विधवा भाभी की चुत प्यासी थी

Piyasi Vidhawa Bhabhi मेरा नाम हस्सम दीन है। मेरी उम्र 22 साल है, और मैं कराची, पाकिस्तान से हूँ। मैं एक हट्टा-कट्टा, ताकतवर नौजवान हूँ, कद 6 फीट, चौड़ा सीना, और मजबूत बाहें। मेरे भैया की शादी को तीन साल हुए थे जब एक सड़क हादसे में उनका देहांत हो गया। अब मैं और मेरी भाभी सियामा अकेले रहते थे। भाभी की उम्र 38 साल थी, लेकिन उनकी खूबसूरती ऐसी थी कि कोई भी उन्हें देखकर उनकी उम्र का अंदाज़ा नहीं लगा सकता। उनका गोरा रंग, भरे हुए होंठ, और भारी-भरकम कूल्हे किसी को भी मदहोश कर सकते थे। उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी, जो हर बार मुझे थोड़ा बेचैन कर देती थी। भाभी मुझे प्यार से ‘दीनू’ कहकर बुलाती थीं। हमारे माता-पिता का देहांत कई साल पहले हो चुका था, इसलिए घर में सिर्फ़ हम दोनों ही थे। हमारा अपना बिजनेस था, जिसे भैया के जाने के बाद मैं ही संभालता था। मैं सुबह 8 बजे घर से निकल जाता और शाम 5 बजे लौटता। भाभी घर संभालती थीं और मेरा बहुत ख्याल रखती थीं। मैं भी उनकी हर जरूरत का ध्यान रखता, चाहे वो छोटी हो या बड़ी।
ये उस वक्त की बात है जब भैया को गुजरे हुए 8 महीने हो चुके थे। एक दिन मेरी तबीयत अचानक खराब हो गई। मेरा सारा बदन दुख रहा था, और मुझे हल्का बुखार भी चढ़ रहा था। मैंने अपने मैनेजर को पंप संभालने को कहा और दोपहर 1 बजे घर लौट आया। भाभी ने मुझे देखते ही चिंता से पूछा, “दीनू, क्या हुआ? इतनी जल्दी कैसे आ गए?” मैंने बताया, “भाभी, मेरा बदन टूट रहा है, और लगता है बुखार भी है।” मेरी बात सुनकर भाभी का चेहरा चिंता से भर गया। उन्होंने फौरन कहा, “चलो मेरे साथ डॉक्टर के पास।” मैंने मना करते हुए कहा, “नहीं भाभी, मैंने मेडिकल स्टोर से दवा ले ली है। मुझे बस थोड़ा आराम चाहिए।” भाभी ने मेरी बात सुनी और बोलीं, “ठीक है, तुम आराम करो। मैं तुम्हारे बदन पर तेल लगाकर मालिश कर देती हूँ।” मैंने मना किया, “नहीं भाभी, रहने दो, मैं ठीक हूँ।” लेकिन भाभी ने मेरी एक न सुनी। वो बोलीं, “चुपचाप अपने कमरे में जाकर लेट जाओ। मैं अभी तेल लेके आती हूँ।” मैं भाभी की बात कभी टालता नहीं था, इसलिए चुपचाप उनके कहे अनुसार कमरे में चला गया।
कमरे में पहुँचकर मैंने अपनी शर्ट और पैंट उतार दी। मैं सिर्फ़ बनियान और एक छोटा सा नेकर पहने हुए था, जो मेरे मजबूत जांघों पर थोड़ा ढीला पड़ता था। मैं बिस्तर पर लेट गया, मेरा शरीर थकान और बुखार से ढीला पड़ चुका था। थोड़ी देर बाद भाभी तेल की शीशी लेकर आईं। उन्होंने मेरे सिर पर तेल लगाया और धीरे-धीरे मेरे माथे की मालिश करने लगीं। उनकी उंगलियाँ मेरे सिर पर इस तरह चल रही थीं जैसे कोई जादू कर रही हों। फिर उन्होंने मेरे कंधों, बाहों और सीने पर तेल लगाकर मालिश शुरू की। उनकी मुलायम हथेलियाँ मेरे बदन पर फिसल रही थीं, और मैं