दोस्तो, मैं ओडिशा का रहने वाला हूँ और मेरी दीदी की शादी दिल्ली में हुई है। जीजू ने मुझे भी जॉब के लिए यहीं बुला लिया था। मैं उनके घर में उनके साथ रहता था, और उसी दौरान उनकी बड़ी बहन पूजा और उसके पति के बीच कुछ अनबन हो गई थी। इस वजह से पूजा भी हमारे साथ ही रहने आ गई थी। अब घर में मेरी दीदी, जीजू, उनके मम्मी-पापा, मैं और पूजा रहते थे। जीजा की रंडी बहन, पूजा, जिसके बारे में सोच कर ही मेरा लंड खड़ा हो जाता था।
आपको पूजा के बारे में बता दूँ, वो 33 साल की एक कमाल की सेक्सी औरत है। उसके बूब्स 38 साइज़ के हैं, इतने बड़े और रसीले कि देखते ही मुँह में पानी आ जाए। उसकी गांड तो ऐसी मस्त है कि उसे देख कर न जाने कितने मर्दों ने अपने लंड को सहलाया होगा और मुठ मारी होगी। वो हमेशा डीप गले के सूट पहनती थी, जिसमें से उसकी गहरी नाभि और बूब्स की लकीर साफ दिखाई देती थी। उसे देख कर मैंने कई बार उसके नाम की मुठ मारी थी, लेकिन कभी ये ख्याल नहीं आया कि उसे चोदने का प्लान बनाऊँ। उसकी एक झलक ही मेरे लंड को बेकाबू कर देती थी, पर मैं सिर्फ सपनों में ही उसकी चूत का मज़ा लेता था।
उन दिनों मैं जॉब ढूंढ रहा था और गर्मियों का मौसम था। जीजू और उनके पापा सुबह काम पर चले जाते थे। उनकी मम्मी भी कहीं बाहर चली जाती थीं, शायद किसी सहेली के पास या बाजार। घर में सिर्फ दीदी और पूजा रहते थे। मैं पूजा को बड़ी दीदी कह कर बुलाता था, पर मन में उसके लिए कुछ और ही चल रहा था। एक दिन की बात है, मैं ऊपर छत पर कुछ काम कर रहा था, तभी नीचे पूजा के कमरे की खिड़की से मुझे कुछ दिखा। मैंने झाँक कर देखा तो दोस्तो, क्या बताऊँ, मेरा दिमाग घूम गया और लंड तन गया।
पूजा अपने कमरे में कपड़े बदल रही थी। उसने अपनी सलवार उतारी थी और सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। वो अपने मस्त बूब्स को दोनों हाथों से दबा रही थी, जैसे उन्हें आज़ाद करने की कोशिश कर रही हो। फिर उसने अपनी पैंटी नीचे खिसकाई और अपनी साफ, चिकनी चूत में उंगली डाल दी। वो धीरे-धीरे अपनी चूत को सहला रही थी और मुँह से हल्की-हल्की सिसकियाँ निकाल रही थी, “आह्ह… कितने दिन हो गए… कोई तो मेरी प्यास बुझा दे।” मैं बाहर खड़ा ये सब देख कर पागल हो गया। मेरा लंड पैंट में तंबू बना रहा था। मैंने वहीं खड़े-खड़े दो बार मुठ मार डाली, उसकी चूत को देख कर सोच रहा था, “काश ये मेरा लंड तेरे अंदर होता, पूजा!”
