हाय दोस्तों, मेरा नाम रीना है। मेरी उम्र 28 साल है, और मैं एक शादीशुदा औरत हूँ। मेरा फिगर ऐसा है कि हर मर्द की नजरें मुझ पर ठहर जाती हैं। मेरे मम्मे 38DD साइज़ के हैं, भारी और गोल, जो हर कपड़े में उभरकर दिखते हैं। मेरे चूतड़ इतने भारी और बाहर की तरफ निकले हुए हैं कि जब मैं चलती हूँ, तो हर कदम पर वो हिलते हैं, और ऐसा लगता है जैसे मेरा पूरा बदन नंगा हो। चाहे साड़ी पहनूँ या टाइट सलवार-कमीज़, मेरी जवानी हर कपड़े में चीख-चीखकर अपनी आग दिखाती है। लोग मुझे घूरते हैं, और मैं उनकी आँखों में वो प्यास देखती हूँ, जो मेरे बदन को चाटना चाहती है। मेरी शादी को एक साल हुआ है, और मेरा पति मोहन, 30 साल का, एक अच्छा इंसान है। लेकिन उसका लंड… बस 4 इंच का, पतला सा, जो मेरी चूत की भूख को छू भी नहीं पाता। मैं सेक्स की दीवानी हूँ। मेरे सपनों में वो आग थी, जो मोहन के साथ कभी पूरी नहीं हुई।
हमारा घर एक जंगल के पास है, जहाँ घने जंगली पेड़-पौधे घर को बाहर से ढक लेते हैं। कोई आसानी से हमारे घर के अंदर नहीं झाँक सकता। लेकिन एक दिन, मैंने देखा कि एक नौजवान, जिसे गाँव वाले पागल कहते थे, हमारे घर के आसपास चक्कर लगाता रहता था। वो पूरी तरह नंगा नहीं था, पर उसकी पुरानी, फटी हुई निक्कर से उसका लंड बाहर लटकता था। ढीला होने पर भी उसका लंड 8 इंच का, मोटा, जैसे कोई मोटा खीरा या ककड़ी हो। मैं उसे छुप-छुपकर देखती थी, और मेरे मन में एक अजीब सी हलचल होने लगी। मेरी चूत में गीलापन शुरू हो जाता था, और मैं सोचती थी, “काश, मोहन का लंड भी ऐसा होता।” उस पागल का बदन गठीला था, चौड़ा सीना, मजबूत बाजू, और चेहरा ऐसा कि लगता था किसी अच्छे खानदान का है। उम्र होगी कोई 26-27 साल। मैंने मोहन से पूछा, तो उसने बेपरवाही से कहा, “ये तो सालों से यहाँ घूमता है, पागल है, कोई ध्यान नहीं देता।”
मोहन को 15 दिन के लिए बैंगलोर जाना था। उनके जाने के अगले दिन, रात के 8 बजे, वो पागल फिर हमारे घर के दरवाजे के पास आकर बैठ गया। वो हर रात यहीं आता था, और सुबह होने पर चला जाता था। उस रात, मैं अकेली थी। घर में सन्नाटा था, और मेरी चूत की प्यास मुझे बेचैन कर रही थी। मैंने हिम्मत जुटाई। रसोई से थाली में खाना निकाला—दाल, चावल, और दो रोटियाँ। मैं बाहर गई और उसे खाना ऑफर किया। उसने सिर हिलाकर हामी भरी। खाना खाने के बाद, उसने इशारे से पानी माँगा। मैं पानी की बोतल लेकर उसके पास बैठ गई। मेरी चूत पहले से ही गीली थी, क्योंकि मैं उसका लंड अपने हाथों में लेना चाहती थी। मैं जानना चाहती थी कि खड़ा होने पर उसका लंड कितना बड़ा और मोटा हो जाता है।
मैंने धीरे से अपना हाथ उसकी जाँघ पर रखा। उसकी जाँघें गर्म और सख्त थीं, जैसे पत्थर की बनी हों। वो चुप रहा। मेरी हिम्मत बढ़ी, और मैंने अपनी उंगलियाँ उसकी जाँघ पर फिरानी शुरू की। वो फिर भी कुछ नहीं बोला। मेरी उंगलियाँ अब उसके लंड को छू रही थीं। उसका लंड गर्म था, और मेरे छूते ही मेरे बदन में सिहरन दौड़ गई। मेरी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया। मैंने हिम्मत करके उसका लंड पकड़ लिया। वो इतना मोटा था कि मेरी हथेली में पूरा नहीं समा रहा था। मैंने धीरे-धीरे उसे सहलाना शुरू किया। वो मुझे घूरने लगा। उसकी आँखों में वही प्यास थी, जो मेरी चूत में जल रही थी। कुछ ही पलों में उसका लंड खड़ा होने लगा। 10 इंच से ज़्यादा लंबा, और इतना मोटा कि मेरे मुँह में पानी आ गया। ऐसा लग रहा था जैसे कोई घोड़ा या गधा मेरे सामने सलामी दे रहा हो।
