Mother son sex – train sex story: मेरा नाम विशाल है, मैं गोरखपुर का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 22 साल है, मैं एक कॉलेज स्टूडेंट हूँ, और थोड़ा शर्मीला मगर जिज्ञासु स्वभाव का हूँ। मेरी फैमिली में चार लोग हैं—मेरे पापा, जो 48 साल के हैं और एक सरकारी नौकरी में हैं, मेरी बहन रिया, जो 18 साल की है, 12वीं में पढ़ती है और थोड़ी चुलबुली है, मैं, और मेरी माँ नीलम। माँ की उम्र 42 साल है, वो एक हाउसवाइफ हैं, और दिखने में ऐसी कि कोई नहीं कह सकता कि वो दो बच्चों की माँ हैं। माँ हमेशा साड़ी पहनती हैं, कभी-कभार ट्रांसपेरेंट नाइटी, जिसमें उनका गोरा बदन और भारी-भरकम फिगर साफ झलकता है। उनकी 36D की चूचियाँ और भारी गाँड हर किसी का ध्यान खींच लेती है। माँ का रंग गोरा, लंबे काले बाल, और होंठों पर हमेशा हल्की लिपस्टिक रहती है, जो उन्हें और कामुक बनाती है। वो बाहर से सती-सावित्री टाइप की हैं, मगर अंदर से एकदम आग बरसती है।
बात उस दिन की है जब हमें अपने रिश्तेदार की शादी में असम जाना था। पापा को कुछ काम की वजह से देर हो गई थी, तो हम तीनों—मैं, माँ, और रिया—पहले ट्रेन से निकल पड़े। हमारी टिकट AC कोच में थी, और जैसा कि AC में होता है, पूरा केबिन हमारा था। उस दिन माँ ने लाल रंग की साड़ी पहनी थी, जिसमें वो किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थीं। उनकी साड़ी का पल्लू बार-बार सरक रहा था, जिससे उनकी गहरी नाभि और भारी चूचियाँ उभरकर दिख रही थीं। होंठों पर लाल लिपस्टिक और आँखों में हल्का काजल—वो किसी की भी साँसें रोक दें। रिया ने जींस और टॉप पहना था, और मैं कैजुअल टी-शर्ट और जींस में था।
हम स्टेशन पहुँचे, और ट्रेन में चढ़ गए। मगर ऑनलाइन बुकिंग का वही पुराना ड्रामा—दो टिकट ऊपर की बर्थ पर थे, और एक टिकट नीचे की बर्थ पर, वो भी दूसरे केबिन में। माँ की उम्र को देखते हुए वो ऊपर नहीं चढ़ सकती थीं, तो मैं और रिया ऊपर की बर्थ पर चले गए, और माँ नीचे की बर्थ पर बैठ गईं। माँ के बगल में एक मोटा-सा आदमी बैठा था, उम्र करीब 45-50 साल, नाम पता नहीं, मगर चेहरा ऐसा कि लगता था कोई व्यापारी टाइप है। वो अकेला था, यानी उस केबिन में सिर्फ़ माँ और वो आदमी थे।
रात के करीब 9 बज गए। हमने खाना खाया, और फिर अपने-अपने केबिन में सोने की तैयारी करने लगे। रिया जल्दी सो गई, और मैं ऊपर की बर्थ पर फ्री फायर गेम खेल रहा था। माँ और वो आदमी आपस में बातें कर रहे थे, और उनकी आवाज़ मुझे साफ सुनाई दे रही थी। मैं ऊपर से सब देख भी सकता था, क्योंकि पर्दा पूरी तरह बंद नहीं था। वो लोग पहले तो सामान्य बातें कर रहे थे—फैमिली, बच्चे, शादी वगैरह। फिर