मेरी कहानी का पिछला भाग पढ़ें: पापा के साथ गई अपनी सूजी चूत डॉक्टर को दिखाने
उस दिन शाम को हमने खाना खाया और बाहर चौकी पर सो गए। फिर हम इधर-उधर की बातें करने लगे। बातों-बातों में पापा और मम्मी शुरू हो गए, और मैं उन्हें देखने लगी। तभी मौसम खराब हो गया। पहले आंधी आई, लेकिन हम बाहर ही सोए रहे। फिर बारिश शुरू हो गई, तो हम बारिश में नहाने लगे। बारिश इतनी तेज थी कि हम खूब भीग गए। हमारे बिस्तर भी गीले हो गए थे। बारिश में हम चौकी से नीचे उतरकर घूमने लगे।
फिर हम तीनों चौकी पर पैर लटकाकर बैठ गए। पापा बीच में बैठे थे। मैंने पापा का लंड पकड़ लिया और हिलाने लगी। पापा ने मेरी तरफ देखा और मुझे किस करने लगे। मैं भी उन्हें किस करने लगी, और हम एक-दूसरे के होंठ चूसने लगे। वो मेरे बूब्स दबाने लगे, तो मैं और गर्म हो गई। फिर पापा ने मुझे छोड़ा, तो मैं चौकी पर ही घोड़ी बन गई। पापा उठे और पीछे से लंड डालकर चुदाई करने लगे। बारिश में चुदाई का मजा ही अलग था।
हम चुदाई कर रहे थे, और मम्मी हमें देखकर अपनी चूत और बूब्स सहला रही थी। फिर हम दोनों झड़ गए। मैं उठकर गीले बिस्तर पर सो गई, और पापा चौकी पर ही बैठे रहे। फिर मम्मी पापा के पास आई और उनका लंड सहलाने लगी, फिर चूसने लगी। थोड़ी देर बाद पापा फिर गर्म हो गए। उन्होंने मम्मी को वहीं लिटाया और चुदाई शुरू कर दी। फिर मम्मी को घोड़ी बनाकर चोदा। दोनों झड़ गए, तो वो अपनी चारपाई पर जाकर सो गए। अब वो दोनों एक ही चारपाई पर सोते थे।
हम थोड़ी देर सोए, लेकिन बारिश बंद हो गई थी। गीले बिस्तर पर नींद नहीं आ रही थी, तो हम अंदर रूम में बेड पर जाकर सो गए। सुबह मैं उठी, तो देखा पापा मुझसे चिपककर सो रहे थे। वो हमारे बीच में थे, और मम्मी पापा के पीछे से चिपककर सोई थी। मैं करवट लेकर सीधी हो गई। बाहर देखा, तो दिन निकल चुका था।
मैंने मम्मी को उठाया, तो पापा भी जाग गए। पापा सीधे लेटे, तो मैंने और मम्मी ने उनका लंड पकड़ लिया। मैंने ऊपर से पकड़ा, और मम्मी ने नीचे से। हम धीरे-धीरे सहलाने लगे। फिर मम्मी चाय बनाने चली गई, और मैं पापा के साथ रह गई। पापा मेरे बूब्स चूसने लगे, और मैं चुसवाने लगी। तभी मम्मी चाय लेकर आ गई, और हमने चाय पी।
चाय पीकर मम्मी घर के काम में लग गई, और मैं पापा के साथ घर के आगे की तरफ आ गई। हम घूमने लगे। पापा ने थोड़ी एक्सरसाइज की, और मैं वॉक करने लगी। फिर हम धीरे-धीरे दौड़ने लगे। चौकी से मेन गेट तक जाते और वापस आते। कुछ देर दौड़ने के बाद हम मेन गेट पर खड़े हो गए। पापा ने गेट थोड़ा खोला और नंगे ही बाहर चले गए। मैं भी उनके पीछे खड़ी हो गई।
