मैंने और दादाजी ने मम्मी की चूत गांड सुजाई

कहानी का पिछला भाग: सौतेली माँ को गर्म करके पेला

नमस्ते दोस्तो, मैं मोहित कुमार, उम्र 22 साल, रंग गोरा, कद 5 फीट 10 इंच, और बदन जिम की मेहनत से कसा हुआ। चेहरा साधारण है, लेकिन मेरी मुस्कान और शरारती आँखें औरतों को अपनी ओर खींच लेती हैं। मैं लखनऊ यूनिवर्सिटी में बीबीए कर रहा हूँ, और रोज़ गाँव से शहर आता-जाता हूँ। मेरा स्वभाव चंचल है, और औरतों की खूबसूरती, खासकर मेरी सौतेली मम्मी की, मुझे बेकाबू कर देती है।

मेरी सौतेली मम्मी, गुड़िया देवी, उम्र 35 साल, कद 5 फीट 6 इंच, और रंग इतना गोरा कि चाँद भी शरमा जाए। उनका फिगर 36-30-38 का है, जिसमें उनकी भारी गांड और उभरे हुए चूचे किसी का भी लंड खड़ा कर दें। उनके होंठ गुलाबी, आँखें बड़ी-बड़ी, और चाल में ऐसी लचक कि हर कदम पर कूल्हे मटकते हैं। साड़ी में उनका पेटीकोट उनकी कमर से चिपकता है, और उनकी गांड का उभार साफ दिखता है। वो गाँव की औरत हैं, लेकिन उनकी अदाएँ शहर की मॉडल को भी मात देती हैं।

मेरे दादाजी, माखन लाल, उम्र 65 साल, लेकिन बदन अभी भी मजबूत। उनके बाल सफेद, चेहरा झुर्रियों से भरा, लेकिन आँखों में वही पुरानी ठरक बाकी है। वो लखनऊ के मंदिर में पूजा-पाठ करते हैं और महीने में एक बार गाँव आते हैं। उनके मोटे-मोटे हाथ और गठीला बदन देखकर लगता नहीं कि उम्र ने उनकी ताकत छीनी है।

मेरे पापा, राम कुमार, उम्र 45 साल, रंग साँवला, और कद 5 फीट 8 इंच। वो भी मंदिर में दादाजी के साथ काम करते हैं और गाँव कम ही आते हैं। उनका स्वभाव गंभीर है, लेकिन घर की जिम्मेदारी पूरी तरह निभाते हैं।

हम लखनऊ के दरियापुर गाँव में रहते हैं। हमारा घर पुराने ज़माने का है, लकड़ी का बड़ा गेट, विशाल आंगन, दाईं तरफ सीढ़ियाँ और नीचे लेट्रिन। बाईं तरफ किचन और हैंडपंप, जहाँ सब नहाते हैं। आंगन के बीच में तुलसी का पौधा और आगे 20×20 का हॉल, जिसमें मैं और मम्मी रहते हैं। ऊपर दादा-दादी का कमरा है। पापा और दादाजी ज्यादातर लखनऊ में रहते हैं, और चाची व उनके बच्चे हॉस्टल में।

मम्मी और मेरे बीच चुदाई का रिश्ता पहले से चल रहा है, जैसा आपने मेरी पिछली कहानी में पढ़ा। इस बार दादाजी गाँव आए थे। एक रात मम्मी मेरे लंड की सवारी कर रही थीं। ताबड़तोड़ चुदाई के बाद हम दोनों नंगे ही सो गए।

सुबह 4 बजे मम्मी उठीं, फ्रेश हुईं, और हैंडपंप पर नहाने लगीं। वो अपने पेटीकोट को दाँतों से दबाए नहा रही थीं, जिससे उनकी गोरी चिकनी जाँघें और भारी गांड साफ दिख रही थी। उनका पेटीकोट कूल्हों के बीच फँसा था, और गीला बदन ऐसा लग रहा था, जैसे कोई अप्सरा नहा रही हो।

दादाजी ऊपर वाले कमरे से सीढ़ियों से उतर रहे थे, तभी उनकी नज़र मम्मी पर पड़ी। वो छुपकर अपनी अधनंगी बहू को देखने लगे। मम्मी को पेशाब लगी, तो उन्होंने सोचा इतनी सुबह कोई नहीं होगा। वो पेटीकोट ऊपर करके नीचे बैठ गईं, उनकी गोरी गांड हिल रही थी। दादाजी का लंड तन गया। उन्होंने धोती उतारी, अंडरवियर से लंड निकाला, और मुठ मारने लगे।

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मम्मी ने नहाकर पेटीकोट छोड़ा, तो वो नीचे गिर गया। वो पूरी नंगी हो गईं। जैसे ही वो कपड़े उठाने घूमीं, दादाजी को लंड हिलाते देख चौंक गईं और कपड़े समेटकर कमरे में भाग गईं। मैं जाग चुका था। मम्मी ने दौड़ते हुए कमरे में प्रवेश किया। मैंने पूछा- क्या हुआ मम्मी? उन्होंने सारी बात बताई। दादाजी ने भी वीर्य निकालकर ऊपर चले गए।

