Mummy Ke Friend Ke Bete Se Ki Chut Chudai: मेरा नाम नीता शर्मा है। मैं 27 साल की एक बहुत ही खूबसूरत, गोरी और आकर्षक औरत हूँ। मेरा कद 5 फीट 4 इंच है, और मेरा फिगर 36-28-38 है, जो हर मर्द की नजरों को अपनी ओर खींच लेता है। मेरी लंबी काली जुल्फें, गहरी भूरी आँखें और गुलाबी होंठ मेरी खूबसूरती को और निखारते हैं। मैं पोस्ट ग्रेजुएट हूँ और मुंबई के वाशी में रहती हूँ। मेरे पति मर्चेंट नेवी में हैं, जिसके चलते वो 6-7 महीने बाद ही घर आ पाते हैं। घर में मेरे सास-ससुर और मेरा 2 साल का बेटा, आरव, है। पैसों की कोई कमी नहीं है। हमारा वाशी में एक आलीशान 3-बेडरूम फ्लैट है, जिसमें हर सुख-सुविधा मौजूद है। बस एक कमी है, मेरे पति का लंबे समय तक घर से दूर रहना। मेरा मायका दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में है, जहाँ मेरे माता-पिता और कुछ करीबी रिश्तेदार रहते हैं।
ये बात पिछले महीने की है। एक सुबह मेरे मायके से फोन आया कि मोनू, जो मेरी मम्मी की सहेली का बेटा है, मुझसे मिलने मुंबई आ रहा है। ये सुनकर मैं बहुत खुश हो गई। मोनू दिल्ली में हमारे पड़ोस में रहता है। मेरी मम्मी और मोनू की मम्मी बहुत गहरी सहेलियाँ हैं। मोनू और मैं दोनों अपने-अपने घरों में इकलौते हैं, इसलिए हमारी आपस में खूब बनती है। मोनू मुझसे 9 साल छोटा है, यानी वो 18 साल का है। उसका पूरा नाम मोहन है, लेकिन हम उसे प्यार से मोनू बुलाते हैं। मेरी शादी को 4 साल हो चुके हैं, और शादी के बाद मैं मोनू से कम ही मिल पाई थी। ये पहली बार था कि वो मेरे ससुराल आ रहा था। मैंने ये बात अपने सास-ससुर को बताई, तो वो भी बहुत खुश हुए। मेरे ससुर ने कहा, “ये बहुत अच्छा हुआ। मुझे महाबलेश्वर में कुछ काम है, एक हफ्ते के लिए जा रहा हूँ। अब तुम्हारी सास को भी साथ ले जाऊँगा। मोनू के साथ तुम बोर नहीं होगी।”
अगले दिन मोनू को दोपहर में आना था। मेरे सास-ससुर सुबह-सुबह महाबलेश्वर के लिए निकल गए। मैंने अपनी कार निकाली और मोनू को रिसीव करने स्टेशन चली गई। ट्रेन समय पर आ गई। मोनू को मैंने 3 साल बाद देखा। वो पहले से कहीं ज्यादा लंबा और हट्टा-कट्टा हो गया था। उसका कद अब 5 फीट 8 इंच था, और उसका गोरा चेहरा, काले घुंघराले बाल और मासूम मुस्कान पहले जैसी ही थी। मुझे देखते ही वो मुझसे लिपट गया। मैंने हँसते हुए कहा, “मोनू, तू तो मुझसे भी लंबा हो गया, लेकिन तेरा ये बच्चों वाला प्यार अब भी वैसा ही है।” मोनू ने मेरे बेटे आरव को गोद में उठा लिया। रास्ते में आरव मोनू से इतना घुलमिल गया कि मानो वो उसे सालों से जानता हो।
घर पहुँचने में हमें एक घंटा लग गया। मोनू फ्रेश होने चला गया, और मैंने चाय बनाई। हम दोनों चाय पीते हुए बातें करने लगे। मैंने उसके 12वीं के एग्जाम के बारे में पूछा। उसने कहा, “नीता दीदी, पूरी उम्मीद है कि 95% से ज्यादा मार्क्स आएँगे।” मैंने कहा, “वाह, बहुत अच्छा!” रात के 10 बजे हमने डिनर किया और सोने की तैयारी करने लगे। मैंने मोनू से कहा, “मोनू, तू मेरे बेडरूम में ही सो जा। मेरा बेडरूम काफी बड़ा है, और डबल बेड पर आराम से सो जाएँगे।” मोनू ने कहा, “ठीक है, नीता दीदी।”
