Pados ke ldke se chudai, मेरा नाम निशा है। मैं दिल्ली में अपने परिवार के साथ रहती हूँ। मैं 22 साल की हूँ और अपनी पढ़ाई कोरेस्पॉन्डेंस से पूरी कर रही हूँ, जिससे ज़्यादातर समय घर पर ही गुजरता है।
हमारे घर के सामने एक लड़का रहता है—गौरव। चार साल बाद वह अपना कॉलेज खत्म करके घर लौटा था। पहले तो बस नज़रें मिलती थीं, बालकनी में खड़े होकर कभी चोरी-चोरी, तो कभी खुलकर। वो देखने में अच्छा है, लेकिन उसके नज़रें मुझे कुछ अलग ही तरीके से देखती थीं, जो मुझे समझ नहीं आता था।
एक दिन, मेट्रो स्टेशन पर अचानक हमारी मुलाकात हो गई। वह मेरी तरफ देख कर मुस्कुराया, और मैं भी अनायास ही मुस्कुरा दी। उसने मुझसे आकर कहा, “हाय,” और मैंने भी जवाब दिया। पहली बार किसी लड़के से इस तरह बात हुई थी। उसने पूछा, “क्या तुम मेरी दोस्त बनोगी?” मैं थोड़ी झिझकी, लेकिन फिर ‘हाँ’ कह दिया। उसी दिन मैंने उसे अपना नंबर दिया और घर लौट आई।
शाम को जब बालकनी में खड़ी थी, उसने इशारे से मुझे कुछ कहा, शायद तारीफ की, क्योंकि उसका चेहरा मुस्कान से भरा था। मैंने शरमाते हुए अंदर चली गई।
रात को अचानक उसका मैसेज आया: “सो गई क्या?” मैंने जवाब दिया, “नहीं।” फिर धीरे-धीरे बातचीत बढ़ने लगी। उसने मेरे अकेलेपन को समझा और हमारी बातें रातभर चलती रहीं। वह मेरे दिल की बातें सुनने वाला पहला लड़का था, और मुझे उसके साथ बात करना अच्छा लगने लगा।
गौरव के साथ मेरी बातें अब पहले से ज्यादा खुली और मज़ेदार हो गई थीं। हम धीरे-धीरे एक-दूसरे के और करीब आने लगे। एक रात, उसने मुझसे कुछ ऐसा शेयर किया जिसने मेरी धड़कनें बढ़ा दीं। उसने अपने लंड की तेल से मालिश करते हुए फोटो ली और मुझे बालकनी में बुलाकर ब्लूटूथ से भेज दी। मैं उस फोटो को देखकर शरमा गई, लेकिन अंदर कहीं एक अलग सी हलचल हो रही थी।
वो मुझसे बोला, “अब तुम भी कुछ भेजो।” पहले तो मैंने मना किया, लेकिन उसकी बातों में एक अजीब सा आकर्षण था। थोड़ी देर की बातचीत के बाद, मैंने अपनी एक फोटो भेजी जिसमें मैं ब्रा और पैंटी में थी। उसे यह देखकर मज़ा आया और उसने अपने दिल की बातें बताईं। मैं भी कहीं न कहीं उस पल का आनंद ले रही थी।
एक रविवार का दिन था, जब घर में कोई नहीं था। संयोग से गौरव के घर वाले भी कहीं गए हुए थे। उसने मुझे अपने घर बुलाया, और मैं भी झिझकते हुए तैयार हो गई।
जब मैं उसके घर पहुँची, तो देखा कि उसने सिर्फ अंडरवियर पहना हुआ था। मैं हँसने लगी, लेकिन अंदर से थोड़ी नर्वस थी। उसने मुझसे कहा, “क्या तुम मेरे लंड पर तेल लगा सकती हो?” उसकी बात सुनकर मैं शरमा गई, लेकिन मन ही मन राज़ी हो गई।
मैंने उसके लंड पर तेल लगाना शुरू किया। पहली बार किसी लड़के को इस तरह छू रही थी, और उसकी गर्म साँसों और मेरे दिल की धड़कनों के बीच माहौल और भी गर्म हो गया। धीरे-धीरे, मैंने उसकी मुठ भी मारनी शुरू की, और लगभग 15 मिनट के बाद उसने सारा पानी छोड़ दिया।
वो बाथरूम में जाकर अपना लंड साफ करके वापस आया। इस बार वह और ज्यादा उत्साहित था। उसने मुझे अपनी ओर खींचा और मेरे होठों पर किस करना शुरू कर दिया। पहले तो मैं झिझकी, लेकिन जल्द ही मैंने खुद को उसके साथ बहते हुए पाया। उसकी गर्म साँसें मेरे चेहरे पर महसूस हो रही थीं, और हम दोनों एक-दूसरे के जिस्म को छूने लगे।
उसने धीरे-धीरे मेरे कपड़े उतारने शुरू किए। हर कपड़े के उतरने पर, वह मेरे बदन को चूमता और मुझे सिहरन से भर देता। कुछ ही पलों में मैं पूरी तरह से नंगी थी, और उसका ध्यान मेरे चूचों पर था। उसने मेरे चूचों को अपने हाथों से दबाया और निप्पल चूसने लगा। मुझे इतना अच्छा लग रहा था कि मैं अपनी आवाज़ें रोक नहीं पा रही थी।
