Hot teacher sex ये बात उन दिनों की है जब मैं, हरीश सोनी, 18 साल का था और 12वीं की बोर्ड परीक्षा देकर फ्री हो चुका था। रिजल्ट आने में अभी तीन महीने बाकी थे। ये वो उम्र होती है जब हर जवान लड़के का लंड जवानी की गर्मी में तनने लगता है। मेरे भी मन में हर वक्त बस एक ही ख्याल रहता था – किसी नशीली चूत का रस चखने का। मेरी काली, घुंघराली झांटें और 7 इंच का तना हुआ लंड मुझे हर पल उकसाता था कि जल्दी से किसी की चूत में घुस जाऊं। मैंने सोचा कि फ्री टाइम को बर्बाद करने से बेहतर है कुछ सीख लिया जाए। इसलिए मैंने पास के एक नए इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स में एडमिशन ले लिया।
कोचिंग सेंटर हमारे घर से थोड़ी ही दूर था। मैं वहां पहुंचा तो मेरा सामना एक ऐसी औरत से हुआ कि मेरा लंड चड्डी में ही उछलने लगा। वो थी मेरी टीचर, निशा मैडम – 27 साल की, शादीशुदा, गोरा-चिट्टा बदन, भरा हुआ जिस्म, और चेहरा ऐसा कि कोई भी पागल हो जाए। उनकी आंखों में एक अजीब सी चमक थी, जो मेरे दिल को छेद रही थी। उनके बूब्स, करीब आधा-आधा किलो के, ब्लाउज में कैद थे, और उनकी मोटी, गदराई गांड साड़ी में ऐसे हिलती थी जैसे मुझे बुला रही हो – “आजा हरीश, इस गांड को बजा दे!” उनकी खुशबूदार सांसें मेरे मन में तूफान मचा रही थीं। मैं तो बस उन्हें वहीं चोदना चाहता था, पर क्या करता, वहां तो पढ़ने गया था।
एडमिशन लेते वक्त निशा मैडम मुझे आंखों ही आंखों में तौल रही थीं। मैंने भी उनके जिस्म को घूरा। उनकी साड़ी में से उनका काला ब्रा साफ दिख रहा था, और उनके बूब्स का उभार मेरे लंड को मस्ती चढ़ा रहा था। मैंने पूछा, “मैडम, कितने बजे आना है?” वो मुस्कुराईं और बोलीं, “सुबह 7 बजे, हरीश।” मैंने कहा, “साथ में क्या लाना है?” वो बोलीं, “बस एक कॉपी, और कुछ नहीं।” मैं घर वापस आया, लेकिन सारी रात नींद नहीं आई। बार-बार निशा मैडम की हंसी, उनका चेहरा, और उनके ब्लाउज में कैद बूब्स मेरे दिमाग में घूमते रहे। उनकी चूत कैसी होगी? गुलाबी होगी या हल्की भूरी? उसका रस कितना नशीला होगा? क्या उनकी चूत की फांकें गुलाब की पंखुड़ियों सी होंगी? ये ख्याल मेरे लंड को और कड़क कर रहे थे। रात में मैंने दो बार मुठ मारी, लेकिन फिर भी मन शांत नहीं हुआ। मेरा लंड चड्डी में गीला कर चुका था।
अगले दिन सुबह मैं जल्दी उठा, नहाया, और टाइम से कोचिंग पहुंच गया। क्लास में कुछ और लड़कियां थीं, कुछ हसीन, कुछ हाई-क्लास शादीशुदा औरतें भी, जो इंग्लिश सीखकर सोसाइटी में रुतबा बनाना चाहती थीं। मैं पीछे की सीट पर बैठ गया। थोड़ी देर बाद निशा मैडम आईं। उन्होंने लाइट पिंक साड़ी पहनी थी, जिसके नीचे उनका काला ब्रा साफ दिख रहा था। साड़ी का पल्लू थोड़ा हट गया था, जिससे उनके बूब्स की गहरी लाइन मेरे लंड को ललचा रही थी। वो बोलीं, “हरीश, तुम आगे आकर बैठो।” मैं उनकी बात मानकर आगे की सीट पर बैठ गया। उन्होंने क्लास शुरू की, “हाय, मैं निशा हूं। अब आप सब अपना परिचय दो।” सबने अपना-अपना नाम बताया। फिर वो ब्लैकबोर्ड की तरफ मुड़ीं और लिखने लगीं। उनकी गांड मेरे सामने थी – मोटी, गोल, और साड़ी में ऐसी हिल रही थी कि मेरा मन उसे वहीं पकड़कर चोदने को कर रहा था। 18 साल की जवानी कहां चैन लेती है!
