मेरा नाम रानो है, उम्र चालीस साल, कद पाँच फुट सात इंच, रंग गोरा, बड़े-बड़े मम्मे, पतली कमर, चौड़ी गाँड, उभरे हुए नितंब, मांसल जाँघें, और चूत पर घनी काली झाँटें जो मुझे और मेरे पति रंजीत को बहुत पसंद हैं। रंजीत मुझसे दो साल बड़े हैं, उनका रंग भी गोरा, कद छह फुट, थोड़े पतले लेकिन स्मार्ट और सेक्सी। उनका लंड जब खड़ा होता है तो लोहे जैसा सख्त हो जाता है, और वो इसे मेरी चूत में डालकर मुझे हर बार नया मजा देते हैं। रंजीत को औरतों की चुदाई का शौक है, उन्होंने कई लड़कियों और औरतों को चोदा है, पर मुझसे बहुत प्यार करते हैं। वो अपनी हर बात मुझसे शेयर करते हैं, चाहे वो उनकी नयी-नयी पोर्न सीडीज हों या उनके अनोखे शौक।
रंजीत को खूबसूरत औरतों पर लाइन मारना, शिकार खेलना, और घुड़सवारी करना पसंद है। उनके लिए हमारे खेतों में एक काला कुत्ता टोमी और एक लाल रंग की खूबसूरत घोड़ी है। कभी-कभी वो घोड़ी को भी चोद लेते हैं और कहते हैं, “रानो, घोड़ी की चुदाई में औरत से भी ज्यादा मजा आता है।” टोमी मेरा पक्का दोस्त है, मेरी हर बात मानता है, पर रंजीत के साथ सिर्फ शिकार पर जाता है। लेकिन हमने टोमी को एक बुरी आदत डाल दी है। जब भी हम चुदाई शुरू करते हैं, उसे चूत की स्मेल आ जाती है, और वो बीच में मुंह घुसाकर मेरी चूत का पानी चाटने लगता है। जब हम दोनों झड़ जाते हैं, तो वो रंजीत का लंड और मेरी चूत चाट-चाटकर साफ कर देता है।
रंजीत एक इंश्योरेंस कंपनी में फील्ड ऑफिसर हैं और खेतीबाड़ी भी करते हैं। हमारी जमीन काफी है, इसलिए हमने अपना घर खेतों के बीच बनाया। चारों तरफ फलदार पेड़, ट्यूबवेल, और पशुओं का तबेला है। खेती के लिए हमने एक नौकर रखा है, लब्बू। वो काला, पतला, लेकिन ताकतवर और बहुत शरीफ लड़का है। शर्मीला भी है, पर मेहनती। हमारे दोनों बच्चे बोर्डिंग स्कूल में पढ़ते हैं, छुट्टियों में ही घर आते हैं।
अब आती हूँ अपनी चुदाई की कहानी पर। बरसात का मौसम था, दोपहर को धूप निकली थी। मुझे कुछ कपड़े धोने थे, तो मैं टोमी को घर छोड़कर ट्यूबवेल पर चली गई। मैंने पिंक सलवार-कुर्ता पहना था, नीचे ना ब्रा थी, ना पैंटी। कपड़े धोते-धोते मैं पूरी भीग गई। गर्मी थी, तो मैं ट्यूबवेल के बड़े नल के नीचे कपड़ों समेत नहाने लगी। पानी मेरे जिस्म पर गिर रहा था, मेरे मम्मे और चूत की झाँटें गीले कपड़ों में साफ दिख रही थीं। तभी लब्बू खेतों से काम करके आ गया। उसने सफेद बनियान और ढीला-सा आस्मानी कच्छा पहना था।
मुझे देखकर वो शरमा गया, शायद मेरे गीले कपड़ों में मेरे निप्पल और चूत की झाँटें दिख रही थीं। मैं भी शरमाई और नल से हट गई। देखा तो लब्बू पीठ करके खड़ा था। मैंने पूछा, “लब्बू, यहाँ क्या कर रहा है?” उसने कहा, “अंटीजी, प्यास लगी है, ट्यूबवेल का ठंडा पानी पीना है।” मैंने कहा, “पानी पी ले, नहा भी ले, गर्मी बहुत है। फिर घर चलकर खाना खा लेंगे।” वो बोला, “आप घर जाओ, मैं नहाकर आता हूँ।” मैंने कहा, “अभी नहा ले, और मेरे धुले कपड़े भी घर ले चल।”
लब्बू मेरी बात मानकर नल के नीचे नहाने लगा। मेरी नजर उसके गीले जिस्म पर पड़ी, तो मैं हैरान रह गई। उसकी बनियान में से उसकी चौड़ी छाती और पतली कमर साफ दिख रही थी। फिर मैंने उसके कच्छे की तरफ देखा, तो और चौंक गई। उसका सोया हुआ लंड सात इंच लंबा, काला साँप जैसा लग रहा था। मैं सोचने लगी, “अगर ये सोया हुआ इतना बड़ा है, तो खड़ा होने पर कितना मोटा और लंबा होगा?” ये सोचते ही मेरी चूत गीली हो गई, पानी टपकने लगा। मैंने ठान लिया कि आज इसका लंड खड़ा करके देखूँगी, चाहे जो हो जाए।
मैंने लब्बू को साबुन दिया और कहा, “इसे अपने जिस्म पर लगा ले, मैं नल के नीचे अच्छे से नहा लूँ।” मैं नल के नीचे खड़ी होकर अपने मम्मों और गाँड को मल-मलकर नहाने लगी। लब्बू ने बनियान उतारी और साबुन लगाने लगा। जब उसकी आँखों में साबुन गया, तो वो बार-बार मेरी तरफ देखने लगा। मैंने जानबूझकर अपने गीले कुर्ते को थोड़ा ऊपर उठाया, जिससे मेरी गोरी कमर और आधे मम्मे दिखने लगे। फिर मैं नल से हटी, और लब्बू नहाने लगा। वो पीठ करके अपने लंड पर साबुन मल रहा था।
मैंने कहा, “लब्बू, मुझे भी साबुन दे, मैं लगाना चाहती हूँ।” वो साबुन देकर जाने लगा, तो मैंने रोका, “जरा मेरी पीठ पर साबुन लगा दे।” मैंने पीछे से कुर्ता ऊपर उठाया, मेरी गोरी पीठ और आधे मम्मे नंगे हो गए। लब्बू ने शरमाते हुए कहा, “अंटीजी, आप खुद लगा लो, मुझे शरम आ रही है।” मैंने हँसकर कहा, “शरम आ रही है तो आँखें बंद कर ले।” वो मान गया और आँखें बंद करके मेरी पीठ पर साबुन लगाने लगा। वो सिर्फ थोड़ी-सी जगह पर साबुन घिस रहा था। मैंने कहा, “पूरी पीठ पर लगा, कंधों से कमर तक, डर क्यों रहा है?”