धीरे-धीरे सुकून महसूस करने लगा। आखिर में वो मेरे पैरों की तरफ आईं। जैसे ही उन्होंने मेरे पैरों पर तेल लगाना शुरू किया, मेरे शरीर में एक अजीब सी सनसनी दौड़ने लगी। मैं मर्द हूँ, और भाभी का स्पर्श मुझे जगा रहा था। मेरे नेकर में तनाव बढ़ने लगा। मेरा लंड धीरे-धीरे खड़ा होने लगा, और मेरा छोटा सा नेकर अब एक तंबू की तरह ऊपर उठने लगा। मैं जानता था कि नेकर इतना छोटा और ढीला था कि भाभी को मेरा लंड हल्का-हल्का दिख रहा होगा।
भाभी मेरे पैरों की मालिश करती रहीं, लेकिन उनकी नजरें बार-बार मेरे नेकर की तरफ जा रही थीं। उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी, और उनके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी। मुझे लगा वो जानबूझकर मेरे लंड को देख रही थीं। मालिश खत्म करके वो चुपचाप चली गईं। मैं इतना थक चुका था कि मालिश के बाद गहरी नींद में सो गया।
शाम को 7:30 बजे मेरी नींद खुली। मैं उठा तो भाभी चाय लेकर आईं। मैंने चाय पी और फिर बाथरूम चला गया। जब मैं वापस आया तो भाभी ने फिर से कहा, “दीनू, लेट जाओ, मैं तुम्हारे पैरों की फिर से मालिश कर देती हूँ।” मैंने मना किया, “भाभी, अब रहने दो ना।” लेकिन वो नहीं मानीं। बोलीं, “क्या, मालिश से आराम नहीं मिला?” मैंने कहा, “हाँ, बहुत आराम मिला।” वो बोलीं, “तो फिर मना क्यों कर रहा है? बस पैरों की मालिश कर देती हूँ।” मैं अंदर ही अंदर खुश था। मैं चाहता था कि वो फिर से मालिश करें। मैंने कहा, “ठीक है, भाभी, सिर्फ़ पैरों की मालिश कर दो।” भाभी मुस्कुराईं और मालिश शुरू कर दी।
इस बार मेरा नेकर थोड़ा और पीछे खिसक गया था। मेरा लंड अब और साफ दिख रहा था। भाभी की नजरें बार-बार मेरे लंड पर जा रही थीं। मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा, और नेकर में एक बड़ा सा तंबू बन गया। भाभी ने मालिश करते हुए कहा, “दीनू, जब मैं तेरे पैरों की मालिश करती हूँ, तुझे क्या हो जाता है?” मैंने अनजान बनते हुए कहा, “कुछ भी तो नहीं हुआ, भाभी।” उन्होंने मेरे लंड पर हल्के से चपत लगाई और बोलीं, “फिर ये क्या है?” मैंने शरमाते हुए कहा, “जब तुम मालिश करती हो तो मुझे गुदगुदी सी होती है। इसीलिए मैं मना कर रहा था।” उन्होंने फिर से मेरे लंड पर हल्की सी चपत लगाई और बोलीं, “इसे काबू में रखा कर।” मैंने कहा, “जब तुम मालिश करती हो, ये मेरे काबू में नहीं रहता।” भाभी ने हँसते हुए कहा, “तू बिल्कुल अपने भैया जैसा है। जब मैं उनके पैरों की मालिश करती थी, वो भी इसे काबू में नहीं रख पाते थे।”