जब उसका हाथ मेरी जांघों तक पहुँचा, मैं मचल उठी। उसने मेरी चूत में अपनी ऊँगली डालकर अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। मैं अपनी उत्तेजना को संभाल नहीं पा रही थी। फिर उसने अपनी जीभ मेरी चूत पर रखी और मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे मैं जन्नत में हूँ। मैंने उसका सिर पकड़कर अपनी चूत पर दबा दिया।
गौरव मेरी चूत को अपनी जीभ से रगड़ते हुए जादू कर रहा था। मैं अपनी पूरी ताकत से उसका सिर अपनी चूत पर दबा रही थी। मेरी सिसकारियां पूरे कमरे में गूंज रही थीं। मैं पहली बार ऐसा महसूस कर रही थी, और यह एहसास मुझे कहीं और ले जा रहा था।
थोड़ी देर बाद, उसने मुझे 69 की पोज़िशन में आने को कहा। मैं झिझकते हुए तैयार हो गई। अब मैं उसके लंड को अपने मुँह में ले रही थी, और वो मेरी चूत को चूस रहा था। इस पल ने हमें और करीब ला दिया।
इसके बाद, उसने मुझे बेड पर लेटाया और मेरे ऊपर चढ़ गया। उसने अपना लंड मेरी चूत के पास लाया। मैं थोड़ा डर रही थी, क्योंकि यह मेरा पहला अनुभव था। उसकी चूत बहुत टाइट थी, और जैसे ही उसने अंदर डालने की कोशिश की, मैं दर्द से चिल्ला उठी, “गौरव, बाहर निकालो, बहुत दर्द हो रहा है!”
उसने मुझे शांत करने की कोशिश की। मेरे होठों पर किस करते हुए उसने धीरे-धीरे अपना लंड मेरी चूत में और गहराई तक डाला। मेरी आँखों से आँसू निकल रहे थे, लेकिन उसने मुझे आराम दिया। धीरे-धीरे, दर्द कम होने लगा और मेरी तकलीफ सुकून में बदल गई।
जब वह आगे-पीछे करने लगा, तो मुझे ऐसा लगा जैसे मैं किसी और ही दुनिया में हूँ। मेरी चूत में लंड की हर हलचल मुझे उत्तेजना से भर रही थी। गौरव ने एक ज़ोरदार धक्का दिया, और उसका लंड पूरी तरह मेरी चूत में समा गया। अब मैं भी इस खेल का मज़ा ले रही थी।
गौरव अब धीरे-धीरे रफ़्तार पकड़ रहा था। मैं उसकी हर धक्का महसूस कर रही थी और चिल्ला रही थी, “फक मी, गौरव! और तेज़!” उसका लंड मेरी चूत की हर दीवार से टकरा रहा था। मेरा शरीर उसके साथ तालमेल बिठा रहा था। मेरे हाथ उसकी पीठ पर थे, और मैं उसे और करीब खींच रही थी।
करीब 15 मिनट की इस मदहोश कर देने वाली चुदाई के बाद, हम दोनों ने एक साथ पानी छोड़ा। वह थक कर मेरे ऊपर लेट गया और मेरे चूचों को चूसने लगा। मैं उसकी हर हरकत का आनंद ले रही थी।
लेकिन यह सब यहीं खत्म नहीं हुआ। गौरव ने फिर से मुझे चूमना शुरू किया और मेरे बदन पर अपने होठों और जीभ से खेलता रहा। मेरे जिस्म से निकलने वाली गंध उसे और उत्तेजित कर रही थी। उसका लंड फिर से खड़ा हो गया था।
उसने मुझे फिर से बेड पर लेटाया और चुदाई शुरू कर दी। इस बार हम दोनों और भी ज्यादा निडर और बेबाक हो गए थे। उस दिन, उसने मुझे इतनी बार चोदा कि मेरे पैरों में दर्द होने लगा। लेकिन मैं इस नए अनुभव से पूरी तरह सराबोर थी।
जब हम दोनों शांत हुए, तो मैंने अपने कपड़े पहने और घर जाने की तैयारी की। लेकिन गौरव ने मुझे रोक लिया और मेरे होठों पर एक जोरदार किस कर दिया। उसकी आँखों में एक अजीब सी चाहत और संतुष्टि थी, जो मैंने पहले कभी नहीं देखी थी।
उस दिन के बाद, हमारा रिश्ता और भी गहरा हो गया। उसने कई बार मुझे फिर से बुलाया, और मैं हर बार उसी जुनून से उसकी बाँहों में समा जाती।
लेकिन उस दिन का अनुभव, जब पहली बार हमने अपनी इच्छाओं को खुलकर जिया, हमेशा के लिए मेरे दिल और दिमाग में बस गया। गौरव ने मुझे वो एहसास दिया जो मैं कभी भूल नहीं पाऊंगी।
मैने तो नही चोदा जी आपको और कोई होगा
Nisha Ji
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