वो बोला, “अंटीजी, डर लग रहा है, कहीं मेरा हाथ फिसलकर आपके किसी और अंग को छू गया, तो आप गुस्सा करेंगी।” मैंने कहा, “गुस्सा क्यों करूँगी? मुझे तो पूरे जिस्म पर साबुन लगाना है। आँखें खोल और मजे से लगा।” लब्बू ने आँखें खोलीं और मेरी पीठ, कमर, और कंधों पर प्यार से साबुन लगाने लगा। उसका हाथ मेरी गोरी त्वचा पर फिसल रहा था, और मेरी चूत में खुजली बढ़ने लगी। थोड़ी देर बाद उसने कहा, “अंटीजी, साबुन लग गया, अब मैं जाऊँ?” मैंने कहा, “रुक, नल के नीचे मेरी पीठ का साबुन मलकर साफ भी कर दे।”
मैं नल के नीचे खड़ी हो गई, लब्बू मेरे पीछे। पानी हम दोनों पर गिर रहा था। मैं जानबूझकर थोड़ा झुकी, तो मेरे मम्मे कुर्ते से बाहर आ गए, निप्पल सख्त होकर साफ दिख रहे थे। मैंने कहा, “लब्बू, मेरे कंधों को अच्छे से मलकर साफ कर।” उसने कहा, “अंटीजी, मेरा हाथ कंधों तक नहीं पहुँच रहा।” मैंने कहा, “तू भी थोड़ा झुक जा।” वो झुका और मेरे कंधों को मलने लगा। मैं पीछे हुई, तो मेरी गीली गाँड से उसका लंड टकराया। मैंने एक हाथ पीछे करके उसके कच्छे के ऊपर से लंड पकड़ लिया और कहा, “ये क्या चुभ रहा है मुझे?”
मैं सीधी खड़ी हो गई, लंड को पकड़े हुए, और लब्बू की तरफ मुड़कर पूछा, “बता, ये क्या चुभ रहा था?” लब्बू डर गया, बोला, “अंटीजी, माफ कर दो, मेरा कोई कसूर नहीं, ये खुद खड़ा हो गया।” मैंने हँसते हुए कहा, “पहले बता, तूने कच्छे में क्या छुपाया है?” वो डरते हुए बोला, “ये मेरा… वो है।” मैंने पूछा, “वो क्या? नाम क्यों नहीं लेता?” वो शरमाते हुए बोला, “नाम लेने में शरम आती है।” मैंने आहिस्ता से कहा, “बता, ये तेरा लंड है?” उसने कहा, “हाँ।” मैंने चिढ़ाते हुए कहा, “तू तो छोटा है, तेरा इतना बड़ा कैसे हो सकता है? जरूर कुछ छुपाया है।”
लब्बू ने डरते हुए कहा, “अंटीजी, सच बोल रहा हूँ, ये मेरा लंड ही है।” मैंने कहा, “मैं नहीं मानती, कच्छा खोलकर दिखा।” उसने नाड़ा खोला और अपना काला, लंबा लंड बाहर निकाला। मैंने उसे हाथ में पकड़ा, मेरी साँसें तेज हो गईं। मैंने कहा, “लब्बू, तेरा लंड तो बहुत लंबा और मोटा है!” उसने कहा, “अंटीजी, जब ये पूरा खड़ा हो जाता है, तो और बड़ा हो जाता है।” मैंने पूछा, “सच बता, ये पूरा खड़ा कैसे होता है?”