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मैं नहाकर, नाश्ता करके कॉलेज चला गया। उधर बुआ की देवरानी के बेटे का जन्म हुआ था, तो दादी और चाची वहाँ गई थीं। घर पर सिर्फ़ मम्मी और दादाजी थे। दोपहर में दादाजी बोले- बहू, खाना लगा दो! मम्मी ने साड़ी में मटकते हुए खाना परोसा। जैसे ही वो जाने लगीं, दादाजी ने उनका हाथ पकड़ा और बोले- जान निकालोगी क्या? तेरी गोरी जाँघों और उस चूत के छेद ने मेरा बुरा हाल कर दिया।

उन्होंने मम्मी का हाथ अपने तने हुए लंड पर रखा। मम्मी ने हाथ हटाया, लेकिन दादाजी की धोती में उनका लंड साफ दिख रहा था। मम्मी हँसते हुए बोलीं- अरे ससुरजी, इस उम्र में भी इतना जोश? दादाजी बोले- तेरी गुद देखकर ये लंड घोड़ा बन गया है। मम्मी ने मज़ाक में कहा- वाह ससुरजी, मेरी गांड इतनी पसंद आई?

दादाजी ने धोती और अंडरवियर उतार दिया, और लंड हिलाने लगे। मम्मी उनके कमरे से भागकर अपने कमरे में गईं। दादाजी नंगे ही पीछे दौड़े। मम्मी उल्टे खड़ी थीं, दादाजी ने उनके हाथ पकड़े और सहलाते हुए बोले- मेरे लंड को शांत कर दे, अपनी गुद दे दे। मम्मी बोलीं- एक शर्त है। मेरी गुद को ज़ोरदार झटके चाहिए। क्या तुम्हारा लंड इतना दम रखता है?

दादाजी हँसे- मेरी लाडली बहू, आजमा ले, मैं पूरी जान लगा दूँगा। मम्मी ने सोचा, पति तो घर आते नहीं, बेटा चूत मारता है, और इस बूढ़े का लंड भी घोड़े जैसा है। मौका अच्छा है। वो बोलीं- ठीक है, दिखा कितना दम है।

दादाजी ने मम्मी को बिस्तर पर लिटाया, उनका पल्लू हटाया, और उनके हाथ बिस्तर से दबा दिए। वो मम्मी के गले और गालों पर चूमने लगे। फिर उनके होंठों पर होंठ रखकर जीभ अंदर डाल दी। मम्मी ने उनकी पीठ को अपने नाखूनों से खींच लिया। दादाजी उनके ऊपर लेट गए, और दोनों 10 मिनट तक एक-दूसरे की जीभ चूसते रहे।

दादाजी ने मम्मी का ब्लाउज़ उतारा। उनकी गोरी चूचियाँ बाहर निकलीं, निप्पल तने हुए थे। मम्मी पूरी नंगी थीं। दादाजी उनकी चूचियों को मुँह में भरकर चूसने लगे, एक हाथ से दूसरी चूची मसल रहे थे। मम्मी सिसकारियाँ ले रही थीं- आह… ससुरजी… और ज़ोर से…!

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मैं कॉलेज से लौटा। बाहर गेट खुला था। मैंने बाइक आंगन में खड़ी की। तभी कमरे से ‘उम्म्ह… आह…’ की आवाज़ आई। मैंने देखा, कमरा खुला था। अंदर अंधेरा था, लेकिन दादाजी मम्मी की चूचियों को चूस रहे थे। मैं चुपके से बिस्तर के नीचे छुप गया।

दादाजी ने मम्मी की साड़ी खींचकर फेंक दी, पेटीकोट का नाड़ा खोला, और उनकी टाँगें फैलाईं। वो मम्मी की चूत में उँगली डालने लगे। मम्मी चिहुंक उठीं- आह… ससुरजी…! दादाजी एक हाथ से चूत में उँगली चला रहे थे, दूसरे से चूची मसल रहे थे। मम्मी मदहोश होकर सिसकारियाँ ले रही थीं।

दादाजी ने मम्मी की चूत चाटनी शुरू की। मम्मी उनके सिर को चूत में दबाने लगीं- आह… और तेज़… चाटो…! 5 मिनट बाद मम्मी की चूत ने पानी छोड़ा, और दादाजी ने सारा पी लिया। मम्मी बोलीं- बाबूजी, अब लंड डाल दो, बर्दाश्त नहीं होता। दादाजी बोले- पहले मेरा लंड गीला कर।

मम्मी ने उनका लंड मुँह में लिया और चूसने लगीं। 2 मिनट बाद दादाजी ने मम्मी को बिस्तर पर पटका, उनकी कमर पकड़ी, और एक ज़ोरदार झटके में लंड चूत में पेल दिया। मम्मी चीखीं- हाय… मेरी चूत फट गई! दादाजी ने उनके मुँह को अपने होंठों से बंद किया और ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगे। मम्मी चिल्ला रही थीं- आह… मर गई… और तेज़…!

