पैसों के लिए कुंवारी बहन को गांव के जमींदार से चुदवाया

मैं विजय, आप सभी का अपनी चुदाई की कहानियों में दिल से स्वागत करता हूँ। आज मैं आपको अपनी जवान बहन पूजा की चुदाई की कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जो मेरे जीवन का एक कड़वा सच है। उम्मीद है ये कहानी आपको पसंद आएगी और आप इसे पढ़कर मेरे दर्द को समझ सकेंगे।

मैं गोंडा का रहने वाला हूँ, उम्र 28 साल, कद 5 फीट 10 इंच, रंग सांवला, और मेहनतकश शरीर वाला एक साधारण इंसान। मेरे घर में मेरी माँ, 45 साल की, साधारण गृहिणी, जिनका चेहरा मेहनत और चिंता की लकीरों से भरा है, मेरे पिताजी, 50 साल के, एक किसान, जिनकी कमर अब सालों की मेहनत से झुक चुकी है, और मेरी छोटी बहन पूजा, 20 साल की, जो गांव की सबसे खूबसूरत और जवान लड़की है। पूजा का रंग गोरा, कद 5 फीट 6 इंच, फिगर 34-32-36, और उसकी आँखें इतनी गहरी कि हर कोई उसे देखकर ठहर जाए। उसके लंबे काले बाल और भरा हुआ बदन उसे और भी आकर्षक बनाता था। गांव के लड़के उसे देखकर सिसकारियां भरते थे, और उसकी चाल में एक अजीब सी मासूमियत थी जो हर किसी को लुभाती थी।

हमारा परिवार पहले खुशहाल था। हमारे पास 40 बीघा जमीन थी, खेती अच्छी चलती थी, और घर में सुख-चैन था। लेकिन धीरे-धीरे हालात बिगड़ते गए। पिताजी ने खेती के लिए कर्ज लिया, फसलें खराब हुईं, और हमारी सारी जमीन गांव के जमींदार चौधरी विक्रम सिंह चौहान के पास गिरवी रखनी पड़ी। विक्रम सिंह, 45 साल का एक ताकतवर और ठरकी इंसान, जिसका कद 6 फीट, भारी-भरकम शरीर, और चेहरे पर हमेशा एक दबंगई भरी मुस्कान रहती थी। उसके पास पैसा, ताकत, और 12-13 गुंडों की फौज थी, जिसके कारण गांव में उसका खौफ था। वो गांव की जवान बहू-बेटियों को मौका मिलते ही अपनी हवस का शिकार बना लेता था। उसकी नजरें हमेशा नई और खूबसूरत लड़कियों की तलाश में रहती थीं।

पिताजी का कर्ज बढ़ता गया, और एक बार फिर हमें विक्रम सिंह के पास जाना पड़ा। इस बार हमें 50 हजार रुपये की सख्त जरूरत थी। खेती के लिए बीज, खाद, और पानी का इंतजाम करना था, नहीं तो हम भुखमरी की कगार पर पहुंच जाते। लेकिन विक्रम सिंह ने साफ मना कर दिया। उसने कहा, “तेरे ऊपर पहले से 2 लाख का कर्ज है, और ब्याज भी बाकी है। अब और कर्ज नहीं मिलेगा।” पिताजी ने हाथ जोड़कर मिन्नतें कीं, “मालिक, बस इस बार मदद कर दीजिए, बहुत जरूरत है।” लेकिन विक्रम सिंह ने हमारी मजबूरी का फायदा उठाने की ठान ली। उसने कहा, “ठीक है, अपनी 40 बीघा जमीन के कागज लाओ, गिरवी रख दो।” ये सुनकर मेरे और पिताजी के होश उड़ गए। हमारी सारी जमीन पहले से उसके पास थी, और अब वो बची-खुची जमीन भी हड़पना चाहता था।

मैंने हिम्मत जुटाकर कहा, “मालिक, कागज तो कहीं खो गए हैं, घर में नहीं मिल रहे। क्या आप कुछ और नहीं ले सकते जमीन की जगह?” ये सुनते ही विक्रम सिंह के चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान उभरी, जैसे वो यही सुनना चाहता था। उसने दबंग अंदाज में कहा, “ठीक है, अपनी जवान बहन पूजा की चूत मुझे दिला दे, जितना कर्ज चाहिए ले जा।” उसकी ये बात सुनकर मैं और पिताजी सन्न रह गए। हमारी आँखों के सामने अंधेरा छा गया। हम उदास होकर घर लौट आए।

