Pyasi Maa Sex Story – Hot mom son sex story,:हेलो दोस्तों, मेरा नाम गौरव है। मैं हिमाचल के शिमला का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 18 साल है, और मैं अभी-अभी स्कूल के फाइनल एग्जाम देकर फ्री हुआ हूँ। मेरी माँ, जिनका नाम रीना है, 40 साल की हैं। माँ के बारे में क्या बताऊँ? उनका फिगर 36-30-34 का है, और वो इतनी हॉट हैं कि किसी का भी लंड खड़ा हो जाए। उनकी आँखों में एक अलग सी चटक मस्ती है, होंठ गुलाबी, और जब वो चलती हैं तो उनकी गोल-मटोल गांड का उछाल देखकर कोई भी पागल हो जाए। माँ की स्किन गोरी है, और उनके लंबे काले बाल उनकी कमर तक लहराते हैं। उनकी मुस्कान में एक शरारत भरी मासूमियत है, लेकिन उनकी जिस्मानी प्यास उनके चेहरे पर साफ दिखती थी।
ये कहानी एक साल पुरानी है। मेरे पापा मेरे बचपन में ही गुजर गए थे। तब से माँ ने मुझे अकेले पाला। हम दोनों एक छोटे से घर में अकेले रहते थे। माँ ने कभी दूसरी शादी नहीं की, शायद बदनामी के डर से। लेकिन उनकी जिस्म की भूख मैं धीरे-धीरे समझने लगा था। माँ अपनी प्यास को मूली, गाजर या कभी-कभी कैंडल से बुझाती थीं। कई बार मैंने देखा कि वो रात को अपने कमरे में अकेले सिसकियाँ लेती थीं। उनके पीछे मोहल्ले के कई मर्द पड़े थे, लेकिन माँ ने हमेशा खुद को संभाला।
एक दिन की बात है, मैं बाथरूम में नहा रहा था। गलती से दरवाजा खुला रह गया था। मैं पूरी तरह नंगा था, और मेरा 7 इंच का लंड पूरा तना हुआ था। अचानक माँ बाथरूम में आ गईं। उनकी नजर मेरे लंड पर पड़ी, और वो एक पल को ठिठक गईं। उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी, जैसे वो कुछ देर मेरे लंड को घूर रही हों। फिर वो हड़बड़ाकर बोलीं, “सॉरी बेटा!” और जल्दी से बाहर चली गईं। मुझे शर्मिंदगी हुई, लेकिन कहीं न कहीं मुझे लगा कि माँ को मेरा लंड पसंद आया था।
उस दिन के बाद माँ का व्यवहार बदलने लगा। वो मुझे बार-बार चोरी-छिपे देखने लगीं। कभी मैं कपड़े बदल रहा होता, तो वो मेरे कमरे के पास से गुजरतीं और आँखों के कोने से मुझे ताकतीं। कभी बाथरूम का दरवाजा हल्का खुला छोड़ देतीं, ताकि मैं उन्हें देख सकूँ। एक दिन मैंने एक सेक्स स्टोरी पढ़ी, जिसमें माँ और बेटे की चुदाई थी। उस स्टोरी ने मेरे दिमाग में आग लगा दी। मैंने पहली बार माँ को उस नजर से देखा। उनकी मोटी-मोटी जांघें, भरे हुए बूब्स, और गोल गांड मेरे दिमाग में बस गई।
एक बार मैंने माँ को बाथरूम में नहाते देख लिया। वो जमीन पर लेटी थीं, पूरी नंगी। उनकी चूत में एक मोटी सी कैंडल अंदर-बाहर हो रही थी। वो अपने बड़े-बड़े बूब्स को जोर-जोर से दबा रही थीं, और उनकी सिसकियाँ “आह्ह… ओह्ह…” मेरे कानों में गूंज रही थीं। उनकी चूत गीली थी, और रस टपक रहा था। मैं बाहर खड़ा था, और मेरा लंड पैंट में तंबू बना रहा था। उस दिन मैंने बाथरूम में जाकर माँ के नाम की तीन बार मुठ मारी, तब जाकर लंड को चैन आया।
माँ भी अब जानबूझकर मुझे उकसाने लगी थीं। वो घर में टाइट कुर्ती और पतली सलवार पहनतीं, जिसमें उनके बूब्स और गांड साफ दिखते। रात को वो सेक्सी नाइटी पहनने लगीं, जो इतनी पतली होती कि उनके निप्पल तक नजर आते। मेरा लंड हर वक्त खड़ा रहता, और माँ मेरी हालत देखकर मुस्कुरातीं।
