Salhaj ki chudai sex story: मेरा नाम अमितेश है। मैं उज्जैन का रहने वाला हूँ, लेकिन दिल्ली में रहता हूँ और यहीं जॉब करता हूँ। मेरी उम्र 30 साल है, और मेरी शादी को अभी तीन साल ही हुए हैं। ये कहानी मेरे साले नमन की बीवी प्रतिभा की है। नमन की उम्र 24 साल है, और उसकी नई-नवेली दुल्हन प्रतिभा 22 साल की है।
नमन को बचपन से पोलियो है, जिसके कारण उसका एक पैर ठीक नहीं है। लेकिन वो बहुत पैसे वाला है, और इसी वजह से उसकी शादी हो पाई। प्रतिभा एक गरीब घराने से ताल्लुक रखती है, लेकिन उसकी खूबसूरती ऐसी है कि कोई भी उसे देखकर फिदा हो जाए। मैंने ही नमन और प्रतिभा का रिश्ता तय करवाया था। मैं लड़की वालों के पास गया था और उन्हें यकीन दिलाया था कि नमन बहुत अच्छा इंसान है और प्रतिभा को बहुत खुश रखेगा। मेरी बातों से प्रतिभा काफी प्रभावित हुई थी।
प्रतिभा का खुला दिमाग मुझे सबसे ज्यादा पसंद आया था। उसका फिगर, उसकी बनावट, वो गुलाबी होंठ, गाल, और उसकी पतली कमर—सब कुछ इतना आकर्षक था कि मैं खुद भी उस पर फिदा हो गया था। उसके बूब्स की उभरी हुई शेप, मस्त चूतड़, और वो हर अदा—मानो भगवान ने उसे फुर्सत में बनाया हो। कोई भी मर्द, जो सेक्सी और खूबसूरत लड़की की तलाश में हो, प्रतिभा को देखकर शादी से इनकार नहीं कर सकता था।
शादी हो गई। सब कुछ अच्छा चला। लेकिन सुहागरात की रात कुछ ठीक नहीं रहा। मैंने प्रतिभा से पूछा, “क्या हाल है? रात कैसी कटी?” उसने उदास स्वर में कहा, “जीजाजी, कुछ ठीक नहीं रहा। लगता है नमन शर्माते हैं। ज्यादा कुछ नहीं हो पाया।” मैंने सोचा, शायद पहली रात की बात है, नमन को वक्त चाहिए। लेकिन दूसरे और तीसरे दिन भी यही सुनने को मिला। मैं दिल्ली वापस आ गया, लेकिन एक हफ्ते तक जब मुझे पता चला कि उनके बीच सेक्स संबंध ही नहीं बने, तो मैं चिंता में पड़ गया।
मैंने दोनों को हनीमून के लिए नैनीताल जाने की सलाह दी और उनके लिए होटल भी बुक कर दिया। वो दोनों तय समय पर दिल्ली आ गए। मैंने नमन से मजाक में पूछा, “क्या बात है, साले साहब? अभी तक मैडम को खुश नहीं कर पाए?” नमन ने गंभीर होकर कहा, “जीजाजी, मैं आपसे एक बात करना चाहता हूँ।” मैंने कहा, “बताओ, क्या बात है?”
