पड़ोसी शरीफ बहन

हाय दोस्तों, मैं सूरत से हूँ। आज मैं आपके लिए एक सच्ची कहानी लेकर आया हूँ। ये कहानी मेरी दीदी के ननद के मामा ससुर की बेटी दीपाली की चुदाई की है। दीपाली हमारे पड़ोस में रहती थी। उसका परिवार हमारे परिवार से रिश्तेदारी की वजह से बहुत करीब था। दीपाली 22 साल की थी, गोरी, लंबे काले बाल, और उसकी आँखों में एक अजीब सी मासूमियत थी, जो उसे और आकर्षक बनाती थी। उसका फिगर, करीब 34-28-36, हर मर्द की नजर को अपनी ओर खींच लेता था। मैं, राहुल, 24 साल का हूँ, एवरेज हाइट, ठीक-ठाक बॉडी, और शेयर मार्केट में काम करता हूँ। दीपाली के पापा भी मेरे साथ यही काम करते थे, इसलिए हमारे बीच अच्छी दोस्ती थी। दीपाली की माँ मुझे बेटे की तरह मानती थी, और दीपाली मुझे भैया कहकर बुलाती थी। लेकिन इस कहानी में मैं बताऊंगा कि कैसे मेरे मन में दीपाली के लिए गलत खयाल आए और कैसे मैंने उसकी चुदाई की।

शुरुआत तब हुई जब मैं एक दिन दीपाली के घर गया। वो अपने कमरे में अपनी सहेली रिया के साथ बैठी थी। रिया 21 साल की थी, थोड़ी तेज-तर्रार, और हमेशा छोटे-छोटे कपड़े पहनती थी। उस दिन उसने एक टाइट स्कर्ट पहनी थी, जिसमें से उसकी लाल प्रिंटेड पैंटी साफ दिख रही थी। मैं बाहर खड़ा था और उनकी बातें सुन रहा था। दीपाली किसी लड़के की बात कर रही थी जो उसे कॉलेज जाते वक्त घूरता रहता था। रिया हंसते हुए कुछ गंदी बातें कर रही थी, जैसे कि वो लड़का दीपाली को बेड पर पटक देगा। दीपाली शरमाते हुए हंस रही थी, लेकिन उसकी आवाज में एक अजीब सी उत्सुकता थी। मैंने पहली बार दीपाली को गौर से देखा। उसने पंजाबी सूट पहना था, जिसमें से उसकी ब्रा-लेस चूचियां साफ झलक रही थीं। उसकी चूचियां, करीब 34C, सूट के नीचे से उभरी हुई थीं, और उसके निप्पल्स हल्के से नजर आ रहे थे। मेरे दिमाग में एक तूफान सा उठ गया। मैंने चुपके से की-होल से देखा, और मेरा लंड तन गया। रिया की टांगें और उसकी पैंटी देखकर मेरा मन और बेकाबू हो गया। उस दिन के बाद मेरे खयाल बदल गए।

मैं हर वक्त दीपाली को चुपके से देखने लगा। उसकी हर अदा, उसका हंसना, उसके बालों को ठीक करना, सब मुझे पागल कर रहा था। मैं ट्यूशन में अपनी टीचर की गांड को घूरता, फिर घर आकर बाथरूम में मुठ मारता। लेकिन अब दीपाली मेरे दिमाग में थी। एक दिन हमारे घर की जॉइंट बालकनी में वो कपड़े धो रही थी। उसने एक पतला सा कुरता पहना था, जो गीला होकर उसके बदन से चिपक गया था। जब वो कपड़े निचोड़ रही थी, तो उसकी चूचियां साफ दिख रही थीं। उसका कुरता इतना गीला था कि उसके निप्पल्स का उभार और गुलाबी रंग तक नजर आ रहा था। वो थोड़ा शरमा गई और जल्दी से अपने कमरे में चली गई। मैं भी अपने कमरे में गया और की-होल से देखने लगा। उसने अपना कुरता उतारा, और लाइट की रोशनी में उसकी नंगी चूचियां चमक रही थीं। गोल, भारी, और एकदम टाइट। मेरा 7 इंच का लंड पत्थर की तरह सख्त हो गया। मैंने वहीं मुठ मारना शुरू कर दिया। उसकी चूचियां देखकर मेरा दिमाग खराब हो गया था। 10 मिनट बाद मेरा माल निकला, इतना गाढ़ा और गर्म कि मेरा रुमाल पूरा भीग गया। मैं थककर हांफने लगा, लेकिन मन में एक गिल्ट भी था। फिर भी, जब मैंने दीपाली को दोबारा देखा, तो मेरी कामवासना फिर जाग गई।