एक दिन मैं बाथरूम में माँ की पैंटी सूंघ रहा था। उसकी खुशबू ने मुझे पागल कर दिया था। मैं लंड हिलाते हुए मस्ती में डूबा था कि अचानक माँ आ गईं। उन्होंने मुझे पकड़ लिया। पहले तो वो गुस्से में बोलीं, “गौरव! ये क्या कर रहा है? तुझे शर्म नहीं आती अपनी माँ की पैंटी सूंघते हुए?” उनकी आवाज में गुस्सा था, लेकिन आँखों में शरारत थी। मैं डर गया और उनके पैरों में गिरकर माफी माँगने लगा, “माँ, सॉरी! मैं… मैं बस…”
माँ ने मुझे उठाया और शरारती नजरों से देखा। उनकी नजर मेरे तने हुए लंड पर थी, जो मेरी पैंट में साफ दिख रहा था। उन्होंने मेरे हाथ को पकड़ा और अपनी तरफ खींच लिया। मेरा लंड उनकी सलवार पर रगड़ रहा था। उनके होंठ मेरे होंठों के इतने करीब थे कि उनकी साँसें मेरे चेहरे पर महसूस हो रही थीं। मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। मैं कुछ बोलने ही वाला था कि माँ ने मेरे होंठों को अपने होंठों से लॉक कर दिया। वो पागलों की तरह मुझे चूमने लगीं। उनकी जीभ मेरे मुँह में थी, और वो मेरे होंठों को चूस रही थीं। मैं भी खो गया। मेरा सपना सच हो रहा था।
कुछ देर बाद माँ ने अपने होंठ हटाए और मेरी आँखों में देखा। उनकी आँखों में वासना की आग जल रही थी। वो बोलीं, “गौरव, बेटा, मैं तुझसे बहुत प्यार करती हूँ। तेरी माँ की चूत सालों से प्यासी है। तू ही इसकी प्यास बुझा सकता है।” उनकी बात सुनकर मेरा लंड और सख्त हो गया। मैंने उन्हें कसकर बाहों में जकड़ लिया और कहा, “माँ, आप जैसी सेक्सी औरत मैंने कभी नहीं देखी। मैं आपका दीवाना हूँ।”
माँ ने मुझे और कसकर गले लगाया। मैंने उनके बूब्स को उनके कुर्ते के ऊपर से ही दबाना शुरू कर दिया। माँ के मुँह से सिसकियाँ निकलीं, “आह्ह… गौरव… ओह्ह…” वो बोलीं, “बेटा, पहले कपड़े तो उतार दे।” मैंने झट से उनका कुर्ता उतार दिया। माँ ने काले रंग की सेक्सी ब्रा पहनी थी, जिसमें उनके बूब्स बाहर आने को तड़प रहे थे। माँ ने अपनी ब्रा खोली और उसे मेरी तरफ फेंक दिया। फिर उन्होंने अपनी सलवार नीचे खींच दी। उनकी गुलाबी पैंटी पूरी गीली थी।
मैंने कहा, “माँ, आपकी पैंटी मैं अपने दाँतों से उतारना चाहता हूँ।” माँ ने शरारती मुस्कान दी और मेरा सिर पकड़कर अपनी चूत पर लगा दिया। उनकी चूत की खुशबू ने मुझे पागल कर दिया। छोटे-छोटे बालों वाली उनकी गुलाबी चूत से रस टपक रहा था। मैंने दाँतों से उनकी पैंटी नीचे खींची और अपनी जीभ उनकी चूत पर रख दी। मैं उनका रस चूसने लगा, जैसे कोई भूखा शेर शिकार पर टूट पड़ता है। माँ की सिसकियाँ तेज हो गईं, “आह्ह… ओह्ह… गौरव, चूस ले बेटा… अपनी माँ की चूत का सारा रस पी जा… आह्ह… ओह्ह…” वो मेरे सिर को अपनी चूत में दबा रही थीं। मैं अपनी जीभ अंदर-बाहर कर रहा था, और माँ मस्ती में “हाय… ऊऊ… जोर से चूस बेटा…” चिल्ला रही थीं।
