हैलो दोस्तो, मेरा नाम राजू है। मैं 26 साल का हूँ, देहरादून में रहता हूँ, स्लिम, 5 फीट 7 इंच का, वजन 54-55 किलो। आज मैं तुम्हें अपनी और मेरी मम्मी संध्या की चटपटी चुदाई की कहानी सुनाने जा रहा हूँ। ये बात 6-7 साल पहले की है, जब मैं 20 साल का था और मम्मी 32 की। मेरी जवानी का जोश चढ़ रहा था, और मम्मी की जवानी तो मानो आग की लपटों सी भड़कती थी। मम्मी की सुंदरता और सेक्सी फिगर ने मुझे ऐसा दीवाना बनाया कि मैं दिन-रात उनकी चुदाई के सपने देखने लगा। उनकी बॉडी 36-28-36 की, गोरा सुडौल बदन, चिकनी त्वचा, और चूचियाँ ऐसी कि पके आमों की जोड़ी। उनकी गांड भरी हुई, हर कदम पर लचकती, और होंठ गुलाब की पंखुड़ियों जैसे।
मम्मी मेरी सौतेली माँ हैं। वो पहले मेरे डैड की सेक्रेटरी थीं, जिनका नाम संध्या था। डैड ने मेरी दादी के कहने पर उनसे अनौपचारिक शादी कर ली। पहले मैं उन्हें संध्या आंटी बुलाता था, लेकिन अब मम्मी कहता हूँ। हम देहरादून के एक पॉश मोहल्ले में रहते थे। हमारा घर दो मंजिला था—ग्राउंड फ्लोर पर मैं और दादी, फर्स्ट फ्लोर पर डैड और मम्मी का बेडरूम और एक कॉमन रूम। मम्मी की हर अदा मुझे ललचाती थी। उनकी टाइट फिटिंग की ड्रेस, जो उनके कर्व्स को और उभारती, मेरे लंड को बेकाबू कर देती। मैंने कई बार उन्हें डैड के ऑफिस में आधा नंगा देखा था—उनकी जांघें, स्कर्ट के नीचे से झांकती, और चेंजिंग रूम में उनके चूचे और चड्डी के नीचे का हिस्सा। उनकी चिकनी त्वचा और कसी हुई बॉडी ने मेरे मन में आग लगा दी थी।
पहले मुझे संध्या आंटी से नफरत थी। मैं सोचता था कि वो डैड को फंसाने वाली औरत हैं, और मैं एक दिन उनकी चुदाई करके अपनी भड़ास निकालूँगा। लेकिन उनके प्यार भरे व्यवहार और डैड के लिए उनकी वफादारी ने मेरा दिल बदल दिया। फिर भी, उनकी सेक्सी बॉडी मेरे लिए जुनून बन गई। कॉलेज में कोई लड़की मुझे मम्मी जितनी हॉट नहीं लगती थी। मैं मौका पाकर उनकी जांघों को छूता, उनकी गांड पर हाथ फेरता, या जानबूझकर उनके चूचों को टच करता। मम्मी अनदेखा करतीं, शायद मेरी मंशा नहीं समझ पाती थीं।
मम्मी और डैड का रिश्ता खुला था। रात को डैड मुझे उनके बेडरूम में बुलाते, ऑफिस की बातें करते, और मम्मी नाइट गाउन में होतीं। उनकी चूचियाँ गाउन के ऊपर से उभरी दिखतीं, और मैं ललचाई नजरों से उनका मुआयना करता। कई बार मम्मी मेरी नजर पकड़ लेतीं, लेकिन चुप रहतीं। मेरी बेचैनी बढ़ती गई, और मैंने मम्मी की चुदाई का पक्का प्लान बना लिया।