हम बेडरूम में गए। मैंने अपने बेटे को बेड के बीच में सुलाया, और मैं एक कोने पर लेट गई। मोनू दूसरी तरफ लेट गया। मोनू मेरे बेटे के साथ खेलने लगा। मैंने कहा, “मोनू, बस कर, इसे मैं सुला देती हूँ।” थोड़ी देर में आरव सो गया। हम दोनों दिल्ली की पुरानी बातें करने लगे। बात करते-करते मोनू को नींद आने लगी। उसने कहा, “दीदी, मैं सो रहा हूँ।” मैंने रूम की लाइट बंद कर दी और नाइट लैंप जला दिया।
मोनू सोते हुए बहुत मासूम लग रहा था। उसके घुंघराले बाल, गोरे गाल और पतले होंठ देखकर मुझे उस पर बहुत प्यार आ रहा था। मैंने अपने बेटे को साइड में किया और मोनू के पास सरक गई। मैंने धीरे से अपनी उंगलियों से उसके बालों में कंघी करनी शुरू की। शायद वो गहरी नींद में था, क्योंकि वो बिल्कुल नहीं हिला। मैंने उसके गाल पर एक हल्का सा चुम्बन लिया, फिर उसके होंठों को चूम लिया। उसकी साँसें गर्म थीं, और उसका चेहरा इतना मासूम लग रहा था कि मैं खुद को रोक नहीं पाई।
मैंने देखा कि उसकी छाती पर छोटे-छोटे बाल उग आए हैं। मैंने अपनी उंगलियाँ उसकी छाती पर फेरनी शुरू कीं। उसकी त्वचा मुलायम और गर्म थी। मैंने धीरे-धीरे अपनी उंगलियाँ नीचे की ओर बढ़ाईं, लेकिन फिर रुक गई। तभी मोनू की नींद टूटी और उसने धीरे से कहा, “प्लीज दीदी, ऐसे ही करती रहें।” मैं हँस पड़ी और बोली, “बदमाश, मैं तो सोची तू सो रहा है!” उसने शरमाते हुए कहा, “सो ही रहा था, लेकिन आपके चुम्बन ने जगा दिया।”
मैंने फिर उसकी छाती पर उंगलियाँ फेरनी शुरू कीं और उसके गालों पर चूमने लगी। तभी मेरी नजर उसके बरमूडा पर पड़ी। उसका बरमूडा सामने से काफी उभरा हुआ था। मैंने धीरे से अपना हाथ उसकी छाती से हटाकर बरमूडा की तरफ बढ़ाया। मोनू ने मेरा हाथ पकड़ लिया और शरमाते हुए बोला, “दीदी, प्लीज…” मैंने कहा, “मोनू, मुझे देखने दे, तेरा बरमूडा इतना उभरा हुआ क्यों है?” उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया। उसने कहा, “सॉरी दीदी, आप मुझे चूम रही थीं ना, इसलिए ऐसा हो गया।” मैंने हँसते हुए कहा, “कोई बात नहीं, लेकिन मुझे तो देखने दे।”
मोनू ने मना किया, लेकिन मैंने कहा, “तुझे याद है, जब तू छोटा था, मेरे सामने नंगा भी हो जाता था।” उसने कहा, “हाँ दीदी, लेकिन तब मैं बच्चा था।” मैंने कहा, “मेरे लिए तो तू अब भी बच्चा ही है। अब मेरा हाथ छोड़, मुझे देखने दे।” मोनू ने मेरा हाथ छोड़ दिया। मैंने धीरे से अपना हाथ उसके बरमूडा में डाला। जैसे ही मेरा हाथ उसके लंड को छुआ, मुझे ऐसा लगा जैसे बिजली का झटका लगा हो। उसका लंड बहुत बड़ा और सख्त था। मैंने एक झटके में उसका बरमूडा नीचे सरका दिया।