अचानक उस आदमी ने कहा, “भाभीजी, आप तो बिल्कुल दो बच्चों की माँ नहीं लगतीं।” माँ ने हल्का सा हँसकर जवाब दिया, “अरे, मेरे बच्चे तो आपने देखे ही हैं।” आदमी ने फिर तारीफ़ की, “फिर भी, आप इतनी जवान और खूबसूरत हैं कि कोई नहीं कह सकता।” माँ ने एक कातिलाना स्माइल दी, और मैंने देखा कि वो थोड़ा शरमा रही थीं। आदमी अब खुलकर फ्लर्ट कर रहा था, और माँ भी उसका जवाब दे रही थीं। मुझे लगा माँ को मज़ा आ रहा है।
मैं गेम में मस्त हो गया, और उनकी बातें सुनना बंद कर दिया। करीब 15 मिनट बाद मेरा फोन डिस्चार्ज हो गया, तो मैंने गेम बंद किया। तभी मैंने देखा कि वो आदमी खड़ा हुआ और माँ से बोला, “अगर आपको कोई दिक्कत न हो तो मैं कपड़े चेंज कर लूँ? पैंट-शर्ट में सो नहीं पाता।” माँ ने हमारी तरफ़ मुँह फेरकर कहा, “हाँ, ठीक है, मगर पर्दा लगा लीजिए।” आदमी ने तुरंत पर्दा खींच दिया, मगर मैं ऊपर की बर्थ से सब देख सकता था। उसने अपनी पैंट उतारी, लुंगी लपेट ली, फिर शर्ट उतारकर सिर्फ़ बनियान और लुंगी में रह गया। उसका मोटा पेट और चौड़ा सीना साफ दिख रहा था। फिर वो बोला, “मैं फ्रेश होकर आता हूँ,” और बाथरूम चला गया।
अब जो मैंने देखा, वो मेरे लिए शॉकिंग था। जैसे ही वो आदमी बाथरूम गया, माँ ने जल्दी से इधर-उधर देखा, जैसे कोई देख तो नहीं रहा। फिर उन्होंने अपने ब्लाउज़ के बटन खोल दिए और उसे उतारकर अपने हैंडबैग में रख लिया। उनकी गोरी चूचियाँ ब्रा में कसी हुई थीं, जो साड़ी के नीचे से साफ दिख रही थीं। फिर माँ ने साड़ी को थोड़ा ऊपर उठाया, अपनी पैंटी उतारी, और उसे भी बैग में रख लिया। अब वो सिर्फ़ साड़ी और ब्रा में थीं, और साड़ी से अपनी चूचियों को ढक लिया। मैं हैरान था कि माँ ऐसा क्यों कर रही हैं। क्या उस आदमी ने कोई जादू कर दिया था?
तभी वो आदमी बाथरूम से लौटा। उसने माँ को देखा और बोला, “अरे, आप लेट जाइए, थक गई होंगी।” माँ सीट पर लेट गईं, अपने पैर मोड़कर। आदमी उनके पैरों की तरफ़ बैठ गया। मैंने देखा कि उसने अपने बैग में कुछ रखा—वो उसका अंडरवियर था। माँ ने कुछ इशारा किया, शायद आँखों से या चेहरे से। आदमी ने धीरे-धीरे माँ की साड़ी ऊपर उठानी शुरू की। माँ की गोरी जाँघें दिखने लगीं। उसने अपनी एक उंगली माँ की चूत में डाल दी। माँ अचानक तड़प उठीं, “आह्ह…” उनकी सिसकारी निकली। शायद माँ की चुदाई को बहुत दिन हो गए थे, क्योंकि पापा तो हमेशा काम में बिजी रहते हैं।