हमारे घर के आगे खेतों की तरफ एक रोड जाती है। हमारा घर उससे थोड़ा दूर है। पापा बोले, “आज तो लेट हो गए, कल बाहर घूमने चलेंगे।” मैंने कहा, “ठीक है।” फिर मैं उनके बगल में खड़ी हो गई। हम सड़क की तरफ देख रहे थे। पापा एक हाथ से अपना लंड सहला रहे थे। रोड पर कोई नहीं था। फिर पापा मेरे पीछे आए, मेरे बूब्स पकड़ लिए, और लंड मेरी गांड पर रगड़ने लगे।
मैंने कहा, “पापा, अंदर चलते हैं, कोई देख लेगा।” पापा बोले, “ठीक है,” और मुझे छोड़ दिया। मैं अंदर आ गई, और पापा भी आए। फिर पापा ने मुझे गेट के सहारे झुकाया और पीछे से लंड रगड़ने लगे, फिर डालकर चुदाई शुरू कर दी। मैं फ्रेश नहीं हुई थी, तो मैंने जोर लगाया, और मेरी लैट्रिन निकल गई। पापा ने लंड निकाला, तो उस पर भी लैट्रिन लग गई थी। मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ, तो मैंने वहीं लैट्रिन कर दी। पापा ने उस पर मिट्टी डाल दी, और हम पीछे की तरफ गए, जहां मम्मी काम कर रही थी।
पापा ने मेरी गांड धोई, फिर अपना लंड साफ किया और फ्रेश होकर आए। उस दिन मौसम बहुत अच्छा था। ठंडी हवा चल रही थी। मैंने पापा से छत पर चलने को कहा। हम छत पर गए। वहां से दूर-दूर तक खेत दिख रहे थे। थोड़ी देर बाद मम्मी भी आ गई। हम तीनों नंगे ही छत पर घूम रहे थे। फिर हम नीचे आए और अपने-अपने काम में लग गए। पापा बाहर चले गए, मम्मी खाना बनाने लगी, और मैं नहाने चली गई।
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नहाकर आई, तो मुझे और मम्मी को भूख लगी थी। हमने खाना खा लिया। पापा तब तक नहीं आए थे। फिर पापा आए, पहले नहाए, फिर कमरे में कंघी करने लगे। मैं बेड पर लेटी थी और मैगज़ीन देख रही थी। पापा ने अपने लंड पर तेल लगाया और मालिश करने लगे, फिर मेरे पास बेड पर बैठ गए। हम बाप-बेटी मैगज़ीन देखने लगे। उसमें सेक्सी फोटो थे, जिन्हें देखकर पापा अपना लंड सहला रहे थे, और मैं अपनी चूत मसलने लगी।
पापा ने खाना लाने को कहा। मैं खाना लाई। पापा खाने लगे, और मैं उनके सामने बैठ गई। पापा ने मुझे एक रोटी दी और घी डालने को कहा। मैं रसोई की तरफ जाने लगी, तो पापा बोले, “बाहर कहां जा रही हो?” मैंने कहा, “रसोई में।” पापा बोले, “मुझे वो घी नहीं, तुम्हारा घी चाहिए।” मैं समझी नहीं। पापा बोले, “तुम्हारी चूत से जो घी बह रहा है, वो चाहिए।” मैं हंसने लगी, और पापा भी हंसने लगे।
पापा ने मुझे बेड पर लेटने को कहा। मैं लेट गई। उन्होंने सब्जी की कटोरी मेरी चूत के नीचे लगाई और उंगली करने को कहा। मैं उंगली करने लगी, और जो पानी निकला, वो कटोरी में गया। तभी मम्मी आ गई और पूछने लगी, “ये क्या हो रहा है?” पापा बोले, “घी निकाल रहे हैं।” मैं झड़ गई, और मेरा सारा पानी पापा ने कटोरी में डाला, फिर उसे खाने लगे। मैंने मम्मी से पापा को घी देने को कहा, तो मम्मी बोली, “बाद में दे दूंगी,” और हंसने लगी।