वो बोला, “जब मैं किसी जवान, खूबसूरत औरत को नंगी देखता हूँ, तो ये लोहे जैसा सख्त हो जाता है और बैठता नहीं।” मैंने चिढ़ाया, “झूठ बोल रहा है, ये पहले से इतना बड़ा है, और बड़ा होगा? बता, औरत का कौन-सा अंग देखकर ये खड़ा होता है? मुझे साफ-साफ बता, शरमा मत। मुझ जैसी औरत को नंगी देखकर भी खड़ा होगा?” लब्बू ने शरमाते हुए कहा, “अंटीजी, आप तो इतनी सुंदर और जवान हैं, आपको नंगी देखकर तो इसका पानी भी निकल जाएगा।”
मैंने कहा, “सच? मुझे नंगी देखकर तेरा लंड पूरा खड़ा हो जाएगा?” वो डर गया, बोला, “अंटीजी, ऐसा मत करो, वरना मेरे लंड का बुरा हाल हो जाएगा।” मैंने हँसकर कहा, “मुझे एक बार तेरा खड़ा लंड देखना है। मैं तेरे सामने पूरी नंगी हो जाऊँगी, तू मुझे अपना लंड दिखा दे।” ये कहकर मैंने सलवार का नाड़ा खोला, सलवार उतारी, और मेरी गोरी, मोटी जाँघें लब्बू के सामने नंगी हो गईं। फिर मैंने कुर्ता उतार फेंका, और पूरी नंगी होकर नल के नीचे नहाने लगी। मेरे मम्मे उछल रहे थे, चूत की काली झाँटें पानी में चमक रही थीं।
लब्बू अपने तने हुए, काले, मोटे लंड को पकड़कर मेरे पास आया और बोला, “अंटीजी, देख लो, पूरा खड़ा हो गया। अब कपड़े पहन लो, वरना मैं मर जाऊँगा।” मैंने उसका लंड देखा, तो मेरे पसीने छूट गए। वो किसी गधे के लंड जैसा था—लंबा, मोटा, काला, और सख्त। मैंने उसे हाथ में पकड़ा, दबाया, तो लोहे जैसा लगा। खाल पीछे की, तो उसका काला, मोटा टोपा दिखा, जिसमें से हल्की-सी बू आ रही थी। मैंने साबुन लिया, लब्बू के लंड पर लगाया, और आगे-पीछे करने लगी। लब्बू के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं, “आह… अंटीजी… हाय…”
मैंने उसकी चौड़ी छाती पर भी साबुन लगाया और कहा, “लब्बू, जहाँ तेरा दिल करे, मेरे जिस्म पर साबुन लगा।” वो खुश हो गया। उसने मेरी गर्दन, मम्मों, पीठ, मोटी गाँड, जाँघों, और आखिर में मेरी चूत की झाँटों पर साबुन लगाया। फिर साबुन रखकर मेरे जिस्म पर हाथ फेरने लगा। मैंने कहा, “आराम से मजे ले, लब्बू।” वो मेरी गाँड पर हाथ फेरते हुए बोला, “हाय अंटीजी, आपकी गाँड कितनी गोरी और रसीली है।” फिर मेरे मम्मों को मसलने लगा, बोला, “लगता है मैं सपना देख रहा हूँ।”
उसका हाथ मेरी चूत पर आया, तो वो बोला, “अंटीजी, आप इतनी सुंदर हैं, जी चाहता है आपके जिस्म को चाटता रहूँ।” मैं भी गर्म हो चुकी थी। मैं उससे लिपट गई, मेरे मम्मे उसकी छाती से दब रहे थे, उसका मोटा लंड मेरी जाँघों को चुभ रहा था। मेरी चूत पानी छोड़ रही थी। मैंने लब्बू का लंड पकड़कर आगे-पीछे करते हुए कहा, “हाय लब्बू, तेरा ये काला लंड मेरी चूत में घुसा लूँ, पर इतना मोटा है, शायद ना जाए।” मैंने उसकी एक उंगली पकड़कर अपनी चूत में डाली और कहा, “इसे आगे-पीछे कर, मुझे शांत कर दे।”
मैं उसके लंड को मसल रही थी, और उसने मेरा एक मम्मा मुँह में लिया, चूसने लगा। हम दोनों की सिसकारियाँ गूँज रही थीं। थोड़ी देर बाद मेरी चूत शांत हुई, पर लब्बू का लंड अभी भी खड़ा था। मैंने कहा, “चल लब्बू, कपड़े पहन, घर चलते हैं। खाना खाकर तेरा कुछ सोचते हैं।” वो मान गया, पर उसका लंड वैसा ही तना रहा।
हम दोनों घर आ गए और खाना खाने बैठे। तभी मेरे पति रंजीत का फोन आया। वो बोले, “रानो, मैं आज कंपनी के काम से शहर जा रहा हूँ, कल लौटूँगा। टोमी घर पर है, फिर भी तुम लब्बू को बरामदे में सुला लेना।” ये सुनकर मैं उदास हो गई। मेरी चूत में आग लगी थी, चुदवाने का मन था, पर रंजीत आज रात नहीं आने वाले थे।
खैर, हमने खाना खाया, टोमी को खिलाया, और मैं और लब्बू बरामदे में बैठकर बातें करने लगे। मैंने लब्बू से कहा, “तेरे अंकल आज नहीं आएँगे, तू रात को यहीं सो जाना। और हाँ, शाम को नहाते वक्त अपने नीचे के बाल साफ कर ले, कितने बड़े-बड़े हैं। तेरे अंकल तो चमका के रखते हैं।” लब्बू शरमाया, बोला, “अंटीजी, आपके नीचे की झाँटें भी तो घनी हैं, पर गोरे जिस्म पर बहुत सेक्सी लगती हैं। कभी मत काटना।” मैं हँसी, और हमने चाय पी। फिर लब्बू खेतों में काम करने चला गया।