मेरी चूत अब पूरी तरह गीली थी। मैं जोश में पागल हो रही थी। मेरे दिमाग में अब सही-गलत का कोई ख्याल नहीं था। मैंने सोचा, अगर मैं इस पागल से चुदवा लूँ, तो कोई कुछ नहीं कहेगा। और अगर कोई कुछ कहेगा, तो मैं कह दूँगी कि इसने मेरे साथ ज़बरदस्ती की। मैंने फैसला कर लिया कि आज इस घोड़े जैसे लंड से अपनी चूत की प्यास बुझाऊँगी, चाहे मेरी चूत का हाल कुछ भी हो। मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसे घर के अंदर ले गई।
वो गंदा लग रहा था, जैसे बरसों से नहाया न हो। उसका बदन धूल और पसीने से सना था। मैं उसे बाथरूम में ले गई, साबुन और तौलिया दिया, और नहाने को कहा। मैं बाहर खड़ी रही, पर मेरी नजरें उस पर थीं। जैसे ही वो नहाया, उसका गोरा बदन चमकने लगा। उसका लंड और ज़्यादा गोरा और साफ दिख रहा था, जैसे कोई नया खिलौना हो। मैं उसे नंगे ही बेडरूम में ले गई और बेड पर बिठा दिया। उसने सिर हिलाकर हामी भरी। मैंने सोचा, ये तो और अच्छा है कि ये गूंगा है, किसी से कुछ नहीं कहेगा।
मैं उसके पास बेड पर बैठ गई और उसका लंड फिर से सहलाने लगी। कुछ ही देर में उसका लंड टाइट होकर सलामी मारने लगा। मैंने सोचा, ये पागल है, अगर मैं इसे चोदने को कहूँ, तो कहीं ये पूरा लंड एक झटके में मेरी चूत में न घुसा दे, नहीं तो मेरी चूत फट जाएगी। मैंने उसे बेड पर लिटाया और अपने सारे कपड़े उतार दिए। मेरी सलवार-कमीज़, काली ब्रा, और पैंटी—सब कुछ उतर गया। मेरा गोरा बदन और भारी मम्मे उसके सामने थे। वो मुझे घूरने लगा, जैसे मेरे बदन को अपनी आँखों से चाट रहा हो। मैंने उसके लंड के सुपाड़े पर अपनी जीभ फिरानी शुरू की। उसका सुपाड़ा गुलाबी और चमकदार था। वो जोश में आकर सिसकारियाँ भरने लगा और अपने लंड को मेरे मुँह पर मारने लगा।
मैंने उससे पूछा, “मेरी चूत चाटेगा?” उसने सिर हिलाया। मैंने उसे पीठ के बल लिटाया—वही बिस्तर, जहाँ मैंने मोहन के साथ सुहागरात मनाई थी। मैं 69 की पोज़िशन में उसके ऊपर लेट गई। मेरे भारी मम्मे उसके पेट पर दब रहे थे। मैंने उसका लंड मुँह में लिया और धीरे-धीरे चूसना शुरू किया। उसका लंड मेरे मुँह में मुश्किल से समा रहा था। उसने मेरी चूत को अपनी जीभ से चाटना शुरू किया, और अपनी उंगलियों से मेरी भगनासा को मसलने लगा। उसकी जीभ मेरी चूत के हर कोने को छू रही थी, और मैं समझ गई कि ये कोई नौसिखिया नहीं, बल्कि चुदाई का पुराना खिलाड़ी है। उसने अपनी बीच की उंगली मेरी चूत में डाल दी और मेरे जी-स्पॉट को रगड़ने लगा। मेरे बदन में आग सी लग गई। मैंने उसके लंड को गपागप चूसना शुरू कर दिया। दो मिनट में ही मैं झड़ गई, और मेरी चूत पूरी तरह गीली हो गई। मेरा पानी उसके मुँह पर था, और वो उसे चाट रहा था।
