नानाजी का प्यार-1

Nanaji ke sath chudai – Nana sex stroy मैं, पायल सिंह, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक बड़े शहर में रहती हूँ। उम्र 20 साल, लंबाई 5 फीट 8 इंच, गोरा रंग, और बदन ऐसा कि लोग घूरते रह जाएँ। मेरे बड़े-बड़े वक्ष और पतली कमर की वजह से कॉलेज में लड़के और यहाँ तक कि कुछ प्रोफेसर भी मुझे ताड़ते रहते हैं। मैं बी.ए. सेकंड ईयर की स्टूडेंट हूँ, एक गर्ल्स कॉलेज में पढ़ती हूँ। मेरी छोटी बहन, नेहा, 18 साल की है, स्कूल में है, और मम्मी-पापा दोनों जॉब करते हैं। मम्मी बैंक में क्लर्क हैं, और पापा एक प्राइवेट फर्म में मैनेजर। हमारा घर शहर के बीचों-बीच एक पॉश इलाके में है, जहाँ मैं और मेरी फैमिली आराम से रहते हैं।

करीब एक महीने पहले की बात है, मेरे दूर के रिश्ते के नानाजी हमारे घर आए थे। नानाजी, जिनका नाम रामलाल है, करीब 65 साल के हैं। गाँव में रहते हैं, लेकिन उनकी सेहत और ताकत देखकर कोई नहीं कहेगा कि वो इतने बुजुर्ग हैं। चौड़ा सीना, कद ठीक-ठाक, और चेहरे पर एक अजीब सी चमक जो मुझे हमेशा थोड़ा असहज करती थी। वो हमारे घर कुछ दिनों के लिए रुके थे, क्योंकि गाँव में उनका घर कुछ रिपेयर के लिए बंद था।

मैंने पहले दिन से ही नोटिस किया था कि नानाजी का ध्यान मेरे शरीर पर ज्यादा रहता है। खासकर मेरे बड़े-बड़े वक्षों पर उनकी नजरें बार-बार ठहरती थीं। शुरू में मुझे अजीब लगा, लेकिन फिर मैंने सोचा, शायद बुजुर्ग हैं, आदत होगी। पर उनकी नजरों में वो भूख थी, जो मैंने कई लड़कों की आँखों में कॉलेज में देखी थी।

एक सुबह की बात है। मम्मी-पापा अपने ऑफिस चले गए थे, और नेहा स्कूल। घर में सिर्फ मैं और नानाजी थे। उस दिन मैंने कॉलेज स्किप कर दिया था, क्योंकि मूड नहीं था। मैंने एक ढीली सी सलवार-कमीज पहनी थी, जो मेरे बदन को और उभार रही थी। सलवार पुरानी थी, और जाँघों के पास उसकी सिलाई थोड़ी उधड़ी हुई थी। मैंने जानबूझकर अंदर पैंटी नहीं पहनी थी, क्योंकि मुझे गर्मी में बिना अंडरगारमेंट्स के आराम मिलता है।

सुबह नाश्ता देने के लिए मैं नानाजी के पास गई। मैंने एक ट्रे में चाय और पराठे रखे और उनके सामने झुकी। मेरी कमीज का गला थोड़ा ढीला था, और जैसे ही मैं झुकी, मेरे वक्षों की गहरी घाटी साफ दिखने लगी। नानाजी की आँखें मेरे सीने पर टिक गईं। उनकी नजरें इतनी बेशर्म थीं कि मुझे अंदर तक गुदगुदी सी होने लगी। मैंने जानबूझकर थोड़ा और झुककर उन्हें और दिखाया, और फिर नॉर्मल होकर ट्रे टेबल पर रख दी।

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तभी मेरे दिमाग में एक शरारती ख्याल आया। घर में कोई नहीं था, और मौका था नानाजी की इस भूख को और भड़काने का। मेरा इरादा सेक्स का नहीं था, बस उन्हें तड़पाना चाहती थी। मैंने सोचा, क्यों न थोड़ा मस्ती की जाए? मैंने नानाजी से कहा, “नानाजी, चलिए ड्राइंग रूम में बैठकर टीवी देखते हैं।”

