माँ की जगह मुझे पेल कर चले गए पापा

मेरा नाम मोना है मैं 22 साल की लड़की हूँ। मुझे इंटरनेट पर कहानियाँ पढ़कर बैगन, जो लंबा वाला होता है, रोजाना अपनी चूत में डालकर अपनी गर्मी शांत करती हूँ। इस वजह से मेरी चूत पहले से ही फैली हुई है क्योंकि मुझे हस्तमैथुन का आदत है और मैं बैगन इस्तेमाल करती हूँ इसके लिए। Baap Beti ki chudai ki kahani

इस वजह से पापा को भी कोई दिक्कत नहीं हुई और उन्होंने जल्दी-जल्दी मुझे चोद कर चले गए। मेरे घर में मेरे अलावा मेरे दो भाई, मम्मी और मेरे पापा रहते हैं। पापा का बिजनेस है, मेरी माँ स्कूल में टीचर है। पापा एक नंबर के चोदू हैं, इस वजह से उनको दिनभर चोदने की चिंता लगी रहती है।

क्योंकि मैंने कई बार अपनी मम्मी को पटाते हुए देखा है। यह कहते हुए सुना है कि आज का क्या प्लान है, आज का क्या प्लान है। एक दिन की बात है, पापा अपने दोस्त के पार्टी में गए थे, उनको रात भर वहीं रुकना था। मेरा दोनों भाई परीक्षा देने के लिए शहर से बाहर गया हुआ था।

तो शाम को मैं और मम्मी दोनों ने कपड़े धोए, मैंने अपने सारे कपड़े धो दिए थे, इस वजह से मैंने मम्मी का नाइटी पहन ली थी। रात के 9:00 बजे पड़ोस की आंटी का तबियत खराब हो गया था, इस वजह से माँ उनके साथ हॉस्पिटल चली गई थी।

यानी घर में मैं अकेली थी, पापा भी नहीं थे, मम्मी भी हॉस्पिटल गई थी और दोनों भाई एग्जाम देने गए हुए थे। मेन गेट मैंने अंदर से नहीं लगाया क्योंकि हो सकता है मम्मी सुबह-सुबह आ जाए जल्दी और मैं ना उठ पाऊँ तो बाहर उन्हें इंतजार करना पड़ेगा, इस वजह से दरवाजा मैंने खुला ही छोड़ दिया था, सटा दिया था दोनों पल्ला।

मैं मोबाइल पर यूट्यूब का शॉट देख-देख कर सो गई थी। दिनभर काफी ज्यादा काम हो जाने की वजह से नींद काफी ज्यादा हो गई थी और कब सो गई पता ही नहीं चला। जब मेरी नींद खुली तो मैंने क्या देखा, अब वह बता रही हूँ।

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अचानक मुझे ऐसा फील हुआ मेरे गाँड के पीछे से मेरी चूत में किसी ने अपना लंड घुसा दिया। मैं सिर्फ नाइटी पहनी हुई थी, अंदर पैंटी भी नहीं पहनी थी। ब्रा नहीं पहनी थी, घर में कोई था नहीं और सारे कपड़े धो दिए थे। मोटा लंड मेरी चूत में घुसा तो दर्द से मेरी चीख निकलने वाली थी। “आह्ह… ऊह्ह… ओह्ह!” मैं कराह उठी। वो लंड इतना मोटा था कि मेरी चूत में जलन सी हो रही थी, “थप-थप-थप” की गीली आवाज कमरे में गूंजने लगी। मेरी साँसें तेज हो गईं, मन में डर और उलझन थी कि ये क्या हो रहा है।

तभी मुझे शराब की तीखी बदबू आई। मैं जैसे ही पीछे देखने की कोशिश की, उन्होंने अपना बड़ा सा हाथ मेरे मुँह पर रखकर जोर से दबा दिया ताकि मैं चीख ना सकूँ। वो गरजते हुए बोले, “चुप रह, साली, मोना की मम्मी! मोना उठ जाएगी। मैं जल्दी आ गया अपने दोस्त के यहाँ से, तेरी चूत की याद सता रही थी। आज मैंने खूब पी ली है, और तुझे चोदे बिना मेरा लंड शांत नहीं होगा। साली, तेरी गर्म चूत में मेरा लंड डालकर तुझे पेलना है, बस चुपचाप चुदवा!”