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घर में सन्नाटा था। माँ और पूजा को कुछ नहीं पता था, लेकिन मेरे दिमाग में बार-बार विक्रम सिंह की बातें गूंज रही थीं। गांव में कोई और पैसा देने वाला नहीं था। कर्ज चुकाने और खेती शुरू करने के लिए पैसों की सख्त जरूरत थी। कई दिन बीत गए, हालात बद से बदतर होते गए। आखिरकार, मैंने अपने दिल पर पत्थर रखकर फैसला किया कि पूजा को विक्रम सिंह के पास ले जाऊंगा। ये मेरे लिए आसान नहीं था। पूजा मेरी छोटी बहन थी, मेरी जान, लेकिन परिवार की मजबूरी ने मुझे इस कदम तक ला खड़ा किया।

अगली शाम, मैंने माँ और पिताजी को बिना बताए, पूजा को बहाना बनाकर विक्रम सिंह की हवेली ले गया। मैंने कहा, “पूजा, बस थोड़ा काम है, मेरे साथ चल।” पूजा ने मेरी बात मान ली, लेकिन उसकी आँखों में एक अजीब सा डर था। वो 20 साल की जवान लड़की थी, समझदार थी, और शायद उसे अंदाजा हो गया था कि कुछ गलत होने वाला है। हवेली पहुंचते ही मैंने विक्रम सिंह से कहा, “मालिक, मैं अपनी बहन को ले आया हूँ।” पूजा मेरी तरफ डर और हैरानी से देखने लगी। उसकी आँखें सवाल कर रही थीं कि मैंने ऐसा क्यों किया।

मैंने पूजा की तरफ इशारा करते हुए कहा, “मालिक, मेरी बहन जवान तो हो गई है, लेकिन अभी नादान है। प्लीज, थोड़ा रहम करना, इसकी शादी भी करवानी है।” विक्रम सिंह ने ठहाका लगाया और मुझे घर जाने को कहा। मैं अपनी मासूम, भोली बहन को उस हैवान के हवाले छोड़कर घर चला आया। मेरे दिल में एक तूफान उठ रहा था, लेकिन मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था।

विक्रम सिंह ने पूजा को अपनी हवेली की पहली मंजिल पर बने शाही बेडरूम में ले गया। ये उसके लिए कोई नई बात नहीं थी। उसने गांव की ना जाने कितनी कुंवारी लड़कियों की चूत कर्ज के नाम पर चोदी थी। उसकी आँखों में हवस की चमक थी, और वो पूजा को देखकर पागल हो रहा था। उसने कहा, “आओ पूजा, मेरे पास आओ, जरा तुम्हें करीब से देखूं।” पूजा डर से कांप रही थी, लेकिन उसे पता था कि आज उसे उसका मोटा लंड हर हाल में लेना होगा।

विक्रम सिंह ने पूजा को अपनी बाहों में जकड़ लिया और उसके गालों को एक जंगली जानवर की तरह चाटने और चूमने लगा। पूजा की खूबसूरती उसे और उत्तेजित कर रही थी। उसका फिगर 34-32-36 इतना परफेक्ट था कि विक्रम की हवस और बढ़ गई। उसने पूजा को बेड पर धकेल दिया और उसके गालों, होंठों, और गर्दन पर भूखे भेड़िए की तरह टूट पड़ा। पूजा को ये सब बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था, लेकिन वो मजबूर थी। उसकी आँखों में डर और बेबसी थी, लेकिन वो चुप रही।

विक्रम ने धीरे-धीरे पूजा का सलवार-कमीज उतार दिया। अब पूजा सिर्फ काले रंग की ब्रा और पैंटी में थी। उसकी 34 साइज की चूचियां ब्रा में कसी हुई थीं, और उसका गोरा, भरा हुआ बदन देखकर विक्रम का लंड तन गया। उसने पूजा की ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियों को दबाना शुरू किया। “आह्ह, क्या माल है तू, पूजा!” उसने हवस भरी आवाज में कहा। पूजा की सिसकारियां निकलने लगीं, “उउह्ह… मालिक, धीरे…” लेकिन विक्रम पर कोई असर नहीं हुआ। वो 45 साल का मर्द था, जिसके पास बीवी, बच्चे, और पोते-पोतियां थीं, लेकिन उसकी हवस नई-नई कुंवारी चूत के लिए कभी कम नहीं हुई।