आदमी ने माँ की चूत में उंगली अंदर-बाहर करनी शुरू की। माँ की साँसें तेज़ हो गई थीं, और वो धीरे-धीरे “उम्म… आह्ह…” की आवाज़ें निकाल रही थीं। उसने अपनी लुंगी में से अपना लंड निकाला। मैंने देखा, वो मोटा और करीब 7 इंच लंबा था, जिसकी मुँह पर चमक रही थी। उसने माँ की चूत के पास अपना लंड लगाया और अंदर धकेलने की कोशिश की। मगर माँ की चूत इतने दिन बाद इस्तेमाल हो रही थी, तो लंड अंदर नहीं गया। उसने थोड़ा थूक लिया, अपनी उंगलियों से माँ की चूत पर मला, और फिर दोबारा कोशिश की। इस बार उसका लंड माँ की चूत को चीरता हुआ पूरा अंदर चला गया। माँ की आँखों से आँसू निकल आए, “आह्ह… धीरे… बहुत बड़ा है…” वो कराह रही थीं।
आदमी ने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। “थप… थप…” की आवाज़ केबिन में गूँज रही थी। माँ पहले तो दर्द से कराह रही थीं, मगर धीरे-धीरे वो भी मज़े लेने लगीं। उनकी कमर हल्की-हल्की हिल रही थी, जैसे वो उस लंड का जवाब दे रही हों। “उम्म… और जोर से…” माँ ने धीरे से कहा। आदमी ने अपनी स्पीड बढ़ा दी। उसने माँ की साड़ी को और ऊपर उठाया, और उनकी ब्रा को खींचकर उतार दिया। माँ की भारी चूचियाँ आज़ाद हो गईं, और वो हिलने लगीं। आदमी ने एक चूची को मुँह में लिया और चूसने लगा, “चप… चप…” की आवाज़ के साथ। माँ की सिसकारियाँ और तेज़ हो गईं, “आह्ह… हाय… ऐसे ही…”
करीब 10 मिनट तक वो माँ को ऐसे ही चोदता रहा। फिर उसने माँ को पलट दिया और घोड़ी बना दिया। माँ की गोल-मटोल गाँड हवा में थी, और साड़ी कमर तक चढ़ी हुई थी। उसने माँ की गाँड पर एक चपत मारी, “क्या मस्त गाँड है तेरी, भाभी…” माँ ने शरमाते हुए कहा, “बस करो, कोई सुन लेगा।” मगर आदमी कहाँ मानने वाला था। उसने फिर से अपना लंड माँ की चूत में डाला और ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा। “थप्प… थप्प…” की आवाज़ अब और तेज़ थी। माँ की चूचियाँ हवा में लटक रही थीं, और वो हर धक्के के साथ “आह्ह… उफ्फ… और जोर से…” चिल्ला रही थीं।
आदमी ने माँ की कमर पकड़ रखी थी, और हर धक्के में उसका लंड माँ की चूत की गहराई तक जा रहा था। माँ का चेहरा लाल हो गया था, और वो पसीने से तर थीं। करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद आदमी ने कहा, “अब झड़ने वाला हूँ…” माँ ने हल्के से कहा, “अंदर मत करना…” मगर उसने माँ की बात अनसुनी कर दी और ज़ोर से धक्का मारते हुए अपनी माल माँ की चूत में छोड़ दी। माँ “आह्ह…” करके शांत हो गईं। दोनों वैसे ही लेट गए, माँ की साड़ी अभी भी कमर तक चढ़ी थी, और वो आदमी उनकी चूचियों को सहला रहा था। मैं ये सब देखकर हैरान था, मगर कुछ बोल नहीं पाया। थोड़ी देर बाद मैं भी सो गया।
सुबह का नया खेल