पापा ने खाना खाया और आराम करने लगे। मैं भी उनके साथ बेड पर सो गई। थोड़ी देर बाद मम्मी भी काम खत्म करके सो गई। दोपहर को मेरी नींद खुली। मुझे भूख लगी थी। मैं उठी, तो पापा और मम्मी सो रहे थे। मैं रसोई में गई, रोटी ली, शक्कर डाली, और घी डालने लगी, तो सुबह वाली बात याद आ गई। मैं हंसते हुए कमरे में आई।
पापा सीधे सोए थे, और उनका लंड खड़ा था। मैं शक्कर की कटोरी लेकर बेड पर आई और पापा का लंड हिलाने लगी। पापा जाग गए। मैं बोली, “मुझे भी आपका घी चाहिए।” पापा हंसने लगे। वो उठकर बैठ गए। मैंने उनके पैरों के बीच कटोरी रखी और लंड हिलाने लगी। पापा ने मेरा एक बूब दबाना शुरू किया। हमारी बातें सुनकर मम्मी जाग गई। मम्मी ने भी पापा का लंड नीचे से पकड़ लिया। हम दोनों हिलाने लगी, तो पापा झड़ गए। उनका सारा पानी कटोरी में गया। मैंने उसे शक्कर में मिलाया, और मैंने और मम्मी ने रोटी खाई। बहुत मजा आया।
फिर हमने चाय पी और अपने काम में लग गए। शाम को खाना खाकर जल्दी सो गए। सुबह जल्दी उठ गए। हमें वॉक पर जाना था। मम्मी चाय बनाकर लाई। चाय पीकर मम्मी काम में लग गई। मैंने एक नाइटी पहनी, और पापा ने लुंगी बांधी। हम वॉक पर निकल गए। घर से बाहर सड़क पर चलने लगे। तब तक अंधेरा था। मेरी नाइटी ऐसी थी कि कमर पर लेस बांधा जाता था, लेकिन बूब्स और चूत ढकने पड़ते थे।
रोड पर चलते हुए पापा ने लुंगी खोलकर कंधे पर डाल ली। मैंने भी नाइटी साइड करके बूब्स बाहर निकाल लिए। पापा मेरे बूब्स बार-बार दबा देते। थोड़ा चलने के बाद पापा ने मुझे नंगी होने को कहा। मैंने नाइटी का लेस खोला और हाथ में ले लिया। पापा ने मेरी नाइटी ले ली। हम दोनों नंगे चल रहे थे। दिन निकल आया था, तो हम सड़क से हटकर झाड़ियों के पीछे चले गए।
वहां पापा ने लुंगी बिछाई। मेरे बूब्स दबाकर और किस करके मुझे गर्म कर दिया। फिर मुझे लुंगी पर घोड़ी बनने को कहा। मैं बन गई। पापा पीछे से लंड डालकर चुदाई करने लगे। मेरे दोनों छेद उनके सामने थे, तो वो कभी चूत में डालते, कभी गांड में। बाहर नंगे होकर चुदाई का मजा ही अलग था। पापा झड़ गए, तो मैं सीधी लेट गई, और पापा मेरे साथ लेट गए।
मैं फिर से पापा का लंड हिलाने लगी। पापा ने चलने को कहा, तो हम नंगे ही चल पड़े। इस बार हम रोड से नहीं, खेतों से होकर गए। सोचा, कोई मिलेगा, तो कपड़े पहन लेंगे, लेकिन कोई नहीं मिला। हम घर के पीछे से अंदर आए। मैंने मम्मी को सब बताया। मैंने कहा, “कल हम तीनों वॉक पर चलेंगे।” मम्मी बोली, “ठीक है। सुबह-सुबह कोई नहीं होता, तो कैसे भी घूमो।” मैंने कहा, “हां।”
अगले भाग में बताऊंगी कि मम्मी के साथ वॉक कैसे की…
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2 thoughts on “पापा के साथ मॉर्निंग वॉक”