पापा के चार फौजी दोस्त – भाग 2

मैं मनप्रीत जरा भी टाइम वेस्ट न करते हुए, सीधे आगे की कहानी बता रही हूँ।

कहानी का पिछला भाग: पापा के चार फौजी दोस्त – भाग 1

फिर राणा अंकल और सिंह अंकल पापा को मोटे-मोटे पेग बना कर दे रहे थे। मैं समझ गई, ये साले पापा को जल्दी से टुन्न करना चाहते हैं। पर मेरे पापा इतनी जल्दी टुन्न नहीं होते, शायद इन चूतियों को ये बात पता नहीं थी।

अब मैं सिंह अंकल के पास गई, और उन्होंने मेरी कमर पर अपना हाथ चलना शुरू कर दिया। वो मेरे बूब्स को छूना चाहते थे, पर वो ये चाह कर भी ऐसा नहीं कर पाते। क्योंकि सामने पापा बैठे थे, फिर मैंने अपना दिमाग लगाया।

मैंने अपने बाल खोले और अपने बूब्स के ऊपर गिरा दिए, अब सिंह अंकल ने मेरी कमर में हाथ चलाकर दूसरी तरफ से हाथ निकाल कर मेरे बूब्स को मसलने लग गए। मैं मस्ती में अपने बूब्स मसलवा रही थी। मेरा अब बुरा हाल हो रहा था। मैं चाहती थी, कि कोई मेरे बूब्स को अपने हाथों में कस कर पकड़ कर मसल दे।

सिंह अंकल की हरकत सब देख रहे थे, पर पापा नहीं देख रहे थे। वो सब अपनी बारी आने का वेट कर रहे थे। अब मुझसे और बर्दाश्त नहीं हुआ, मैंने राणा अंकल को बाहर आने का आँखों ही आँखों में इशारा किया और मैं पापा से बोली।

मैं – पापा मैं सोने जा रही हूँ। मुझे बहुत नींद आ रही है।

पापा – ठीक है बेटी, गुड नाइट।

मैं बाहर रूम के साइड में अंधेरे में खड़ी हो गई। मेरे जाने के करीब 30 सेकंड बाद ही राणा अंकल फोन सुनने का बहाना लगा कर बाहर आ गए। उन्होंने बाहर आते ही मुझे पकड़ लिया और मेरे होंठों को जोर-जोर से चूसने लग गए।

साथ ही वो मेरे बूब्स को भी जोर-जोर से मसल रहे थे। उनका खड़ा लंड मेरी प्यासी चूत से लग रहा था। तभी अंदर से पापा ने आवाज मारी और बोले।

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पापा – ओए राणे आजा, अब घर जा कर बात कर लियो और से, आज अपने दोस्तों से तो कर ले।

पापा की आवाज सुन कर वो अंदर चले गए और थोड़ी देर बाद वर्मा अंकल मेरे पास आए और वो भी मेरे होंठों को चूसने लग गए, और एक हाथ से मेरे बूब्स को मसलने लग गए। वो मेरे चूतड़ों को भी मसल रहे थे, कुछ देर बाद वो चले गए।

फिर सैनी अंकल आए, वो भी औरों की तरह मेरे बूब्स और मेरी गांड को मसल कर वहाँ से चले गए। उसके बाद राणा अंकल आए और वो मुझे मसलने लग गए, मैं अब तक पागल हो चुकी थी। इसलिए मैं नीचे बैठी और उनकी पैंट खोल कर मैं उनका लंड बाहर निकाल लिया।

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मैं नीचे बैठ कर उनका लंड जोर-जोर से चूसने लग गई। करीब 2 मिनट तक लंड चूसने के बाद मैं खड़ी हुई और गुस्से में बोली।

मैं – क्या मैं सारी रात ऐसे ही बाहर खड़ी रहूँगी। इससे अच्छा तो मैं नीचे जा कर अपनी चूत में उंगली कर के सो जाती हूँ।

मेरी ये बात सुन कर राणा अंकल ने मेरे होंठों को जाम कर चूसा और बोले – मेरी जान बस 5 मिनट रुक फिर देख।

वो अंदर गए, वो पूरे 5 मिनट बाद राणा और सिंह अंकल बाहर आए और बोले – हाँ तो हमारी रंडी, तुम खुद अंदर चलोगी या गोद में उठा कर ले कर चलें।