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विक्रम ने पूजा की ब्रा और पैंटी भी उतार दी। अब पूजा पूरी तरह नंगी थी। उसका गोरा, गदराया हुआ बदन, 34 की चूचियां, और भरे हुए कूल्हे देखकर विक्रम का 8 इंच का लंड पूरी तरह खड़ा हो गया। उसने अपने कपड़े उतारे और पूजा को अपने पास लिटा लिया। उसका भारी-भरकम शरीर पूजा के नाजुक बदन पर चढ़ गया। उसने पूजा के गुलाबी होंठों को चूसना शुरू किया, और उसकी जीभ पूजा के मुँह में अंदर-बाहर करने लगी। पूजा की सिसकारियां तेज हो गईं, “आह्ह… उउह्ह… मालिक, प्लीज…” लेकिन विक्रम ने उसकी एक न सुनी।

विक्रम के बड़े-बड़े हाथ पूजा की चूचियों को मसलने लगे। वो इतनी जोर से दबा रहा था कि पूजा चिल्ला उठी, “आआह्ह… दर्द हो रहा है… उउह्ह…” लेकिन विक्रम को मजा आ रहा था। उसने पूजा की निप्पल्स को अपने मुँह में लिया और जोर-जोर से चूसने लगा। पूजा की निप्पल्स बड़ी और भूरी थीं, और उनके चारों ओर काले घेरे उसे और सेक्सी बना रहे थे। विक्रम एक चूची को चूस रहा था और दूसरी को अपने हाथ से मसल रहा था। पूजा तड़प रही थी, “आआह्ह… स्स्सीी… मालिक, धीरे… उउह्ह…” लेकिन विक्रम रुका नहीं। वो पूजा की चूचियों को 30 मिनट तक चूसता रहा, कभी एक को, कभी दूसरी को, जैसे कोई भूखा शेर अपनी शिकार पर टूट पड़ा हो।

फिर विक्रम नीचे की ओर बढ़ा। उसने पूजा की सेक्सी नाभि को अपनी जीभ से चाटना शुरू किया। पूजा की नाभि गहरी और आकर्षक थी, और विक्रम उसमें अपनी जीभ डालकर चूस रहा था। पूजा मचल रही थी, “आआह्ह… मालिक… उउह्ह…” उसका शरीर गर्म हो रहा था, लेकिन उसका दिल डर और शर्म से भरा था। विक्रम ने पूजा के गोरे, चिकने पैरों को चूमना शुरू किया। उसने उसके घुटनों को चाटा, फिर उसकी जांघों पर आ गया। पूजा की जांघें इतनी मुलायम थीं कि विक्रम ने अपने दांत गड़ा दिए। पूजा चिल्लाई, “आआह्ह… मालिक, दर्द हो रहा है… स्स्सीी…”

विक्रम अब पूजा की चूत के पास पहुंच गया। पूजा की चूत अभी कुंवारी थी, बिल्कुल साफ और चिकनी, क्योंकि उसने पिछले दिन ही अपनी झांटें बनाई थीं। विक्रम ने उसकी चूत को गहरी नजरों से देखा, जैसे कोई खजाना मिल गया हो। उसने अपनी उंगलियां पूजा की चूत पर फिराईं, और पूजा सिसक उठी, “उउह्ह… मालिक…” विक्रम ने अपनी जीभ पूजा की चूत पर रख दी और चाटने लगा। वो किसी जंगली कुत्ते की तरह उसकी चूत को चूस रहा था। पूजा को अब मजा भी आने लगा था, लेकिन वो अपनी सिसकारियां रोक नहीं पा रही थी, “आआह्ह… स्स्सीी… उउह्ह… मालिक… आआह्ह…” वो अपने हाथों से अपनी चूचियों को दबा रही थी।

