Papa ke dosto ne milkr choda हेलो दोस्तों, सरोज की तरफ से खुली टांगों का नमस्ते। मैं सरोज, उम्र 18 साल, एकदम कड़क माल, गोरी, लंबे काले बाल, और फिगर ऐसा कि किसी का भी लंड खड़ा हो जाए—34-26-36। स्कूल में मेरी दोस्ती कुछ अमीरजादी लड़कियों से हुई। मैं मिडिल क्लास से हूँ, पॉकेट मनी कम थी, तो मैंने एक अमीरजादे को अपना आशिक बना लिया। वो मुझे महंगे-महंगे गिफ्ट्स देता—कपड़े, मोबाइल, गोल्ड की चेन, सब कुछ। हमारा अफेयर 3 महीने चला। दसवें दिन ही उसने मेरी सील तोड़ दी और मुझे चुदाई के समंदर में डुबो दिया। लेकिन फिर उसका एक्सीडेंट हो गया, टांग टूट गई। मैं उससे मिलने गई, बोली, “जल्दी ठीक हो जाओ, बाबू।” पर अब वो बिस्तर पर था, और मेरी चूत में आग लगी थी।
एक रात की बात है, रात के 9 बज रहे थे। पापा के दो दोस्त घर आए—रमेश अंकल और सुंदर अंकल। रमेश अंकल, 42 साल के, मोटे-ताजे, चौड़ी छाती, बालों से भरी, और सुंदर अंकल, 45 के, काले, लंबे, और मद्रासी टाइप, शरीर ऐसा कि जिम में घंटों पसीना बहाया हो। दोनों तीन दिन के लिए आए थे। मम्मी नानी के यहाँ गई थीं, घर में बस मैं, मेरी छोटी बहन रिया (16 साल, अभी चुदाई की दुनिया से दूर), और पापा थे। हमने उनकी खूब खातिरदारी की। डिनर हुआ, पापा ने दारू पिलाई, माहौल गर्म था। मैं और रिया ने खाना परोसा, चाय-पानी का इंतजाम किया। फिर मैं उन्हें गेस्ट रूम दिखाने गई।
रूम में पहुंची तो रमेश अंकल बाथरूम में फ्रेश होने गए थे। सुंदर अंकल कमरे में चेंज कर रहे थे। उन्होंने बनियान पहन रखी थी, पजामा पहनने वाले थे। मैं पानी का जग लेकर गई। मेरी नजर अनजाने में उनके फूले हुए लंड पर पड़ी। कच्छे में उनका लंड ऐसा लग रहा था जैसे जंगल का कोई जंगली जानवर, तैयार था फटने को। कई दिनों से मैं चुदी नहीं थी, मेरी चूत में आग लग गई। उनका मांसल शरीर, छाती के घने बाल, और वो फूला हुआ लंड—मैं बस देखती रह गई। जल्दी से जग रखा और बाहर निकल आई, लेकिन मन में वासना का तूफान उठ चुका था।
रात गहरा गई थी। रिया सो चुकी थी। पापा ऊपर वाले कमरे में दारू के नशे में खर्राटे मार रहे थे। मैं अपने बेड पर थी, लेकिन नींद कहाँ? बार-बार सुंदर अंकल का वो फूला लंड मेरी आँखों के सामने आ रहा था। मैंने दरवाजा हल्का सा बंद किया, परदा खींचा, और बेड पर बैठ गई। चूत में खुजली हो रही थी। मैंने पजामा नीचे सरकाया, अपनी चिकनी जांघों पर हाथ फेरा। उंगलियां धीरे-धीरे चूत की तरफ बढ़ीं। चूत पहले से गीली थी, जैसे पानी का झरना बह रहा हो। मैंने एक उंगली अंदर डाली, फिर दूसरी। “आह्ह…” हल्की सी सिसकारी निकली। मैं मस्त होने लगी, चूत को रगड़ते हुए आँखें बंद कर लीं।
अचानक मुझे लगा कोई देख रहा है। परदे के पीछे से सुंदर अंकल की आँखें चमक रही थीं। वो सब कुछ देख रहे थे। मैंने अनजान बनने का नाटक किया, लेकिन मेरी चूत और गीली हो गई। मैं किचन में पानी लेने गई। अचानक पीछे से किसी ने मेरी पतली कमर पर मजबूत बाहें डाल दीं। मैं चौंक गई। मुड़ी तो सुंदर अंकल थे। उनकी आँखों में वासना की आग थी। मैं कुछ बोल पाती, उससे पहले वो मुझे किचन की शेल्फ से टिका कर मेरे होंठ चूसने लगे। “उम्म्म…” मैंने विरोध नहीं किया, बस उनकी बाहों में समा गई। उनका एक हाथ मेरी टी-शर्ट के अंदर गया, मेरे 34 के मम्मों को दबाने लगा। दूसरा हाथ मेरी पैंटी में घुस गया, चूत को मसलने लगा। मेरी चूत पहले से गीली थी, उनकी उंगलियां फिसल रही थीं। “आह्ह… अंकल…” मैं सिसक रही थी।
