो… मुझे इस वेलेंटाइन डे पर तुम्हारा लंड गिफ्ट चाहिए!” उसने मुझे खेत की ज़मीन पर लिटाया और मेरी टाँगें अपने कंधों पर रखीं। उसने अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ा। मैं तड़प रही थी, “विक्रम… डाल दो… मेरी चूत को चोदो… आह!” उसने धीरे से अपना लंड मेरी चूत में डाला। मैं चीख पड़ी, “आह… मादरचोद… दर्द हो रहा है…!” मेरी चूत में जलन हो रही थी। विक्रम ने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। अचानक मुझे लगा कि मेरी चूत में कुछ टूटा। मैंने देखा तो खून निकल रहा था। मेरी सील टूट चुकी थी। मेरी आँखों में आँसू थे, लेकिन वासना ने मुझे बेकाबू कर रखा था।
विक्रम ने मुझे गले लगाया और कहा, “काजल, बस थोड़ा दर्द होगा, फिर मज़ा आएगा।” उसने फिर से चोदना शुरू किया। अब दर्द कम हो रहा था, और मज़ा बढ़ रहा था। मैं अपनी गांड उठा-उठाकर उसके धक्कों का जवाब दे रही थी। विक्रम मेरे बूब्स को मसल रहा था और मेरे होंठ चूस रहा था। मैं चिल्ला रही थी, “विक्रम… चोदो… मेरी चूत फाड़ दो… आह… उह्ह!” उसका लंड मेरी चूत को चीर रहा था। हर धक्के के साथ “पच-पच” की आवाज़ आ रही थी। मैं पागल हो रही थी, “विक्रम… और ज़ोर से… मेरी चूत का भोसड़ा बना दो… ओह्ह!” वो हँस रहा था और बोला, “साली, तू तो मेरी बीवी से भी बड़ी रंडी है!” उसकी गालियाँ मेरी उत्तेजना को और बढ़ा रही थीं।
विक्रम के धक्के अब तेज़ हो गए थे। उसका लंड मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था। मैं चिल्ला रही थी, “आह… विक्रम… चोदो… मेरी चूत को फाड़ दो… उह्ह!” अचानक उसने एक जोरदार धक्का मारा, और उसका गर्म वीर्य मेरी चूत में भर गया। मैंने उसके लंड को चूत से निकाला और उस पर लगा वीर्य चाट लिया। उसका स्वाद नमकीन और उत्तेजक था। मैं अभी पूरी तरह झड़ी नहीं थी। विक्रम ने कहा, “काजल, तुझे चोदने का मज़ा मेरी बीवी से भी ज़्यादा है। मैंने कई औरतों को चोदा, लेकिन तेरी चूत की बात ही अलग है!”
विक्रम ने मुझे “हैप्पी वेलेंटाइन डे” बोला और चुदाई के बदले कुछ पैसे देने की कोशिश की। मैंने गुस्से में कहा, “विक्रम, मैं कोई रंडी नहीं हूँ जो पैसों के लिए चुदवाती है। मैंने अपनी चूत की आग बुझाने के लिए तुझे चोदने दिया!” वो हँस पड़ा और बोला, “ठीक है, साली, अब घोड़ी बन, तेरी गांड भी मारूँगा!” उसने मुझे घोड़ी बनाया। मेरी गोल गांड हवा में थी, और मैं वेलेंटाइन डे के गिफ्ट के रूप में उसका लंड लेने को तैयार थी। उसने मेरी गांड पर थूक लगाया और अपनी उंगली डाली। मैं चिल्ला उठी, “आह… मादरचोद… धीरे…!” लेकिन विक्रम ने अपना लंड मेरी गांड में डाल दिया। मैं दर्द से कराह रही थी, लेकिन मज़ा भी आ रहा था। वो जोर-जोर से मेरी गांड मार रहा था। मैं चिल्ला रही थी, “विक्रम… मेरी गांड फाड़ दो… आह… उह्ह!” हर धक्के के साथ मेरी गांड में जलन हो रही थी, लेकिन मैं अपनी गांड पीछे धकेल रही थी। आखिरकार, विक्रम ने मेरी गांड में ही अपना वीर्य छोड़ दिया। मैं थककर ज़मीन पर लेट गई। मेरी चूत और गांड दोनों सूज गई थीं।
अगले दिन विक्रम फिर खेत में आया, लेकिन इस बार वो अपने बाप, सरपंच रामलाल, को साथ लाया। रामलाल 60 साल के थे, लेकिन उनका बदन अभी भी गठीला था। उनके बाल सफेद थे, लेकिन उनकी आँखों में वासना की चमक थी। मैंने हैरानी से कहा, “विक्रम, ये क्या? अपने बाप को क्यों लाए?” वो हँस पड़ा और बोला, “काजल, डार्लिंग, आज हम बाप-बेटे मिलकर तेरी चूत और गांड का भोसड़ा बनाएंगे!” रामलाल ने मेरे बूब्स पकड़े और कहा, “काजल, तू तो गाँव की सबसे बड़ी रंडी है!” मैंने हंसकर जवाब दिया, “चाचा, पहले मुझे चोदो, फिर बोलो!”
