नींद में भाई ने चोदा मुझे

मैं रंभा, 19 साल की हूँ, चेन्नई के एक पुराने मोहल्ले में रहती हूँ। मेरा रंग गोरा है, लंबे काले बाल, और फिगर 36-28-36—कर्वी और हॉट। कॉलेज में फैशन डिजाइनिंग पढ़ती हूँ, और मुझे अपनी ख्वाहिशों को जीना पसंद है। मोहल्ले के लड़के मुझे घूरते हैं, उनकी आँखों में चुदाई की भूख साफ दिखती है, पर मैं किसी को भाव नहीं देती। मेरा छोटा भाई कार्तिक, 18 साल का, 12वीं में है। वो लंबा, दुबला, और थोड़ा शर्मीला है, पर उसकी आँखों में एक चंचल चमक है। हमारी माँ विद्या, 42 साल की, बैंक में क्लर्क हैं। सख्त मिजाज, पर हमें बहुत प्यार करती हैं। पापा का देहांत तब हुआ जब मैं 7 साल की थी। माँ ने अकेले हमें पाला, और हमारा छोटा सा घर चेन्नई के एक तंग गली में है, जहाँ समुद्र की हवा और बारिश का शोर हमेशा माहौल को गीला रखता है।

वो एक मंडे की दोपहर थी। चेन्नई की उमस भरी गर्मी मेरे जिस्म को चिपचिपा कर रही थी। खिड़की से बारिश की बूँदें टपक रही थीं, और बाहर ऑटो और साइकिल की घंटियों की आवाज गूँज रही थी। मैं कॉलेज नहीं गई थी—मूड ही नहीं था। माँ बैंक चली गई थीं, और कार्तिक स्कूल के लिए निकल गया था। घर में अकेली थी, और मन में एक अजीब सी हलचल थी। मैंने फोन उठाया और एक हिंदी सेक्स स्टोरी साइट खोल ली। एक माँ-बेटे की चुदाई वाली कहानी पढ़ने लगी। कहानी इतनी गर्म थी कि मेरी साँसें तेज हो गईं। मेरी चूत में गुदगुदी शुरू हो गई, और मैं खुद को रोक नहीं पाई।

मैंने अपनी टाइट जींस और टी-शर्ट उतारी, पैंटी को घुटनों तक खींचा, और बिस्तर पर लेट गई। मेरी उंगलियाँ मेरी चूत के दाने पर रगड़ने लगीं। धीरे-धीरे मैंने एक उंगली अपनी चूत के अंदर डाली, फिर दूसरी। मेरी चूत गीली हो चुकी थी, और मैं जोर-जोर से उंगलियाँ अंदर-बाहर करने लगी। “आह… उह… हाय…” मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं। मैंने आँखें बंद कीं और कहानी के किरदारों में खुद को खो दिया। मेरे जिस्म में आग लगी थी। कुछ देर बाद मेरा जिस्म झटके खाने लगा, और मैं झड़ गई। मैंने अपनी चूत में उंगली करके इतना मजा लिया कि थक कर नंगी ही सो गई। पंखे की ठंडी हवा मेरे नंगे जिस्म को सहला रही थी।

तभी माँ का फोन आया। “रंभा, आज मुझे आने में देर हो सकती है,” माँ बोली।
मैंने कहा, “ठीक है…”
फोन रखने के बाद मुझे कुछ अच्छा नहीं लगा। मैं वैसे ही नंगी लेटी रही, और कब मेरी आँख लग गई, पता नहीं चला।

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अचानक मुझे अपनी चूत पर एक हल्का सा स्पर्श महसूस हुआ। कोई मेरी चूत के होंठों पर उंगलियाँ फेर रहा था। मैंने धीरे से आँखें खोलीं, बस एक झिर्री से देखा। मेरा दिल धक-धक करने लगा। सामने कार्तिक था—मेरा छोटा भाई। उसकी उंगलियाँ मेरी गीली चूत पर धीरे-धीरे घूम रही थीं। उसकी साँसें तेज थीं, और उसकी आँखों में एक अजीब सी भूख थी। मैं कुछ नहीं बोली। मुझे इतना मजा आ रहा था कि मैंने जानबूझकर सोने की एक्टिंग की।

