पाकिस्तानी लड़की की कुँवारी चूत का मजा लिया

मेरा नाम मनी है, और ये कहानी मेरे दिल और जिस्म में आग लगाने वाली एक ऐसी घटना की है, जो आज से छह महीने पहले कराची की तंग गलियों में घटी। कराची का वो मोहल्ला, जहाँ सुबह-सुबह अज़ान की आवाज़ गूँजती थी, दोपहर में बिरयानी की खुशबू हवा में तैरती थी, और शाम को स्कूटरों की खटपट के बीच बच्चे गलियों में क्रिकेट खेलते थे। मैं 22 साल का कॉलेज स्टूडेंट था, चेहरा ठीक-ठाक, लेकिन बातों का जादू ऐसा कि लड़कियाँ मेरी हँसी पर फिसल जाती थीं। फिर भी, मेरी ज़िंदगी में एक खालीपन था—कॉलेज, घर, और दोस्तों की बकवास, बस यही रुटीन। तभी मेरी नज़र जरीन पर पड़ी।

जरीन, हमारी गली की वो लड़की, जिसे देखकर हर लड़के का लंड तन जाता था। 18 साल की, गोरी-चिट्टी, बड़ी-बड़ी काली आँखें, और शलवार-कमीज़ में ढला हुआ जिस्म, जैसे चाँद ज़मीन पर उतर आया हो। उसकी कमर की लचक और दुपट्टे के नीचे झाँकते मम्मों की उभार मेरे होश उड़ा देती थी। मुझे पता चला कि जरीन की मेरी कज़िन से पुरानी दोस्ती थी, लेकिन किसी छोटी-मोटी बात पर उनकी लड़ाई हो गई थी। अब वो एक-दूसरे से मुँह फेर चुकी थीं। मैंने सोचा, यही मौका है जरीन के करीब जाने का। उसका चेहरा मेरे दिमाग में दिन-रात घूमता था—वो हँसी, वो नज़रें, और वो जिस्म, जो मेरे सपनों में मुझे तड़पाता था।

एक दोपहर, जब गर्मी से पसीना चू रहा था और गली में सन्नाटा पसरा था, मैंने जरीन के घर की डोरबेल बजा दी। दरवाज़ा खुला, और जरीन सामने खड़ी थी। उसकी हल्की गुलाबी कमीज में से उसकी ब्रा की आउटलाइन साफ़ दिख रही थी, और उसका दुपट्टा कंधे से लटक रहा था। मैंने बहाना बनाया, “जरीन, आंटी घर पर हैं? मम्मी ने कुछ सामान माँगा था।” मैं जानता था कि उसकी माँ मेरी माँ की दोस्त है, तो ये सवाल सही था। जरीन ने शरमाते हुए कहा, “नहीं, माँ तो बाजार गई हैं, मैं अकेली हूँ।” उसकी आवाज़ में हल्की सी कँपकँपी थी, और मेरे दिमाग में लड्डू फूटने लगे।

मैंने मौका नहीं छोड़ा। “जरीन, मुझसे कुछ ज़रूरी बात करनी है।” उसने चौंककर पूछा, “क्या बात?” मैंने जानबूझकर गंभीर लहज़ा अपनाया, “बात लंबी है, क्या मैं अंदर आ जाऊँ?” वो हिचकिचाई, उसकी आँखें इधर-उधर घूमीं, फिर बोली, “नहीं, आप मुझे फोन कर लो। अभी घर में कोई नहीं है, ठीक नहीं लगेगा।” मैंने तुरंत अपने मोबाइल से उसके घर के नंबर पर कॉल की। फोन की घंटी बजी, और उसने उठाया। मैंने पूछा, “जरीन, तुम अब मेरी कज़िन से बात क्यों नहीं करती?” उसने ठंडी साँस लेते हुए कहा, “बस, कुछ गलतफहमियाँ हुईं। मैं अब उससे बात नहीं करना चाहती।”

