Papa Beti ki Gangbang Chudai Sex Story: हेलो दोस्तों, मैं माधवी हूँ, भोपाल की रहने वाली। मेरी उम्र 22 साल है, और मैं आपको एक ऐसी सच्ची कहानी सुनाने जा रही हूँ जिसने मेरी जिंदगी को पूरी तरह बदल दिया। ये बात दो साल पहले की है, जब मैं नासिक के एक हॉस्टल में रहकर ग्रेजुएशन कर रही थी। मैं गोरी-चिट्टी, 5 फुट 5 इंच लंबी, फिगर 36-28-36, टाइट और सेक्सी। मेरे बूब्स भरे-भरे, कमर पतली और गांड उभरी हुई, जिसे देखकर लड़के पलट-पलट कर देखते थे। मैं अपने मम्मी-पापा की इकलौती बेटी थी। मेरे पापा, रमेश, 48 साल के थे, सरकारी ऑफिसर, सख्त मिजाज़ लेकिन मेरे लिए हमेशा प्यार भरे। मम्मी, 45 की, घर संभालती थीं, और उनकी सख्ती की वजह से मैं हॉस्टल में भी संभलकर रहती थी। पापा और मम्मी हर महीने मुझसे मिलने नासिक आते थे। लेकिन हॉस्टल की जिंदगी कुछ और थी। मेरी सहेलियाँ—रिया, पूजा, और नेहा—हमेशा सेक्स, लंड, चूत, और गंदी बातों की चर्चा करती थीं। रात को हम सब मिलकर ब्लू फिल्म्स देखते। उनमें लड़कियाँ कभी दो-तीन मर्दों के साथ चुदती थीं, तो कभी कुत्तों, घोड़ों के साथ। ये सब देखकर मेरी चूत में आग लग जाती। मैं सोचती कि काश मुझे भी दो-तीन बुड्ढे मर्द एक साथ चोदें, मेरी चूत और गांड का भोसड़ा बना दें। लेकिन ये सिर्फ फंतासी थी। मैंने कभी किसी लड़के को छूने तक नहीं दिया। मजबूरी में मैं उंगलियों, मोमबत्ती, खीरा, या बैंगन से अपनी चूत की आग बुझाती थी, पर वो मेरे जिस्म की भूख को पूरा नहीं कर पाता था।
एक रात मैं इंटरनेट पर चैट कर रही थी। वहाँ मेरी मुलाकात एक 52 साल के आदमी से हुई, जिसने अपना नाम नीरज बताया। मैंने खुद को अंजू के नाम से इंट्रोड्यूस किया, ताकि मेरी असली पहचान छुपी रहे। हमारी बातें धीरे-धीरे सेक्स की तरफ बढ़ीं। उसने पूछा, “बताओ, तुम्हारी सबसे गंदी फंतासी क्या है?” मैंने हिचकते हुए बताया, “मुझे दो-तीन बुड्ढे मर्दों के साथ गैंगबैंग करना है। उनकी मोटी-मोटी लंड मेरी चूत और गांड में एक साथ लूँ, और वो मुझे रंडी की तरह चोदें।” नीरज ने तुरंत जवाब दिया, “अंजू, मैं तुम्हारा ये सपना पूरा कर सकता हूँ। अगले वीकेंड मैं अपने तीन दोस्तों के साथ नासिक आ रहा हूँ। हम एक चार सितारा होटल में रुकेंगे। तुम आ जाओ, हम तुम्हें जन्नत की सैर कराएँगे।” उसकी बात सुनकर मेरी चूत गीली हो गई। मैंने हाँ कर दी, पर मन में घबराहट भी थी। मैंने सोचा, “पहली बार है, लेकिन ये मौका छोड़ना नहीं चाहिए।” मैं उस दिन का बेसब्री से इंतज़ार करने लगी। लेकिन गुरुवार को पापा का फोन आया। उनकी आवाज़ गंभीर थी, “माधवी, मैं रविवार को तुझसे मिलने आ रहा हूँ।” मैं चौंक गई। “रविवार को? लेकिन मेरा तो शनिवार को नीरज के साथ प्लान है!” मैंने सोचा। फिर मैंने खुद को समझाया कि शनिवार को मैं अपनी चूत की प्यास बुझा लूँगी, और रविवार को पापा से मिल लूँगी।