सुबह जब मैं उठा, तो देखा माँ ने अपनी पैंटी पहन ली थी, मगर वो लंगड़ाकर चल रही थीं। मैंने पूछा, “माँ, क्या हुआ?” वो बोलीं, “कुछ नहीं, बस ऐसे ही।” मगर उनकी चाल बता रही थी कि रात की चुदाई ने उन्हें तोड़ दिया था। थोड़ी देर बाद वो बाथरूम गईं, और मैंने देखा कि वो आदमी फिर से माँ के केबिन में आ गया। उसने माँ की पैंटी को कमर तक खींच लिया और फिर से चोदना शुरू कर दिया। माँ इस बार पूरे जोश में थीं। “आह्ह… हाँ… और जोर से…” वो चिल्ला रही थीं। आदमी ने अपना लंड निकाला और माँ के मुँह में दे दिया। माँ ने उसे चूसना शुरू किया, “चप… चप…” की आवाज़ के साथ। फिर उसने माँ की गाँड पर थूक लगाया और एक उंगली अंदर डाल दी। माँ थोड़ा हटीं, मगर उसने माँ को डाँटा, “रहने दे, रंडी, अब नखरे मत कर।”
माँ चुप हो गईं। उसने माँ को घोड़ी बनाया और अपना लंड उनकी गाँड में डालने की कोशिश की। मगर माँ की गाँड टाइट थी, लंड फिसल गया। वो गुस्सा हो गया और माँ को दो थप्पड़ मार दिए। माँ रोने लगीं, “प्लीज़, धीरे करो…” मगर वो बोला, “साली, रात भर चुदवाया, अब नाटक क्यों?” उसने माँ की पैंटी उनके मुँह में ठूँस दी और उनके हाथ ब्लाउज़ से बाँध दिए। फिर उसने ज़ोर से अपना लंड माँ की गाँड में डाला। माँ चिल्लाईं, “आह्ह… नहीं…” उनकी गाँड से खून निकलने लगा। वो रो रही थीं, मगर आदमी रुका नहीं। करीब 15 मिनट तक उसने माँ की गाँड मारी, फिर अपना माल छोड़ दिया। माँ रोते-रोते बेहोश हो गईं।
शादी में हम सात दिन रुके। वहाँ मज़े किए, मगर माँ थोड़ी चुप-चुप सी थीं। घर लौटने के बाद एक दिन मैंने देखा कि माँ किसी से फोन पर बात कर रही थीं। वो बोलीं, “कल आना, घर पर कोई नहीं होगा।” मुझे शक हुआ। अगले दिन मैंने कॉलेज जाने का बहाना किया और घर की डुप्लिकेट चाबी लेकर निकल गया। थोड़ी देर बाद मैं चुपके से घर लौटा। बाहर एक कार खड़ी थी। मैं अंदर गया और देखा कि माँ बेडरूम में थीं, पूरी नंगी। तीन आदमी उनके साथ थे, और वो माँ को बारी-बारी चोद रहे थे। एक ने माँ की चूत में लंड डाला था, दूसरा उनकी चूचियों को चूस रहा था, और तीसरा उनके मुँह में अपना लंड दे रहा था। माँ “आह्ह… उम्म… और जोर से…” चिल्ला रही थीं। मैंने चुपके से वीडियो बना लिया और सोचा कि इसे बाद में इस्तेमाल करूँगा।
अगले दिन छुट्टी थी। मैंने माँ से कहा कि मैं दोस्त के घर जा रहा हूँ, रात वहीं रुकूँगा। माँ बोलीं, “मुझे भी मामा के घर जाना है।” रिया घर पर अकेली थी। मैं अपने दोस्त अजय के साथ निकला। मैं उदास था, तो उसने कहा, “चल, मूड फ्रेश करते हैं।” उसने मुझे बाइक पर बिठाया और एक कॉलोनी में ले गया। वहाँ छोटे-छोटे कपड़ों में औरतें और लड़कियाँ थीं। उसने बताया कि ये रंडीखाना है, जहाँ सस्ती रंडियाँ मिलती हैं। थोड़ा आगे जाने पर उसने कहा कि यहाँ कुछ औरतें अपने पति से संतुष्ट नहीं होतीं, इसलिए चुदवाने आती हैं और पैसे भी कमा लेती हैं।