वो जब मेरे पास आईं, तो उनकी नाभि मेरे चेहरे के इतने करीब थी कि मैं उसकी महक से पागल हो रहा था। उनकी गहरी, गोल नाभि से एक मीठी सी खुशबू आ रही थी, जो मेरे लंड को और तना रही थी। अचानक उनका पेन गिर गया। वो नीचे झुकीं तो उनके बूब्स मेरे मुंह के सामने आ गए। मैंने उनके ब्लाउज के अंदर की गहरी खाई को देखा और मन में सोचा, “बस, अब तो इनकी चूत चोदनी ही है।” क्लास खत्म हुई तो निशा मैडम ने मुझे रुकने को कहा। सबके जाने के बाद वो मेरे पास आईं और बोलीं, “हरीश, तुम तो बड़े हैंडसम लग रहे हो।” मैंने शरमाते हुए कहा, “थैंक यू, मैडम।” वो बोलीं, “अब बताओ, तुम क्या करते हो?” मैंने कहा, “12वीं का एग्जाम दिया है, अब फ्री हूं।” वो हंसीं और बोलीं, “मतलब अब तुम बिल्कुल जवान हो गए हो, है ना?” मैंने कहा, “हां, मैडम।”
वो थोड़ा रुकीं, फिर बोलीं, “हरीश, तुम्हारा वो… केला तो काफी बड़ा है।” मैं समझ गया कि वो मेरे लंड की बात कर रही थीं, लेकिन मैंने अनजान बनते हुए पूछा, “कौन सा केला, मैडम?” वो हंस पड़ीं और बोलीं, “अरे, वही जो तुम्हारी पैंट में तन रहा है। लगता है इसने अभी तक किसी चूत का स्वाद नहीं चखा।” मैंने जल्दी से पैंट की तरफ देखा। गलती से मैं उस दिन अंडरवियर पहनना भूल गया था, और मेरा 7 इंच का लंड पैंट में साफ उभर रहा था। मैं शरमाया, लेकिन हिम्मत करके बोला, “हां मैडम, अभी तक किसी की चूत नहीं चखी।” वो मुस्कुराईं और बोलीं, “शिनवार को सुबह 6 बजे मेरे घर आ सकते हो? मैं अकेली रहती हूं। मेरे पति नेवी में हैं, और हमारे कोई बच्चे नहीं हैं। तुम आओगे तो मुझे अच्छा लगेगा।” मैंने तुरंत हां कर दी। मैं समझ गया था कि निशा मैडम को मेरे लंड की सैर चाहिए थी। उनकी चूत की खुजली मिटाने के लिए मेरा लंड ही चाहिए था।
सारी रात मैं निशा मैडम के ख्यालों में खोया रहा। सुबह 5 बजे अलार्म लगाकर उठा। मम्मी ने पूछा, “इतनी सुबह कहां जा रहे हो?” मैंने कहा, “मम्मी, अब रोज सुबह जॉगिंग करूंगा, फिर कोचिंग जाऊंगा।” मैंने टैक्सी ली और निशा मैडम के बताए पते पर पहुंच गया। डोरबेल बजाई तो थोड़ी देर बाद वो काली नाइटी में दरवाजा खोलने आईं। नाइटी के ऊपर के दो बटन खुले थे, और उन्होंने ब्रा नहीं पहनी थी। उनके गोरे, मोटे बूब्स साफ दिख रहे थे। नीचे पेटीकोट भी नहीं था, और जब उन्होंने मेरा हाथ पकड़कर मुझे अंदर खींचा, तो उनका नंगा बदन मेरे हाथों में आ गया। मेरी धड़कन बढ़ गई। वो बोलीं, “हरीश, बस ऐसे ही खड़े रहोगे या मुझे अपनी बाहों में उठाकर बेडरूम ले जाओगे? मेरी जवानी कब से किसी