शुक्रवार की शाम नीरज का फोन आया। “अंजू, हम होटल पहुँच गए हैं। कमरा नंबर 305, जल्दी आ जाओ।” मैंने कहा, “मैं आधे घंटे में पहुँच रही हूँ। लेकिन ये मेरा पहला मौका है, मैं तुम्हें अपना चेहरा नहीं दिखाना चाहती। लाइट्स ऑफ रखना।” उसने हँसते हुए कहा, “ठीक है, बेबी। जैसा तू चाहे।” मैंने पहले से अपनी चूत और बगलें शेव कर ली थीं। मैंने एक रेड सिल्क की ब्रा और मैचिंग पैंटी खरीदी थी, जो मेरे गोरे जिस्म पर जच रही थी। ऊपर मैंने टाइट रेड टॉप और पर्पल लॉन्ग स्कर्ट पहनी। मेरे बाल खुले थे, और मैंने हल्का मेकअप किया—लाल लिपस्टिक और काजल, जो मुझे और सेक्सी बना रहा था। मैंने शीशे में खुद को देखा और सोचा, “आज मेरी चूत की आग बुझेगी।” होटल चार सितारा था, बाहर से शानदार और अंदर से शाही। मैं लिफ्ट से तीसरी मंजिल पर पहुँची और कमरे का दरवाजा खटखटाया। दरवाजा खुला, और मैं जल्दी से अंदर घुस गई।
कमरा पूरी तरह अंधेरा था, सिर्फ एक नीली नाइट बल्ब की हल्की रौशनी थी, जिसमें कुछ भी साफ दिखना मुश्किल था। नीरज ने दरवाजा खोला था। उसने मुझे गले लगाया और मेरे होंठों पर एक लंबा, गीला चुंबन जड़ दिया। उसकी जीभ मेरे मुँह में थी, और उसकी साँसों में व्हिस्की की गंध थी। मैंने महसूस किया कि कमरे में चार मर्द थे, सब मुझे चोदने को तैयार। उनकी साँसें और शराब की गंध हवा में थी। टेबल पर व्हिस्की की बोतल और गिलास रखे थे। मैं घबरा रही थी, पर मेरी चूत में गुदगुदी हो रही थी। ये मेरा पहला गैंगबैंग था, और मैं इसके लिए तैयार थी। नीरज ने मुझे सोफे पर बिठाया। बाकी तीनों ने अपना परिचय दिया—अनिल, 49 साल, लंबा और पतला, चेहरे पर हल्की दाढ़ी; माधव, 47 साल, मोटा और भारी-भरकम; और सुरेश, 50 साल, गंजा और चालाक। नीरज की आवाज़ मुझे जानी-पहचानी लगी, पर मैंने इसे वहम समझा।
अनिल ने मुझे एक गिलास व्हिस्की दी। मैंने एक ही घूँट में पूरा गिलास खाली कर दिया। “वाह, लड़की में दम है!” माधव ने हँसते हुए कहा। नीरज ने खेल शुरू किया। उसने मेरे कंधों को सहलाया, फिर धीरे-धीरे अपने हाथ मेरे टॉप के ऊपर से मेरे बूब्स पर ले गया। उसकी उंगलियाँ मेरे निप्पल्स को छू रही थीं। “आह्ह…” मेरे मुँह से हल्की सिसकारी निकली। उसने मेरे बूब्स को और जोर से दबाना शुरू किया। “साली, तेरे मम्मे तो बिल्कुल कड़क हैं!” नीरज ने मेरे कान में फुसफुसाया। मैंने महसूस किया कि मेरी पैंटी गीली हो रही थी। नीरज ने मेरे होंठों को चूमना शुरू किया, उसकी जीभ मेरे मुँह में घूम रही थी। उसका एक हाथ मेरी स्कर्ट के नीचे गया और मेरी पैंटी के ऊपर से मेरी चूत को सहलाने लगा। “साली, तू तो पहले से ही बह रही है!” उसने हँसते हुए कहा। मैंने अपनी टाँगें थोड़ी चौड़ी कर दीं। “आह्ह… और करो…” मैं सिसकार रही थी।