मैंने सोचा, चलो एक नई औरत को चोदते हैं। मैंने 3000 रुपये दिए और कहा, “कोई नई औरत भेजो।” मुझे रूम नंबर 7 में भेजा गया। अंदर एक औरत सिर्फ़ पेटीकोट में थी, पीठ मेरी तरफ। मैंने कहा, “आप ही हो?” वो बोली, “हाँ, मैं ही हूँ, तुम्हारी रंडी। जो चाहो, करो।” उसकी आवाज़ जानी-पहचानी लगी। जब वो पलटी, तो मैं सन्न रह गया—वो मेरी माँ थीं। मैं तुरंत बाहर निकला और मैनेजर से कहा, “कोई और औरत दो।” उसने कहा, “अरे, ये नई है, तू ही पहला ग्राहक है, चल, चोद ले।” मैंने मना किया, मगर उसने मुझे जबरदस्ती उसी रूम में बंद कर दिया।
माँ ने तब तक साड़ी लपेट ली थी, मगर उनकी चूचियाँ साड़ी के ऊपर से दिख रही थीं। मैं गुस्से में बोला, “तुम यहाँ क्या कर रही हो? ट्रेन में चुदवाया, घर में चुदवाया, अब यहाँ?” माँ सन्न रह गईं। मैंने वीडियो दिखाया और उनकी साड़ी खींच दी। “3000 रुपये दिए हैं, आज तुझे चोद के ही जाऊँगा।” माँ बोलीं, “ऐसा मत कर…” मगर मैंने उनकी बात नहीं मानी। मैंने उन्हें बेड पर पटका और उनकी चूत में अपना 6 इंच का लंड डाल दिया। उनकी चूत टाइट थी, मगर गीली। “थप… थप…” की आवाज़ गूँज रही थी। माँ पहले रो रही थीं, मगर फिर “आह्ह… विशाल… धीरे…” कहने लगीं। मैंने दो घंटे तक उन्हें चोदा, अलग-अलग पोज़ में—घोड़ी बनाकर, उनकी चूचियों को चूसते हुए, और उनकी गाँड पर चपत मारते हुए। मज़ा आ गया।
घर लौटने पर माँ ने मुझे डाँटना शुरू किया। मैंने रिया के सामने वीडियो दिखाया और कहा, “ज्यादा नाटक मत कर, रंडी हो तो रंडी की तरह रह।” मैंने माँ को फिर से पटका और रिया के सामने चोदना शुरू किया। माँ “आह्ह… नहीं…” चिल्ला रही थीं। मैंने उनकी चूत में ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारे और दो थप्पड़ भी जड़ दिए। माँ बेहोश हो गईं। मैंने उन्हें बेडरूम में सुलाया और रात को फिर चोदा।
रात को मैं फिर माँ को चोदने गया। राजाई के अंदर गया, और बिना कुछ देखे अपना लंड चूत में डाल दिया। “आह्ह…” की चीख निकली। तभी माँ बाथरूम से आईं, और मैंने देखा कि मैंने रिया की चूत में लंड डाला था। उसकी चूत से खून निकल रहा था, क्योंकि वो वर्जिन थी। माँ ने कुछ नहीं कहा। रिया पहले रो रही थी, मगर फिर जोश में आ गई और अपनी कमर हिलाने लगी। मैंने भी ज़ोर-ज़ोर से उसे चोदा। “थप… थप…” की आवाज़ के साथ उसकी चूत फट गई।
उस दिन के बाद हमारा घर रंडीखाना बन गया। कुछ दिन बाद पापा की मृत्यु हो गई। हमने सारी जमीन बेच दी और दूसरी सिटी में शिफ्ट हो गए। वहाँ रिया मेरी बीवी बन गई, और माँ मेरी सास। दोनों प्रेग्नेंट हो गईं, और एक साल बाद उनके बच्चे हुए। मैं आज तक दोनों को चोदता हूँ।
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