कार्तिक ने मेरे नंगे जिस्म को घूरा। मेरे बूब्स, मेरी चूत—वो सब कुछ देख रहा था। उसने धीरे से मुझे जगाने की कोशिश की, “रंभा… रंभा…” उसकी आवाज में हल्की घबराहट थी। मैंने कोई हरकत नहीं की। वो समझ गया कि मैं गहरी नींद में हूँ। उसने हिम्मत जुटाई और अपना लंड बाहर निकाला। उसका लंड तना हुआ था, मोटा और गर्म। उसने उसे मेरे होंठों पर रखा और धीरे से मेरे मुँह में घुसाने की कोशिश की।

मैंने चुपके से अपने होंठ खोल दिए, जैसे नींद में खुल गए हों। उसका लंड मेरे मुँह में चला गया। मैंने धीरे-धीरे चूसना शुरू किया। “आह…” कार्तिक के मुँह से सिसकारी निकली। मैंने और जोर से चूसा, मेरी जीभ उसके लंड के टोपे पर घूम रही थी। वो इतना गर्म हो चुका था कि उससे रहा नहीं गया। उसने अपना लंड मेरे मुँह से निकाला और मेरी चूत की ओर बढ़ा। मेरी चूत पहले से गीली थी, और उसकी उंगलियाँ फिर से मेरे चूत के दाने को रगड़ने लगीं। मैंने सोने की एक्टिंग जारी रखी, पर मेरे जिस्म में आग लग रही थी।

तभी मेरा फोन बजा। मेरा बॉयफ्रेंड था। कार्तिक डर गया और जल्दी से मेरे पास से हट गया। मैंने थोड़ी देर बाद आँखें खोलीं, फोन उठाया, और उसे टाल दिया, “मैं घर के काम में बिजी हूँ, बाद में बात करूँगी।” फोन रखते ही मेरी चूत में फिर से वही गुदगुदी शुरू हो गई। मुझे कार्तिक चाहिए था। मैं उठी और उसके कमरे की ओर चली गई।

कार्तिक का कमरा छोटा था, दीवारों पर तमिल फिल्मों के पुराने पोस्टर चिपके थे। वो बिस्तर पर लेटा था, अपना लंड पकड़े मुठ मार रहा था। उसका लंड अभी भी तना हुआ था, और वो आँखें बंद करके मेरे बारे में सोच रहा था। मैं एक मिनट तक चुपके से देखती रही। मेरी चूत फिर से गीली हो गई। मैंने हिम्मत की और अचानक उसके पास जाकर बोली, “ये क्या कर रहा है तू, कार्तिक?”

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वो चौंक गया। उसने जल्दी से चादर ओढ़ ली। “रंभा… तू… तू कब उठी?” उसकी आवाज काँप रही थी।

मैंने उसकी आँखों में देखा और बोली, “जब मैं सोई हुई थी तो तू क्या कर रहा था?”

वो रोने लगा। “ग़लती हो गई बहन… माफ़ कर दे प्लीज!”

मैंने उसे गले लगाया। “क्यों रो रहा है, तू मेरा प्यारा भाई है, तेरा हर ग़लती माफ़, बस रोना नहीं!”

वो चुप हो गया। मैंने प्यार से पूछा, “कार्तिक, तूने ऐसा क्यों किया?”

वो धीरे से बोला, “जब मैं स्कूल से आया तो तू सो रही थी पर तेरी जींस उतारी हुई थी, तेरी पेंटी घुटनों पर थी, चूत नहीं पड़ी थी. तेरी चूत देखी तो मैं रह नहीं पाया, बस हो गई ग़लती!”

