Cuck Husband Sex Story – Hot wife sex: मेरा नाम रविंद्र पांडे है। उम्र 38 साल, कद 5 फीट 10 इंच, गठीला बदन, चेहरे पर घनी मूंछें, जो मुझे और रौबदार बनाती थीं। मेरे बाल काले, घने, और थोड़े लहराते थे। मैं हमेशा क्रिस्प फॉर्मल शर्ट और पैंट में रहता, जो मेरी पर्सनैलिटी को और निखारता था। मैं दिल्ली के उत्तम नगर में एक बड़ी टेलिकॉम कंपनी में सेल्स मैनेजर था। कंपनी ने मुझे उत्तम नगर और आसपास के इलाकों में बिजनेस बढ़ाने की पूरी जिम्मेदारी सौंपी थी। मैंने एक शानदार प्रॉपर्टी किराए पर ली और वहां एक चमचमाता ऑफिस सेटअप किया। मेरा मकसद था कि कंपनी का बिजनेस आसमान छूए। इसके लिए मुझे 6 लड़कों की एक तेज-तर्रार सेल्स टीम चाहिए थी, जो हमारे प्रोडक्ट्स को मार्केट में बेच सके। मैंने अखबार में विज्ञापन छपवाया और 6 सेल्स एग्जीक्यूटिव भर्ती कर लिए।
ये लड़के बंगलों और मार्केट में जाकर प्रोडक्ट्स बेचते थे। पांच लड़के तो बढ़िया काम कर रहे थे, लेकिन छठा लड़का, प्रमोद, बिल्कुल निकम्मा था। प्रमोद, 25 साल का, पतला-दुबला, चेहरा साधारण, लेकिन उसकी आंखों में हमेशा एक डर और बेचैनी रहती थी। वो हर वक्त घबराया हुआ लगता था, जैसे दुनिया का सारा बोझ उसके कंधों पर हो। दो महीने तक उसने एक भी डील नहीं लाई। फिर एक दिन कंपनी के हेड, श्री बांके लाल, मेरी ब्रांच में आए। बांके लाल, 45 साल के, मोटे-ताजे, गंजा सिर, लेकिन उनकी आंखों में एक चालाकी और रौब था। वो हमेशा महंगे ग्रे सूट में रहते थे, और उनकी भारी आवाज सुनकर लोग सहम जाते थे। उन्होंने सारी रिपोर्ट्स देखीं और सीधे प्रमोद को निकालने का हुक्म सुना दिया।
“रविंद्र! ये प्रमोद बेकार है। दो महीने में एक भी सौदा नहीं लाया। इसे आज ही टर्मिनेशन लेटर थमा दो,” बांके लाल ने अपनी गूंजती आवाज में कहा और चले गए। मैंने प्रमोद को केबिन में बुलाया। वो मेरे सामने खड़ा था, उसका चेहरा लटका हुआ, आंखें नीची। जैसे ही मैंने टर्मिनेशन की बात शुरू की, वो जोर-जोर से फूट-फूटकर रोने लगा। “सर, मेरी अभी नई-नई शादी हुई है। प्लीज, मुझे नौकरी से मत निकालिए। मेरी बीवी और मेरा क्या होगा?” उसकी आवाज में इतनी मायूसी थी कि मेरा दिल थोड़ा पिघल गया। लेकिन मेरे दिमाग में कुछ और ही चल रहा था। मैंने उसे उस दिन लेटर नहीं दिया और अगले दिन आने को कहा।
रात भर मैं सो नहीं पाया। मेरे दिमाग में बार-बार प्रमोद की जवान बीवी रचना का चेहरा घूम रहा था। रचना, 23 साल की, 5 फीट 4 इंच, पतली-दुबली, गोरी, और इतनी खूबसूरत कि देखकर लंड खड़ा हो जाए। मैंने उसे एक बार कंपनी के इवेंट में देखा था। वो वाइन रेड साड़ी में थी, जो उसके जिस्म के हर उभार को बयां कर रही थी। उसकी बड़ी-बड़ी काली आंखें, लंबी पलकें, और होंठों पर हल्की-सी नीली लिपस्टिक। गले में काला मोतियों वाला मंगलसूत्र और हाथों में खनकती चूड़ियां। उसके गोरे हाथों में चांदी और सोने की अंगूठियां थीं, जो उसकी नई दुल्हन वाली अदा को और बढ़ा रही थीं। मैं रात भर यही सोचता रहा, “अगर रचना की चूत मिल जाए, तो क्या बात हो।” मैं बार-बार सपने में देख रहा था कि रचना मेरे सामने गिड़गिड़ा रही है, “नहीं सर, प्रमोद को नौकरी से मत निकालिए, वरना हम दोनों का क्या होगा?” मेरी नीयत उस पर खराब हो चुकी थी। मैंने ठान लिया कि प्रमोद की नौकरी बचाने के बहाने मैं उसकी बीवी को अपने जाल में फंसाऊंगा।