नानाजी तुरंत मान गए और ड्राइंग रूम में चले गए। मैं उनके सामने वाले सोफे पर बैठ गई, अपनी टाँगें मोड़कर। मेरी सलवार की उधड़ी सिलाई की वजह से मेरी गोरी जाँघें और योनि के पास का हिस्सा साफ दिख रहा था। मैंने जानबूझकर ऐसी पोजीशन ली कि नानाजी को सब कुछ साफ दिखे। मेरी योनि के घने बाल और उसकी गुलाबी फाँकें सलवार के खुले हिस्से से झाँक रही थीं।

नानाजी की नजर मेरी टाँगों के बीच पड़ी। मैंने अखबार उठाकर पढ़ने का नाटक शुरू किया, लेकिन कनखियों से उन्हें देख रही थी। उनकी आँखें मेरी योनि पर टिकी थीं, और वो एकटक देख रहे थे। मैंने देखा कि उनकी धोती में हलचल होने लगी। नानाजी ने धीरे से अपना हाथ धोती के अंदर डाला और अपने लिंग को सहलाने लगे। ये देखकर मेरे बदन में सिहरन सी दौड़ गई। मेरी योनि से हल्का सा स्नेहक स्राव होने लगा, और मुझे अंदर ही अंदर गर्मी महसूस होने लगी।

थोड़ी देर बाद नानाजी ने अपनी धोती हटाई और अपना लिंग बाहर निकाल लिया। मैं चौंक गई। 65 साल की उम्र में उनका लिंग इतना सख्त और मोटा था कि मैं देखकर दंग रह गई। करीब 7 इंच लंबा और इतना मोटा कि मेरे हाथ में शायद पूरा न आए। उनका शिश्न-मुंड गुलाबी और फूला हुआ था, जैसे कोई जवान लड़का हो। मैंने अपनी योनि के बालों में उंगलियाँ फिराईं, जैसे अनजाने में, और नानाजी की आँखें और चमक उठीं।

वो मेरी योनि को घूरते हुए अपने लिंग को जोर-जोर से हिलाने लगे। तभी नानाजी बोले, “बेटी पायल, आज बहुत गर्मी है। सोफे पर तो और गर्मी लग रही है। मैं नीचे जमीन पर बैठ जाता हूँ। संगमरमर की फर्श ठंडी रहेगी।”

ये कहकर वो मेरे सोफे के बिल्कुल करीब आकर जमीन पर बैठ गए। अब उनकी आँखें मेरी योनि के और करीब थीं। वो इतने पास थे कि मुझे उनकी साँसें अपनी जाँघों पर महसूस हो रही थीं। मैंने अपनी टाँगें थोड़ी और फैलाईं, ताकि उन्हें और साफ दिखे। नानाजी ने कहा, “पायल, आराम से बैठो, अखबार पढ़ो। ऐसे बैठने से पैरों में दर्द होगा।”

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उन्होंने मेरी टाँगों को और फैलाया, और इस बहाने मेरी सलवार के उधड़े हिस्से को और खींच दिया। अब मेरी योनि पूरी तरह खुली थी। मेरे लंबे, गुलाबी लब और घने बाल साफ दिख रहे थे। नानाजी की आँखें चमक रही थीं। वो मेरी योनि को ऐसे घूर रहे थे जैसे कोई खजाना मिल गया हो। फिर उन्होंने धीरे से अपनी नाक मेरी योनि के पास लाकर सूंघा। मुझे लगा वो मेरी खुशबू का मजा ले रहे हैं। मेरी योनि से स्नेहक और ज्यादा बहने लगा, और मेरे बदन में गर्मी बढ़ने लगी।

थोड़ी देर बाद मैंने कहा, “नानाजी, मुझे बहुत नींद आ रही है। मैं यहीं सोफे पर सो रही हूँ। अगर डोर-बेल बजे तो आप दरवाजा खोल देना।”

ये कहकर मैंने सोने का नाटक शुरू किया। मेरा मकसद था देखना कि नानाजी अब क्या करते हैं। मैंने आँखें बंद कीं, लेकिन कनखियों से सब देख रही थी। पाँच मिनट बाद नानाजी खड़े हुए और मेरे चेहरे को देखने लगे। उन्होंने मेरा हाथ उठाकर छोड़ा, जैसे चेक कर रहे हों कि मैं सचमुच सो रही हूँ। जब उन्हें यकीन हो गया, तो वो मेरे और करीब आए।