शाम को लब्बू नहा-धोकर लूँगी और बनियान पहनकर आया। मैंने कहा, “ड्योढ़ी का दरवाजा बंद कर दे और घोड़ी को बाजरा खिला दे।” हम अपनी लाल घोड़ी को ड्योढ़ी में बाँधते हैं। लब्बू घोड़ी को बाजरा खिलाने लगा, और मैं रसोई में खाना पकाने लगी। खाना बनाकर मैं बाथरूम में नहाने गई। नहाकर निकली तो मैंने पिंक नाइटी पहनी, जिसमें मेरी काली ब्रा और पैंटी साफ दिख रही थीं। मेरे जिस्म से पॉन्ड्स बॉडी लोशन की खुशबू फैल रही थी, और मेरे मम्मे नाइटी में उभरे हुए थे।
हमने खाना खाया, फिर लब्बू का बिस्तर बरामदे में लगाया। वो अपने बिस्तर पर बैठ गया, और टोमी भी दरी पर लेट गया। मैं अंदर गई, टीवी ऑन किया, और हॉल के बेड पर लेटकर टीवी देखने लगी। लेकिन मेरी आँखों के सामने लब्बू का मोटा, काला लंड घूम रहा था। मेरी चूत गीली हो रही थी, पर मैं डर रही थी कि अगर उसका गधे जैसा लंड मेरी चूत में लिया तो शायद चूत फट जाए। रंजीत को क्या मुँह दिखाऊँगी? फिर मैंने लब्बू को पुकारा, “अंदर आ, थोड़ी देर टीवी देख ले।”
लब्बू मेरे बेड के पास सोफे पर बैठ गया। टीवी पर हिंदी फिल्म में एक रोमांटिक सीन आया। लब्बू शरमाकर उठने लगा, तो मैंने रोका, “क्या हुआ?” वो बोला, “अंटीजी, ट्यूबवेल वाली बात याद आ गई, मेरा मन खराब हो रहा है।” मैंने टीवी बंद किया और कहा, “बैठ, थोड़ी बातें करते हैं।” वो सोफे पर बैठ गया, मेरी तरफ देखने लगा। मैंने चिढ़ाते हुए पूछा, “सिर्फ मन खराब हुआ, या तेरा लंड भी खड़ा हो रहा था?” लब्बू ने नजरें झुका लीं, कुछ नहीं बोला।
मैंने पूछा, “कभी इंग्लिश फिल्म देखी?” वो बोला, “शहर के सिनेमा हॉल में एक-दो बार देखी, पर उनमें तो बस लड़ाई और थोड़े गंदे सीन होते हैं।” मैंने कहा, “दूसरी वाली देखी? जिसमें चुदाई होती है, सब नंगे होते हैं।” वो बोला, “सुना है, पर कभी नहीं देखी।” मैंने कहा, “आज मैं तुझे ऐसी फिल्म दिखाती हूँ, पर कसम खा, ट्यूबवेल वाली बात और ये फिल्म किसी को नहीं बताएगा।” लब्बू बोला, “अंटीजी, मैं बच्चा नहीं हूँ। अंकल को पता चला तो गोली मार देंगे।”
मैंने एक पोर्न सीडी निकाली और टीवी पर लगा दी। स्क्रीन पर एक नंगा लड़का एक औरत के मम्मों को चूस रहा था, और वो औरत उसका लंड पकड़कर हिला रही थी। मेरी चूत गीली होने लगी, और लब्बू अपनी लूँगी के ऊपर से लंड मसलने लगा। मैं बेड पर लेटी थी, मैंने नाइटी ऊपर खींची, अपनी गोरी जाँघें नंगी कीं, और पैंटी के ऊपर से चूत रगड़ने लगी। मैंने आहिस्ता से कहा, “लब्बू, तेरा भी मन मम्मे चूसने का कर रहा है?” उसने शरमाते हुए हाँ में सिर हिलाया। मैंने कहा, “कपड़े उतार और मेरे पास बेड पर आ, मेरे मम्मे चूस ले।”
लब्बू ने बनियान उतारी, मेरे पास बेड पर बैठ गया। मैंने नाइटी और ब्रा उतार दी, और उसका मुँह अपने मम्मे से लगाया, बोली, “चूस ले।” उसका एक हाथ मेरे दूसरे मम्मे पर रख दिया। मैंने उसकी लूँगी खोली, उसका मोटा, काला लंड पकड़ा, और पोर्न वाली औरत की तरह हिलाने लगी। लब्बू जोश में आकर मेरे मम्मों को बारी-बारी चूसने लगा, उसके निप्पल चूसने से मेरी चूत और गीली हो गई। उसका लंड गधे जैसा सख्त और बड़ा हो गया था।
टीवी पर औरत ने गाँड ऊपर उठाई, और लड़का उसकी चूत चाटने लगा। मैंने लब्बू से कहा, “ऐसे मेरी चूत चाटेगा?” वो बोला, “हाँ, चाटूँगा।” मैंने पैंटी उतारी, गद्दा फर्श पर बिछाया, टीवी की तरफ मुँह करके घुटनों के बल बैठी, गाँड ऊपर उठाई, और टाँगें चौड़ी कीं। लब्बू मेरे पीछे आया और मेरी झाँटों वाली चूत को चाटने लगा। उसकी जीभ मेरी चूत के दाने को छू रही थी, और मैं सिसकारियाँ भरने लगी, “आह… लब्बू… हाय… और चाट…” वो ऐसे चाट रहा था जैसे मेरी चूत खा जाएगा।