अगले दिन मैंने प्रमोद को फिर बुलाया। वो मेरे केबिन में आया, उसकी आंखें लाल थीं, जैसे रात भर रोया हो। “देखो प्रमोद, तुम्हारी नौकरी बचाना अब मेरे लिए नामुमकिन है। तुम जानते हो कि कोई कंपनी बिना बिजनेस के नहीं चलती। लेकिन एक रास्ता है, जिससे तुम्हारी नौकरी बच सकती है। शायद तुम इसके लिए तैयार न हो,” मैंने चालाकी से कहा। प्रमोद की आंखों में एक उम्मीद की चमक दिखी। “आप बोलिए सर, मैं अपनी नौकरी बचाने के लिए कुछ भी करूंगा,” उसने बेताबी से कहा। मैंने उसकी आंखों में देखा और धीरे से बोला, “प्रमोद, तुम्हें अपनी जवान और खूबसूरत बीवी रचना को मुझे और हेड सर बांके लाल को तोहफे के तौर पर देना होगा। समझ रहे हो ना, मैं किस तरह इशारा कर रहा हूं? अगर तुम ऐसा कर सको, तो मैं तुम्हारी नौकरी बचा लूंगा।” मेरी बात सुनकर प्रमोद का चेहरा फक हो गया। उसकी आंखें डबडबा आईं। वो समझ गया था कि मैं उसकी बीवी को चोदने की बात कर रहा हूं, और सिर्फ मैं ही नहीं, बांके लाल भी उसकी बीवी की चूत का मजा लेंगे।
“प्रमोद, आराम से सोच लो। कोई जल्दी नहीं है। तब तक तुम्हारा टर्मिनेशन लेटर मेरे पास सुरक्षित है,” मैंने उस पर और दबाव डालते हुए कहा। कुछ दिन बाद प्रमोद अपनी बीवी रचना को लेकर मेरे ऑफिस आया। “सर, मैं अपनी नई-नवेली बीवी रचना को ले आया हूं,” उसने धीमी, टूटी आवाज में कहा। मेरी नजर रचना पर पड़ी। वो वाइन रेड साड़ी में थी, जो उसके गोरे जिस्म पर चमक रही थी। उसकी बड़ी-बड़ी काली आंखें, नीली लिपस्टिक, और गले में काला मोतियों वाला मंगलसूत्र। उसके हाथों में चूड़ियां खनक रही थीं, और उंगलियों में चमकती चांदी, सोने, और रत्नों की अंगूठियां। उसका पतला, गोरा चेहरा और नाजुक कलाइयां मेरे लंड को बेकाबू कर रही थीं। मैंने मन ही मन सोचा, “मादरचोद, ये तो जबरदस्त माल है। इसकी चूत तो बड़ी मीठी होगी। भगवान ने इसे बड़े करीने से बनाया है।” मैंने रचना को अपने केबिन में बिठाया और प्रमोद को बाहर ले गया।
“प्रमोद, तेरी बीवी तो बड़ी मस्त है यार। मैं यकीन से कह सकता हूं कि इसकी चूत बड़ी रसीली होगी। एक रात मैं इसे चोदूंगा, और एक रात हेड सर,” मैंने बेशर्मी से कहा। प्रमोद बेचारा बहुत उदास था। मजबूरी में उसने सर हिलाकर हामी भरी। मैंने उसे जाने को कहा। उसने एक बार अपनी बीवी रचना की ओर देखा, जो मेरे केबिन में बैठी थी, और फिर भारी कदमों से चला गया। मेरा लौड़ा रचना की चूत मारने को बेताब था। मैं केबिन में गया।