नानाजी ने मेरी टाँगों को और फैलाया, और सलवार के उधड़े हिस्से को और खींचा। अब मेरी योनि पूरी तरह उनके सामने थी। उन्होंने मेरे घने बालों को सहलाना शुरू किया। उनकी उंगलियाँ मेरे बालों को हल्के-हल्के खींच रही थीं, और मुझे अजीब सी सिहरन हो रही थी। फिर उन्होंने मेरी योनि के दोनों लबों को उंगलियों से फैलाया और बीच की गुलाबी फाँक को सहलाने लगे। उनकी उंगलियाँ मेरे भगनासा पर रुकीं, और वो उसे धीरे-धीरे दबाने लगे। मैंने अपने आपको कंट्रोल किया, ताकि कोई हरकत न हो, लेकिन मेरी योनि से रस टपकने लगा था।

अचानक नानाजी ने अपना मुँह मेरी योनि के पास लाया और उसे चाटना शुरू कर दिया। उनकी जीभ मेरे 4 इंच लंबे लबों को ऊपर से नीचे तक चाट रही थी। “आह्ह… उह्ह…” मेरे मुँह से हल्की सी सिसकारी निकलने को थी, लेकिन मैंने खुद को रोका। उनकी जीभ मेरे भगनासा पर रुकी और उसे चूसने लगी। मुझे ऐसा लगा जैसे मैं स्वर्ग में हूँ। मेरी योनि से चिकना रस बह रहा था, और नानाजी उसे चाट रहे थे। “मम्म… ओह्ह…” मैंने मन ही मन सिसकारा।

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फिर नानाजी ने मेरी कमीज को ऊपर सरकाया और मेरी ब्रा के ऊपर से मेरे वक्षों को दबाने लगे। मेरे स्तन इतने बड़े और सख्त थे कि ब्रा से बाहर निकलना मुश्किल था। नानाजी ने मेरी पीठ के पीछे हाथ डाला और ब्रा का हुक खोलने की कोशिश की। मैंने हल्के से अपनी पीठ उठाई, ताकि हुक आसानी से खुल जाए। जैसे ही ब्रा खुली, मेरे बड़े-बड़े वक्ष आजाद हो गए। नानाजी ने उन्हें दोनों हाथों से मसला और मेरे गुलाबी निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगे। “आह्ह… उफ्फ…” मेरे मन में सिसकारियाँ उठ रही थीं।

तभी नानाजी ने अपनी धोती खोली और अपना विशाल लिंग बाहर निकाला। वो 7 इंच लंबा और खीरे जितना मोटा था। उन्होंने मेरी योनि का रस अपनी उंगलियों पर लिया और अपने शिश्न-मुंड पर लगाया। फिर वो उसे जोर-जोर से हिलाने लगे। “पायल, कितनी मस्त चूत है तेरी,” उन्होंने धीरे से बुदबुदाया। मैं चौंक गई, लेकिन सोने का नाटक जारी रखा।

नानाजी ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने लिंग पर रख दिया। मैंने हल्के से उसे पकड़ा, और मुझे उसकी मोटाई का अहसास हुआ। फिर उन्होंने मेरे होंठों पर अपने शिश्न-मुंड को रगड़ना शुरू किया। “उह्ह… कितना नरम मुँह है तेरा,” वो बुदबुदाए। मेरे होंठ थोड़े खुल गए, और उनका मोटा शिश्न-मुंड मेरे मुँह में घुस गया। मैंने धीरे से अपना मुँह और खोला, ताकि वो और अंदर जा सके। नानाजी ने धीरे-धीरे मेरे मुँह में अपना लिंग अंदर-बाहर करना शुरू किया। “आह्ह… चूस मेरी जान,” वो धीरे से बोले।

मैंने भी हल्के-हल्के उनके लिंग को चूसना शुरू किया, जैसे नींद में कर रही हूँ। उनका लिंग मेरे मुँह में आधा घुसा था, और मुझे उसका स्वाद अजीब लेकिन उत्तेजक लग रहा था। “उह्ह… कितना मजा आ रहा है,” नानाजी सिसकारे। थोड़ी देर बाद उन्होंने जोर-जोर से मेरे मुँह में धक्के मारने शुरू किए। “फच-फच…” की आवाज मेरे मुँह से आने लगी। मैंने भी उनकी रफ्तार के साथ चूसना शुरू किया।

अचानक नानाजी ने अपना लिंग मेरे मुँह से निकाला और…

कहानी जारी रहेगी।

कहानी का अगला भाग: नानाजी का प्यार-2

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