मोटे लंड की तलाश में जल रही है।” मैंने कॉपी टेबल पर फेंकी और उन्हें अपनी बाहों में उठा लिया। उनके खुले बाल मेरे कंधों पर गिर रहे थे। उन्होंने मेरे होंठों को अपने होंठों में कैद कर लिया और चूसने लगीं। मैंने उन्हें सीधे बाथरूम में ले जाकर खड़ा किया। मौसम गर्म था, और मैं चाहता था कि पहले उन्हें नहलाकर और गरम करके मजे लूं।
बाथरूम में मैंने उनकी नाइटी के ऊपर से उनके मांसल जिस्म को दबाया। उनकी नाइटी गीली हो रही थी, और मैंने उनके हाथ ऊपर उठाकर धीरे-धीरे नाइटी उतार दी। अब वो मेरे सामने पूरी नंगी थीं। उनका गोरा, दूधिया बदन, मोटे बूब्स, और हल्की काली झांटों के बीच गुलाबी चूत देखकर मेरा लंड फुंफकारने लगा। मैंने शावर ऑन किया। पानी उनके जिस्म पर गिर रहा था, और उनकी चूत की झांटों पर चांदी की तरह चमक रही थी। मैंने उनके होंठों को चूमा, फिर गालों पर जीभ फेरी। उनकी सांसें गर्म थीं, और वो हल्के से सिसक रही थीं – “आह… हरीश… ऐसे ही… चूसो मुझे…” मैंने उनके बूब्स को दोनों हाथों से पकड़ा और जोर-जोर से दबाया। उनके गुलाबी निप्पल सख्त हो चुके थे। मैंने एक निप्पल मुंह में लिया और चूसने लगा, फिर जीभ से गोल-गोल घुमाकर चाटा। वो सिसकियां ले रही थीं – “आआह… ऊऊ… हरीश… और चूसो… मेरे निप्पल कब से तड़प रहे हैं…”
मैंने उनके दोनों बूब्स को बारी-बारी से चूसा, दबाया, और निप्पलों को जीभ से उकसाया। वो मेरी जीभ के साथ अपनी जीभ मिलाकर अपने निप्पल चाट रही थीं। उनके बूब्स फूलकर और बड़े हो गए थे। मैं नीचे उनकी नाभि पर आया। उनकी गहरी, गोल नाभि में मैंने जीभ डाली और चाटने लगा। वो सिहर उठीं – “उफ्फ… हरीश… ये क्या कर रहे हो… मेरी जान निकल रही है…” मैंने 5 मिनट तक उनकी नाभि को चाटा, फिर उनकी चूत की तरफ बढ़ा। उनकी काली, घुंघराली झांटें पानी से गीली थीं। मैंने अपनी जीभ से उनकी झांटों को चाटा, और पानी की बूंदों को पी लिया। जब मैंने उनकी झांटें हल्के से खींचीं, तो वो चीख पड़ीं – “आआह… ऊऊऊ… हरीश… मत तड़पाओ… मेरी चूत को चाटो ना…”
मैंने उनकी टांगें चौड़ी कीं और उनकी गुलाबी चूत को देखा। वो मक्खन सी मुलायम थी। मैंने अपनी दो उंगलियां उनकी चूत में डालीं और धीरे-धीरे अंदर-बाहर की। उनकी चूत गीली थी, और उसका रस मेरी उंगलियों पर चिपक रहा था। मैंने अपनी जीभ उनकी चूत के सिंगल पर रखी और चाटना शुरू किया। “आआह… ऊऊ… हरीश… ये क्या मजा दे रहे हो… मेरी चूत को चाट डालो…” वो सिसक रही थीं। मैंने उनकी चूत का रस 10 मिनट तक चाटा, जीभ को अंदर-बाहर किया, और उनके सिंगल को चूसा। फिर मैंने एक उंगली उनकी गांड के छेद में डाली। वो चीखीं – “उफ्फ… हरीश… ये क्या… मेरी गांड में भी आग लगा दी…”