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नीरज ने मेरी स्कर्ट को धीरे-धीरे ऊपर उठाया और मेरी कमर तक सरका दिया। उसकी उंगलियाँ मेरी पैंटी के ऊपर से मेरी चूत की दरार में रगड़ रही थीं। उसने मेरी पैंटी को एक तरफ सरकाया और अपनी दो उंगलियाँ मेरी चूत में डाल दीं। “चप… चप…” मेरी चूत से गीली आवाज़ें आने लगीं। अनिल ने मेरे टॉप को खींचकर उतार दिया। अब मैं सिर्फ रेड ब्रा और पैंटी में थी। अनिल ने मेरे बूब्स को जोर-जोर से दबाना शुरू किया। “आह्ह… अनिल… और जोर से दबाओ…” मैं सिसकार रही थी। मेरे निप्पल्स सख्त हो चुके थे। नीरज ने मेरी पैंटी को एक झटके में उतार दिया और मेरी टाँगें चौड़ी करके मेरी चूत को चाटने लगा। उसकी जीभ मेरी चूत की फांकों को चाट रही थी, मेरे क्लिट को चूस रही थी। “उम्म… आह्ह… नीरज… और चाटो… मेरी चूत को खा जाओ…” मैं सिसकार रही थी। अनिल ने मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और उसे फेंक दिया। उसने मेरे एक बूब को मुँह में लिया और चूसने लगा, जबकि दूसरा बूब उसके हाथ में था। “साली, तेरे मम्मे तो दूध की तरह गोरे हैं!” अनिल ने कहा।
इधर सुरेश और माधव ने अपने कपड़े उतार दिए। अंधेरे में मैं उनके लंड नहीं देख पा रही थी, लेकिन जब नीरज ने मुझे उनके पास खींचा, मैंने उनके लंड को छूकर महसूस किया। माधव का लंड मेरे हाथ में आया, मोटा और लंबा, शायद 9 इंच का, जैसे कोई काला साँप। सुरेश का लंड भी मेरे दूसरे हाथ में था, लौकी की तरह मोटा, करीब 8 इंच। “हाय राम, ये क्या चीज पकड़ ली!” मैंने सोचा। अनिल और नीरज भी अब नंगे हो चुके थे। मैंने नीरज के लंड को छुआ, वो 7 इंच का, सख्त और गर्म था। अनिल का लंड भी 8 इंच का था, मोटा और नसों से भरा। “आज मेरी चूत का भोसड़ा बनने वाला है,” मैंने सोचा। नीरज ने अपने लंड पर थूक लगाया और मेरी चूत के मुँह पर रखा। उसने धीरे-धीरे धक्का देना शुरू किया। उसका सुपाड़ा मेरी चूत में घुसा तो मैं दर्द से चीख पड़ी, “आह्ह… धीरे…!” लेकिन अनिल ने अपना मोटा लंड मेरे मुँह में ठूँस दिया। “चूस साली, चूस!” उसने मेरे बाल पकड़कर कहा। मैं कुछ बोल नहीं पा रही थी। नीरज ने एक जोरदार धक्का मारा और उसका पूरा लंड मेरी चूत में समा गया। “आह्ह… मर गई…!” मैं चिल्लाना चाहती थी, पर अनिल का लंड मेरे मुँह में था। सुरेश और माधव ने मेरे हाथ पकड़ रखे थे। मैं छटपटा रही थी, मेरी आँखों से आँसू बह रहे थे। “साली, रो मत, अब तो तू हमारी रंडी बन चुकी है!” सुरेश ने हँसते हुए कहा।