कुछ देर बाद माँ ने मुझे खड़ा किया और मेरे होंठों को फिर से चूसने लगीं। वो मेरे पूरे जिस्म पर चूम रही थीं। फिर वो नीचे झुकीं और मेरे लंड को पकड़ लिया। वो बोलीं, “हाय गौरव, इतना मस्त लंड घर में था, और मैं बाहर भटक रही थी। आज मैं अपनी सारी ख्वाहिशें पूरी करूँगी।” उन्होंने मेरे लंड को चाटना शुरू किया। उनकी गर्म जीभ मेरे लंड के टोपे पर घूम रही थी। फिर उन्होंने पूरा लंड मुँह में ले लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं। मैं मस्ती में बोल रहा था, “वाह माँ, तुम क्या मस्त चूसती हो… आह्ह… मैं तेरा दीवाना हो गया…”
माँ अब गंदी गालियाँ देने लगीं, “मादरचोद, आज अपनी माँ की चूत फाड़ दे… अपने लंड से मेरी बुर को मसल दे…” मैं भी जोश में आ गया और बोला, “हाँ माँ, आज तेरी चूत को चोद-चोदकर शांत करूँगा।” मैंने माँ को बाहों में उठाया और बेडरूम में ले गया। मैंने उन्हें बेड पर पटक दिया और उनके जिस्म से खेलने लगा। मैं उनके बूब्स को चूस रहा था, उनके निप्पल्स को काट रहा था। माँ की सिसकियाँ कमरे में गूंज रही थीं, “आह्ह… ओह्ह… गौरव, चूस ले… मेरे बूब्स को मसल दे…”
मैंने माँ की चूत को और गीला किया। मैंने अपने लंड को उनकी चूत पर रगड़ना शुरू किया। माँ चिल्लाईं, “बेटा, अब डाल दे… अपनी माँ को अपनी रंडी बना ले…” मैंने एक जोरदार झटका मारा, और मेरा लंड उनकी चूत में घुस गया। माँ जोर से चिल्लाईं, “हरामजादे, आराम से… तेरी माँ की चूत कब से चुदी नहीं है…” मैंने धीरे-धीरे झटके मारने शुरू किए। माँ मजे ले रही थीं, “हाय… गौरव… चोद बेटा… जोर से चोद…” उनकी चूत इतनी गीली थी कि हर झटके के साथ “पच… पच…” की आवाज आ रही थी।
कुछ देर बाद माँ ने मुझे लेटाया और मेरे ऊपर आ गईं। उन्होंने अपने बूब्स मेरे मुँह में ठूंस दिए और मेरे लंड पर बैठ गईं। वो ऊपर-नीचे उछलने लगीं। उनके बूब्स मेरे मुँह में हिल रहे थे। मैं उनके निप्पल्स को चूस रहा था, और वो “आह्ह… ओह्ह… चोद बेटा… अपनी माँ को और जोर से चोद…” चिल्ला रही थीं। उनकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी। मैंने उनकी गांड को पकड़ा और जोर-जोर से झटके मारने लगा।
फिर मैंने माँ को घोड़ी बनाया। उनकी गोल गांड मेरे सामने थी। मैंने उनकी चूत में पीछे से लंड डाला और जोर-जोर से चोदने लगा। माँ की सिसकियाँ अब चीखों में बदल गई थीं, “हाय… गौरव… फाड़ दे मेरी चूत… आह्ह… ओह्ह…” उनकी चूत का रस मेरे लंड पर लिपट रहा था। मैंने उनकी गांड पर हल्का सा थप्पड़ मारा, और वो और जोश में आ गईं, “हाँ बेटा, मार… अपनी माँ को और जोर से चोद…”
पूरी रात हमने अलग-अलग पोजीशन में चुदाई की। कभी माँ मेरे ऊपर, कभी मैं उनके ऊपर। हर बार माँ की सिसकियाँ और गंदी बातें मुझे और गर्म कर रही थीं। सुबह जब हम थक गए, तो माँ ने मुझे प्यार से गले लगाया और कहा, “गौरव, तूने अपनी माँ की सारी प्यास बुझा दी।” मैंने उन्हें चूमा और कहा, “माँ, मैं हमेशा तुम्हें खुश रखूँगा।”
उस दिन के बाद हम पति-पत्नी की तरह रहने लगे। जब भी मन करता, हम खूब चुदाई करते। माँ की चूत को चोदने का मज़ा ही अलग है। अब हम हर रात एक-दूसरे की बाहों में सोते हैं और एक-दूसरे की प्यास बुझाते हैं।
आखिर में बस इतना कहूँगा, अपनी माँ को चोदने का मज़ा दुनिया में कहीं नहीं। तुम्हें क्या लगता है, ऐसी चुदाई का मज़ा कैसा होता है? अपनी राय कमेंट में जरूर बताओ।