मैंने मज़ाक में पूछा, “फिर वो क्या करते थे?” भाभी शरमाते हुए बोलीं, “बदमाश कहीं का! वही जो सारे मर्द अपनी बीवी के साथ करते हैं।” मैंने फिर पूछा, “तो तुम्हें उनके पैरों की मालिश नहीं करनी चाहिए थी।” वो बोलीं, “क्यों?” मैंने कहा, “आखिर बाद में परेशानी तो तुम्हें ही उठानी पड़ती थी।” भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा, “परेशानी किस बात की? मेरा भी तो मन करता था।” मैंने कहा, “मेरा भी काबू में नहीं है। अब तुम ही बताओ मैं क्या करूँ?” वो बोलीं, “शादी कर ले।” मैंने कहा, “मैं अभी शादी नहीं करना चाहता।” भाभी ने हँसते हुए कहा, “तो फिर बाथरूम में जाकर मुठ मार ले।” मैंने अनजान बनते हुए पूछा, “वो क्या होता है?” वो बोलीं, “सचमुच तुझे नहीं पता कि मुठ मारना क्या होता है?” मैंने कहा, “नहीं।” उन्होंने मेरे लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा, “इसे अपने हाथ में पकड़कर तेजी से आगे-पीछे करना। थोड़ी देर में इसका जूस निकल जाएगा, और ये शांत हो जाएगा।” मैंने कहा, “तुम मुझे थोड़ा सा करके दिखाओ ना।”
भाभी अब पूरी तरह जोश में आ चुकी थीं। वो बोलीं, “तू बहुत बदमाश है। इसे बाहर निकाल, मैं बताती हूँ कैसे करना है।” मैंने कहा, “तुम खुद ही इसे बाहर निकालकर दिखाओ।” भाभी ने शरमाते हुए मेरे नेकर को नीचे खींचा और मेरा 6.5 इंच लंबा और 2 इंच मोटा लंड बाहर निकाल लिया। जैसे ही मेरा लंड बाहर आया, भाभी ने आश्चर्य से कहा, “बाप रे! तेरा तो बहुत मोटा है।” मैंने पूछा, “अच्छा नहीं है क्या?” वो शरमाते हुए बोलीं, “बहुत अच्छा है।” मैंने पूछा, “भैया का कैसा था?” वो बोलीं, “उनका भी अच्छा था, लेकिन तेरा इतना मोटा नहीं था।” मैंने कहा, “अब बताओ कैसे करना है।” भाभी ने मेरा लंड पकड़ा और धीरे-धीरे हाथ आगे-पीछे करने लगीं। उनके मुलायम हाथों का स्पर्श मेरे लंड पर पड़ते ही मुझे मज़ा आने लगा। भाभी भी जोश में आ रही थीं।
दो मिनट मुठ मारने के बाद भाभी बोलीं, “ऐसे ही कर लेना। अब जा बाथरूम में।” मैंने कहा, “बाथरूम में क्यों? अगर मैं यहीं कर लूँ तो क्या बुराई है?” वो बोलीं, “तेरा जूस यहाँ गिरेगा, फिर मुझे साफ करना पड़ेगा।” मैंने कहा, “मैं खुद साफ कर दूँगा।” वो बोलीं, “ठीक है, यहीं कर ले। मैं जाती हूँ।” मैंने उनका हाथ पकड़ लिया और कहा, “भाभी, यहीं बैठो ना।” वो बोलीं, “तेरे लंड को छूने से मुझे पहले ही जोश चढ़ चुका है। अगर मैं तुझे मुठ मारते देखूँगी तो और ज़्यादा जोश आएगा। फिर मेरे लिए बर्दाश्त करना मुश्किल हो जाएगा। आखिर मैं भी औरत हूँ, और अभी जवान भी।” मैंने कहा, “मुझ पर भरोसा रखो, मैं तुम्हारे साथ कुछ नहीं करूँगा।” वो बोलीं, “मुझे तुझ पर पूरा भरोसा है, तभी तो मैंने तेरा लंड पकड़कर तुझे मुठ मारना सिखाया।” मैंने पूछा, “नेकर उतार दूँ या ऐसे ही मुठ मार लूँ?” वो बोलीं, “उतार दे इसे।”