“ओह माय गॉड!” मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं। मोनू का लंड करीब 7 इंच लंबा और मेरी कलाई जितना मोटा था। मेरे पति का लंड इससे 3 इंच छोटा और पतला था। मैंने उसका लंड हाथ में लेने की कोशिश की, लेकिन मेरी उंगलियाँ और अंगूठा आपस में नहीं मिल पाए। मैं सिहर उठी। मैंने कहा, “मोनू, तू तो सचमुच बच्चा नहीं रहा। तेरा लंड तो बहुत बड़ा हो गया है। पहले तो तेरी नन्हीं सी नूनी 2 इंच की थी।” मोनू शरमाते हुए बोला, “दीदी, आप भी तो पहले से बहुत बदल गई हैं।”
मैंने पूछा, “कैसे?” उसने कहा, “आपकी चूचियाँ कितनी बड़ी हो गई हैं, और आपकी गांड भी बहुत बड़ी और मस्त हो गई है।” उसकी बातें सुनकर मेरे जिस्म में गर्मी चढ़ने लगी। मैंने अपना मुँह उसके कान के पास ले जाकर धीरे से कहा, “मोनू, तूने कभी किसी लड़की को चोदा है?” मेरे मुँह से ‘चोदा’ सुनकर मोनू बुरी तरह शरमा गया। उसने कुछ नहीं कहा। मैंने फिर पूछा। उसने धीरे से कहा, “नहीं दीदी।” मैंने पूछा, “अच्छा, कभी ब्लू फिल्म देखी है?” उसने शरमाते हुए कहा, “हाँ, नीता दीदी।”
मैंने धीरे-धीरे उसका लंड सहलाना शुरू किया और उसके होंठों को चूम लिया। मैंने उसके कान में फुसफुसाते हुए पूछा, “अपनी नीता दीदी को चोदेगा?” मोनू का चेहरा लाल हो गया। वो चुप रहा। मैंने फिर पूछा। इस बार उसने कहा, “दीदी, मुझे कुछ नहीं आता।” मैंने कहा, “कोई बात नहीं, मैं सिखा दूँगी।”
मैंने उसकी टी-शर्ट और बरमूडा उतार दिया। अब वो पूरी तरह नंगा था। उसका लंड तनकर खड़ा था, और वो शर्म से पानी-पानी हो रहा था। मैंने अपनी मैक्सी उतार दी। रात को मैं ब्रा नहीं पहनती थी, इसलिए मेरी 36 इंच की चूचियाँ खुली थीं। मोनू मेरी चूचियों को हैरानी से देखने लगा। उसने कहा, “दीदी, आपका बदन तो बहुत सुंदर है। आपकी चूचियाँ तो बहुत बड़ी और मस्त हैं।” मैंने कहा, “छूकर देख।” उसने धीरे से हाथ बढ़ाया और मेरी चूचियों को छुआ। उसने कहा, “दीदी, ये तो बहुत सख्त हैं।”
वो मेरी चूचियों को सहलाने लगा। मेरे जिस्म में आग लगने लगी। मेरी पैंटी भीग चुकी थी। 6 महीने से मैंने कोई आनंद नहीं लिया था। अचानक मोनू ने मेरी एक चूची अपने मुँह में ले ली और बच्चों की तरह चूसने लगा। मैंने उसका सिर पकड़कर अपनी चूचियों से भींच लिया। मेरी पैंटी और भीग गई। मोनू का हाथ मेरी पैंटी पर पड़ा। उसने कहा, “दीदी, आपकी पैंटी तो पूरी भीग गई है। लगता है आपका पेशाब निकल गया।” मैंने हँसते हुए कहा, “उतारकर देख ले।”
मैंने अपने 38 इंच के बड़े-बड़े चूतड़ ऊपर उठाए। मोनू ने झट से मेरी पैंटी उतार दी। उसने कहा, “दीदी, आपकी पैंटी तो बहुत बड़ी है।” मैंने कहा, “मेरे चूतड़ देख, कितने बड़े हैं। अब मेरी पैंटी सूँघकर बता, कैसी स्मेल है?” मोनू ने पैंटी सूँघी और बोला, “दीदी, इसमें तो बहुत अच्छी खुशबू आ रही है।” मैंने कहा, “तेरा लंड देखकर मेरी चूत में से पानी निकल आया। ये उसी की खुशबू है।”