नीरज अब अपने लंड को मेरी चूत में अंदर-बाहर करने लगा। “चप… चप… चप…” उसकी जाँघें मेरी जाँघों से टकरा रही थीं। उसका लंड मेरी चूत की दीवारों को रगड़ रहा था। धीरे-धीरे दर्द कम हुआ और मुझे मजा आने लगा। मैंने नीचे से अपनी कमर हिलानी शुरू की। “हाँ… चोदो… और जोर से…” मैं सिसकार रही थी। अनिल अपने लंड को मेरे मुँह में पेल रहा था, उसका सुपाड़ा मेरे गले तक जा रहा था। “साली, तेरा मुँह तो चूत से भी टाइट है!” अनिल ने कहा। मैं एक हाथ से सुरेश का लंड और दूसरे से माधव का लंड सहला रही थी। “साली रंडी, कितनी गर्म है तू!” सुरेश बोला। “इसकी चूत का भोसड़ा बना दो!” माधव चिल्लाया। मैं भी गंदी बातों में शामिल हो गई, “चोदो मादरचोदों, मेरी चूत फाड़ दो! तुम जैसे बूढ़ों के लंड के लिए ही तो मैं यहाँ आई हूँ!” अचानक नीरज के धक्के तेज हो गए। “आह्ह… मैं झड़ने वाला हूँ…!” उसने चिल्लाया और अपना सारा माल मेरी चूत में उड़ेल दिया। उसका गर्म माल मेरी चूत की दीवारों से टकरा रहा था। वो मेरे ऊपर ढह गया। अनिल भी अपने चरम पर था। उसने मेरे मुँह में अपना माल छोड़ दिया। “उम्म… ग्लप… ग्लप…” मैंने उसका एक-एक बूँद पी लिया। मेरी चूत को आज पहली बार असली मर्दों का मजा मिला था।
मैं बाथरूम जाने के लिए उठी। मेरी टाँगें काँप रही थीं, मेरी चूत लाल हो चुकी थी। मैंने बेडशीट से खुद को ढक लिया। उधर चारों ने एक-एक ड्रिंक और पी ली। जब मैं वापस लौटी तो कमरे की लाइट जल रही थी। मैंने चारों को देखा तो मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई। नीरज कोई और नहीं, मेरे पापा रमेश थे! बाकी तीनों—अनिल, माधव, और सुरेश—पापा के ऑफिस के सहकर्मी थे। मैं सिर्फ बेडशीट में लिपटी थी, और पापा ने जल्दी से अपना लोअर पहन लिया था। हम सब एक-दूसरे को देख रहे थे, जैसे भूत देख लिया हो। मेरे दिमाग में सवाल घूम रहे थे, “ये क्या हो गया? मेरे पापा? कैसे?” पापा ने धीमी आवाज़ में कहा, “माधवी, कपड़े पहन और हॉस्टल चली जा।” लेकिन अनिल ने पापा को समझाया, “रमेश, अब जो हो गया, सो हो गया। तूने अपनी बेटी को चोद लिया, अब हमें भी चोदने दे। हम ये बात किसी को नहीं बताएँगे।” पापा गुस्से से लाल हो गए और अनिल को एक थप्पड़ जड़ दिया। “बेटीचोद!” पापा चिल्लाए। लेकिन अनिल ने सुरेश और माधव की तरफ देखा, और तीनों ने मिलकर पापा को पकड़ लिया। उन्होंने पापा को रस्सी से बाँधकर बेड पर पटक दिया। अनिल चिल्लाया, “मादरचोद, आज तेरी बेटी को हम तेरे सामने चोदेंगे!”