मैंने नेकर उतार दिया और मुठ मारने लगा। भाभी मुझे देखती रहीं। मैं भी उन्हें देखते हुए मुठ मार रहा था। धीरे-धीरे भाभी का जोश और बढ़ने लगा। मेरे मुँह से “आह… ऊह…” की आवाज़ें निकल रही थीं। भाभी कभी मुझे, कभी मेरे लंड को देख रही थीं। अचानक उन्होंने अपना एक हाथ अपनी चूत पर रख लिया और सहलाने लगीं। मैंने पूछा, “क्या हुआ, भाभी?” वो बोलीं, “तू मुझे पागल कर देगा। मैं जा रही हूँ।” मैंने उनका हाथ पकड़ लिया और कहा, “मेरे पास बैठो ना।” वो चुपचाप बैठ गईं। मैं मुठ मारता रहा। भाभी जोश के मारे पागल सी हो रही थीं। थोड़ी देर बाद उन्होंने मेरा लंड पकड़ लिया और बोलीं, “अब रहने दे, मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा।” मैंने पूछा, “क्या हुआ?” उन्होंने अपना पेटीकोट ऊपर उठाया और बोलीं, “देख, मेरी चूत पूरी गीली हो गई। तूने मुझे पागल कर दिया। अब मुझसे नहीं रहा जाता। तू मेरी चूत को सहला दे, मैं तेरा लंड सहला देती हूँ।” मैंने कहा, “सिर्फ़ सहलाना है या कुछ और करना है?” वो बोलीं, “अगर तेरा मन करे तो मेरी चूत को थोड़ा चाट ले, ताकि मुझे भी थोड़ा आराम मिले।” मैंने कहा, “कपड़े तो उतार दो।” वो बोलीं, “तू खुद उतार दे।”
मैंने धीरे-धीरे भाभी का पेटीकोट और ब्लाउज़ उतार दिया। अब वो पूरी तरह नंगी थीं। उनकी चूत एकदम साफ थी, बिना एक भी बाल के। मैंने कहा, “भाभी, तुम्हारी चूत तो बिल्कुल साफ है।” वो बोलीं, “मुझे चूत पर बाल बिल्कुल पसंद नहीं। इसलिए मैं इसे हमेशा साफ रखती हूँ। तेरा भी तो बिल्कुल साफ है।” मैंने कहा, “मुझे भी बाल पसंद नहीं।” भाभी लेट गईं। मैंने उनकी चूत पर अपनी जीभ फिरानी शुरू की। वो बोलीं, “ऐसे नहीं।” मैंने पूछा, “फिर कैसे?” वो बोलीं, “मुझे भी तेरा चूसना है। तू मेरे ऊपर उल्टा लेट जा और अपना लंड मेरे मुँह के पास कर दे। फिर मेरी चूत चाट।”
मैं भाभी के ऊपर 69 की पोजीशन में लेट गया। जैसे ही मैंने उनकी चूत पर जीभ फिराई, उन्होंने मेरे लंड का सुपाड़ा अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगीं। उनकी गर्म जीभ मेरे लंड पर फिसल रही थी, और मुझे ऐसा मज़ा आ रहा था जैसे मैं जन्नत में पहुँच गया। भाभी भी जोश में सिसकारियाँ भरने लगीं, “आह… ऊह…” मैंने उनकी क्लिट को अपने होंठों से दबाना शुरू किया। वो ज़ोर से सिसकारीं, “आह्ह… दीनू, और ज़ोर से!” मैंने उनकी क्लिट को और ज़ोर से दबाया। उन्होंने मेरा लंड और गहराई तक अपने मुँह में ले लिया और तेज़ी से चूसने लगीं। मैंने एक उंगली उनकी चूत में डाली और अंदर-बाहर करने लगा। उनकी चूत इतनी गीली थी कि मेरी उंगली आसानी से फिसल रही थी। थोड़ी देर में भाभी की चूत से जूस निकलने लगा। वो बोलीं, “चाट ले इसे, दीनू!” मैंने उनकी चूत का सारा जूस चाट लिया। तभी मेरे लंड का जूस भी निकलने लगा। भाभी ने सारा जूस निगल लिया। फिर मैं उनके बगल में लेट गया।