मुझे सच में यकीन नहीं हो रहा था, कि पापा इतनी जल्दी कैसे लुढ़क गए हैं। फिर सिंह अंकल मुझे उठा कर अंदर ले गए, अंदर मैंने देखा कि पापा सच में चेयर पर लुढ़क कर पड़े हुए थे।

मैं – अंकल पहले पापा को दूसरे रूम में छोड़ आयो।

राणा – क्यों, पापा के सामने चुदने में अब शरम आ रही है। साली रानी पहले तो पापा के सामने ही हमें अपने बूब्स दिखा रही थी। अब क्या हुआ, ज्यादा सती सावित्री बन रही है। तेरी माँ की चूत साली, आज तुझे तेरे बाप के सामने ही रंडी की तरह चोदेंगे, देखती जा बस।

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मैं – ठीक है, फिर देख क्या रहे हो, चोदो अपनी माँ को सा’लो।

फिर सैनी और वर्मा अंकल ने मुझे पकड़ कर बेड पर लेटा दिया, एक मेरे होंठों का रस्स चूसने लग गया, और दूसरा मेरे बूब्स को ऊपर से ही चूसने लग गया। तभी राणा अंकल चिल्लाते हुए बोले।

राणा – सा’लो चूतियों, ये क्या कर रहे तुम सब, सा’लो लोडे हो क्या। इतनी मस्त रंडी मिली है, पूरी रात अभी बाकी, साली के आराम से मजे लेंगे इसके।

राणा अंकल की बात सुन कर उन्होंने मुझे छोड़ दिया, फिर मैं उठ कर सोफे पर बैठ गई, फिर राणा अंकल बोले – बैठी क्या साली, पेग बना आज हम सब के लिए।

मैंने मोटे-मोटे चार पेग बनाए। फिर चारों ने पेग पिए और राणा अंकल फिर से बोले – साली तू भी अपने लिए बना और इधर नीचे आ कर बैठ बहन की लोड़ी।

मैं उनकी बात सुन कर अपने लिए एक पेग बनाया और फिर मैं नीचे बैठ गई। कुछ देर में सब ने अपना लंड बाहर निकाला और मेरे चारों तरफ खड़े हो गए। मेरे चारों 7 इंच लंबे लंड थे, जो एकदम खड़े थे।

फिर मैंने एक-एक लंड को अपने ग्लास में डुबा कर एक-एक लंड को चूसा। शर्मा अंकल का लंड का पानी निकलने वाला था, इसलिए मैं उनके लंड को जोर-जोर से चूसने लग गई। उन्होंने अपने लंड का सारा पानी मेरे ग्लास में ही निकाल दिया।

ऐसे करके मैं सबके लंड का पानी अपने ग्लास में भरा और उनके सामने एक ही झटके में दारू और उनके सबके लंड के पानी को पी गई। जब मैंने ये पिया तो वो सब मुँह देख रहे थे।

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अभी राणा अंकल आराम से सोफे पर बैठे हुए थे। इसलिए मैं उनके पास गई और उनके लंड को मुँह में ले कर मैं उनके लंड को जोर-जोर से चूसने लग गई। कुछ ही देर में उनके लंड का पानी मैंने चूस-चूस कर निकाल दिया। मैंने उनके लंड के सारे पानी को पी लिया।

फिर उसके बाद शर्मा अंकल बेड पर सीधे लेट गए। उनका लंड पूरा खड़ा छत की तरफ देख रहा था। फिर वो मुझे बुलाते हुए बोले।

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शर्मा अंकल – बहन की लोड़ी अब चूस-चूस कर क्या खून निकालेगी क्या, चल इधर आ अपने बाप के लंड पर बैठ और अपनी चूत मरवा, इधर आ जल्दी।

मैं उठ कर बेड पर गई और पहले उनके लंड को चूस-चूस कर गीला कर दिया। फिर मैं उनके लंड पर धीरे-धीरे बैठ कर उनका लंड अंदर लेने लग गई। मेरी चूत में इतना बड़ा लंड कभी नहीं गया था। इसलिए मुझे काफ़ी दर्द हो रहा था।

पर मुझे क्या पता था कि ये दर्द तो सिर्फ़ अब शुरूआत है। जैसे ही मेरी चूत में पूरा लंड अंदर तक चला गया। तभी अंकल ने मेरी गांड को पकड़ा और जोर-जोर से मेरी चूत को चोदने लग गए। वो अपने लंड को गन की तरह चला रहे थे।