मोनू मेरे गोरे-गोरे, बड़े और चौड़े चूतड़ों को सहलाने लगा। उसने कहा, “दीदी, ये तो कमाल के हैं। आप तो बिल्कुल हीरोइन जैसी हैं।” मैंने अपनी टाँगें चौड़ी कर दीं। मोनू मेरी चूत की तरफ देखने लगा। मैं अपनी चूत के बाल हमेशा साफ रखती हूँ। उसने कहा, “दीदी, आपकी चूत पर तो एक भी बाल नहीं है।” उसने धीरे से हाथ लगाया। मैंने कहा, “देख ले, अपनी नीता दीदी की चूत।” मोनू आँखें फाड़-फाड़कर देखने लगा और बोला, “दीदी, आपका छेद तो बहुत छोटा है।” मैंने कहा, “6 महीने से इसमें कुछ नहीं घुसा, इसलिए छोटा हो गया है। जब तेरा बड़ा लंड अंदर जाएगा, तो ये चौड़ा हो जाएगा।”
मोनू शरमा गया। मैंने कहा, “मोनू, मेरी चूत चाट।” मैंने उसका सिर पकड़कर अपनी चूत पर टिका दिया। वो लपलपाकर चाटने लगा। मुझे बहुत मजा आने लगा। मैंने कहा, “मोनू, मेरा क्लिट भी चाट।” मेरा क्लिट आधा सेंटीमीटर लंबा है। मोनू ने क्लिट देखकर कहा, “दीदी, ये तो बिल्कुल मेरे लंड जैसा कंप रहा है।” मैं गुस्से में बोली, “किसके जैसा? देख मोनू, अब हम दोनों नंगे हैं। ये शर्म-वर्म छोड़ और साफ-साफ बोल, किसके जैसा है?” मैं चाहती थी कि वो मेरे मुँह से चूत, लंड जैसे शब्द सुने। उसने शरमाते हुए कहा, “मेरे लंड जैसा।”
उसके मुँह से ‘लंड’ सुनकर मैं और गर्म हो गई। मैंने कहा, “चल, अब अपनी नीता दीदी की चूत और क्लिट चाट।” मोनू जोर-जोर से चाटने लगा। कभी-कभी वो अपनी जीभ मेरी चूत के अंदर-बाहर करने लगता। मैं बोल पड़ी, “शाबाश मोनू, अपनी जीभ से चोद अपनी दीदी की चूत।” मैंने अपने बड़े-चौड़े चूतड़ ऊपर उठा दिए ताकि मोनू आराम से चाट सके। मोनू समझ गया और लपलपाकर चाटने लगा। मुझे लगा कि मैं झड़ने वाली हूँ। मैंने मोनू का सिर कसकर पकड़ लिया और चिल्लाने लगी, “शाबाश मोनू, चाट-चाट, पूरी जीभ डाल दे अपनी दीदी की चूत में… ओह्ह्ह… येस्स्स… हाँ… ऐसे ही… आह… आह… आह… मैं झड़ने वाली हूँ… जोर से… जोर से… ओओएएए… ओएएए… मैं गई… गईईई… हाँआआ… ओएएए… मम्मी…” और मैंने जोर से अपना पानी मोनू के मुँह पर छोड़ दिया। मोनू जीभ से चाट-चाटकर मेरा पानी पीने लगा।
मैंने पूछा, “कैसा स्वाद लगा?” उसने कहा, “बहुत बढ़िया था, दीदी।” मैंने मोनू को धक्का देकर सीधा लिटा दिया और कहा, “चल, अब मैं तुझे मजा देती हूँ।” उसका लंबा लंड तनतनाया हुआ था। मैंने लंड हाथ में लिया, अपने गुलाबी होंठ गोल किए और उसके सुपारे को चूम लिया। मोनू के जिस्म में झुरझुरी-सी दौड़ गई। मैंने धीरे से लंड की चमड़ी हटाई। सुपारा बहुत मोटा और चमकदार था। मैं जीभ से सुपारे को चाटने लगी। मोनू सिसकारियाँ लेने लगा। अचानक मैंने पूरा सुपारा मुँह में ले लिया। सुपारा इतना मोटा था कि मेरा पूरा मुँह भर गया। मैं धीरे-धीरे लंड को मुँह में लेने लगी, लेकिन आधे से ज्यादा अंदर नहीं ले पाई। मेरे पति का लंड मैं हमेशा पूरा मुँह में ले लेती हूँ, लेकिन मोनू का लंड बहुत बड़ा था।