“रचना, तुम जानती हो ना कि तुम किस काम के लिए आई हो?” मैंने पूछा। उसने शर्म से सर हिलाया, उसकी आंखें नीची थीं। मैं खुश हो गया। मैंने चपरासी को बुलाकर कहा कि अगले दो घंटे तक कोई मेरे केबिन में न आए। चपरासी ने मुस्कुराकर सर हिलाया, वो समझ गया था कि मैं प्रमोद की बीवी की चूत लेने वाला हूं। मैंने केबिन का दरवाजा अंदर से लॉक किया, पर्दे खींचे, और रचना के बगल सोफे पर बैठ गया। मैंने धीरे से उसके कंधे पर हाथ रखा। वो शर्म और झिझक से एक इंच आगे खिसक गई। मैंने उसके दोनों कंधों को पकड़कर उसे अपनी ओर खींच लिया और उसके नीली लिपस्टिक लगे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। वो थोड़ा झिझकी, “उफ्फ… सर…” उसने धीमी आवाज में कहा। मैंने उसके कंधों को और जोर से पकड़ा और उसके होंठ चूसने लगा। दोस्तों, वो लड़की थी या कोई हूर। जरूर प्रमोद उसकी चूत रोज लेता होगा। उसके नीले-नीले होंठों का स्वाद मुझे पागल कर रहा था। उसकी छोटी-सी, प्यारी नाक को मैंने हल्के से दांतों से काट लिया। “उह्ह… सर, धीरे…” उसने कहा, लेकिन उसकी आवाज में अब शर्म कम और उत्तेजना ज्यादा थी।
मैंने उसका साड़ी का पल्लू धीरे से सरकाया। उसका गोरा चेहरा, नाजुक गला, और काला मोतियों वाला मंगलसूत्र मेरे सामने था। मैंने उसे सोफे की दीवार से सटाकर बिठाया और फिर से उसके होंठ चूसने लगा। मेरे हाथ अब उसके ब्लाउज की ओर बढ़े। उसका ब्लाउज टाइट था, जिसमें से उसके 34 साइज के चुच्चे उभर रहे थे, जैसे रुई के गोले। मैंने धीरे-धीरे उसके ब्लाउज के बटन खोले। “सर… प्लीज… धीरे…” उसने हल्का-सा विरोध किया, लेकिन मैंने उसकी बात अनसुनी की। ब्लाउज खुलते ही उसकी काली ब्रा मेरे सामने थी, जो उसके गोरे जिस्म पर गजब ढा रही थी। मैंने ब्रा के हुक खोले। उसके मम्मे मेरे सामने थे—गोरे, मुलायम, गोल, और ऊपर सिक्के जैसे भूरे निप्पल, जो हल्के गुलाबी रंग के साथ चमक रहे थे। “मादरचोद, क्या मस्त दूध हैं तेरे,” मैंने कहा। मैंने एक मम्मा अपने हाथ में लिया और धीरे से दबाया। “आह्ह… उफ्फ… सर…” रचना की सिसकारी निकली। मैंने उसका निप्पल अपने मुंह में लिया और चूसने लगा। उसका जिस्म कांप रहा था। मैंने दूसरे मम्मे को दबाते हुए उसके निप्पल को हल्के से दांतों से काटा। “उह्ह… सर… थोड़ा आराम से…” उसकी आवाज में अब वासना साफ झलक रही थी।
मैंने उसे सोफे पर लिटा दिया। उसकी वाइन रेड साड़ी अब कमर तक सरक चुकी थी। मैंने उसकी साड़ी को धीरे-धीरे पूरा खोल दिया। अब वो सिर्फ पेटीकोट और काली पैंटी में थी। मैंने उसका पेटीकोट भी खोल दिया। उसकी गोरी, चिकनी जांघें मेरे सामने थीं, जैसे रबड़ी की तरह मुलायम। मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी चूत को हल्के से सहलाया। “आह्ह… सर… उफ्फ…” उसकी सिसकारियां तेज हो गईं। मैंने उसकी पैंटी को धीरे से उतारा। उसकी चूत मेरे सामने थी—बिल्कुल साफ, कसी हुई, और हल्के गुलाबी रंग की। उसकी क्लिटोरिस के ऊपर झांटों की एक खूबसूरत डिजाइन थी, जैसे मोर पंखी। “बहनचोद, रचना, ये झांटों की मोर पंखी किसने बनाई?” मैंने आश्चर्य से पूछा। “सर, ये प्रमोद ने बनाई है। वो बड़े शौकीन मिजाज के हैं। अपने हाथों से बड़े प्यार से मेरी झांटें बनाते हैं। हर हफ्ते नई डिजाइन बनाते हैं,” उसने शर्माते हुए कहा। मैंने मन ही मन सोचा, “गांडू, प्रमोद बड़ा रसीला है। सारा दिन अपनी बीवी की चूत में ही घुसा रहता होगा, तभी बिजनेस नहीं ला पाता।”