मैंने अपना अंडरवियर उतारा। मेरा 7 इंच का लंड तनकर रॉड की तरह खड़ा था। निशा मैडम उठीं और 69 की पोजीशन में मेरे ऊपर लेट गईं। वो मेरा लंड अपने मुंह में ले चुकी थीं। उनका मुंह मेरे लंड के सुपाड़े को चूस रहा था, और वो जीभ से मेरे सुपाड़े को चाट रही थीं। “उम्म… हरीश… तेरा लंड कितना मस्त है… इतना बड़ा… चूसने का मजा आ रहा है…” मैं उनकी चूत को नीचे से चाट रहा था, और उनका रस मेरे मुंह में जा रहा था। वो मेरे लंड को 7 मिनट तक चूसती रहीं, और मेरा लंड अब पूरा कड़क हो चुका था। मैंने कहा, “मैडम… मैं झड़ने वाला हूं…” वो बोलीं, “हरीश, मेरे मुंह में झड़ जाओ, राजा…”
वो मेरे सामने घुटनों पर बैठ गईं, मुंह खोला, और जीभ बाहर निकाली। मैंने अपने लंड को हिलाया और सारा गर्म वीर्य उनकी जीभ पर गिराया। वो मेरे वीर्य की हर बूंद को चाट गईं और बोलीं, “हरीश… तेरा रस तो जन्नत का स्वाद है…” फिर वो उठीं, मुंह धोया, और बोलीं, “अब मुझे बेडरूम में ले चल, राजा। मेरी चूत को चोद डाल।”
मैंने उन्हें बाहों में उठाया और बेड पर लिटा दिया। उनकी टांगें चौड़ी कीं ताकि उनकी गुलाबी चूत मेरे सामने खुल जाए। मैंने उनकी चूत को फिर से चाटा, अपने थूक से और गीली की। वो सिसक रही थीं – “आआह… ऊऊ… हरीश… बस कर… अब चोद दे मुझे…” मैंने उनके बूब्स को फिर से दबाया, निप्पलों को चूसा, और उनकी चूत पर अपना लंड रगड़ा। मेरा सुपाड़ा उनकी चूत के मुंह पर टिका था। वो बोलीं, “हरीश… डाल दे अपना शेर मेरी चूत में… मेरी खुजली मिटा दे…”
मैंने धीरे से जोर लगाया, और मेरा लंड “खच” की आवाज के साथ उनकी गर्म चूत में समा गया। वो चीखीं – “आआह… ऊऊऊ… हरीश… कितना मोटा है तेरा लंड…” मैंने धक्के शुरू किए, धीरे-धीरे, फिर तेज। मेरा लंड उनकी चूत में अंदर-बाहर हो रहा था, और हर धक्के के साथ उनकी चूत “पच-पच” की आवाज कर रही थी। उनके बूब्स हिल रहे थे, और मैंने उन्हें जोर-जोर से दबाया। वो सिसक रही थीं – “आआह… ऊऊ… हरीश… चोद डाल मेरी चूत को… फाड़ दे इसे…” मैंने 15 मिनट तक उनकी चूत को चोदा, उनके निप्पलों को चूसा, और उनकी नाभि पर जीभ फेरी।
फिर मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उनका रस उनकी चूत और नाभि पर गिराया। वो शांत हो चुकी थीं, और मेरी सांसें भी तेज चल रही थीं। ये मेरा पहला सेक्स क्लास था, और मुझे अनोखा मजा मिला था।
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