मेरे पापा मेरी चूत में अपना मोटा लंड ठूंस रहे थे, “चट-चट-थप-थप” की आवाज तेज हो रही थी। मैं कुछ बोल नहीं पा रही थी, उनका नशा इतना चढ़ा था कि वो बेकाबू थे। “आह्ह… ऊह्ह… धीरे… पापा…” मैंने मन में सोचा, पर मुँह से सिर्फ सिसकारियाँ निकलीं। मेरा शरीर कांप रहा था, डर, शर्म और उत्तेजना का अजीब सा मिश्रण था। मेरी चूत गीली हो चुकी थी, और वो लंड अंदर-बाहर हो रहा था।

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वो मेरी चूचियों को जोर-जोर से मसलने लगे, मेरे निप्पल्स को पकड़कर खींचा। बोले, “क्या माल है, साली! तेरी चूचियाँ तो एकदम टाइट हो गईं। तेरी चूत भी आज इतनी कसी हुई है, जैसे जवान लड़की की। आज तो तुझे चोदने का मजा दोगुना है। रंडी, तू तो 20 साल की लौंडिया को भी मात दे रही है!” वो गंदी बातें करते हुए और जोर से धक्के मारने लगे। “थप-थप-चट-चट” की आवाज के साथ मेरी गाँड पर थप्पड़ पड़ रहे थे, वो मेरी गाँड को सहलाते, दबाते, और फिर जोर से चांटा मारते। “आह्ह… ओह्ह… ऊह्ह!” मेरी सिसकारियाँ रुक नहीं रही थीं, मैं शर्म से मर रही थी, पर मेरी चूत उनकी बातों और धक्कों से और गीली हो रही थी।

मेरी चूचियाँ और मेरी मम्मी की चूचियाँ बराबर साइज की हैं, मेरी कद-काठी और मेरी मम्मी की कद-काठी एक जैसी है। बस फर्क इतना है कि मैं अभी जवान हूँ, और उनकी जवानी ढलने लगी है। उनका लंड जैसे मेरी चूत में घुसा, मेरे पूरे शरीर में करंट सा दौड़ गया। उनके हाथ मेरी चूचियों पर पड़े तो मैं खुद ही कामुक हो गई। आज मैंने बैगन नहीं डाला था, और मेरी चूत पहले से ही तड़प रही थी। मुझे समझ आ गया था कि पापा मुझे मम्मी समझकर चोद रहे हैं। यानी उनकी बेटी की चूत पेली जा रही थी।

वो जोर-जोर से धक्के मारने लगे, “ले साली, मेरा लंड ले! तेरी चूत को फाड़ दूँगा आज!” वो नशे में बड़बड़ा रहे थे। “थप-थप-थप-चट-चट” की आवाजें तेज हो रही थीं। मैं भी अब उत्तेजना में गाँड को उनके लंड की तरफ धकेलने लगी, “आह्ह… ऊह्ह… ओह्ह… और जोर से… पापा!” मेरी सिसकारियाँ अनायास निकल रही थीं। मन में शर्म थी, डर था, पर मेरी चूत को मजा आ रहा था। मुझे पता था कि वो चोदकर तुरंत भाग जाएँगे। मैंने सोचा, जब चुद ही गई हूँ, तो अब शोर मचाने या कुछ बोलने से क्या फायदा। वो इतने नशे में हैं कि उन्हें कुछ होश ही नहीं कि वो मम्मी नहीं, मुझे चोद रहे हैं।

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उन्होंने 15 मिनट तक मुझे पेला, कमरा “थप-थप-चट-चट” की आवाजों और मेरी सिसकारियों “आह्ह… ओह्ह… ऊह्ह… और… हाँ!” से गूंज रहा था। मेरी चूत पूरी गीली थी, उनका लंड हर धक्के में मेरी चूत की दींवाऊ को छू रहा था। जैसे ही उनका वीर्य निकाल था, वो चिल्लाए, “साली, ले मेरा माल!” और अपना लंड बाहर निकालकर भाग गए। मैं हाँफ्ती हुई पड़ी रही, मेरी चूत से उनका गर्म माल टपक रहा था। आधे घंटे बाद मैं उनके कमरे में गई, वो खर्राटे मारकर सो रहे थे। उन्हें कुछ होश नहीं था कि वो अपनी बेटी को चोदकर आए हैं। मैं वापस अपने कमरे में आई, अपनी चूत को रुमाल से साफ किया।

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