टीवी पर औरत ने लड़के का लंड मुँह में लिया। मैंने लब्बू से कहा, “ऐसा कर।” वो मेरे सामने टाँगें फैलाकर लेट गया। उसका लंड इतना बड़ा था कि मुँह में नहीं आ सकता था। मैंने उसका सुपारा चाटना शुरू किया, खाल पीछे खींचकर उसकी गंध सूँघी। तभी टोमी दरवाजा खोलकर अंदर आ गया और मेरी चूत चाटने लगा। मैं पहले से गर्म थी, लब्बू का लंड पकड़कर और गर्म हो गई, और टोमी की जीभ से मेरी चूत में आग लग गई। मैंने टाँगें और फैलाईं, गाँड ऊपर की, तो टोमी की जीभ मेरी चूत के अंदर तक गई। Kutte se chudai, Dog sex story, Animal Human sex story
मेरा दिल चुदवाने को मचल रहा था। टोमी मेरे मुँह के पास आया और लब्बू का लंड सूँघने लगा। मैंने एक हाथ टोमी के लंड पर फेरा, तो वो रुक गया। मैं लब्बू का लंड चाट रही थी और टोमी का लंड हिला रही थी। तभी टोमी ने कमर हिलाई, मैंने उसका लंड छोड़ा। वो मेरे पीछे गया, मेरे ऊपर चढ़ा, और अपनी टाँगों से मेरी कमर कस ली। उसका गरम, पतला लंड मेरी चूत को छूने लगा। मैंने उसे अपनी चूत पर सेट किया, और वो जोर-जोर से धक्के मारने लगा। मुझे मजा आने लगा, पर एक जोरदार धक्के से मेरी चीख निकल गई। लगा जैसे मेरी चूत फट गई, और मैं बेहोश-सी हो गई।
टोमी ने पकड़ ढीली की और मेरी पीठ पर ढेर हो गया। मैं दर्द से कराह रही थी। जब होश आया, तो पसीने से भीगी थी। लब्बू मुझे पानी पिला रहा था, और टोमी का लंड मेरी चूत में फँसा था। मैं टेढ़ी हुई, तो टोमी ने पलटकर अपनी गाँड मेरी गाँड से चिपकाई। थोड़ी देर बाद टोमी का लंड मेरी चूत में फूलने लगा, छोटे-छोटे झटके देने लगा। मैं फिर गर्म हो गई। मैंने लब्बू को पास बुलाया, उसकी लूँगी खोली, और उसका मोटा लंड चाटने लगी। टोमी के झटके तेज हुए, मैं लब्बू का लंड जोर-जोर से हिलाने लगी, और आहें भरने लगी। जब मैं झड़ने लगी, टोमी ने मेरी चूत में पिचकारी मारी, और मैं शांत हो गई। टोमी ने जोर लगाकर अपना लंड निकाला। मेरी चूत का मुँह खुला रहा, उसमें से पानी टपक रहा था, जो मैंने टॉवल पर गिराया।
मैंने चूत साफ की, तो देखा टोमी अपना लंड चाट रहा था—एक फुट लंबा, मेरी कलाई से मोटा। मैं लब्बू का सहारा लेकर बाथरूम गई, गरम पानी और साबुन से चूत और जाँघें धोईं, क्रीम लगाई, और बेड पर लेट गई। लब्बू सोफे पर लूँगी पहने बैठा था। मैं नंगी लेटी थी। मैंने कहा, “लब्बू, आज मेरे साथ सो जा।” वो मेरे पास लेट गया। मैंने चादर ओढ़ी, उसे बाहों में लिया, और उसके होंठ चूसने लगी। मेरा हाथ उसकी लूँगी पर गया—उसका लंड अभी भी तना था। मैंने लूँगी खोली, ढेर सारी क्रीम लेकर उसके लंड पर लगाई, और मुठ मारने लगी, बोली, “आज तेरा पानी निकालूँगी।”
लब्बू आहें भर रहा था, पर पानी नहीं निकला। मैं पीठ के बल लेटी, टाँगें फैलाईं, और लब्बू को अपने ऊपर खींचा। उसका लंड मेरी चूत पर घिसने लगी, और बोली, “चूत में घुसाने की कोशिश कर।” लब्बू ने सुपारा चूत पर रखा और जोर लगाया। मैं चीख पड़ी, दर्द असहनीय था। लब्बू बोला, “अंटीजी, रहने दो, आप नहीं झेल पाएँगी। आप औरत हैं, घोड़ी थोड़े हैं।” वो मेरे साथ लेट गया। उसकी बात से मुझे घोड़ी का ख्याल आया। मैंने कहा, “लब्बू, एक बात कहूँ, बुरा तो नहीं मानेगा?”
वो बोला, “अंटीजी, आपने मेरे लिए इतना किया, टोमी का लंड भी सहा। मैं बुरा कैसे मानूँगा?”
मैंने लब्बू से पूछा, “कभी घोड़ी को चोदा?” वो बोला, “अंटीजी, बेजुबान जानवर के साथ ज़बरदस्ती करना पाप है।” मैंने हँसकर कहा, “अरे लब्बू, अगर घोड़ी बोल सकती, तो हर पल मर्द से चुदवाती। घोड़ी अपनी मर्ज़ी से चुदवाकर मज़ा लेती है। बड़े-बड़े राजा-महाराजा भी घोड़ी को चोदते थे। औरत से ज़्यादा मज़ा देती है, और गर्भ का डर भी नहीं।” लब्बू शरमाया, बोला, “मुझे घोड़ी चोदना नहीं आता।” मैंने कहा, “चल, मैं सिखाती हूँ।” Ghodi ki chudai, Horse sex story