वो कपड़े पहन कर बाहर आई तो मैं जल्दी से बाथरूम में घुस गया। अंदर जाकर मैंने दरवाजा बंद किया और फिर से पूजा का नाम लेकर मुठ मारने लगा, “पूजा… तेरी चूत कितनी मस्त है… एक बार मिल जाए तो तुझे रंडी बना दूँ!” मेरा पानी निकल गया, पर मन में अभी भी आग बाकी थी। मुझे शक हुआ कि शायद किसी ने मुझे देख लिया हो, पर मैं बाहर आया तो सब नॉर्मल था।
रात को लाइट चली गई थी। हम तीनों—मैं, दीदी और पूजा—बालकनी में बैठे थे। अंधेरे का फायदा उठाते हुए पूजा ने अचानक अपना पैर मेरे पैर के ऊपर रख दिया। उसका नरम, गर्म पैर मेरी टांग को छू रहा था। फिर वो धीरे-धीरे अपना पैर ऊपर मेरी जांघ की तरफ ले जाने लगी। उसकी हरकत से मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। मैं समझ गया कि सुबह उसने मुझे मुठ मारते हुए देख लिया था। वो मुझे छेड़ रही थी। मैंने मन में सोचा, “साली, तू तो मुझसे चुदवाने के मूड में है!”
इतने में लाइट आ गई और उसने अपना पैर हटा लिया, पर उसकी आँखों में एक शरारत थी। अगले दिन मुझे कुछ काम से मार्केट जाना था। पूजा ने कहा, “मुझे भी कुछ काम है, मैं भी चलती हूँ।” हम दोनों मार्केट गए और वापस आते वक्त उसने कहा, “चलो मेट्रो से चलते हैं।” मेट्रो में बहुत भीड़ थी। पूजा मेरे आगे खड़ी थी और भीड़ की वजह से हम एक-दूसरे से चिपक गए। उसकी मोटी गांड मेरे लंड से सट रही थी और मेरा लंड पूरा तन गया। मैंने सोचा, “अब मौका है, कुछ करना चाहिए।”
मुझसे रहा नहीं गया और मैंने धीरे-धीरे उसकी गांड पर धक्के मारने शुरू कर दिए। वो कुछ नहीं बोली, बस चुपचाप खड़ी रही। मेरी हिम्मत बढ़ी तो मैंने उसकी कमर पर हाथ रखा और धीरे-धीरे अपना हाथ उसकी चूत की तरफ ले गया। उसकी सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत की गर्मी महसूस हो रही थी। उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और धीरे से बोली, “यहाँ नहीं, कोई देख लेगा।” थोड़ी देर बाद मैं इतना उत्तेजित हो गया कि मेट्रो में ही झड़ गया। वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराई और बोली, “क्या हुआ, रुक क्यों गए?” मैंने शर्माते हुए कहा, “हो गया।” वो हंस पड़ी और बोली, “इतनी जल्दी? अभी तो खेल शुरू भी नहीं हुआ!”
हम घर पहुँचे और मैं नहाने चला गया। जब वापस आया तो वो दीदी से कह रही थी, “आज तो विशाल को बहुत मज़ा आया।” मैंने बीच में टोका, “बड़ी दीदी को नहीं आया क्या?” उसने शरारती अंदाज़ में कहा, “उतना नहीं जितना तुझे, पर मेरी बारी अभी बाकी है।” अब मैं उसे चोदने का मौका ढूंढने लगा। आते-जाते मैं उसके बूब्स को दबा देता था या कभी उसकी गांड पर हाथ फेर देता था। कभी-कभी उसे चूम लेता था, पर चोदने का पूरा मौका नहीं मिल रहा था।
एक दिन जीजू के चाचा की बेटी की शादी थी। हम सब वहाँ गए थे। मैंने पूजा को कोने में ले जाकर कहा, “आज मौका अच्छा है, चलो घर चलते हैं।” उसने कहा, “मैं क्या बहाना बनाऊँ? सब शक करेंगे।” उसने मना कर दिया। मैं वहाँ से ये कह कर निकल आया कि सुबह मुझे इंटरव्यू के लिए जाना है। घर पहुँच कर मैं उदास बैठा था कि आज का मौका भी हाथ से निकल गया। तभी डोरबेल बजी। मैंने गेट खोला तो सामने पूजा खड़ी थी। वो अंदर आई और बोली, “मैंने तबीयत खराब होने का बहाना बना दिया।”