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मैं अब उसे पूरा नंगा देखना चाहता था। मैं मौके तलाशने लगा। एक दिन मौका मिल ही गया। दीपाली के घरवाले और मेरे घरवाले एक शादी में गए थे। दीपाली की माँ ने मुझसे कहा, “राहुल बेटा, दीपाली अकेली है, तुम हमारे घर रुक जाओ।” मैं मन ही मन खुश हो गया। मैं उनके घर गया। दीपाली बाथरूम में थी। मैंने चुपके से की-होल से देखा। वो नहा रही थी। उसका गीला बदन, पानी की बूंदें उसकी चूचियों से टपक रही थीं। उसकी चूत पर हल्के-हल्के बाल थे, और वो साबुन से अपनी चूत को रगड़ रही थी। मेरा लंड फिर तन गया। मैं बाहर बैठ गया। थोड़ी देर बाद वो बाहर आई, उसने एक टाइट टी-शर्ट और लैगी पहनी थी, जिसमें उसकी चूचियां और गांड साफ उभर रही थी।

मैंने मौका देखकर उसके कमरे में रखा कंप्यूटर ऑन किया। मैंने बहाना बनाया कि मुझे शेयर मार्केट का काम करना है। लेकिन मैंने उसका कंप्यूटर चेक किया। उसमें ब्लू फिल्म्स थीं। मैं चौंक गया। इतनी शरीफ दिखने वाली दीपाली ऐसी चीजें देखती थी? मैंने उसके ड्रॉअर में देखा, तो वहाँ कुछ सेक्सी मैगजीन और Cipla की I-Pill की गोलियां थीं। मुझे समझ आ गया कि दीपाली उतनी शरीफ नहीं थी, जितनी दिखती थी। मेरा मन और जोश में आ गया।

जब दीपाली कमरे में आई, तो मैंने जानबूझकर एक ब्लू फिल्म चला दी। वो चौंक गई, उसका चेहरा लाल हो गया। वो बोली, “भैया, ये क्या?” मैंने कहा, “ये तेरे कंप्यूटर से मिला। मैं सबको बता दूंगा।” वो रोने लगी, “प्लीज भैया, किसी को मत बताना, मम्मी मुझे मार डालेंगी।” मैंने कहा, “ठीक है, लेकिन एक बार मुझे खुश कर दे।” वो बोली, “मतलब?” मैंने साफ कहा, “सेक्स।” वो डर गई, “नहीं, ये गलत है।” मैंने अपना फोन निकाला और उसकी मम्मी को कॉल करने का नाटक किया। मैंने कहा, “अच्छा, तो मैं आंटी को बता दूं कि तू किसी लड़के के साथ गंदी हरकत कर रही थी।” वो घबरा गई और बोली, “प्लीज, ऐसा मत करो। ठीक है, मैं मानती हूँ।”

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वो रो रही थी, लेकिन मैंने उसे चुप कराया। मैं धीरे-धीरे उसके पास गया। उसके गालों को अपने हाथों में लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उसके होंठ रसीले और गर्म थे। मैंने धीरे-धीरे उसके होंठ चूसने शुरू किए। वो चुपचाप खड़ी थी, कोई हरकत नहीं कर रही थी। मैंने कहा, “थोड़ा सपोर्ट तो कर।” मैंने उसकी जीभ को अपनी जीभ से मिलाया और चूसने लगा। मेरा लंड अब पूरी तरह तन चुका था। मेरे हाथ उसकी टी-शर्ट के ऊपर से उसकी चूचियों पर गए। मैंने धीरे-धीरे उसकी चूचियां दबानी शुरू कीं। वो बोली, “प्लीज, भैया, छोड़ दो।” लेकिन मैंने उसकी बात नहीं सुनी। मैंने उसकी टी-शर्ट के बटन खोले और उसकी ब्रा को नीचे सरकाया। उसकी चूचियां मेरे सामने थीं, गोल, टाइट, और निप्पल्स गुलाबी। मैंने उन्हें जोर-जोर से दबाना शुरू किया। वो रो रही थी, लेकिन उसका शरीर गर्म हो रहा था।