मुझे ऐसा लग रहा था, मानो मेरी चूत में गोलियाँ चल रही हों। अब मेरे मुँह से जोर-जोर से आह आह की आवाजें निकल रही थीं। इसलिए वर्मा अंकल खड़े हुए और मेरे मुँह में अपना लंड ठूंस दिया। जिससे मेरी आवाज बाहर ही नहीं आई।

पर मुझे क्या पता था, कि वो अपना लंड मेरे मुँह में डाल कर गीला कर रहे हैं। जब उनका लंड मेरे मुँह की थूक से अच्छे से गीला हो गया। तभी उन्होंने लंड बाहर निकाला और मेरे पीछे आ कर मेरी गांड पर अपना लंड लगाया।

फिर एक जोरदार धक्के से मेरी गांड में अपना आधा लंड उतार दिया। दर्द के मारे मेरी जान निकलने वाली थी। तभी सैनी अंकल आए और सीधा मेरे गले में अपना लंड सेट कर दिया। अब मेरी आवाज जरा सी भी बाहर नहीं आ रही थी, वो दोनों नीचे से मेरी गांड और चूत को जोर-जोर से चोद रहे थे।

मैंने कभी ऐसी दर्द भरी चुदाई सपने में भी नहीं सोची थी। करीब 10 मिनट वर्मा अंकल ने अपने लंड का पानी मेरी गांड में पूरा भर दिया और फिर अपना लंड मेरी गांड से निकाला। मेरी गांड बहुत ज्यादा दर्द कर रही थी।

राणा अंकल उठे और बोले – ले बहन चोद कुत्ती, ये एक मोटा पेग पी ले, तुझे दर्द का पता नहीं चलेगा।

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उन्होंने जबरदस्ती मुझे दारू पिला दी। फिर मुझे नशा सा होने लग गया। फिर राणा अंकल ने मुझे घोड़ी बना दिया, और पीछे से अपना लंड मेरी गांड में डाला और मेरी गांड को जोर-जोर से चोदने लग गए। मेरे मुँह से आवाज ना आए इसलिए कोई ना कोई मेरे मुँह को अपने लंड से बंद कर देता था।

मैं मस्ती में अब उन सब से चुद रही थी, मुझे नशे में थोड़ा-थोड़ा याद है। जब दारू खत्म हो गई थी, तो सब ने मुझे अपने मूत यानी पेशाब के पेग बना-बना कर पिलाए।

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मैंने उन सब का करीब 4-5 बार पानी निकाला और पिया था। फिर रात को ना जाने कब तक चुदाई चली और हम सब वहीं पर सो गए। सुबह मेरी आँख 4 बजे उठी और मैंने देखा कि मेरी चूत और गांड से खून निकल रहा था। मुझसे चला भी नहीं जा रहा था।

मेरे पापा चेयर पर बैठे हुए नशे में सोए हुए थे। मैं उठी, पर मुझसे चला तक नहीं जा रहा था। मैं जैसे जमीन पर रेंगते हुए बाहर आई और फिर दीवार का सहारा ले कर नीचे अपने रूम में गई।

रूम में जा कर मैंने देखा कि मेरी चूत और गांड पूरी सूजी हुई है। चूत का सबसे ज्यादा बुरा हाल बना हुआ था। फिर मैं बेड पर लेट गई और सुबह भी 11 बजे उठी, पर फिर भी मुझसे चला नहीं जा रहा था।

मैं बुखार का बहाना लगा कर बेड पर ही पड़ी रही। 1 बजे जब सब पापा के दोस्त जाने लगे तो सबने मेरा माथा चूमा और मुझे कहा कि जल्दी हम फिर से मिलेंगे।

सालों ने मेरी चूत और गांड का भोसड़ा बना दिया था। मैं 2 दिन तक बेड से उठ नहीं पाई। जब तक मेरी चूत और गांड नॉर्मल नहीं हुई, तब तक मैं अपने पति के पास नहीं गई।

साले माँ के लोड़ों ने मुझे मेरे बाप के सामने ही रंडी से भी बुरे तरीके से चोदा था। कसम से आज भी मेरे मुँह से उनके पेशाब की बदबू काफ़ी बार आती है। उन चारों बहन के लोड़ों, माँ के चोदो को कभी नहीं भूल सकती।

मुझे उम्मीद है, कि आपको मेरी कहानी में मजा आया होगा। जाते-जाते प्लीज कहानी को लाइक और डिसलाइक जरूर करें।

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