एक रात, करीब 11 बजे, डैड ने मुझे फर्स्ट फ्लोर पर बुलाया। उन्होंने बताया कि उन्हें रात 1 बजे की फ्लाइट से एक हफ्ते के लिए बाहर जाना है। मम्मी थोड़ी घबराई हुई थीं। डैड ने उन्हें तसल्ली दी, “सैंडी डार्लिंग, टेंशन मत लो। राजू तुम्हारी मदद करेगा। कोई दिक्कत हो तो मुझे कॉल करना।” फिर डैड ने मुझे कहा, “सैंडी थोड़ी नर्वस है। जरा बाहर जाओ, मैं उसे समझाता हूँ।”
मैं बाहर निकला, लेकिन शक हुआ। डैड मम्मी को क्या समझाने वाले हैं? मैंने बेडरूम के की-होल से झाँका। दरवाजे पर पर्दा नहीं था, और लाइट जल रही थी। जो नजारा देखा, मेरा लंड तन गया। डैड मम्मी को बाहों में लेकर उनके होंठ चूस रहे थे। मम्मी रो रही थीं, लेकिन डैड के डीप किस का जवाब दे रही थीं। डैड ने मम्मी का गाउन पीछे से खोला, उनकी नंगी पीठ पर हाथ फेरने लगे। फिर गाउन उठाकर उनकी चड्डी नीचे खींची और उनकी गांड पर रब करने लगे। मम्मी की गांड संगमरमर सी चमक रही थी, गोल और मुलायम। मम्मी सिसकारियाँ ले रही थीं, “उह… आह…”
डैड ने गाउन आगे से उठाया और मम्मी की चूत पर उंगलियाँ फेरने लगे। मम्मी की चूत की झलक मुझे मिली—छोटी सी, क्लीन शेव्ड, जैसे गुलाब की कली। डैड नीचे झुके और मम्मी की चूत चाटने लगे। मम्मी की सिसकारियाँ तेज हो गईं, “आह… हाय… और करो…” लेकिन अचानक डैड रुक गए। बोले, “सॉरी डार्लिंग, मुझे लेट हो रहा है। राजू बाहर है, और फ्लाइट का टाइम हो गया।” मम्मी निराश दिखीं, लेकिन बोलीं, “इट्स ओके।”
डैड ने मुझे आवाज दी। मैं नॉर्मल होने की कोशिश कर रहा था, मेरा लंड खंभा बना हुआ था। डैड ने कहा, “ड्राइवर को बुलाओ, सामान गाड़ी में रखो। एयरपोर्ट मत आना, ऑफिस. ऑफिस संभालो और कॉलेज से एक हफ्ते की छुट्टी लो। सैंडी को सपोर्ट करना।” हमने डैड को गुडबाय किया।
डैड के जाने के बाद मम्मी ने कहा, “राजू, आज तुम ऊपर ही सो जाओ। मुझे अकेले अच्छा नहीं लग रहा।” मेरे तो जैसे लड्डू फूटे। मैंने झिझकने का नाटक किया, फिर हाँ कह दिया। हम फर्स्ट फ्लोर पर गए। मम्मी बेडरूम में चली गईं, और मैं कॉमन रूम में लेट गया। मम्मी ने दरवाजा बंद किया, लेकिन लॉक नहीं किया, और नाइट लैंप ऑन छोड़ा। मैं नींद की बात कहाँ सोच रहा था? मेरी नजर मम्मी की हरकतों पर थी।
आधे घंटे बाद मम्मी मेरे कमरे में आईं। लाइट ऑन की तो देखा मैं जाग रहा हूँ। बोलीं, “राजू, तुझे भी नींद नहीं आ रही? 2 बज गए। शायद तू डैड और ऑफिस की टेंशन ले रहा है।” मैंने कहा, “नहीं मम्मी, टेंशन नहीं है, बस नींद नहीं आ रही। आप सो जाओ।” मम्मी बोलीं, “मुझे भी अच्छा नहीं लग रहा।” मैंने मौका देखकर कहा, “मम्मी, अगर बुरा न मानो तो मैं आपके पास अंदर बैठ जाऊँ? बातें करेंगे, शायद नींद आ जाए।” मम्मी ने हामी भरी।