भाभी मेरा लंड सहलाने लगीं। थोड़ी देर बाद वो बोलीं, “आज तो वो हो गया जो नहीं होना चाहिए था।” मैंने कहा, “मैंने ऐसा क्या कर दिया?” वो बोलीं, “तूने अपना लंड दिखाकर मुझे पागल कर दिया।” मैंने कहा, “मैंने तो नहीं दिखाया।” वो बोलीं, “तेरा नेकर इतना छोटा और ढीला था कि मुझे तेरा लंड दिख गया। मैं खुद को काबू नहीं कर पाई। इसलिए मैंने दोबारा मालिश करने को कहा। मैं तेरा लंड देखना चाहती थी, क्यूँकि ये मुझे बहुत लंबा और मोटा लग रहा था।” मैंने कहा, “अब तो देख लिया ना?” वो बोलीं, “हाँ, देख लिया और पसंद भी कर लिया।” मैंने पूछा, “अब क्या इरादा है?” वो बोलीं, “तू वही कर जो तेरा भैया मेरे साथ करते थे।” मैंने कहा, “ये ठीक नहीं है।” वो बोलीं, “क्या ठीक है, क्या नहीं, मुझे कुछ नहीं पता। अगर तू मेरे साथ नहीं करेगा तो मैं मर जाऊँगी।” मैंने पूछा, “मैं तुम्हारे साथ क्या करूँ?” वो बोलीं, “जो तेरा भैया मेरे साथ करते थे।” मैंने कहा, “मैंने तो कभी नहीं देखा कि भैया तुम्हारे साथ क्या करते थे।” भाभी ने मेरे गालों को ज़ोर से काट लिया और बोलीं, “अब चोद दे मुझे।” मैंने कहा, “दर्द होगा।” वो बोलीं, “होने दे। जो होगा, देखा जाएगा।” मैंने कहा, “तुम मेरी भाभी हो, मैं तुम्हें कैसे चोद सकता हूँ?” भाभी का जोश अब चरम पर था। वो बोलीं, “तू मुझे नहीं चोदेगा, लेकिन मैं तो तुझे चोद सकती हूँ।” मैंने कहा, “फिर तुम ही चोदो।”
मेरा लंड फिर से खड़ा हो चुका था। भाभी मेरे ऊपर आ गईं। उन्होंने मेरे लंड के सुपाड़े को अपनी चूत के बीच में रखा और धीरे-धीरे दबाने लगीं। उनके चेहरे पर दर्द की लकीरें साफ दिख रही थीं। फिर भी वो रुकी नहीं। मेरा लंड धीरे-धीरे उनकी चूत में घुसने लगा। उनकी चूत इतनी टाइट थी कि मुझे लग रहा था जैसे कोई गर्म, तंग गुफा में मेरा लंड फंस रहा हो। वो दबाती रहीं, और उनकी आँखों में आँसू आ गए। मैंने पूछा, “क्या हुआ, भाभी?” वो बोलीं, “दर्द बहुत हो रहा है।” मैंने कहा, “तो रुक जाओ ना। इतना दर्द क्यों बर्दाश्त कर रही हो?” वो बोलीं, “मैं पागल हो गई हूँ।” अब तक मेरा लंड उनकी चूत में 4 इंच तक घुस चुका था। दर्द के मारे भाभी का बुरा हाल था। तभी उन्होंने अपने बदन का सारा ज़ोर लगाकर अचानक मेरे लंड पर बैठ गईं। मेरा पूरा 6.5 इंच का लंड उनकी चूत में समा गया। उनके मुँह से ज़ोर की चीख निकली, “आआह्ह!” उनका सारा बदन थरथराने लगा। उनके चेहरे पर पसीना छलक आया। उनकी साँसें तेज़-तेज़ चल रही थीं।
वो मेरे ऊपर लेट गईं और मेरे होंठों को चूमने लगीं। मैं उनकी कमर और चूतड़ों को सहलाने लगा। तभी मुझे शरारत सूझी। मैंने उनकी गांड के छेद पर अपनी उंगली फिरानी शुरू की। उन्हें मज़ा आने लगा। अचानक मैंने अपनी उंगली उनकी गांड में डाल दी। उन्होंने ज़ोर की सिसकारी ली, “आह्ह… बदमाश कहीं का!” वो बोलीं, “पहले तो कह रहा था कि तू मेरी भाभी है, मैं तुझे कैसे चोद सकता हूँ। अब मेरी गांड में उंगली डाल रहा है। क्या मैं अब तेरी भाभी नहीं रही?” मैंने कहा, “बिल्कुल नहीं। अब तो तुमने मेरा लंड अपनी चूत में ले लिया है। अब तुम मेरी भाभी नहीं रही।” वो बोलीं, “फिर मैं अब तेरी क्या लगती हूँ?” मैंने कहा, “बीवी।” वो