मैंने बेडसाइड टेबल से ढेर सारी वैसलीन ली, उसके लंड पर मल दी, और थोड़ी अपनी चूत में भी लगाई। फिर मैं उसके ऊपर चढ़ गई। जैसे ही मैंने उसके लंड का सुपाड़ा अपनी चूत के छेद पर रखा, उसने मेरा सिर पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया और मुझे चूमने लगा। उसके होंठ गरम थे, और मेरे बदन में सिहरन दौड़ गई। मैंने अपनी चूत को उसके सुपाड़े पर रगड़ा, फिर धीरे से दबाया। उसके लंड का सुपाड़ा मेरी चूत में घुस गया, और मेरी चूत चारों तरफ से फैल गई। दर्द के मारे मेरी चीख निकल गई। ऐसा लग रहा था जैसे कोई मोटा डंडा मेरी चूत को चीर रहा हो। मैंने सुपाड़ा बाहर निकाला और फिर से रगड़ना शुरू किया। वो मेरी पीठ सहलाते हुए मुझे चूम रहा था। उसकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मैं उसका स्वाद ले रही थी।
थोड़ी देर बाद, जब दर्द कम हुआ, मैंने अपनी चूत को फिर से उसके सुपाड़े पर रखा और हल्का सा दबाया। इस बार दर्द कम था, क्योंकि मेरी चूत ढेर सारा पानी छोड़ चुकी थी। मैंने थोड़ा और दबाया, और उसका लंड 2-3 इंच अंदर घुस गया। मेरी टाँगें काँपने लगीं, और मेरी धड़कन तेज़ हो गई। ऐसा लग रहा था जैसे कोई गरम लोहा मेरी चूत को चीर रहा हो। मैं रुक गई। थोड़ी देर बाद, मैंने धीरे-धीरे अपनी चूत को उसके लंड पर ऊपर-नीचे करना शुरू किया। जब दर्द और कम हुआ, मैंने ज़ोर लगाया। उसका लंड 4 इंच तक मेरी चूत में घुस गया, और मैं फिर चीख उठी।
वो मेरे मम्मों को मसलते हुए धीरे-धीरे अपना लंड अंदर-बाहर करने लगा। मैं समझ गई कि वो ज़बरदस्ती नहीं करेगा। थोड़ी देर बाद, मैं फिर झड़ गई। मेरी चूत पूरी तरह गीली थी, और उसका लंड फचाफच अंदर-बाहर हो रहा था। उसने स्पीड बढ़ा दी, और मैं उसके हर धक्के के साथ अपने चूतड़ उठाकर ताल मिलाने लगी। उसने एक जोरदार धक्का मारा, और उसका लंड 6 इंच तक मेरी चूत में घुस गया। मैं चीखी, पर अब मज़ा भी आने लगा था। दस मिनट तक चुदाई के बाद, मैं फिर झड़ गई। उसने अपनी स्पीड और तेज़ कर दी। मैं अपने चूतड़ उठा-उठाकर उसका साथ दे रही थी।
उसने मुझसे लेटने का इशारा किया। मैं बेड पर लेट गई, और उसने मेरे चूतड़ों के नीचे दो तकिए रख दिए, जिससे मेरी चूत ऊपर उठ गई। वो मेरी टाँगों के बीच आया, और अपने लंड का सुपाड़ा मेरी चूत पर रखा। उसने मेरी टाँगें फैलाईं और धीरे-धीरे अपना लंड मेरी चूत में घुसाने लगा। 5 इंच तक घुसते ही मैं चीखने लगी। वो रुक गया, मेरे होंठों पर अपने होंठ रखे, और मेरे मम्मों को मसलते हुए धीरे-धीरे चुदाई शुरू की। उसका लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर जा रहा था। जब मैं फिर झड़ गई, उसने स्पीड बढ़ा दी। उसका लंड अब 7 इंच तक मेरी चूत में था। मैं दर्द से तड़प रही थी, पर मज़ा भी इतना था कि मैं रुकना नहीं चाहती थी।
उसने धीरे-धीरे अपने धक्कों की रफ्तार बढ़ाई। उसका लंड मेरी चूत में फचाफच अंदर-बाहर हो रहा था। मैं उसके हर धक्के के साथ सिसकारियाँ भर रही थी। मेरे मम्मे ऊपर-नीचे उछल रहे थे, और मेरा पूरा बदन हिल रहा था। उसने मेरी कमर पकड़ ली और और ज़ोर से धक्के मारने लगा। उसका लंड अब 8 इंच तक मेरी चूत में घुस गया था। मैं दर्द से चीख रही थी, पर मज़ा इतना था कि मैंने उसे नहीं रोका। थोड़ी देर बाद, मेरा दर्द कम हुआ, और मैंने अपने चूतड़ उठाकर उसका साथ देना शुरू किया।
लगभग 15 मिनट तक चुदाई के बाद, मैं फिर झड़ गई। उसने अपनी स्पीड और तेज़ कर दी। वो मुझे ऐसे चोद रहा था जैसे कोई भूखा शेर अपनी शिकार को चबा रहा हो। मैंने उससे कहा, “और ज़ोर से चोद, मेरी चूत को फाड़ दे!” उसने मेरी बात सुनी और एक जोरदार धक्का मारा। उसका पूरा लंड, शायद 10 इंच से भी ज़्यादा, मेरी चूत की जड़ तक घुस गया। मेरी चीख निकल गई, पर अब दर्द के साथ-साथ मज़ा भी अपने चरम पर था। वो मुझे तेज़ी से चोदता रहा, और मैं हर धक्के के साथ अपनी चूतड़ उठा-उठाकर उसका साथ दे रही थी।