मैंने उसकी चूत के ऊपर की मोर पंखी को चूमा और फिर उसकी चूत को अपनी जीभ से सहलाया। “आह्ह… उफ्फ… सर… ओह्ह…” रचना की सिसकारियां कमरे में गूंज रही थीं। मैंने उसकी चूत को खोला, उसकी गुलाबी क्लिटोरिस मेरे सामने थी। मैंने अपनी जीभ उसकी चूत के अंदर डाली और चाटने लगा। उसकी चूत रसीली थी, और उसका स्वाद मुझे पागल कर रहा था। “उह्ह… सर… प्लीज… आह्ह…” रचना तड़प रही थी। मैंने उसकी क्लिटोरिस को चूसा, और वो सिसकने लगी। “आह्ह… उफ्फ… सर…” मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाली और धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगा। उसकी चूत गीली हो चुकी थी, और मेरी उंगली आसानी से अंदर-बाहर हो रही थी। “आह्ह… सर… और… उफ्फ…” उसकी सिसकारियां अब और तेज हो गईं। मैंने दो उंगलियां डालीं और उसकी चूत को और खोला। “उह्ह… सर… बस… आह्ह…” वो तड़प रही थी। मैंने उसकी नाभि को चूमा, उसके मखमली पेट पर जीभ फेरी, और फिर उसकी चूत तक पहुंचा। उसकी नाभि से चूत तक हल्के-हल्के रेशमी बालों की एक कतार थी। मैंने उस कतार पर जीभ रखी और धीरे-धीरे चूमते हुए उसकी चूत तक पहुंच गया। “आह्ह… सर… गुदगुदी हो रही है…” रचना हंसने लगी। मैंने सोचा, अब ये मजे से खुलकर चुदवाएगी।
मैंने अपनी पैंट उतारी। मेरा 10 इंच का लौड़ा पूरी तरह तन चुका था, उसका सुपारा लाल और चमकदार। मैंने रचना की जांघें फैलाईं और अपना लौड़ा उसकी चूत पर रगड़ा। “आह्ह… सर… धीरे…” उसने कहा। मैंने धीरे से अपना लौड़ा उसकी चूत में डाला। उसकी चूत इतनी कसी थी कि मेरा लौड़ा अंदर जाते ही रगड़ खा रहा था। “उह्ह… सर… आह्ह…” रचना की सिसकारियां कमरे में गूंज रही थीं। मैंने धीरे-धीरे अपनी कमर हिलानी शुरू की। “घप… घप… घप…” मेरे लौड़े के धक्कों की आवाज कमरे में गूंज रही थी। रचना की चूत इतनी रसीली थी कि हर धक्के के साथ “चप… चप…” की आवाज आ रही थी। “आह्ह… उफ्फ… सर… थोड़ा आराम से…” रचना सिसक रही थी। मैंने उसकी गोरी जांघ को अपने हाथों से पकड़ा और और जोर से धक्के मारने लगा। “घप… घप… घप…” मेरे धक्कों की रफ्तार बढ़ती जा रही थी।
मैंने उसकी एक जांघ को अपने कंधे पर रखा और और गहराई तक अपना लौड़ा डाला। “आह्ह… उह्ह… सर… मेरी चूत फट जाएगी…” रचना की चीख निकली। तभी मेरा फोन बजा। प्रमोद का कॉल था। “सर, रचना अभी नई-नई है। आज पहली बार किसी गैर मर्द से चुदवा रही है। प्लीज, मेरी बीवी को प्यार से चोदना। उसे कोई रंडी, कोई छिनाल मत समझना,” उसने भरी गले से कहा। “प्रमोद, मेरे भाई, मैं तेरी औरत को अपनी औरत की तरह चोदूंगा। तू जरा भी फिकर मत कर,” मैंने कहा और फोन काट दिया। लेकिन मेरी नीयत और खराब हो गई। “मादरचोद, क्या गोरी-गोरी जांघें हैं,” मैंने कहा और उसकी भरी-भरी जांघ पर उंगली और अंगूठे से जोर की चुटकी काटी। उसकी रबड़ी-सी मुलायम खाल पर लाल निशान पड़ गया। “आह्ह… सर… प्लीज, चुटकी मत काटो… आराम से चोदो…” रचना ने कहा। मैंने उसकी जांघ को और जोर से दबाया और चोदता रहा। “घप… घप… घप…” मेरे धक्के अब और तेज थे।