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15 मिनट की चुदाई के बाद दादाजी ने मम्मी की चूत में वीर्य छोड़ दिया और हाँफते हुए उनके ऊपर गिर गए। मैंने बाहर निकलने की आहट की, तो दादाजी कपड़े लेकर अपने कमरे में चले गए। मम्मी ने जल्दी से कपड़े पहने। मैं अंदर आया, बैग उतारा, फ्रेश हुआ, और खाना खाकर दोस्तों के साथ घूमने चला गया।

शाम को लौटा, तो मम्मी खाना बना रही थीं। दादाजी गाँव में घूमने गए थे। हमने खाना खाया। मम्मी अपने काम में लगीं, दादाजी अपने कमरे में चले गए, और मैं पढ़ने बैठ गया। रात को मम्मी मैक्सी पहनकर लेट गईं। मैं नंगा होकर उनके बगल में लेट गया।

मैंने उनकी मैक्सी ऊपर की, तो मम्मी ने रोका- आज का कोटा पूरा हो चुका है। मैंने पूछा- क्या मतलब? उन्होंने दादाजी वाली बात बताई। मैंने कहा- मम्मी, मेरा लंड खड़ा है, प्लीज़ एक बार। मम्मी बोलीं- मेरी चूत में दर्द है, गुद ले लो।

मैंने कंडोम चढ़ाया, मम्मी मेरे ऊपर लेट गईं। मैंने उनकी गांड में थूक लगाया और धीरे-धीरे लंड डाला। मैं रुक-रुककर धक्के मार रहा था। तभी अंधेरे में दादाजी आ गए। मम्मी मेरे सीने पर थीं। दादाजी ने उनकी जीभ चूसनी शुरू की और चूचियों को मसलने लगे। वो मम्मी के होंठ काट रहे थे, जिससे मम्मी चिहुंक उठीं।

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दादाजी ने मम्मी की चूचियों पर थप्पड़ मारे, फिर अपना लंड उनके मुँह में डाल दिया। मैंने भी अपना लंड मम्मी के मुँह में डाला। मम्मी दोनों लंड चूसने लगीं, लेकिन मुँह में दर्द होने लगा। मैंने लंड निकालकर उनके गाल पर रगड़ा। दादाजी ने मम्मी के मुँह में थूक डाला और मुँह चोदने लगे। फिर उन्होंने मम्मी के मुँह में वीर्य छोड़ दिया।

मैंने भी मम्मी का मुँह चोदा और वीर्य छोड़ा। मम्मी ने हम दोनों का वीर्य गटक लिया। फिर दादाजी लेट गए, और मम्मी ने अपनी चूत उनके मुँह पर रख दी। मैंने मम्मी की गांड पर 10-12 थप्पड़ मारे, जिससे उनके कूल्हों पर उँगलियों के निशान पड़ गए। दादाजी मम्मी की चूत चाट रहे थे, और मम्मी उनकी जीभ पर चूत रगड़ रही थीं।

10 मिनट बाद मम्मी झड़ गईं, और दादाजी ने उनका पानी पी लिया। मम्मी दादाजी के लंड पर कूदने लगीं। मैंने पीछे से उनकी गांड में लंड डाला। हम दोनों ने मम्मी को सैंडविच बनाकर 10 मिनट तक चोदा। फिर दादाजी और मैंने जगह बदली। मैं चूत चोद रहा था, और दादाजी गांड। 3 मिनट बाद दादाजी ने मम्मी की गांड में वीर्य छोड़ दिया।

दादाजी बोले- बेटा, इस रांड को जमकर चोद! मैंने मम्मी को डॉगी स्टाइल में किया और चूत में लंड पेल दिया। फिर चूत से निकालकर गांड में डाला। 15 मिनट तक चूत और गांड चोदने के बाद मैंने लंड निकाला और मम्मी की चूचियों व नाभि पर वीर्य छोड़ दिया। मम्मी ने मेरा लंड चाटकर साफ किया। उनकी चूत और गांड लाल होकर सूज गई थीं।

हम तीनों नंगे लेटे रहे। सुबह मम्मी हैंडपंप पर गईं, पेशाब किया, और चूत-गांड साफ की। फिर साबुन लगाकर नहाईं। नंगी ही चाय बनाकर लाईं और बोलीं- उठो मेरे लंड के देवता! हम तीनों नंगे चाय पीने लगे। दादाजी और मैं मम्मी की चूचियों, चूत और गांड पर हाथ फेरने लगे। दादाजी नहाने गए, तो मैं मम्मी को चूमने लगा। फिर हम अपने-अपने काम में लग गए।

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