सुरेश और माधव ने मुझे पकड़कर सोफे पर पटक दिया। मैं सिर्फ बेडशीट में थी, जिसे उन्होंने खींचकर फेंक दिया। अनिल ने अपना मोटा लंड एक ही झटके में मेरी चूत में पेल दिया। “आह्ह… मर गई…!” मैं दर्द से चीख पड़ी। मेरी चूत से खून बहने लगा। “साली, अभी तो शुरुआत है!” अनिल ने हँसते हुए कहा। लेकिन कुछ ही मिनट में मुझे मजा आने लगा। मैंने अपनी कमर हिलानी शुरू की। “हाँ… चोदो… और जोर से…” मैं सिसकार रही थी। सुरेश ने अपना लंड मेरे मुँह में ठूँस दिया। “चूस रंडी, चूस!” मैं उसे पूरे मजे से चूस रही थी। माधव मेरे बूब्स मसल रहा था, मेरे निप्पल्स को चुटकी में लेकर खींच रहा था। “आह्ह… उह्ह… और जोर से…” मैं सिसकार रही थी। पापा बेड पर गिड़गिड़ा रहे थे, “प्लीज, मेरी बेटी को छोड़ दो!” लेकिन सब पर हवस का भूत सवार था। अनिल मेरी चूत में जोर-जोर से धक्के मार रहा था। “चप… चप… चप…” मेरी चूत के चिथड़े उड़ रहे थे। “साली, तेरी चूत तो जन्नत है!” अनिल बोला। मैं भी अब मजे ले रही थी। “आह्ह… चोदो मादरचोद, मेरी चूत फाड़ दो!” मैं चिल्ला रही थी।
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माधव ने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया। मैं उसे चूस रही थी, और एक हाथ से सुरेश का लंड सहला रही थी। “देख मादरचोद, तेरी बेटी रंडी की तरह चुद रही है!” सुरेश पापा से बोला। मैंने पापा की तरफ देखा, उनका लंड फिर से खड़ा हो चुका था। मैंने गुस्से में चिल्लाया, “बेटीचोद भड़वे, अपनी बेटी की चूत मारने में मजा आ रहा है ना?” अनिल के धक्के और तेज हो गए। “आह्ह… मैं झड़ रहा हूँ…!” उसने चिल्लाया और अपना सारा माल मेरी चूत में उड़ेल दिया। अब सुरेश की बारी थी। उसने मुझे घोड़ी बनाया और अपना मोटा लंड मेरी चूत में पेल दिया। “आह्ह… उह्ह… कितना मोटा है…!” मैं सिसकार रही थी। उसका लंड मेरी चूत की दीवारों को रगड़ रहा था। माधव ने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया, और अनिल मेरे बूब्स से खेल रहा था। “साली, तेरी चूत तो लंड खाने के लिए बनी है!” सुरेश बोला। मैं चिल्लाई, “चोदो मादरचोद, मेरी चूत का भोसड़ा बना दो!”
करीब 20 मिनट तक सुरेश मुझे घोड़ी बनाकर चोदता रहा। फिर उसने अपना लंड मेरे मुँह में डालकर अपना माल उड़ेल दिया। “उम्म… ग्लप… ग्लप…” मैंने उसका एक-एक बूँद पी लिया। माधव ने अब सुरेश की जगह ले ली। उसने मुझे बेड पर लिटाया और मेरी टाँगें अपने कंधों पर रखकर मेरी चूत में अपना लंड पेल दिया। “आह्ह… उह्ह… और जोर से…” मैं चिल्ला रही थी। उसने करीब आधे घंटे तक मुझे चोदा, फिर अपना सारा माल मेरी चूत में उड़ेल दिया। मैं भी कई बार झड़ चुकी थी। मेरी चूत और बूब्स लाल हो चुके थे। मैं बाथरूम जाने के लिए उठी, तभी अनिल बोला, “ये मादरचोद तेरा बाप… आज तू इसके मुँह में मूत!” मैंने पापा की तरफ देखा, उनका लंड फिर से फनफना रहा था। गुस्से में मैंने अपनी चूत उनके मुँह पर रख दी और मूतने लगी। “ले भड़वे, अपनी बेटी का मूत पी!” मैंने अनिल और सुरेश का माल भी उनके मुँह में उड़ेल दिया।