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तभी रमेश अंकल भी किचन में आ गए। उनकी आँखों में भी वही भूख थी। दोनों मुझ पर टूट पड़े। सुंदर अंकल ने मुझे गोद में उठाया और बेडरूम में ले गए। दरवाजा बंद किया और मुझे बेड पर फेंक दिया। “कपड़े उतार, रंडी,” रमेश अंकल ने गरजते हुए कहा। मैंने अपनी टी-शर्ट और पजामा उतार दिया। अब मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। दोनों अंकल ने अपने कच्छे उतारे। रमेश अंकल का लंड 6 इंच का, मोटा, और भूरा। सुंदर अंकल का 8 इंच का, काला, मोटा, और ऐसा कि देखकर मेरी चूत में और आग लग गई।
मैं घुटनों पर बैठ गई। रमेश अंकल का लंड मुंह में लिया। “उम्म… आह्ह…” मैं चूस रही थी, जैसे कोई लॉलीपॉप हो। दूसरे हाथ से सुंदर अंकल का लंड हिलाने लगी। उनकी सिसकारियां कमरे में गूंज रही थीं। “चूस, रंडी… और जोर से,” रमेश अंकल बोले। मैं बारी-बारी दोनों के लंड चूस रही थी। मेरे होंठ उनके लंड पर फिसल रहे थे, गीले और गर्म। सुंदर अंकल ने मुझे बेड पर सीधा लिटाया। मेरी टांगें चौड़ी कीं और अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ा। “आह्ह… अंकल, धीरे…” मैंने कहा, लेकिन मेरी आवाज में वासना थी।
रमेश अंकल ने अपना 6 इंच का लंड मेरी चूत में धीरे से डाला। “उफ्फ… आह्ह…” मेरी सिसकारी निकली। उनका लंड ज्यादा लंबा नहीं था, लेकिन मोटा था। मेरी चूत को भर रहा था। वो धीरे-धीरे धक्के मारने लगे। “लंड कैसा है, रंडी?” उन्होंने पूछा। “आह्ह… मस्त, अंकल… और जोर से,” मैंने सिसकते हुए कहा। मैं नीचे से चूतड़ हिलाने लगी, उनके धक्कों का जवाब दे रही थी। सुंदर अंकल का लंड मैं मुंह में चूस रही थी। उनकी गंध, उनका स्वाद, मेरे होश उड़ा रहा था।
6-7 मिनट बाद रमेश अंकल झड़ गए। उनका गर्म माल मेरी चूत में छूटा। “आह्ह… उफ्फ…” मैं सिहर उठी। लेकिन मेरी चूत अभी भूखी थी। अब सुंदर अंकल की बारी थी। उन्होंने मुझे पलटा, चूतड़ के नीचे तकिया रखा। उनका 8 इंच का काला लंड मेरी चूत पर रगड़ा। “तैयार है, रंडी?” उन्होंने पूछा। “हाँ, अंकल… डाल दो… फाड़ दो मेरी चूत,” मैंने कहा। उन्होंने एक जोरदार धक्का मारा। “आआह्ह… मम्मी…” मैं चीख पड़ी। उनका लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर गया। दर्द हुआ, लेकिन मजा दस गुना ज्यादा।
वो जोर-जोर से धक्के मारने लगे। “सीईई… आह्ह… अंकल, और जोर से… फाड़ दो मेरी चूत…” मैं चिल्ला रही थी। मेरे मम्मे हिल रहे थे, वो उन्हें जोर-जोर से दबा रहे थे। फिर उन्होंने मुझे घोड़ी बनाया। पीछे से उनका लंड मेरी चूत में घुसा। “पच… पच…” चुदाई की आवाज कमरे में गूंज रही थी। “रंडी, तेरी चूत तो जन्नत है,” सुंदर अंकल बोले। “आह्ह… अंकल, चोदो… मेरी चूत तुम्हारी है…” मैं सिसक रही थी।
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तभी रमेश अंकल ने मुझे पेग पिलाया। मैंने एक घूंट लिया, गर्मी और बढ़ गई। सुंदर अंकल ने मुझे फिर से सीधा किया। मेरी टांगें कंधों पर रखीं और लंड पेल दिया। “आह्ह… सीईई… फाड़ दो, अंकल… मेरी चूत झड़ने वाली है…” मैं चिल्ला रही थी। उनकी रफ्तार बढ़ गई। मेरी चूत और उनका लंड एक साथ झड़ गए। गर्म माल मेरी चूत में भरा, मैं तृप्त हो गई।
लेकिन सुंदर अंकल रुके नहीं। अब उनकी नजर मेरी गांड पर थी। उन्होंने मुझे फिर से घोड़ी बनाया। मेरी गांड पर थूक लगाया, उंगली डाली। “आह्ह… अंकल, धीरे…” मैंने कहा। लेकिन वो नहीं माने। उनका 8 इंच का लंड मेरी गांड में धीरे-धीरे घुसा। “उफ्फ… मर गई…” मैं सिसक रही थी। दर्द हो रहा था, लेकिन मजा भी आ रहा था। वो धीरे-धीरे धक्के मारने लगे। “रंडी, तेरी गांड तो और टाइट है,” वो बोले। “आह्ह… अंकल, फाड़ दो… मेरी गांड तुम्हारी है…” मैं चिल्ला रही थी।
क्या आपको मेरी ये चुदाई की कहानी पसंद आई? कमेंट में बताइए, और क्या हुआ अगली रात, वो भी जल्दी सुनाऊँगी।