नानी को मस्त चोद रहे थे नाना

दोस्तों, मेरा नाम राज है। मैं 21 साल का हूँ, मध्यप्रदेश के एक छोटे से गाँव का रहने वाला। मैं लंबा-चौड़ा हूँ, गोरा रंग, और कॉलेज में पढ़ता हूँ। मेरे नाना, जिनका नाम रामलाल है, 60 साल के हैं। वो पतले-दुबले हैं, लेकिन खेतों में काम करने की वजह से उनकी ताकत कमाल की है। उनका चेहरा सख्त, बाल सफेद, और आँखों में हमेशा एक शरारती चमक रहती है। मेरी नानी, जिनका नाम सरोज है, 50 साल की हैं। वो थोड़ी मोटी हैं, लेकिन उनकी गोरी त्वचा, भारी-भरकम चूचियाँ, और गोल-मटोल गाण्ड देखकर कोई भी ललचा जाए। उनकी हँसी में एक अजीब-सी मासूमियत है, जो उनकी उम्र को धोखा देती है। ये कहानी एक सच्ची घटना पर आधारित है, मेरे नाना-नानी की चुदाई की, जो मैंने अपनी आँखों से देखी।

बात उस वक्त की है जब मैं छुट्टियों में मामा के घर गया था। मामा और मामी शहर में रहते हैं, तो उनके गाँव के घर में सिर्फ़ नाना-नानी रहते थे। मैं सुबह-सुबह वहाँ पहुँचा। गाँव की हवा में मिट्टी की सौंधी खुशबू थी, और आसपास खेतों की हरियाली। नाना खेत में गए हुए थे। नानी रसोई में खाना बना रही थीं। उनकी साड़ी का पल्लू बार-बार कंधे से सरक रहा था, और वो उसे ठीक करती हुई मुझे देखकर मुस्कुराईं। “आ गया बेटा, चल, खाना तैयार है,” उन्होंने गर्मजोशी से कहा। मैंने देखा, उनकी साड़ी में से उनकी कमर की गोरी चमक झलक रही थी।

थोड़ी देर बाद नाना खेत से लौटे। उनके कपड़े मिट्टी से सने थे, लेकिन चेहरे पर वही शरारती मुस्कान। हमने साथ में खाना खाया—गर्मागर्म रोटियाँ, दाल, और आलू की सब्जी। खाने के बाद मैं अपनी ऑनलाइन पढ़ाई में लग गया। मामा के घर में बिजली का कनेक्शन अच्छा था, लेकिन इंटरनेट थोड़ा धीमा चल रहा था। मैंने लैपटॉप खोला और नोट्स पढ़ने लगा। नानी पास बैठकर मेरे कॉलेज की बातें पूछ रही थीं। उनकी आवाज़ में एक अजीब-सी उत्सुकता थी, जैसे वो मेरे जवानी के दिनों को याद कर रही हों।

रात हुई। हमने फिर खाना खाया। नानी ने मक्के की रोटी और सरसों का साग बनाया था। खाने के बाद नाना-नानी गाँव में टहलने निकल गए। गाँव में रात को लोग अक्सर टहलते हैं, गप्पें मारते हैं। मैं बाहर बरामदे में बिछौना डालकर पढ़ाई करने लगा। आसमान में तारे चमक रहे थे, और ठंडी हवा चल रही थी। थोड़ी देर बाद मैं सोने की तैयारी करने लगा। मैंने जानबूझकर खर्राटे लेने का नाटक किया, ताकि नाना-नानी को लगे कि मैं सो गया हूँ। वो दोनों टहलकर लौटे और अंदर चले गए। लोहे की जाली वाला गेट बंद करने की आवाज़ आई।

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रात के करीब 11 बजे मुझे बाथरूम जाना पड़ा। मैं उठा और चुपके से घर की ओर गया। तभी मुझे नाना-नानी की बातें सुनाई दीं। मेरी उत्सुकता बढ़ी। मैं जाली वाले गेट के पास रुक गया। अंदर का नज़ारा देखकर मेरे होश उड़ गए। नाना-नानी एक ही बेड पर लेटे थे। नाना सिर्फ़ काले रंग की अंडरवियर में थे, और नानी ने लाल साड़ी पहनी थी, जिसका पल्लू नीचे सरक गया था। उनकी गोरी चूचियाँ ब्लाउज़ में से उभरी हुई दिख रही थीं। नानी का पेट थोड़ा बाहर निकला था, जो उनकी मोटापे की वजह से और आकर्षक लग रहा था।

अचानक नानी उठीं। उनकी आँखों में शरारत थी। वो हँसते हुए बोलीं, “क्या रामलाल, अब भी वही पुरानी आदत? सोया हुआ लंड लेकर सो रहे हो?” उन्होंने नाना की अंडरवियर खींचकर उतार दी। नाना का लंड, जो अभी ढीला था, बाहर आ गया। नानी ने उसे हाथ में लिया और धीरे-धीरे सहलाने लगीं। फिर झुककर उसे मुँह में ले लिया। “उम्म… आह्ह…” नानी की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। वो लंड को चूस रही थीं जैसे कोई बच्चा लॉलीपॉप चूसता है। नाना के चेहरे पर मज़ा साफ दिख रहा था। वो बोले, “सरोज, तू तो अब भी जवान लड़कियों को मात देती है। चूस और जोर से!”