तब नमन ने सारी सच्चाई बयान कर दी। उसने बताया, “जीजाजी, मुझे सुहागरात के दिन ही पता चला कि मैं सेक्स नहीं कर सकता। मेरा लंड खड़ा होते ही ढीला पड़ जाता है। मैंने बहुत कोशिश की, लेकिन 10 सेकंड में ही मेरा वीर्य निकल जाता है। मैं तो अपने सामान को उसके सामान तक ले ही नहीं पा रहा। सब कुछ अपने आप हो जाता है।”
ये सुनकर मुझे गहरा धक्का लगा। मैंने सोचा, मैंने एक लड़की की जिंदगी बर्बाद कर दी। मुझे खुद पर ग्लानि होने लगी। मैंने ही तो ये शादी करवाई थी, और अब ये हाल था। मैंने प्रतिभा को अकेले में बुलाया। उस वक्त नमन बाहर गया हुआ था, और मेरी बीवी अपने मायके गई थी। मैंने प्रतिभा से कहा, “आज मुझे नमन की बात पता चली। मैं तुमसे माफी मांगता हूँ। ये सब मेरी गलती है। तुम स्वतंत्र हो। तुम जो कहोगी, वही होगा। चाहो तो मैं तुम्हारी शादी कहीं और करवा दूँगा।”
प्रतिभा ये सुनकर रोने लगी और गुस्से में बोली, “जीजाजी, अब मैं दूसरी शादी के बारे में सोच भी नहीं सकती। आपने मेरी शादी के बारे में कैसे सोच लिया? जैसा है, वैसा ही ठीक है। मैं नमन को नहीं छोड़ सकती। आप चिंता न करें, यही मेरे भाग्य में लिखा था।”
उन्होंने नैनीताल का प्लान कैंसिल कर दिया और बोले कि वो मेरे पास दिल्ली में कुछ दिन रहेंगे। मैंने सोचा, मेरी बीवी तो अभी 10 दिन बाद आएगी, तो ठीक है, तब तक ये दोनों यहीं रह लें। लेकिन प्रतिभा को देखकर मेरी नीयत डगमगाने लगी। उसकी खूबसूरती, उसका फिगर, उसकी हर अदा मुझे अपनी ओर खींचने लगी। और शायद वो भी मेरे करीब आने लगी थी।
एक दिन मैं बिना नॉक किए कमरे में चला गया। प्रतिभा कपड़े बदल रही थी और बिल्कुल नंगी थी। मैं उसे देखकर ठगा-सा रह गया। उसका गोरा बदन, वो उभरे हुए बूब्स, पतली कमर, और गोल-मटोल चूतड़—मानो कोई अप्सरा हो। वो मुझे देखकर बस मुस्कुराई और आराम-आराम से कपड़े पहनने लगी। मैं उसे निहारता रहा। जब वो पूरी तरह कपड़े पहन चुकी, तो मेरे करीब आई और बोली, “क्या बात है, जीजाजी? नीयत खराब हो गई है क्या?”
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मैंने कहा, “प्रतिभा, तुम गजब की हो। भगवान ने तुम्हें फुर्सत में बनाया है।” वो उदास होकर बोली, “क्या करूँ, जीजाजी? ये सब बेकार है। इसे भोगने वाला कोई नहीं है।” मैंने कहा, “सॉरी यार, ये सब मेरी वजह से हुआ।” वो बोली, “चलो, मैं आपको माफ कर सकती हूँ, अगर आप मुझे अपने ये 10 दिन दे दें, जब तक भाभी नहीं आतीं। मैं जब से आपको देखा, तब से बेचैन हूँ।”
इतना कहते ही प्रतिभा मुझसे लिपट गई। हम दोनों एक-दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे। उसके गुलाबी होंठों को मैं अपने होंठों से दबाए रखा। पीछे से उसके चूतड़ों को अपने लंड के पास सटाकर मैं उसके होंठ चूस रहा था। फिर वो अचानक पलटी, और उसका गांड मेरे लंड से टकराने लगा। मैंने आगे से उसके बूब्स को ब्लाउज के ऊपर से ही मसलना शुरू कर दिया। “आह… आह…” प्रतिभा की सिसकारियाँ निकलने लगीं। वो अपने गांड को मेरे लंड पर रगड़ने लगी।
वो पूरी तरह कामुक हो चुकी थी। मेरा लंड भी पत्थर की तरह सख्त हो गया था। मन कर रहा था कि यहीं उसे चोद डालूँ। तभी नमन बाथरूम से नहाकर निकला और दूसरे कमरे में कपड़े बदलने चला गया। वो वापस आया और बोला, “जीजाजी, मैं सैलून जा रहा हूँ, बाल कटवाने।” और वो चला गया।
नमन के जाते ही प्रतिभा ने दरवाजा बंद किया और मुझ पर टूट पड़ी। वो मेरे होंठों को चूमने लगी, जैसे भूखी शेरनी हो। मैं भी आवेश में आ गया। मैंने उसे अपनी गोद में उठाया और चूमते-चूमते बेड पर गिरा दिया। एक-एक करके उसके सारे कपड़े उतार दिए। मैंने दोनों हाथों से उसके बूब्स को दबाना शुरू किया। “आआह… आआह… आआह…” उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूंजने लगीं।
मैं नीचे गया और उसके दोनों पैरों के बीच बैठ गया। उसने अपने पैर फैला दिए, मानो अपनी चूत मेरे हवाले कर दी हो। मैंने अपनी जीभ से उसकी चूत को चाटना शुरू किया। उसकी चूत से नमकीन पानी निकलने लगा। वो अंगड़ाइयाँ लेने लगी और बोलने लगी, “जीजाजी, मत तड़पाओ ना… जल्दी करो… प्लीज, मुझे शांत कर दो… आज मुझे खुश कर दो, प्लीज!”