मैंने कुछ नहीं सोचा। मैंने उसका लंड पकड़ा और अपने मुँह में ले लिया। मैं जोर-जोर से चूसने लगी। उसका लंड मेरे मुँह में और सख्त हो गया। “ये क्या कर रही है?” कार्तिक ने काँपती आवाज में पूछा।

“चुप बहनचोद… कुछ मत बोल, बस साथ दे मेरा!” मैंने कहा।

वो बोला, “बहन क्या तू मेरे से चुदवाएगी?”

मैं बोली, “चुत चुदाई कैसे करते हैं, सीख ले पहले! मेरी चूत को चाट!”

कार्तिक ने मेरी चूत पर अपनी जीभ रखी। उसकी गर्म जीभ मेरे चूत के दाने पर घूमने लगी। “अयाया उम्म्ह… अहह… हय… याह… आ उऊः!” मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं। उसने अपनी जीभ मेरी चूत के अंदर डाली, और मैं पागल हो गई। मेरी चूत का पानी बहने लगा। मैंने उसका सिर पकड़ा और अपनी चूत पर दबाया। “आह… कार्तिक… और चाट… मेरी चूत फाड़ दे अपनी जीभ से!” मैं चिल्ला रही थी। उसने मेरे चूत के होंठों को चूसा, मेरे दाने को दाँतों से हल्के से काटा। मेरा जिस्म काँप रहा था।

कुछ देर बाद उसने अपना लंड मेरी चूत पर रखा। उसका लंड गर्म और सख्त था, जैसे लोहे की रॉड। उसने एक जोरदार धक्का मारा। उसका आधा लंड मेरी चूत में घुस गया। “आहह आ आ…” मैं चिल्ला उठी। दर्द और मजा एक साथ हो रहा था। उसने फिर एक और धक्का मारा, और उसका पूरा लंड मेरी चूत में समा गया। मेरी चूत इतनी टाइट थी कि मुझे लगा वो मुझे फाड़ देगा।

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कार्तिक ने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। हर धक्के के साथ मेरे बूब्स हिल रहे थे। मैंने अपने बूब्स को दोनों हाथों से दबाया और चिल्लाई, “जोर से चोद, कार्तिक! मेरी चूत को रगड़ दे!” वो और जोश में आ गया। उसने मेरी टाँगें उठाईं, मेरे कूल्हों को पकड़ा, और मेरी चूत में गहरे धक्के मारने लगा। मेरी चूत का पानी बह रहा था, और कमरे में धक्कों की “थप-थप” और मेरी सिसकारियों की आवाज गूँज रही थी। “आह… उह… हाय… कार्तिक… और जोर से… मेरी चूत फाड़ दे!” मैं बार-बार चिल्ला रही थी। उसने मेरी गांड के नीचे तकिया रखा ताकि उसका लंड और गहरा जाए। हर धक्के में उसका लंड मेरी चूत की गहराई को छू रहा था।

वो मेरी चूत को करीब आधे घंटे तक चोदता रहा। मेरा जिस्म बार-बार झटके खा रहा था। मैं दो बार झड़ चुकी थी, और मेरी चूत का पानी बिस्तर पर फैल गया था। आखिरकार कार्तिक ने एक जोरदार धक्का मारा और मेरी चूत में अपने लंड का सारा रस निकाल दिया। उसका गर्म रस मेरी चूत में भर गया, और मैं फिर से झड़ गई। मेरे जिस्म ने झटके लिए, और मैंF मैंने कार्तिक को कसकर पकड़ लिया।

हम दोनों वैसे ही नंगे लेटे रहे। पंखे की हवा हमारे पसीने से भरे जिस्मों को ठंडा कर रही थी। कार्तिक मेरी ओर देखकर बोला, “रंभा, ये गलती थी… पर तू इतनी गर्म है कि मैं खुद को रोक नहीं पाया।”

मैंने हँसकर कहा, “चुप बहनचोद, तूने जो किया, वो मुझे भी अच्छा लगा। अब चुपचाप लेट और मजे ले!”

हम दोनों हँस पड़े और वैसे ही लेटे रहे, बाहर बारिश की आवाज गूँज रही थी।

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