बोलीं, “तो चोद दे ना अपनी बीवी को। क्यों तरसा रहा है?” मेरी उंगली अभी भी उनकी गांड में थी। मैंने फिर शरारत की और कहा, “मैं तुम्हें एक शर्त पर चोदूँगा।” वो बोलीं, “कैसी शर्त?” मैंने कहा, “मैं तुम्हारी गांड भी मारूँगा।” वो बोलीं, “अपनी बीवी से भी पूछना पड़ता है क्या?” मैंने कहा, “मुझे नहीं पता।” वो बोलीं, “तेरे भैया ने तो मुझसे कभी नहीं पूछा। जब उनका मन करता, मेरी चुदाई करते। और जब मन करता, मेरी गांड मारते।” मैंने पूछा, “तो तुम भैया से गांड भी मरवा चुकी हो?” वो बोलीं, “तो क्या हुआ? मज़ा तो दोनों में ही आता है। अब मुझे और मत तड़पा, चोद दे ना।” मैंने कहा, “थोड़ा तुम चोदो, फिर थोड़ा मैं चोदूँगा।” वो बोलीं, “ठीक है, बाबा।”
भाभी ने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू किए। हर धक्के के साथ उनके मुँह से चीख निकल रही थी, “आह… ऊह…” मैंने पूछा, “अब क्या हुआ?” वो बोलीं, “दर्द हो रहा है।” मैंने पूछा, “क्यों? अब तो तुमने पूरा लंड अंदर ले लिया है।” वो बोलीं, “अंदर लेने से क्या होता है? मेरी चूत अभी तेरे लंड के साइज़ की थोड़े ही हुई है।” मैंने पूछा, “तेरी चूत को मेरे लंड के साइज़ की कैसे करूँ?” वो बोलीं, “जब तू मुझे कई बार चोद देगा, तब।” मैंने पूछा, “कितनी बार चोदना पड़ेगा?” वो बोलीं, “ये तुझ पर है कि तू मेरी चुदाई कैसे करता है। अगर तू मुझे पहली बार में ही कम से कम 1 घंटे चोद सके, तो एक बार में भी हो सकता है। लेकिन मुझे पता है, तू ऐसा नहीं कर पाएगा।” मैंने पूछा, “क्यों?” वो बोलीं, “तूने पहले कभी किसी को चोदा है?” मैंने कहा, “नहीं।” वो बोलीं, “तो फिर तू 10 मिनट से ज़्यादा रुकेगा ही नहीं। तुझे मेरी चुदाई में इतना जोश आएगा कि तू जल्दी झड़ जाएगा।”
भाभी धक्के लगाती रहीं। उनके हर धक्के के साथ “पच… पच…” की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। उनकी चूत इतनी गीली थी कि हर धक्के के साथ मेरा लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। करीब 10 मिनट बाद भाभी एक बार झड़ गईं। उनकी सिसकारियाँ तेज़ हो गईं, “आआह्ह… दीनू… मैं गई!” तभी मेरा लंड भी जवाब दे गया, और मेरा जूस उनकी चूत में निकल गया। वो मुस्कुराते हुए बोलीं, “क्या हुआ, पहलवान?” मैंने कहा, “वही हुआ जो तू कह रही थी।” वो बोलीं, “मेरी चूत को ढीली करने के लिए तुझे कम से कम 1 घंटे मेरी चुदाई करनी पड़ेगी। अगली बार तू ज़्यादा से ज़्यादा 15 मिनट ही चोद पाएगा। इस तरह 3-4 बार चुदाई के बाद मेरी चूत तेरे लंड के साइज़ की हो जाएगी। समझ गया, बच्चू?” मैंने कहा, “बिल्कुल समझ गया, मैडम।”
आपको यह कहानी कैसी लगी? क्या आपको लगता है कि हस्सम और सियामा का रिश्ता अब और गहरा होगा, या ये सिर्फ़ एक पल का जोश था? अपनी राय और सुझाव कमेंट में बताएँ!

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