हम बेडरूम में गए। मैं चेयर पर बैठा, मम्मी बेड पर। मम्मी बोलीं, “ठंड ज्यादा है, बेड पर ही बैठ जाओ।” मैंने नखरे किए, लेकिन उनके सामने बेड पर बैठ गया, रजाई से आधा ढक लिया। मैंने पायजामे का नाड़ा ढीला कर लिया, और बोला, “मम्मी, ऑफिस की बात नहीं, कुछ गपशप करें।” मम्मी बोलीं, “ठीक है, बोलो।”
मैंने हिम्मत जुटाई, “मम्मी, आप सबसे खूबसूरत औरत हैं, जिन्हें मैंने देखा। आपका फिगर, आपकी स्माइल, सब कमाल है। मैं बचपन से आपका दीवाना हूँ।” मम्मी हँसीं, “पागल, मैं बुढ़िया हूँ।” मैंने कहा, “नहीं, आप 16 साल की लड़कियों को मात देती हो। मम्मी, एक रिक्वेस्ट है। मैं आपकी खूबसूरती को एक बार पूरा देखना चाहता हूँ। प्लीज मना मत करना।” मम्मी चुप हो गईं, फिर बोलीं, “राजू, तू पागल है। ठीक है, लेकिन वादा कर, कोई शरारत नहीं।” मैंने कहा, “पक्का, बस आप शांत रहो, मैं देखूँगा।”
मैं मम्मी के पास गया। उनके गाउन के पीछे के बटन खोले, गाउन को कमर तक नीचे खींचा। रजाई हटाई। मम्मी की गोरी पीठ चमक रही थी, सिर्फ काली ब्रा में। मैंने गाउन उनकी टांगों से निकाला। अब मम्मी ब्रा और पैंटी में थीं। मैंने उनकी ब्रा का हुक खोला। मम्मी की सिसकारी निकली, लेकिन वो चुप रहीं। ब्रा निकाली तो उनके चूचे उछल पड़े—गोरे, गोल, निप्पल्स गुलाबी। मैं पागल हो गया। बिना रुके उनके चूचों को चूम लिया। मम्मी चीखीं, “राजू, वादा याद रख!” मैंने कहा, “मम्मी, आप इतनी मस्त हो, मैं भूल गया।”
मैंने उनकी पैंटी खींची। मम्मी ने हल्का सहयोग किया, लेकिन बुत सी शांत थीं। पैंटी निकली तो उनकी चूत सामने थी—क्लीन शेव्ड, गुलाबी, जैसे संतरे की दो फांकें। मैंने कहा, “मम्मी, बस एक बार आपकी बॉडी को छूना चाहता हूँ, औरत का टच कैसा होता है, जानना है।” मम्मी बोलीं, “वादा याद रख, शरारत नहीं।” मैंने उनके होंठों पर डीप किस लिया, उन्हें बाहों में लिया, उनकी पीठ पर हाथ फेरा। उनके चूचे मेरे सीने से टकराए—मुलायम, गर्म, जैसे मखमल में मार्बल। मैंने उन्हें पलटाया, उनकी पीठ चूमी, चूचे मसले। मम्मी चुप थीं, लेकिन उनका गर्म बदन मेरे लंड को पागल कर रहा था।
मैंने उनके निप्पल्स को दांतों से हल्का काटा। मम्मी चीखीं, “आराम से, हरामी!” मैं समझ गया, मम्मी गर्म हो चुकी हैं। मैंने पायजामा और बनियान उतारी, सिर्फ अंडरवियर में था। मम्मी की नाभि चूमी, वो बेड पर उछलने लगीं, “आह… उह…” मैंने उनके पेट, जांघों, और चूत के आसपास किस किया। उनकी जांघें इतनी मुलायम थीं, जैसे मक्खन। मम्मी अब पूरी मस्ती में थीं, बोलीं, “राजू, अब आ जा, मत तड़पा!”