दोनों ने मुझे खेत में लिटाया। विक्रम मेरी चूत चाट रहा था, और रामलाल ने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया। रामलाल का लंड विक्रम से थोड़ा छोटा, लेकिन ज़्यादा मोटा था। मैं “उम्म… उम्म…” की आवाज़ें निकाल रही थी। रामलाल मेरे बाल पकड़कर मेरा मुँह चोद रहा था। मैं उसका लंड चूस रही थी, और विक्रम मेरी चूत के दाने को काट रहा था। मैं चिल्ला रही थी, “आह… चाचा… विक्रम… मेरी चूत और मुँह को चोदो… उह्ह!” दोनों ने मुझे कामसूत्र की डॉगी पोजीशन में लाया। विक्रम ने मेरी चूत में अपना लंड डाला, और रामलाल मेरे मुँह में। मैं दर्द और मज़े में चिल्ला रही थी, “आह… मादरचोद… और ज़ोर से…!”
फिर उन्होंने मुझे उल्टा लिटाया। रामलाल मेरी चूत में लंड डाल रहा था, और विक्रम मेरी गांड मार रहा था। मेरी चूत और गांड दोनों में उनके मोटे लंड अंदर-बाहर हो रहे थे। “पच-पच” और “थप-थप” की आवाज़ें खेत में गूँज रही थीं। मैं चिल्ला रही थी, “आह… मेरी चूत और गांड फाड़ दो… उह्ह… ओह्ह!” मैं दो बार झड़ चुकी थी, मेरी चूत से पानी टपक रहा था, लेकिन वो बाप-बेटे रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। आखिरकार, दोनों ने मेरे बूब्स पर अपना वीर्य छोड़ा। मैं थककर खेत में लेट गई। मेरी चूत और गांड सूज गई थीं। मैंने हंसते हुए कहा, “विक्रम, चाचा, तुम दोनों ने तो मेरी चूत और गांड का भोसड़ा बना दिया!” वो दोनों हँस पड़े।
उस दिन के बाद विक्रम और रामलाल कई बार मेरे खेत में मेरे साथ थ्रीसम सेक्स करने आए। हर बार चुदाई का नया खेल हुआ, और हमें तीनों को ही बड़ा आनंद आया। लेकिन उस पहली रात और थ्रीसम चुदाई की उत्तेजना आज भी मेरे मन में बसी है। मेरी चूत अब लंड की आदी हो चुकी है। आपको मेरी यह कामुकता भरी चुदाई कहानी कैसी लगी? क्या काजल, विक्रम, और रामलाल की चुदाई ने आपको गर्म किया? क्या कहानी में हंसी और वासना का मिश्रण पसंद आया? कृपया अपनी राय और सुझाव कमेंट में बताएँ। अगर आप चाहें, तो मैं अपनी अगली चुदाई की कहानी भी लिख सकती हूँ!