मैंने चादर लपेटी, लब्बू ने लूँगी पहनी, और हम घोड़ी के तबेले में गए। लाइट जलाई, दरवाज़ा बंद किया। घोड़ी आराम से खड़ी थी। हमने उसे बाजरा खिलाया, वो खुश हो गई। मैंने उसकी गर्दन सहलाई, फिर पीठ पर हाथ फेरा। धीरे-धीरे मेरा हाथ उसके कूल्हों तक गया। मैंने उसकी दुम के नीचे उंगलियाँ डालने की कोशिश की, पर उसने दुम चूत से चिपकाई हुई थी। वो मुझे देखने लगी। मैंने प्यार से पुचकारा, तो उसने दुम धीरे-धीरे उठाई। मेरी उंगलियाँ उसकी चूत तक पहुँचीं। मैंने उसकी चूत की दरार सहलाई, और वो मज़े में दुम और ऊपर उठाने लगी।
मैंने उंगलियाँ उसकी चूत में डालीं, और ऊपर-नीचे करने लगी। घोड़ी ने टाँगें चौड़ी कीं, झुकी, और थोड़ा पेशाब कर दिया। उसकी चूत से लसलसा पानी टपकने लगा। मैं समझ गई, घोड़ी गर्म हो रही थी। मैंने दो उंगलियाँ और डालीं, और तेज़ी से आगे-पीछे की। घोड़ी आँखें बंद करके मज़े ले रही थी। मैंने लब्बू से कहा, “अब अपना लंड ले आ।” उसने लूँगी उतारी, अपने काले, मोटे, तने लंड को पकड़ा, और घोड़ी के पीछे खड़ा हो गया। मैंने कहा, “दुम पकड़, और लंड को चूत के पास ला।”
मैंने लब्बू का लंड पकड़ा, सहलाया, और घोड़ी की गीली चूत पर घिसा। घोड़ी की चूत खुल-बंद हो रही थी। मेरी और लब्बू की साँसें तेज़ थीं। मैंने लब्बू के सुपारे को चूत की दरार पर रगड़ा, जो घोड़ी के चिकने पानी से गीला हो गया। मैंने सुपारा चूत पर अच्छे से घुमाया, जिससे चूत पूरी गीली हो गई। फिर मैंने लब्बू के लंड को चूत के मुँह पर सेट किया और कहा, “घोड़ी चुदने को तैयार है। धीरे-धीरे लंड डाल, पर ज़ोर का धक्का मत मारना, वरना गुस्सा हो जाएगी।”
लब्बू ने धीरे से जोर लगाया, और सुपारा चूत में घुस गया। उसने थोड़ा बाहर खींचा, फिर दोबारा डाला। आधा लंड अंदर गया। एक और धक्के में पूरा लंड घोड़ी की चूत में समा गया। लब्बू बोला, “अंटीजी, मेरा पूरा लंड अंदर गया।” मैंने खुश होकर उसकी पीठ थपथपाई, और उसके काले गाल पर चुम्मा लिया। मैंने कहा, “अब धीरे-धीरे धक्के मार।” लब्बू ने धक्के शुरू किए। घोड़ी आँखें बंद करके मज़े ले रही थी। लब्बू का जोश बढ़ गया, वो तेज़-तेज़ धक्के मारने लगा, बोला, “अंटीजी, ऐसा लग रहा है जैसे मैं आपकी चूत चोद रहा हूँ। हाय, कितनी गर्म है! मम्मा मेरे मुँह में डाल दो, चूसना चाहता हूँ।”
मैंने चादर उतारी, और अपने मम्मे उसके मुँह के पास ले गई। वो एक मम्मा चूसने लगा, और तेज़ धक्के मारने लगा। उसका लंड गधे जैसा फूल गया था। चुदाई देखकर मेरी चूत में आग लग रही थी। मैं चाहती थी कि कोई मेरी चूत भी फाड़ दे। मैंने दरवाज़ा खोला, टोमी को पुकारा। वो दौड़कर आया। मैंने चादर फेंकी, सूखी घास पर घुटनों के बल बैठी, गाँड ऊपर की, और टाँगें फैलाईं। मैंने टोमी से कहा, “मेरी चूत का पानी चाट ले।” टोमी ने मेरी चूत चाटना शुरू किया। उसकी जीभ मेरी चूत के दाने को छू रही थी, और मैं सिसकारियाँ भरने लगी।
टोमी मेरे ऊपर चढ़ा, और उसका पतला, गरम लंड मेरी चूत में घुसने लगा। मैंने उसका साथ दिया, और वो जोर-जोर से धक्के मारने लगा। एक ज़ोरदार धक्के में उसका पूरा लंड मेरी चूत में घुस गया। इस बार दर्द कम था, मज़ा ज़्यादा। टोमी रुका, और उसके लंड के छोटे-छोटे झटके मेरी बच्चेदानी पर लग रहे थे। मैं मज़े में आहें भर रही थी। जब टोमी उतरने लगा, मैंने उसके पंजे पकड़ लिए, बोली, “रुक, मज़ा आ रहा है।” थोड़ी देर बाद मैं झड़ने लगी। मैंने पंजे छोड़े, टोमी उतरा, पर उसका लंड मेरी चूत में फँसा रहा।
उधर लब्बू फचाफच धक्के मार रहा था। अचानक उसने ज़ोर की सिसकारी भरी, और घोड़ी की चूत में झड़ गया। टोमी ने भी मेरी चूत में पिचकारी मारी, और लंड बाहर निकाला। मैं और लब्बू हाँफते हुए एक-दूसरे से लिपट गए। उसने अपनी लूँगी से मेरा चूत और अपना लंड साफ किया। घोड़ी ने पेशाब करके लब्बू का माल बाहर निकाला। टोमी अपना लंड चाटने लगा। मैं और लब्बू बेडरूम में आए, और लिपटकर सो गए।