मैं बाहर खड़ा ये सब देखकर दंग था। मेरा 7 इंच का लंड पजामे में तन गया। मैंने धीरे से पजामा ढीला किया और अपने लंड को सहलाने लगा। नानी की चूसने की कला देखकर नाना का लंड अब पूरी तरह खड़ा हो गया था। वो 6 इंच का, मोटा और सख्त। नाना ने नानी को बेड पर लिटाया। “अब तुझे मज़ा चखाता हूँ,” नाना ने शरारती लहजे में कहा। उन्होंने नानी की साड़ी को कमर तक उठा दिया। नानी की गोरी चूत मेरे सामने थी—बिल्कुल चिकनी, रसीली, और हल्की-हल्की बालों वाली। नाना ने नानी की टाँगें फैलाईं और उनकी चूत को चाटने लगे। “आह्ह… ऊह्ह… रामलाल, और चाटो… रुकना मत!” नानी सिसकारियाँ ले रही थीं। उनकी चूत से रस टपक रहा था, और नाना उसे जीभ से चाट-चाटकर पी रहे थे।

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नानी की सिसकारियाँ तेज हो गईं, “उम्म… हाय… और गहरा चाटो!” नाना की जीभ उनकी चूत के अंदर-बाहर हो रही थी। मैं बाहर खड़ा अपने लंड को जोर-जोर से मसल रहा था। मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। ये सब देखकर मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं कोई सपना देख रहा हूँ। लेकिन ये हकीकत थी।

नाना उठे और पास के कमरे से तेल की शीशी ले आए। उन्होंने नानी की साड़ी और पेटीकोट को खींचकर पूरी तरह उतार दिया। अब नानी सिर्फ़ हरे रंग के ब्लाउज़ में थीं। उनकी चूचियाँ ब्लाउज़ में कैद थीं, लेकिन निप्पल साफ दिख रहे थे। नाना ने नानी की चूत पर तेल लगाया। “ये ले, अब और मज़ा आएगा,” नाना ने कहा। उन्होंने अपने लंड पर भी तेल मला। नानी ने शरारती अंदाज़ में कहा, “जल्दी करो ना, कितना तड़पाओगे? मेरी चूत तो पहले से ही गीली है!” नाना ने नानी की टाँगें और चौड़ी कीं, अपने लंड को चूत के मुँह पर सेट किया, और एक जोरदार धक्का मारा। “आह्ह्ह… ऊऊऊ…” नानी के मुँह से चीख निकल गई। वो दर्द और मज़े में सिसकार रही थीं। लेकिन उन्हें याद आया कि मैं बाहर सोया हूँ, तो वो चुप हो गईं।

“चप-चप… थप-थप…” की आवाज़ कमरे में गूँजने लगी। नाना का पूरा लंड नानी की चूत में समा गया था। वो धीरे-धीरे धक्के मार रहे थे, लेकिन नानी ने कहा, “और जोर से, रामलाल! फाड़ दो मेरी चूत!” नाना ने अपनी रफ्तार बढ़ा दी। “थप-थप-थप…” की आवाज़ और तेज हो गई। नाना ने नानी का ब्लाउज़ फाड़ दिया। नानी की गोरी-गोरी चूचियाँ मेरे सामने थीं—बड़ी, रसभरी, और हल्के भूरे निप्पल्स। नाना ने एक चूची को मुँह में लिया और चूसने लगे, जबकि दूसरी को जोर-जोर से दबा रहे थे। “आह्ह… और जोर से… चोदो मुझे!” नानी सिसकारियाँ ले रही थीं। उनकी चूत से रस बह रहा था, जो बेडशीट पर फैल गया था।

नाना ने नानी को किस करना शुरू किया। उनकी जीभ नानी के मुँह में थी। वो एक-दूसरे को चूमते हुए चुदाई का मज़ा ले रहे थे। नानी की सिसकारियाँ अब और तेज हो गई थीं, “उम्म… आह्ह… और गहरा… मेरी चूत को रगड़ दो!” नाना ने अपनी स्पीड और बढ़ा दी। “पच-पच… थप-थप…” की आवाज़ पूरे कमरे में गूँज रही थी। नानी की चूचियाँ हर धक्के के साथ हिल रही थीं। मैं बाहर खड़ा ये सब देखकर अपने लंड को जोर-जोर से हिला रहा था। मेरा माल निकलने वाला था, लेकिन मैं रुक गया, ताकि और मज़ा ले सकूँ।

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करीब 15 मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद नाना झड़ गए। “आह्ह…” उन्होंने एक लंबी सिसकारी ली और अपना सारा माल नानी की चूत में निकाल दिया। नानी की चूत से उनका माल बहकर बाहर आने लगा। नाना पसीने से तर-बतर थे। वो हाँफते हुए बगल में लेट गए। लेकिन नानी अभी संतुष्ट नहीं हुई थीं। वो गुस्से में बोलीं, “बस इतना ही? तुम तो अपनी आग बुझाकर सो गए! मेरी चूत अभी भी जल रही है। कुछ तो शर्म करो, रामलाल!” नानी का चेहरा लाल था, और उनकी साँसें तेज चल रही थीं। वो उठीं और बाथरूम की ओर चली गईं।

मैं बाहर खड़ा ये सब देखकर मुठ मार रहा था। नानी जब बाथरूम से लौटीं, वो पूरी नंगी थीं। उनकी चूचियाँ और गाण्ड हिल रही थीं। वो आईं, अपनी साड़ी उठाई, और धीरे-धीरे पहनने लगीं। मैं चुपके से अपने बिछौने पर लौट आया। मेरा माल भी निकल चुका था, और मैं हाँफ रहा था। मैं लेट गया और सो गया।

अगली सुबह सब कुछ सामान्य था। नानी रसोई में खाना बना रही थीं, और नाना खेत जाने की तैयारी कर रहे थे। लेकिन मेरे दिमाग में रात का वो नज़ारा बार-बार घूम रहा था।

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