मैंने रचना को घोड़ी बनाया। उसकी गोरी, चिकनी गांड मेरे सामने थी। मैंने उसकी गांड को सहलाया और फिर पीछे से उसकी चूत में लौड़ा डाला। “आह्ह… उफ्फ… सर… धीरे…” उसकी सिसकारियां तेज थीं। मैंने उसकी कमर पकड़ी और जोर-जोर से धक्के मारे। “घप… घप… चप… चप…” उसकी चूत अब पूरी तरह गीली थी। “रचना, तेरी चूत तो बड़ी कसी है। रोज चुदवाती है, फिर भी इतनी टाइट,” मैंने कहा। “हां सर… ऐसी एक भी रात नहीं होती जब प्रमोद मेरी चूत न ले…” उसने सिसकते हुए कहा। “तू है ही इतनी हसीन कि कोई भी तेरा मर्द बने, तुझे चोदे बिना न माने,” मैंने कहा और और जोर से चोदने लगा। मैंने उसे फिर से सोफे पर लिटाया और उसकी टांगें हवा में उठाईं। “आह्ह… सर… उह्ह…” रचना तड़प रही थी। मैंने करीब 30 मिनट तक उसे अलग-अलग पोजीशन में चोदा—घोड़ी, लिटाकर, टांगें उठाकर। “सर… धीरे… मेरी चूत फट जाएगी…” रचना बोली। मैं कुछ नहीं बोला, बस घप-घप करके चोदता रहा। आखिर में मैं पसीना-पसीना होकर उसकी चूत में ही झड़ गया। “आह्ह… उह्ह…” मेरी सिसकारी निकली। रचना सोफे पर लेटी थी, उसकी आंखें बंद थीं, और उसका चेहरा दर्द से भरा था। “मादरचोद, तुझे तो रंडी की तरह चोदा,” मैंने मन ही मन सोचा।
मैंने उसे कुछ देर आराम करने दिया और फिर हेड सर बांके लाल को फोन लगाया। “हेलो, हां सर, रविंद्र बोल रहा हूं। वो उत्तम नगर ब्रांच का लड़का प्रमोद अपनी बीवी को दे गया है। सर, बहुत कड़क माल है। इसकी चूत चूत नहीं, स्वर्ग का द्वार समझिए। अगर आप इसे चोदेंगे, तो गारंटी है, पूरा मजा मिलेगा,” मैंने उत्साह से कहा। “ठीक है, रविंद्र। प्रमोद की बीवी को लेकर रात में मेरे बंगले पर आ जाओ,” बांके लाल ने कहा। मैंने रचना को कहा, “रचना, चल, कपड़े पहन ले। आज रात तुझे हेड सर श्री बांके लाल से भी चुदना है।” उसकी चूत में अभी भी दर्द था। उसने धीरे-धीरे अपनी वाइन रेड साड़ी, ब्लाउज, और पेटीकोट पहना, मंगलसूत्र और चूड़ियां सजाईं। मैं उसे एक महंगे ब्यूटी पार्लर ले गया। वहां उसकी मसाज और फेशियल करवाया। रचना ने नई साड़ी पहनी—गहरी नीली, जो उसके गोरे जिस्म पर चमक रही थी। उसने पूरा मेकअप किया—नीली लिपस्टिक, काजल, और माथे पर छोटी-सी बिंदिया। वो किसी नई दुल्हन की तरह लग रही थी।
शाम को मैं उसे अपनी कार में बांके लाल के बंगले पर ले गया। बांके लाल ने दरवाजा खोला और रचना को देखते ही उनकी आंखें चमक उठीं। “सर, प्रमोद की बीवी आपकी सेवा में हाजिर है,” मैंने मुस्कुराते हुए कहा। बांके लाल की चुदास भरी नजरें रचना के भरे हुए जिस्म के एक-एक हिस्से को स्कैन कर रही थीं। मैंने उनकी पैंट की ओर देखा, उनका लंड खड़ा हो चुका था। “आओ भाई, आओ! कब से तुम लोगों का इंतजार कर रहा था,” बांके लाल ने कहा। हम अंदर गए और सोफे पर बैठे। टेबल पर कई महंगी अंग्रेजी शराब की बोतलें रखी थीं। बांके लाल ने मुझे आंखों से इशारा किया। “रचना, सर के लिए जाम बनाओ,” मैंने कहा। रचना झुककर शराब की बोतल उठाकर ग्लास में डालने लगी। उसका साड़ी का पल्लू सरक गया, और उसका सधा हुआ पिछवाड़ा दिखने लगा। बांके लाल खुद को रोक न सके। उन्होंने रचना के पिछवाड़े पर हाथ रखा और सहलाने लगे। “आह्ह… सर…” रचना ने धीमी आवाज में कहा। बांके लाल ने उसे अपनी जांघ पर बिठा लिया और उसके नगीने जैसे होंठ चूसने लगे। “उम्ह… सर… उफ्फ…” रचना की सिसकारियां शुरू हो गईं।