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मैंने मौका देखकर अपनी चाल चली। “जरीन, सच कहूँ, मुझे तुम बहुत पसंद हो। तुम्हारी हँसी, तुम्हारी बातें, सब कुछ। क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगी?” फोन पर सन्नाटा छा गया। वो सोच में डूब गई, फिर धीरे से बोली, “मुझे नहीं पता, मनी। मुझे सोचने का वक़्त चाहिए।” उसने फोन काट दिया, लेकिन मेरे दिल में उम्मीद की चिंगारी जल चुकी थी। अगले दिन, मैं अपनी बाइक साफ कर रहा था। गली में धूल उड़ रही थी, और पसीने से मेरी कमीज़ पीठ से चिपक गई थी। तभी मेरे फोन पर एक मिस्ड कॉल आई—जरीन का नंबर! मेरा दिल ज़ोरों से धड़कने लगा। मैंने तुरंत उसके घर के फोन पर कॉल किया। उसने आधी घंटी में फोन उठाया और कहा, “ठीक है, मनी। मैं तुमसे दोस्ती करूँगी।”

मैं खुशी से उछल पड़ा। हमने कुछ देर बात की—उसकी कॉलेज की बातें, उसकी पसंद-नापसंद, और उसकी हँसी, जो मेरे कानों में मिश्री घोल रही थी। मैंने उसे समझाया, “जरीन, हमारी दोस्ती की बात किसी को नहीं पता चलनी चाहिए। ये सिर्फ हमारा राज है关键

फिर मैंने उसे अपने घर बुलाया, क्योंकि मेरे घरवाले शहर से बाहर गए थे। शाम पाँच बजे वो मेरे घर आई, उसकी लाल शलवार-कमीज़ में उसका जिस्म और भी मादक लग रहा था। मैंने दरवाज़ा बंद करते ही उसे अपनी बाहों में खींच लिया। उसकी साँसें गर्म थीं, और उसकी आँखों में शरम और उत्सुकता का मिश्रण था। मैंने कहा, “जरीन, मैं तुम्हें चूमना चाहता हूँ।” वो हिचकिचाई, बोली, “नहीं, ये ठीक नहीं।” लेकिन मेरे बार-बार मनाने पर वो पिघल गई। मैंने उसके गुलाबी होंठों को चूमा, उसका मुँह शहद की तरह मीठा था। उस रात हमने खूब चूमाचाटी की, लेकिन वो इससे आगे जाने को तैयार नहीं थी।

अगली दो मुलाकातों में भी यही हुआ—चूमना, गले लगना, और मेरे लंड का तनना। मैं समझ गया कि उसे और वक़्त चाहिए। फिर मैंने नया प्लान बनाया। मैंने कहा, “जरीन, हम बाहर कहीं मिलें, अकेले में।” उसने सोचा, फिर बोली, “ठीक है, मैं कॉलेज का बहाना बना लूँगी।” एक सुबह, उसने अपने अब्बू से कहा कि उसे कॉलेज जाना है। उसके अब्बू उसे बाइक से छोड़ने गए। मैं अपने दरवाज़े पर खड़ा था। जरीन ने जाते-जाते मुझे आँख मारकर इशारा किया। मैंने 20 मिनट बाद अपनी बाइक निकाली और कॉलेज के बाहर पहुँचा। जरीन मेरा इंतज़ार कर रही थी।

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मैंने उसे बाइक पर बिठाया, और हम एक आइसक्रीम पार्लर चले गए। हमने एक कोने की केबिन ली, जहाँ कोई हमें न देख सके। मिल्कशेक और आइसक्रीम ऑर्डर की, और वेटर के जाते ही मैंने जरीन का हाथ पकड़ लिया। उसकी हथेलियाँ नरम और गर्म थीं। मैंने उसके गाल पर चुम्बन जड़ा, फिर उसके होंठ चूसने लगा। उसकी साँसें तेज हो गईं। हमने मिल्कशेक पीते हुए प्यार भरी बातें की। फिर मैंने फिर से चूमना शुरू किया—गाल, होंठ, गर्दन। मैंने उसके कान की लौ चूसी, और जरीन की साँसें सिसकारियों में बदल गईं।