विक्रम की जीभ पूजा की चूत के हर हिस्से पर घूम रही थी। वो उसकी चूत का रस पी रहा था, और उसे जन्नत का मजा मिल रहा था। पूजा चिल्ला रही थी, “आआह्ह… स्स्सीी… उउह्ह… मालिक, बस… आआह्ह…” लेकिन विक्रम रुका नहीं। उसने पूजा की चूत को 20 मिनट तक चाटा, जब तक कि वो पूरी तरह गीली और चुदाई के लिए तैयार न हो गई।

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विक्रम अब खड़ा हुआ और अपने 8 इंच के लंड को हिलाने लगा। उसने पूजा की टांगें खोल दीं और अपने लंड का सुपाड़ा उसकी चूत पर रगड़ने लगा। पूजा तड़प रही थी, “आआह्ह… मालिक, धीरे… उउह्ह…” लेकिन विक्रम ने उसकी एक न सुनी। उसने अपने लंड का सुपाड़ा पूजा की चूत पर रखा और एक जोरदार धक्का मारा। पूजा की सील टूट गई, और वो दर्द से चिल्ला उठी, “आआह्ह… मम्मी… उउह्ह… दर्द हो रहा है…” विक्रम का मोटा लंड पूजा की कुंवारी चूत में पूरा घुस गया। वो जोर-जोर से धक्के मारने लगा।

“आह्ह, क्या टाइट चूत है तेरी, पूजा!” विक्रम ने हवस भरी आवाज में कहा। वो पूजा को बेरहमी से चोद रहा था। पूजा की चूचियां ऊपर-नीचे उछल रही थीं। वो चिल्ला रही थी, “आआह्ह… उउह्ह… मालिक, धीरे… स्स्सीी… आआह्ह…” लेकिन विक्रम को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। उसका मोटा लंड पूजा की चूत में अंदर-बाहर हो रहा था, और हर धक्के के साथ पूजा की सिसकारियां तेज हो रही थीं। “आआह्ह… उउह्ह… स्स्सीी… मालिक… आआह्ह…” पूजा का दर्द अब धीरे-धीरे मजा में बदल रहा था।

विक्रम ने पूजा की टांगें और चौड़ी कीं और अपनी कमर को तेजी से हिलाने लगा। उसका लंड पूजा की चूत को चीर रहा था। “ले, पूजा, ले मेरे लंड को… कितनी मस्त चूत है तेरी!” विक्रम चिल्ला रहा था। पूजा की चूत से खून की कुछ बूंदें निकल रही थीं, लेकिन विक्रम को कोई परवाह नहीं थी। वो बस अपनी हवस मिटा रहा था। पूजा अब पूरी तरह से चुदाई के मजे में खो गई थी। वो भी अपनी कमर हिला रही थी, “आआह्ह… मालिक… उउह्ह… और जोर से… स्स्सीी…”

विक्रम ने पूजा को घंटों चोदा। उसने उसे अलग-अलग पोजीशन में लिया, कभी उसकी टांगें उठाकर, कभी उसे बेड के किनारे पर लिटाकर। पूजा की चूत अब पूरी तरह खुल चुकी थी, और वो भी चुदाई का मजा ले रही थी। आखिरकार, विक्रम ने अपना माल पूजा की चूत में छोड़ दिया। पूजा थककर चूर हो गई थी, उसका शरीर पसीने से भीगा हुआ था।

शाम को जब मैं पूजा को लेने गया, वो मुश्किल से चल पा रही थी। उसकी आँखों में शर्म और गुस्सा था, लेकिन वो चुप थी। विक्रम ने मुझे 50 हजार रुपये दे दिए और कहा, “जा, अब अपनी खेती कर।” मैं पूजा को लेकर घर आ गया। घर पर माँ और पिताजी को कुछ नहीं बताया, लेकिन जब मैंने पिताजी को पैसे दिए, तो उनकी आँखों में शक था। शायद उन्हें अंदाजा हो गया था कि मैंने अपनी बहन का सौदा कर लिया।

दोस्तो, मेरी बहन पूजा की चुदाई की ये कहानी आपको कैसी लगी? क्या आपने कभी ऐसी मजबूरी का सामना किया है? अपनी राय जरूर बताएं।

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