उसके लंड की गर्माहट से मैं फिर से गर्म होने लगी। मैंने अपनी टाँगें मोनू के मुँह के अगल-बगल कीं और कहा, “तू मेरी चूत चाट।” मोनू ने तुरंत जीभ से चाटना शुरू कर दिया और पूरी जीभ मेरी चूत में अंदर-बाहर करने लगा। उसने एक उंगली से मेरे क्लिट को सहलाना शुरू किया। मैंने मोनू का लंड कसकर पकड़ रखा था। मैंने कहा, “तू तो एक्सपर्ट है।” उसने कहा, “दीदी, ब्लू फिल्मों में ऐसा ही देखा है।” मैंने कहा, “शाबाश, तू बहुत इंटेलिजेंट है। चाट-चाट अपनी नीता दीदी की चूत को। मुझे बड़ा मजा आ रहा है।”
मुझे लगा कि मैं फिर से झड़ने वाली हूँ, लेकिन इस बार मैं अपनी चूत में लंड घुसवाकर झड़ना चाहती थी। मैंने कहा, “मोनू, अब और नहीं सха जा रहा। तू जल्दी से अपना लंबा मोटा लंड मेरी चूत में डाल दे, वरना तेरी नीता दीदी मर जाएगी।” मैं सीधा लेट गई और मोनू को अपनी टाँगों के बीच आने को कहा। एक बार तो मैंने उसके लंड को देखकर सोचा कि जिस चूत में हमेशा इससे छोटा लंड जाता था, उसमें इतना बड़ा लंड कैसे जाएगा? मैंने टाँगें फैलाईं और कहा, “मोनू, धीरे-धीरे डालना, तेरा लंड बहुत बड़ा है।”
मोनू ने अपने लंड को मेरी चूत के छेद पर टिकाया और हल्का-सा धक्का दिया, लेकिन लंड फिसल गया। उसने फिर कोशिश की, लेकिन फिर फिसल गया। उसने कहा, “दीदी, आपका छेद बहुत छोटा है। इसमें मेरा लंड नहीं जाएगा।” मैंने हँसते हुए अपना हाथ बढ़ाया, उसका लंड पकड़ा और अपनी चूत के छेद पर लगाकर कहा, “चल, अब धक्का दे।” मोनू ने धक्का लगाया। इस बार लंड फिसला नहीं, बल्कि थोड़ा-सा अंदर गया। मुझे ऐसा लगा जैसे मेरी चूत फट रही हो, वैसे ही जैसे पहली बार फटी थी। मैंने कहा, “मोनू, थोड़ा जोर से धक्का मार।” उसने वैसा ही किया, और पूरा सुपारा अंदर जाकर अटक गया। मेरी चीख निकल गई, “आआह्ह!”
मोनू भी चीखा, “दीदी, दर्द हो रहा है।” मैंने कहा, “तू पहली बार चोद रहा है, इसलिए दर्द हो रहा है। थोड़ी देर बाद बहुत मजा आएगा।” उसने पूछा, “लेकिन आप क्यों चीखीं?” मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “भोसड़ी के, इतना मोटा लंड किसी की चूत में जाएगा, तो चीखेगा ही।” मेरे मुँह से गाली सुनकर मोनू थोड़ा शरमा गया। मैंने कहा, “क्या, मेरे मुँह से गाली अच्छी नहीं लगी?” उसने कुछ नहीं कहा। मैं और मेरे पति चुदाई के समय बहुत गालियाँ निकालते हैं। इससे मजा दोगुना हो जाता है। मैंने कहा, “अच्छा, अब नहीं निकालूँगी।” उसने कहा, “नहीं, निकालिए।” मैंने कहा, “अच्छा, तो साले, अब अपनी दीदी की चूत चोदना शुरू कर।”
मोनू ने हल्के-हल्के धक्के मारने शुरू किए। आधा लंड अंदर चला गया। मैं तो अब पूरा लंड अंदर लेकर ही चुदना चाहती थी। मैंने कहा, “मोनू, थोड़ा जोर से धक्का मार।” इस बार मोनू ने पूरा जोर लगाकर धक्का मारा, और 7 इंच का पूरा लंड मेरी चूत में जाकर फिट हो गया। मैं चिल्ला उठी, “ओए, तेरी दीदी की चूत! साले, पूरा घुसा दिया! बड़ा मजा आ रहा है। शाबाश मोनू, जोर-जोर से धक्के मार। तेरी दीदी की चूत में आज तक इतना बड़ा लंड नहीं गया। चोद-चोद अपनी नीता दीदी की चूत, बन जा दीदीचोद!”