वो इतनी गर्म हो गई थी कि उसने मेरे सीने पर हाथ रखकर मुझे करीब खींच लिया। मैंने पूछा, “जरीन, क्या मैं तुम्हारे जिस्म को छू सकता हूँ?” उसने शरमाते हुए हामी भरी। मैंने उसकी कमीज के ऊपर से उसके 32 साइज़ के मम्मों को दबाया। वो इतने नरम थे, जैसे रुई में आग भरी हो। मैंने उसकी कमीज और ब्रा ऊपर की। उसके गोरे मम्मों और गुलाबी निप्पलों को देखकर मेरा लंड पैंट में तंबू बना चुका था। मैंने एक निप्पल मुँह में लिया और चूसने लगा। जरीन की सिसकारियां तेज हो गईं। मैंने उसकी शलवार के ऊपर से उसकी चूत छुई—वो गीली थी।

मैंने उसकी शलवार नीचे सरकाई। उसकी चूत चिकनी और गोरी थी, जैसे अभी बाल हटाए हों। मैंने उसकी चूत पर उंगली फेरी, और जरीन तड़प उठी। मैंने उसे टेबल पर बिठाया, टांगें फैलाईं, और एक उंगली उसकी चूत में डाली। वो गर्म और गीली थी। मैंने फिंगरिंग शुरू की, और जरीन की सिसकारियां चीखों में बदल गईं। वो दो बार झड़ चुकी थी, उसकी चूत लाल हो गई थी। मैंने उसकी शलवार पूरी तरह उतारी और उसे टेबल पर लिटाया। उसकी टांगें मेरे कंधों पर थीं। मैंने अपनी पैंट खोली, और मेरा 6 इंच का मूसल बाहर निकाला।

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मैंने अपने लंड का टोपा जरीन की चूत पर रखा। उसने घबराकर आँखें खोलीं, बोली, “मनी, प्लीज़, ये मत करो!” मैंने उसका चेहरा अपने हाथों में लिया, चूमा, और कहा, “जरीन, मैं तुम्हें दर्द नहीं दूँगा, सिर्फ प्यार करूँगा।” वो पिघल गई। मैंने उसके मम्मों को चूसा, गर्दन पर चुम्बन बरसाए, और धीरे से लंड का टोपा उसकी चूत में डाला। वो टाइट थी। मैंने हल्का झटका मारा, मेरा आधा लंड घुस गया। जरीन की चीख मेरे मुँह में दब गई। मैं रुका, उसे चूमता रहा। दूसरा झटका मारा, मेरा लंड उसकी कुँवारी चूत की सील तोड़ता हुआ अंदर चला गया। खून की बूँदें टपकीं। मैंने उसकी चूत और मेरा लंड रुमाल से साफ किया। जरीन बोली, “मनी, ये खून?” मैंने कहा, “ये नॉर्मल है, मेरी जान।”

मैंने फिर से लंड डाला, और धीरे-धीरे चुदाई शुरू की। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड रगड़ खा रहा था। जरीन अब मज़े ले रही थी। मैंने रफ्तार बढ़ाई, और उसकी चूत का गीलापन मेरे लंड को चूस रहा था। वो तीन बार झड़ चुकी थी। 15 मिनट बाद मेरा लंड झड़ने को तैयार था। मैंने आखिरी धक्का मारा, और सारा पानी उसकी चूत में उड़ेल दिया। मैं 10 मिनट तक उसी तरह लेटा रहा, मेरा लंड उसकी चूत में डूबा हुआ था।

अचानक मुझे ख्याल आया कि मैंने उसकी चूत में पानी छोड़ दिया। मैंने जरीन को टेबल पर पैरों के बल बैठने को कहा। मैंने एक उंगली उसकी चूत में डाली, और तेजी से फिंगरिंग की। पाँच मिनट बाद मेरा पानी बाहर निकला, और जरीन फिर दो बार झड़ गई। उसकी चूत साफ थी, और मैंने राहत की साँस ली।

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