बांके लाल ने उसका नीला ब्लाउज खोला। रचना की चिकनी, सुडौल, कसी छातियां उनके सामने थीं। उन्होंने एक ग्लास शराब लिया और रचना के मम्मों पर धीरे-धीरे शराब डालने लगे। फिर नीचे मुंह लगाकर बहती शराब चूसने लगे। “आह्ह… उह्ह… सर…” रचना की सिसकारियां तेज हो गईं। ये सब देखकर मेरा लौड़ा फिर से खड़ा हो गया। मैंने भी रचना के मस्त-मस्त मम्मों से होकर बहती शराब चूसी। “रविंद्र, आ ना, मिल-बांटकर खाते हैं इस कुतिया को,” बांके लाल ने चुदास भरी आवाज में कहा। उन्होंने रचना को दो ग्लास शराब जबरदस्ती पिलाई। रचना को अब भारी नशा चढ़ गया था। बांके लाल ने उसकी साड़ी, पेटीकोट, और पैंटी उतार दी। अब वो पूरी तरह नंगी थी। उन्होंने रचना को अपने 10 इंच के लौड़े पर बिठा लिया, जिसका सुपारा लाल और चमकदार था। “आह्ह… उफ्फ… सर… धीरे…” रचना सिसक रही थी।
“अबे रविंद्र गांडू, चल, पीछे से खड़े होकर इस कुतिया की गांड में लौड़ा दे। साथ-साथ चोदेंगे इसे, मां कसम, बड़ा मजा आएगा,” बांके लाल ने कहा। “पर सर, प्रमोद ने कहा है कि इस रंडी को प्यार से चोदना,” मैंने कहा। “हां, हां, प्यार से ही चोदेंगे,” बांके लाल ने हंसते हुए कहा। मैंने अपने कपड़े उतारे और रचना की गोरी, चिकनी गांड में अपना लौड़ा डाल दिया। उधर बांके लाल ने उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया। “आह्ह… उह्ह… सर… प्लीज…” रचना की चीखें निकल रही थीं। हम दोनों रचना को चोदने लगे। “घप… घप… घप…” हमारे धक्कों की आवाज कमरे में गूंज रही थी। रचना शराब के नशे में थी, लेकिन उसकी सिसकारियां बता रही थीं कि उसे दर्द हो रहा था। “आह्ह… उफ्फ… सर… धीरे…” वो बार-बार कह रही थी। बांके लाल तो महान चुदक्कड़ निकले। इतनी जोर-जोर से रचना की चूत मारने लगे कि मैं डर गया कि कहीं उसकी चूत पूरी तरह फट न जाए। फिर उनकी देखा-देखी मैं भी जोर-जोर से उसकी गांड चोदने लगा। “घप… घप… चप… चप…” हमारे लौड़े रचना के दोनों छेदों में टकराने लगे, जैसे कोई युद्ध हो रहा हो।
“चोद… चोद… बाजारू रंडी की तरह इस छिनाल को चोद!” बांके लाल चिल्लाए। उनकी उत्तेजक आवाज सुनकर मेरा लौड़ा टननाया। हमने उसे घोड़ी बनाया, फिर लिटाकर, और फिर टांगें उठाकर चोदा। करीब दो घंटे तक हमने रचना को चोदा। आखिर में हम दोनों उसके अंदर ही झड़ गए। “आह्ह… उह्ह…” हमारी सिसकारियां कमरे में गूंज रही थीं। रचना अब सोफे पर लेटी थी, उसकी आंखें बंद थीं, और उसका जिस्म पसीने से भीगा था। हमने उसे कपड़े पहनने को कहा। वो धीरे-धीरे उठी और अपनी नीली साड़ी पहनी। दोस्तों, ये मेरी जिंदगी की सबसे यादगार चुदाई थी। आपको ये कहानी कैसी लगी? अपने कमेंट्स जरूर बताइए।