अगले दिन रंजीत का फोन आया, बोले, “रानो, शायद आज रात भी न आ पाऊँ। लब्बू को बुला लेना।” दोपहर को लब्बू खाना खाने आया। मैंने कहा, “शाम को फिर आ जाना, अंकल शायद न आएँ।” शाम को लब्बू नहा-धोकर आया, घोड़ी को बाजरा खिलाया, और बरामदे में बैठ गया। मैंने खाना बनाया, नहाया, और खुशबूदार बॉडी लोशन लगाया। मैं नंगी थी, लब्बू को बाथरूम बुलाया, बोली, “मेरी पीठ पर लोशन लगा दे।” वो लोशन लगाते-लगाते गर्म हो गया। मेरे मम्मों, गाँड, जाँघों, और चूत पर हाथ फेरने लगा। मैंने कहा, “अगर अंकल न आए, तो रात भर प्यार करेंगे।” वो खुश हो गया।
मैंने लाल ब्रा-पैंटी और नीली नाइटी पहनी, हल्का मेकअप किया, और बाल सेट किए। तभी रंजीत की कार की आवाज़ आई। लब्बू ने ड्योढ़ी का दरवाज़ा खोला, रंजीत ने कार पार्क की। लब्बू ने उनके पैर छुए, उनका सामान अंदर रखा। रंजीत कमरे में आए। मैंने उन्हें गले लगाने की कोशिश की, पर वो बोले, “पहले नहा लूँ।” मैं समझ गई, वो किसी को चोदकर आए हैं। वो बाथरूम गए, मैं चाय बनाने लगी, सोचने लगी, “पता नहीं किसकी चूत मारकर इतने खुश हैं।”
रंजीत स्लीपिंग गाउन पहनकर आए। हम चाय पीने लगे। मैंने लब्बू को चाय दी, पर वो बोला, “अंटीजी, खाना दे दो, मैं क्वार्टर में जाऊँ। अंकल आ गए, मेरा क्या काम?” रंजीत बोले, “रुक, आज पार्टी करेंगे।” लब्बू अंदर आया, मैट पर बैठ गया। रंजीत ने व्हिस्की की बोतल निकाली। मैंने रोस्टेड चिकन गरम किया, जो रंजीत मार्केट से लाए थे। रंजीत ने तीन गिलासों में व्हिस्की डाली, सोडा मिलाया। लब्बू ने मना किया, बोला, “मैं शराब नहीं पीता।” रंजीत बोले, “थोड़ा पी ले, थकान मिटेगी।” मैंने कहा, “पी ले, कुछ नहीं होगा।”
लब्बू ने एक पैग पिया। हमने चिकन खाते हुए दो-दो पैग और लगाए। लब्बू ने सिर्फ़ दो पिए। रंजीत ने एक पटियाला पैग और ठोंका। उन्हें नशा चढ़ गया, मुझे भी हल्का सरूर हुआ। रंजीत ने मुझे गोद में बिठाया, मेरे मम्मे दबाए, गाल चूमने लगे। लब्बू नज़रें झुकाकर उठने लगा। मैंने रंजीत से कहा, “छोड़ो, लब्बू देख रहा है।” मैंने लब्बू से कहा, “बैठ, खाना लाती हूँ।” हमने टीवी देखते हुए खाना खाया। रंजीत ने लब्बू से मज़ाक में पूछा, “तू भाग क्यों रहा था?” लब्बू शरमाया, बोला, “शरम आ रही थी।”
रंजीत बोले, “आजकल शरम कौन करता है? लड़के तो नंगी औरतें देखकर चोदने के सपने देखते हैं। बता, तेरा लंड खड़ा होता है या नहीं?” लब्बू बोला, “होता है, पर मेरे नसीब में कहाँ?” रंजीत ने ब्लू फिल्म लगाई। स्क्रीन पर नंगी लड़कियाँ मस्ती कर रही थीं—कोई मम्मे चूस रही थी, कोई चूत में उंगली डाल रही थी, कोई लंड चूस रही थी। रंजीत ने पूछा, “कैसी लगीं?” लब्बू बोला, “अच्छी हैं, पर पतली हैं। इनके मम्मे छोटे हैं।” रंजीत बोले, “खाना ख़त्म होने पर मोटे मम्मों वाली दिखाऊँगा।”
खाना ख़त्म हुआ, रंजीत ने दूसरी फिल्म लगाई, जिसमें एक गोरा लड़का काली औरत को चोद रहा था। लब्बू बोला, “लड़के का लंड छोटा है।” रंजीत ने पूछा, “कभी औरत को चोदा?” लब्बू बोला, “नहीं।” रंजीत ने कहा, “कभी चुदाई देखी?” लब्बू बोला, “किसको देखता?” रंजीत ने मेरी नाइटी ऊपर उठाकर मेरी गाँड नंगी कर दी, बोले, “आज लब्बू के सामने चुदाई करेंगे।” मैंने मना किया, पर रंजीत ने मेरी नाइटी उतारी, मुझे पूरा नंगा कर दिया। मैंने टाँगें मिलाकर चूत और हाथों से मम्मे छुपाए, बोली, “लब्बू से शरम आ रही है।”
रंजीत बोले, “लब्बू सीखेगा, इसकी शादी होने वाली है।” फिर लब्बू से पूछा, “सुना है तू अपनी मंगेतर मीनू से मिलता है। उसे चोदा?” लब्बू बोला, “कोशिश की, पर चोद न सका। वो रिश्ता तोड़ना चाहती है।” रंजीत ने पूछा, “तेरा लंड खड़ा नहीं होता?” लब्बू बोला, “लोहे जैसा सख्त होता है, पर अंदर नहीं जाता।” रंजीत बोले, “कितना बड़ा है?” लब्बू बोला, “इतना बड़ा कि कोई औरत ले नहीं सकती। इसीलिए शादी टूट रही है।” रंजीत बोले, “आज तेरा लंड खड़ा करवाते हैं। हमारी चुदाई देखकर खड़ा होगा?”