मैंने उसे गोद में उठाया और बेड पर लिटा दिया। मैं उसके ऊपर चढ़ गया और फिर से उसे किस करने लगा। मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया। उसका हाथ गर्म था, और मेरे लंड को उसकी छुअन से और जोश चढ़ रहा था। मैंने अपनी पैंट उतारी और पूरा नंगा हो गया। उसकी लैगी और पैंटी भी उतार दी। उसकी चूत गीली थी, और हल्के-हल्के बाल उसकी खूबसूरती को और बढ़ा रहे थे। मैंने उसकी टांगें फैलाईं और उसकी चूत को अपनी उंगलियों से सहलाने लगा। वो सिसक रही थी, “आह्ह… भैया, प्लीज…” लेकिन उसकी आवाज में अब दर्द के साथ-साथ एक अजीब सी मस्ती भी थी। मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाली, वो गीली और टाइट थी। मैंने धीरे-धीरे उंगली अंदर-बाहर की, और वो सिसकियां लेने लगी, “उह्ह… आह्ह…”

10 मिनट तक मैंने उसकी चूत को सहलाया, और फिर उसने पानी छोड़ दिया। उसने तकिए को जोर से पकड़ लिया और सिसकियां लेने लगी। मैंने अपना 7 इंच का लंड उसकी चूत पर रखा और धीरे से धक्का मारा। वो चिल्लाई, “आह्ह… मर गई… निकालो!” लेकिन मैंने एक और जोरदार धक्का मारा। मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। उसकी चूत से हल्का सा खून निकला, लेकिन मैं रुका नहीं। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। हर धक्के के साथ वो चिल्ला रही थी, “आह्ह… ऊह्ह… मर गई… धीरे…” लेकिन मैंने अपनी रफ्तार बढ़ा दी। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड हर धक्के में और जोश में आ रहा था।

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मैंने उसकी चूचियों को मुँह में लिया और चूसने लगा। उसके निप्पल्स सख्त हो गए थे। मैंने एक हाथ से उसकी दूसरी चूची दबाई और दूसरे हाथ से उसकी गांड को सहलाया। वो अब सिसकियां ले रही थी, “आह्ह… ऊह्ह… भैया…” मैंने अपनी स्पीड और तेज की। हर धक्के के साथ बेड हिल रहा था, और उसकी सिसकियां कमरे में गूंज रही थीं। “थप-थप-थप” की आवाज कमरे में फैल रही थी। 15 मिनट की चुदाई के बाद मैंने अपना सारा माल उसकी चूत में डाल दिया। वो हांफ रही थी, “ये क्या कर दिया?” मैंने कहा, “चुप रह, मुझे पता है तू पहले भी चुद चुकी है। मैंने तेरे ड्रॉअर में I-Pill देखी है।” वो चुप हो गई।

मैं थककर उसके ऊपर लेट गया। थोड़ी देर बाद मैंने उसे फिर से गरम किया। मैं कुर्सी पर बैठ गया और उससे कहा, “मेरे लंड को चूस।” वो थोड़ा हिचकिचाई, लेकिन फिर मेरे लंड को मुँह में लिया। उसकी जीभ मेरे लंड पर घूम रही थी, और मैं सातवें आसमान पर था। वो धीरे-धीरे चूस रही थी, और मैं उसकी चूचियों को दबा रहा था। थोड़ी देर बाद मैं फिर से गरम हो गया। मैंने उसे बेड पर लिटाया और उसकी टांगें उठाकर फिर से उसकी चूत में लंड डाला। इस बार वो भी थोड़ा साथ दे रही थी। वो सिसक रही थी, “आह्ह… ऊह्ह… और जोर से…” मैंने पूरी ताकत से धक्के मारे। उसकी चूत फिर से गीली हो गई थी, और 20 मिनट की चुदाई के बाद मैंने फिर से उसकी चूत में माल डाला।

हम दोनों हांफ रहे थे। मैंने उससे कहा, “किसी को मत बताना।” वो बोली, “प्लीज, भैया, तुम भी मत बताना।” थोड़ी देर बाद उसके घरवाले आ गए, और मैं अपने काम से बाहर चला गया। सात दिन बाद जब मैं घर लौटा, तो पता चला कि दीपाली पढ़ाई के लिए अपने अंकल के पास ऑस्ट्रेलिया चली गई है, और उसका पूरा परिवार हमेशा के लिए दिल्ली शिफ्ट हो रहा है। मेरे मन में फिर से उसकी चुदाई की इच्छा जागी, लेकिन अब वो जा चुकी थी।

दोस्तों, आपको मेरी कहानी कैसी लगी? क्या आपने भी कभी अपने पड़ोस की किसी लड़की के साथ ऐसा कुछ किया है? कमेंट में जरूर बताएं।

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