मैं खुशी से पागल हो गया। उसे देखते ही मैंने उसे बाहों में भर लिया और चूमना शुरू कर दिया। उसने कहा, “रुको, मैं कपड़े बदल कर आती हूँ।” वो अंदर गई और कुछ देर बाद एक सेक्सी नाइटी में वापस आई। उसकी नाइटी में से उसके बूब्स साफ दिख रहे थे। मैं पागलों की तरह उसके ऊपर टूट पड़ा और उसे स्मूच करने लगा। वो भी मेरे होंठों को चूस रही थी और बोली, “आज मुझे अपनी रंडी बना दे, विशाल!” मैंने उसकी नाइटी उतार दी। नीचे उसने ब्रा नहीं पहनी थी।
उसके बड़े, रसीले बूब्स मेरे सामने थे। मैं उनके ऊपर टूट पड़ा और उन्हें चूसने लगा। वो सिसक रही थी, “आह्ह… चूस ले इन्हें… कितने दिन हो गए किसी ने इनका रस नहीं पिया!” मैंने कहा, “बहन की लोड़ी, कब से तेरे इन बूब्स को चूसने का मौका ढूंढ रहा था। आज तुझे रंडी बना कर ही छोडूंगा।” उसने कहा, “बना दे मुझे रंडी, हरामजаде! मैं भी कब से चुदाई के लिए तरस रही हूँ। मेरी चूत की आग बुझा दे!” मैंने उसकी पैंटी उतारी तो उसकी गीली चूत मेरे सामने थी। मैंने उसकी चूत चाटना शुरू किया। वो चिल्ला रही थी, “आह्ह… चाट ले मेरी चूत… पी जा इसका सारा पानी!”
कुछ देर बाद उसने कहा, “अब और मत तड़पा, अपना लंड डाल दे मेरी चूत में!” मैंने अपने कपड़े उतारे। मेरा 7 इंच का लंड देख कर वो पागल हो गई और बोली, “वाह… इतने दिनों बाद इतना मोटा लंड देखा है। इसे चूसने दे मुझे!” मैंने हाँ कहा। वो मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी।
लगभग 10 मिनट तक वो चूसती रही और मेरा पानी उसके मुँह में निकल गया। उसने बताया कि उसका पति उसे ठीक से चोद नहीं पाता था। उसका लंड सिर्फ 5 इंच का था और वो महीने में 2-3 बार ही उसे चोदता था, इसलिए उनकी लड़ाई हुई थी।
कुछ देर फोरप्ले के बाद मेरा लंड फिर तैयार हुआ। मैंने उसकी चूत पर लंड सटाया। पहला धक्का मारा, पर लंड अंदर नहीं गया। उसने कहा, “बहुत दिन से चुदाई नहीं हुई, थोड़ा टाइट होगा।” मैंने फिर कोशिश की, लंड थोड़ा अंदर गया तो उसकी चीख निकल गई। मैंने उसे स्मूच किया और उसका मुँह बंद कर दिया। वो बोली, “रुक जा, दर्द हो रहा है।” थोड़ी देर बाद वो नॉर्मल हुई तो मैंने फिर धक्का मारा और पूरा लंड अंदर डाल दिया। वो दर्द से रोने लगी, “आह्ह… धीरे कर, फट जाएगी मेरी चूत!”
थोड़ी देर बाद मैंने धक्के शुरू किए। अब वो भी मेरा साथ दे रही थी और चिल्ला रही थी, “फाड़ दे मेरी चूत… बना दे मुझे अपनी रंडी… चोद मुझे हरामजаде!” मैं पागलों की तरह उसे चोद रहा था। थोड़ी देर बाद हम दोनों झड़ गए। उसने मुझे प्यार से किस किया और कहा, “आज से तुम ही मेरे पति हो।”
उस रात हमने 3 बार चुदाई की। फिर जब भी मौका मिलता, हम चुदाई करते। आज 2 साल हो गए हैं। मैंने दिल्ली में अपना घर ले लिया है और वो अपने पति के पास वापस चली गई है। लेकिन आज भी हम हफ्ते में एक बार जरूर मिलते हैं और उसकी चूत की प्यास बुझाता हूँ।
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