माधव ने कहा, “जा, अपने बाप को भी खुश कर दे।” मैं पापा के पास गई और उनके लंड को सहलाने लगी। “बेटीचोद, तेरा लंड मेरी चूत में जाना चाहता है ना?” मैंने कहा। मैंने उनका लंड मुँह में लिया और चूसने लगी। “आह्ह… माधवी… तूने मुझे जन्नत दिखा दी…” पापा सिसकार रहे थे। मैं घोड़ी बनकर उनका लंड चूस रही थी। तभी अनिल मेरे पीछे आया और मेरी गांड चाटने लगा। उसकी जीभ मेरे गुदा-द्वार को चाट रही थी। “उम्म… आह्ह… अनिल… और चाटो…” मुझे बहुत मजा आ रहा था। करीब 15 मिनट तक उसने मेरी गांड चाटी। फिर उसने अपना लंड मेरी गांड के छेद पर रखा। मैं समझ गई कि अब क्या होने वाला है। लेकिन तभी पापा ने अनिल को रोका, “प्लीज अनिल, ये मेरी बेटी है। इसकी गांड मारने का पहला हक मेरा है।” अनिल ने उनकी बात मान ली।
पापा ने अपने लंड पर थूक लगाया और मेरी गांड के छेद पर रखा। एक जोरदार धक्के में उनका सुपाड़ा मेरी गांड में घुस गया। “आह्ह… मर गई…!” मैं चीख पड़ी। मैंने लंड बाहर निकालने की कोशिश की, पर पापा ने कहा, “मेरी रानी, तुझमें इतना सेक्स है, मुझे पहले पता होता तो मैं तुझे रोज चोदता। अब से तू हम चारों की रंडी बनकर रहेगी।” ये कहकर उन्होंने अपना पूरा लंड मेरी गांड में पेल दिया। “आह्ह… उह्ह… धीरे…” मैं चिल्ला रही थी। अनिल ने अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया, और माधव ने मेरे मुँह में। अब मेरे तीनों छेद लंड से भरे थे। “चप… चप… चप…” तीनों एक साथ मुझे चोद रहे थे। मैं सातवें आसमान पर थी। “आह्ह… उह्ह… चोदो मादरचोदों… मेरे तीनों छेद फाड़ दो…” मैं चिल्ला रही थी। आधे घंटे तक ये चुदाई चली। तीनों एक साथ झड़ गए, और मेरे तीनों छेद माल से भर गए।
ये चुदाई रातभर चली। सुबह 4 बजे हम सब नंगे बेड पर थककर सो गए। मैं बीच में पापा को चूमते हुए सो गई। सुबह 10 बजे मेरी आँख खुली, मेरा शरीर दर्द से टूट रहा था। माधव कमरे में नहीं था, वो ब्रेकफास्ट लेने गया था। मैं फ्रेश होने बाथरूम गई और नहाने लगी। तभी अनिल जाग गया। उसका लंड फिर से खड़ा था। वो बाथरूम में आया और मुझे चूमने लगा। उसने मुझे कमोड पर बिठाया और आधे घंटे तक चोदा। फिर हम दोनों नहाकर बाहर आए। पापा और सुरेश भी जाग चुके थे। दोनों ने बारी-बारी से मुझे फिर चोदा।
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अब हर वीकेंड पापा अपने दोस्तों के साथ मुझे चोदने आते थे। मैं उनकी रंडी बन चुकी थी।
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kash muze bhi meri beti ko aise karte hue dekhne ko mile, mai khud uske liye naye naye mard leke aaunga. muzse baat karne k liye mail karo #######
Such me
Mere se sex chat karoge
Tumhare beti ka I’d do me usko pata ke tumko bula lunga group m chodenge usko
Wao
Mujhe bhi apni beti ke sath aise mje karna hai kash vo ready ho jaye to usko bahut mje krau