मैंने अपना लंड निकाला और उसकी चूत के ऊपर रखकर धक्का मारा। मेरा लंड मुश्किल से एक इंच अंदर गया। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि वो दर्द से कराह उठी। मैंने उसे सहलाया, फिर दोबारा कोशिश की। इस बार भी लंड अंदर नहीं गया। उसकी चूत आज तक नहीं चुदी थी। तीसरे धक्के में मेरा लंड उसकी चूत में दाखिल हुआ। “आआह… उउह…” वो दर्द से चीख पड़ी। उसकी चूत से खून निकलने लगा।
मैंने उसे प्यार से सहलाया और धीरे-धीरे अंदर-बाहर करना शुरू किया। अब उसे भी मजा आने लगा। वो अपनी गांड उठा-उठाकर चुदवाने लगी। “आह… जीजाजी… और जोर से… चोदो मुझे… आआह…” वो कामुक स्वर में बोल रही थी। मैंने भी रफ्तार बढ़ा दी। “चप… चप… चप…” मेरे लंड और उसकी चूत के टकराने की आवाजें कमरे में गूंज रही थीं। करीब 20 मिनट बाद मैं झड़ गया। जल्दी भी करनी थी, क्योंकि नमन कभी भी वापस आ सकता था। प्रतिभा भी बोली, “जल्दी कर लो, जीजाजी।”
उसने कहा, “आज रात नमन को खूब शराब पिलवा देना। फिर हम रात भर चुदाई करेंगे।” हुआ भी वही। शाम को मैंने मटन बनवाया और व्हिस्की मंगवाई। मैंने एक पेग लिया, लेकिन नमन ने खूब पी और सो गया। फिर मैं और प्रतिभा रात भर चुदाई में डूबे रहे। वो बार-बार सिसकारियाँ ले रही थी, “आआह… जीजाजी… और जोर से… मेरी चूत फाड़ दो… आआह…” मैंने उसे हर पोजीशन में चोदा—डॉगी स्टाइल में, मिशनरी में, और उसकी चूत को जीभ से चाट-चाटकर शांत किया।
कुछ दिन बाद नमन को हमारे जिस्मानी रिश्ते का पता चल गया। पहले तो उसे बुरा लगा, लेकिन फिर उसने कहा, “मैं प्रतिभा की खुशी क्यों छीनूँ? कमी तो मुझमें है। जीजाजी, आप जो कर रहे हैं, ठीक है।” उसने कहा, “आप नैनीताल का टिकट बुक करो हनीमून का।” हम तीनों नैनीताल गए। नमन अलग कमरे में सोता था, और मैं और प्रतिभा एक कमरे में रात भर चुदाई करते।
अब प्रतिभा प्रेग्नेंट है। मैंने नमन के लिए एक स्टोर खुलवा दिया है। हम सब साथ रहते हैं। जब मेरी बीवी स्कूल (वो टीचर है) चली जाती है, तो मैं और प्रतिभा दिन में भी चुदाई का मजा लेते हैं।
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