लगभग 30 मिनट तक वो मुझे ऐसे ही चोदता रहा। मेरे बदन के सारे जोड़ हिल रहे थे। मेरे मम्मे हर धक्के के साथ उछल रहे थे, और मेरी चूत में अब दर्द की जगह सिर्फ़ मज़ा था। मैं फिर झड़ गई, और इस बार मेरी चूत से इतना पानी निकला कि बेड गीला हो गया। उसने मुझसे डॉगी स्टाइल में आने को कहा। मैं तुरंत घुटनों और हाथों के बल हो गई। वो मेरे पीछे आया और अपना पूरा लंड एक बार में मेरी चूत में घुसा दिया। इस बार दर्द कम था, क्योंकि मेरी चूत पहले ही उसकी चुदाई के लिए ढीली हो चुकी थी।
उसने मेरी कमर पकड़कर मुझे चोदना शुरू किया। उसके हर धक्के के साथ मेरी गांड पर थप्पड़ जैसी आवाज़ आ रही थी। बेड ज़ोर-ज़ोर से हिल रहा था, और मेरी सिसकारियाँ पूरे कमरे में गूँज रही थीं। उसने मेरे मम्मों को दोनों हाथों से पकड़ लिया और मेरे निप्पल्स को मसलते हुए मुझे चोदने लगा। मैं मस्ती में चिल्ला रही थी, “हाँ, और ज़ोर से! मेरी चूत को फाड़ दे!” वो और तेज़ी से मुझे चोदने लगा। उसका लंड मेरी चूत की गहराइयों को छू रहा था, और हर धक्का मुझे जन्नत की सैर करा रहा था।
लगभग एक घंटे तक वो मुझे चोदता रहा। मैं इस दौरान चार बार झड़ चुकी थी। आखिरकार, मैंने महसूस किया कि उसका लंड और सख्त हो रहा है। मैं समझ गई कि वो अब झड़ने वाला है। मैंने भी अपनी चूत को और सिकोड़ा, ताकि उसे और मज़ा आए। दो मिनट बाद, वो ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा। उसका लंड मेरी चूत में जड़ तक जा रहा था। अचानक, उसने एक जोरदार धक्का मारा, और उसके लंड से ढेर सारा गर्म माल मेरी चूत में निकल गया। ऐसा लग रहा था जैसे कोई नल खुल गया हो। मेरी चूत उसके माल से भर गई, और मैं भी उसी वक्त फिर झड़ गई।
वो मेरे बगल में लेट गया, और मैंने उसके लंड को चाट-चाटकर साफ कर दिया। उसका ढीला लंड भी मोहन के खड़े लंड से बड़ा था। मैंने उससे कहा, “आज तुमने मुझे जो मज़ा दिया, वो मैं ज़िंदगी भर नहीं भूलूँगी। मेरी चूत में दर्द है, पर ये दर्द इस मज़े के सामने कुछ भी नहीं।” वो चुपचाप मुस्कुराया और किचन में चला गया। थोड़ी देर बाद वो गर्म पानी लेकर आया और मेरी चूत की सिकाई करने लगा। 15-20 मिनट की सिकाई के बाद मेरा दर्द पूरी तरह चला गया।
हम दोनों बेड पर लेट गए और एक-दूसरे के बदन को सहलाने लगे। मैंने उसका लंड फिर से चूसना शुरू किया, और दो मिनट में ही वो फिर खड़ा हो गया। इस बार मैंने उसे डॉगी स्टाइल में ही चोदने को कहा। मेरी चूत पहले से सूज चुकी थी, लेकिन मैं और चुदाई चाहती थी। उसने फिर से मुझे जमकर चोदा। इस बार वो डेढ़ घंटे तक मुझे चोदता रहा, और मैं पाँच बार झड़ गई। हर बार वो मेरे मम्मों को मसलता, मेरी गांड पर थप्पड़ मारता, और मेरी चूत को अपने लंड से रगड़ता। आखिरकार, वो फिर झड़ गया, और मैंने उसके लंड को चाटकर साफ किया।
उस रात के बाद, जब भी मोहन घर से बाहर जाते, वो पागल मेरे पास आता। हमारी चुदाई का सिलसिला चलता रहा। हर बार वो मुझे नए-नए तरीकों से चोदता, और मैं उसकी दीवानी हो गई। मेरी चूत अब उसके लंड की आदी हो चुकी थी। मोहन को कभी शक नहीं हुआ, और मैं अपनी ज़िंदगी का असली मज़ा ले रही थी।