मोनू को जोश आ गया। वो जोर-जोर से धक्के मारने लगा। मैंने उसे अपनी चूचियों पर भींच लिया। वो मेरी चूचियाँ चूसने लगा। मैं सातवें आसमान पर तैरने लगी। मैंने अपने चूतड़ ऊपर उठाए और नीचे से धक्के मारने लगी। मैं बोली, “मोनू, इतना मजा तो आज तक नहीं आया। तू बहुत अच्छा है। बड़ी अच्छी तरह से अपनी दीदी को चोद रहा है। अब तू जितने दिन यहाँ रहेगा, मैं रोज तुझसे चुदूँगी।” ये सुनकर मोनू और जोर से धक्के मारने लगा। मैं जन्नत की सैर करने लगी। “मोनू, बहुत अच्छे… चोद-चोद… आह्ह… ऐसे ही… फाड़ डाल अपनी दीदी की चूत… हाँ… शाबाश… तेरा लंड बहुत जिंदर है… चोद-चोद मुझे… ओएएए… ओएएए… मम्मी… ओएएए… मम्मी… मैं गई… मैं गई… मोनू के बच्चे, भोसड़ी के, तेरी दीदी की चूत साले कमीने चोद… आह्ह… ओह्ह्ह… मैं झड़ने वाली हूँ…”
मोनू बोला, “दीदी, मेरा भी छूटने वाला है।” मैंने कहा, “चोद डाल अपनी दीदी की चूत। अपने वीर्य से भर दे साली को। कई दिनों से तड़प रही थी।” मैंने मोनू को अपनी छाती से कसकर भींच लिया। मोनू के लंड ने मेरी गुलाबी चूत में गर्म-गर्म फव्वारा-सा छोड़ दिया। मैं बहुत जोर से झड़ गई, जैसा मैं आज तक कभी नहीं झड़ी थी। थोड़ी देर तक मोनू मेरे ऊपर वैसे ही पड़ा रहा। फिर धीरे से उठा। मैंने देखा, उसका लंड वीर्य से सना हुआ था और लटक रहा था। लटका हुआ लंड भी मुझे बहुत बड़ा लग रहा था। मैंने दर्पण में अपनी चूत की तरफ देखा। ओह माय गॉड, मेरी चूत बहुत चौड़ी हो गई थी, और ढेर सारा वीर्य बाहर आ रहा था।
मैंने मोनू से पूछा, “तूने मुठ कब मारी थी?” उसने कहा, “2 महीने पहले। एग्जाम की टेंशन की वजह से इस तरफ ध्यान ही नहीं गया।” मैंने आगे बढ़कर उसे चूमा और कहा, “इसलिए तेरा इतना ज्यादा निकला। तू हफ्ते में दो-तीन बार मुठ मार लिया कर।” मोनू ने शरमाते हुए सिर झुका लिया। मैंने हँसते हुए कहा, “मोनू, सच में आज तूने वो मजा दिया है, जो मैं कभी नहीं भूल पाऊँगी।” मोनू बोला, “मैं भी बहुत खुश हूँ। मैंने इतनी खूबसूरत अपनी नीता दीदी को चोदा। मैं तो सपने में भी नहीं सोच सकता था कि ऐसा कभी होगा।”
फिर हम दोनों फ्रेश होकर एक-दूसरे से लिपटकर सो गए।
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