मम्मी ने मेरा अंडरवियर खींचा, मेरा 7 इंच का लंड उछल पड़ा। वो बोलीं, “मादरचोद, अपनी मम्मी की बात नहीं मानेगा?” उन्होंने मेरा लंड जोर से दबाया। मेरी चीख निकली, लेकिन लंड और तन गया। मैंने मम्मी की टांगें चौड़ी कीं, उनकी दाहिनी जांघ पर बैठा, उनकी गांड को दोनों हाथों से पकड़ा, और लंड उनकी चूत पर सेट किया। एक जोरदार धक्का मारा—आधा लंड उनकी गीली चूत में समा गया। मम्मी की सिसकारी निकली, “आह… कितना मोटा है!” मैंने दूसरा धक्का मारा, पूरा लंड अंदर। चूत इतनी टाइट थी, जैसे मेरे लंड को जकड़ लिया।
मैंने धीरे-धीरे अंदर-बाहर करना शुरू किया। मम्मी की बायीं जांघ को कंधे पर रखा, उनकी गांड को सहलाते हुए धक्के मारे। कमरा हमारी सिसकारियों से गूँज उठा—मम्मी की “आह… उह…” और मेरी भारी साँसें। मम्मी बोलीं, “और जोर से, राजू! अपनी मम्मी की चूत फाड़ दे!” मैंने स्पीड बढ़ाई, हर धक्के में उनकी चूत की गहराई छूने लगा। उनकी चूचियाँ उछल रही थीं, मैंने एक चूची पकड़ी, निप्पल चूसा। मम्मी चिल्लाईं, “हाय… मर गई… और चूस!”
मैंने मम्मी को घोड़ी बनाया। उनकी गांड मेरे सामने थी, गोल, चिकनी। मैंने उनकी चूत में पीछे से लंड डाला, धक्के मारे। हर धक्के के साथ उनकी गांड लहरा रही थी, “चटाक… चटाक…” की आवाज कमरे में गूँज रही थी। मम्मी बोलीं, “संध्या बोल, मेरी जान! अपनी संध्या की चूत को रगड़ दे!” मैंने कहा, “संध्या डार्लिंग, तेरा ये माल तो जन्नत है!” मैंने उनकी गांड पर हल्का थप्पड़ मारा, वो चीखीं, “हरामी, और मार!”
मैंने उनकी चूत को और तेज रगड़ा, मेरे लंड का टोपा उनकी चूत की दीवारों को सहला रहा था। मम्मी की सिसकारियाँ अब चीखों में बदल गईं, “आह… उई… फाड़ दे… मादरचोद!” मैंने उनकी चूचियाँ पकड़ीं, जोर-जोर से दबाईं, और धक्के मारे। मम्मी की चूत गीली हो चुकी थी, हर धक्के के साथ “पच… पच…” की आवाज आ रही थी। मैंने उनकी क्लिट को उंगली से रगड़ा, वो तड़प उठीं, “हाय… बस… पानी निकल रहा है!” मम्मी झड़ गईं, उनकी चूत ने मेरे लंड को और जकड़ लिया।
मैं रुका नहीं। मम्मी को सीधा लिटाया, उनकी टांगें हवा में उठाईं, और लंड फिर से उनकी चूत में पेल दिया। अब मैं ऊपर-नीचे हो रहा था, मम्मी की चूचियाँ मेरे सीने से रगड़ रही थीं। मैंने उनके होंठ चूसे, उनकी जीभ को अपनी जीभ से लपेटा। मम्मी बोलीं, “राजू, तेरा लंड डैड से दोगुना मोटा है। आज तूने मेरी जवानी लौटा दी!” मैंने कहा, “संध्या, अब तू मेरी रानी है। रोज तुझे चोदूँगा।”
करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद मुझे लगा मेरा माल निकलने वाला है। मम्मी बोलीं, “बाहर निकाल, राजू!” मैंने लंड बाहर खींचा, और मम्मी की चूचियों पर सारा माल छोड़ दिया। हम दोनों हाँफते हुए चिपक गए। मेरा लंड अभी भी उनकी चूत के पास था, गर्म और गीला। हम वैसे ही लेटे रहे, एक-दूसरे की साँसें महसूस करते।
सुबह 6 बजे नींद खुली। मेरा लंड मम्मी की चूत के पास ही था। मैंने मम्मी को जगाया। वो शरमाईं, बोलीं, “राजू, तूने इस 32 साल की औरत को 18 की लड़की बना दिया।” मैंने कहा, “संध्या, अब तू मेरी जान है।” मम्मी ने मुझे अपने ऊपर खींचा, मेरे माथे, चूचियों, और नाभि पर किस किया। हम 7 बजे तक लिपटकर सोए। मम्मी ने उठकर कहा, “ये राज रखना।” मैंने हँसकर कहा, “ऐसा माल रोज चाहिए।”
दोस्तो, ये थी मेरी और मम्मी की चुदाई की कहानी। कैसी लगी, बताना जरूर।