लब्बू बोला, “मुझे बाहर जाने दो, अंटीजी को नंगा नहीं देख सकता।” रंजीत बोले, “तेरी अंटी सुंदर नहीं? इसका जिस्म देखकर तेरा लंड नहीं तनेगा?” लब्बू बोला, “आप दोनों बहुत अच्छे हो। अंटीजी जैसी कोई नहीं।” रंजीत बोले, “सोफे पर बैठ, और देख।” रंजीत ने मेरी टाँगें चौड़ी कीं, मेरी चूत पर हाथ फेरा, बोले, “कैसी है अंटी की चूत?” लब्बू बोला, “प्यारी है।” रंजीत ने मेरी चूत में उंगली डाली, मेरी चूत पानी छोड़ने लगी। रंजीत ने गीली उंगली निकालकर लब्बू से कहा, “कैसी है अंटी की गाँड और चूत?” लब्बू बोला, “बहुत सुंदर।” रंजीत बोले, “चाटने का मन नहीं करता?” लब्बू बोला, “बहुत करता है।”
रंजीत बोले, “आ, जी भरके चाट ले।” वो मेरे सामने लेट गए, बोले, “मेरा लंड चूस।” मैंने रंजीत का लंड मुँह में लिया। लब्बू मेरी चूत चाटने लगा। रंजीत का लंड सख्त हो गया, वो मेरे मुँह में धक्के मारने लगे। लब्बू की जीभ ने मेरी चूत में आग लगा दी। मैंने रंजीत का लंड निकाला, आहें भरी, और बोली, “अब अपना लंड मेरी चूत में डालकर चोद डालो।” रंजीत ने लब्बू से पूछा, “तेरा लंड खड़ा हुआ?” लब्बू बोला, “लोहे जैसा सख्त है, फट जाएगा।” रंजीत बोले, “कपड़े उतार, दिखा।”
लब्बू ने लूँगी और बनियान उतारी। रंजीत ने उसका लंड देखा, बोले, “क्या गधे जैसा लंड है! तू कितना किस्मतवाला है।” रंजीत ने पॉन्ड्स कोल्ड क्रीम ली, मेरी चूत और लब्बू के लंड पर खूब लगाई। लब्बू का लंड मेरी चूत पर रखा, बोले, “धीरे-धीरे घुसा।” मैंने मना किया, बोली, “ये नहीं जाएगा।” लब्बू भी डर गया। रंजीत ने नई पोर्न फिल्म लगाई, जिसमें काले मर्दों के बड़े लंड से औरतें चूत और गाँड मरवा रही थीं। रंजीत बोले, “देख, औरतें बड़े लंड कैसे लेती हैं। थोड़ा दर्द होगा, फिर मज़ा आएगा।”
मैंने सोचा, टोमी का लंड तो गया था, शायद लब्बू का भी जाए। मैंने क्रीम ली, लब्बू के सुपारे और अपनी चूत के अंदर लगाई। मुस्कुराकर बोली, “लब्बू, अब मेरा चीख निकले या चूत फटे, तेरा लंड घुसा दे।” मैंने टाँगें चौड़ी कीं, सिर रंजीत की गोद में रखा, और लब्बू का लंड चूत पर सेट किया। लब्बू ने मेरी कमर पकड़ी, और धीरे-धीरे जोर लगाया। मेरी चीख निकली, उसका लंड सरकता हुआ अंदर गया। वो रुका, बोला, “अंटीजी, आधा घुस गया।” मैंने कहा, “थोड़ा बाहर निकाल, फिर जोर से डाल।” उसने ऐसा किया, बोला, “थोड़ा बाकी है, बाकी सारा घुस गया।” मैंने कहा, “रुक, धीरे-धीरे धक्के मार।”
लब्बू ने धक्के शुरू किए। मुझे मज़ा आने लगा। मैंने रंजीत का लंड फिर मुँह में लिया, चूसने लगी। लब्बू की स्पीड बढ़ी, मैं बोली, “तेज़ धक्के मार, मेरी चूत फाड़ दे।” रंजीत का लंड सख्त हुआ, उन्होंने मेरे मुँह में पिचकारी मारी। मैंने सारा पानी पी लिया, और लंड चाटकर साफ किया। रंजीत मेरे पीछे गए, लब्बू के लंड को अंदर-बाहर होते देखने लगे, और हमारी पीठ थपथपाने लगे। मैं गाँड हिलाकर चुदवाने लगी, बोली, “लब्बू, और तेज़, फाड़ दे!” मैं झड़ गई। लब्बू ने मेरी कमर कसकर पकड़ी, तेज़ धक्के मारे, और मेरी चूत में पिचकारी छोड़कर मेरी पीठ पर ढेर हो गया।
रंजीत ने टोमी को बुलाया। टोमी ने लब्बू का लंड चाटा, फिर मेरी चूत साफ की। टोमी की जीभ से मैं फिर गर्म हो गई। टोमी मेरे ऊपर चढ़ा, मेरी कमर जकड़ी, और तेज़ धक्के मारने लगा। रंजीत उसे हटाने लगे, पर तब तक टोमी का लंड मेरी चूत में घुस चुका था। दस मिनट तक वो मेरी चूत में फँसा रहा, फिर झड़ गया, और लंड निकालकर चाटने लगा। मैं मुश्किल से बाथरूम गई, चूत धोई, और बेड पर लेट गई।
लब्बू बाहर जाने लगा, बोला, “अंकल, एक काम कर दो। मेरी शादी टूटने से बचा लो।” रंजीत बोले, “क्या करना होगा?” लब्बू बोला, “मेरी मंगेतर मीनू की चूत खोल दो, ताकि मेरा लंड उसमें जाए।” रंजीत बोले, “उसे ले आ, मैं चोद दूँगा।” लब्बू खुश होकर सोने चला गया। और फिर मैं, रंजीत, लब्बू, उसकी बीवी मीनू, टोमी, और हमारी घोड़ी—सब चुदाई का मज़ा लेते रहे।
कहानी का अगला भाग: नौकर(लब्बू) की मंगेतर की सील खोली