Mummy ki chudai real sex kahani ये कोई बनावटी कहानी नहीं, बल्कि मेरी आंखों से देखी सच्ची घटना है। मेरा नाम राकेश शर्मा है, और मैंने अपनी मम्मी रानी और फूफा जीतू को एक साथ अंतरंग पलों में देखा। पहले मैं आपको सभी किरदारों से मिलवाता हूँ। आज, 2025 में, मेरी मम्मी रानी की उम्र 44 साल है, और मेरी उम्र 26 साल। लेकिन ये घटना 2013 की है, जब मम्मी 32 साल की थीं और मैं 18 साल का, क्योंकि मैं अब बालिग हूँ और कहानी को वास्तविक रखना चाहता हूँ। उस समय हमारा परिवार पाँच लोगों का था – मैं, मम्मी, पापा, मेरा बड़ा भाई रमेश, जो मुझसे दो साल बड़ा था, यानी 20 साल का, और मेरा छोटा भाई सुरेश, जो 16 साल का था।
हम लोग गाँव में रहते थे, जहाँ तीनों भाइयों की पढ़ाई गाँव के स्कूल में होती थी। मम्मी कई सालों से पापा से कह रही थीं कि बच्चों का भविष्य गाँव में नहीं है। शहर में पढ़ाई करवानी होगी, तभी हम कुछ बन पाएँगे। पापा शुरू में टालते रहे, लेकिन 2013 में आखिरकार मान गए। फैसला हुआ कि पापा गाँव में रहकर खेती करेंगे, और मम्मी हमारे साथ शहर में शिफ्ट होंगी ताकि हमारी पढ़ाई हो सके और घर का काम भी संभले। पापा महीने में एक-दो बार शहर आया करेंगे। अप्रैल 2013 में हम शहर में किराए के एक कमरे में शिफ्ट हो गए। जुलाई से मैं और सुरेश स्कूल जाने लगे। रमेश ने पढ़ाई छोड़ दी थी, क्योंकि वो पढ़ने में कमजोर था और काम करना चाहता था। पापा ने पहले ही तय कर लिया था कि केवल मुझे और सुरेश को पढ़ाएँगे।
हमारी बुआ के देवर, जिन्हें हम फूफा जीतू कहते थे, की शहर में एक छोटी-सी फैक्ट्री थी। रमेश को वहाँ काम पर रख लिया गया। चूँकि फूफा जीतू हमारे रिश्तेदार थे, रमेश अक्सर ओवरटाइम करता और कभी-कभी रात को फैक्ट्री में ही रुक जाता। हमारे यहाँ रिवाज है कि बुआ के सभी भाइयों को फूफा ही कहते हैं। जीतू की उम्र उस समय करीब 38 साल थी, और वो लंबे, हट्टे-कट्टे, गठीले बदन वाले इंसान थे, जिनकी आवाज़ में एक रौब था। मम्मी रानी गोरी, भरे हुए बदन वाली थीं, जिनके काले लंबे बाल और बड़ी-बड़ी आँखें उनकी खूबसूरती को और बढ़ाती थीं। पापा साधारण कद-काठी के थे, मेहनती, लेकिन शहर की चकाचौंध से दूर रहने वाले इंसान।
ये घटना नवंबर 2013 की है। सर्दियों की कड़कड़ाती ठंड थी। उस रात रमेश घर नहीं आया, क्योंकि फूफा ने उसे फैक्ट्री में जरूरी काम दिया था, जो देर रात 12-1 बजे तक चलता। फूफा ने रमेश से कहा था कि इतनी रात को घर जाने की बजाय फैक्ट्री के ऑफिस में सो जाना। घर पर सिर्फ़ मैं, मम्मी और सुरेश थे। हमारा किराया का कमरा छोटा-सा था, क्योंकि पापा की कमाई ज्यादा नहीं थी। एक ही कमरे में हम चार लोग गुजारा करते थे। हमारे पास चार रजाइयाँ थीं – तीन भाइयों के लिए और एक मम्मी के लिए। रात करीब 8 बजे हमने खाना खाया और सो गए। ठंड इतनी थी कि रजाई के बिना सोना मुश्किल था। मैं और सुरेश अपनी-अपनी रजाई में लिपटे एक कोने में सो रहे थे, और मम्मी दूसरी तरफ।
आधी रात को मुझे कुछ सिसकियों और अजीब-सी आवाज़ों ने जगा दिया। पहले तो लगा शायद सपना है, लेकिन धीरे-धीरे मेरी नींद खुल गई। कमरे में घुप्प अंधेरा था, क्योंकि लाइट बंद थी। “फच-फच” और “आह… ऊह…” जैसी आवाज़ें साफ सुनाई दे रही थीं। मैंने सोचा शायद पापा आ गए, क्योंकि मम्मी और पापा की ऐसी आवाज़ें मैंने पहले भी सुनी थीं। लेकिन जब मैंने ध्यान से सुना, तो एक मर्दाना आवाज़ मेरे कानों में पड़ी, जो पापा की नहीं थी। मैंने धीरे से आँखें खोलीं, लेकिन अंधेरे में कुछ दिख नहीं रहा था। फिर मुझे फूफा जीतू की आवाज़ पहचान में आई। मेरे दिमाग में बिजली-सी कौंध गई – फूफा मेरी मम्मी के साथ चुदाई कर रहे थे!
मम्मी धीमी आवाज़ में कह रही थीं, “जीतू, बस इतना ध्यान रखना, किसी को कुछ मत बताना। मेरे दोस्तों से भी नहीं।” उनकी आवाज़ में एक अजीब-सी बेचैनी थी, जैसे वो चाहती भी थीं और डर भी रही थीं। फूफा ने हँसते हुए कहा, “अरे रानी, तू टेंशन मत ले, ये हमारा राज़ है।” उनकी साँसें तेज़ थीं, और कमरे में “फच-फच” की आवाज़ गूँज रही थी। मम्मी की सिसकियाँ तेज़ हो रही थीं, “आह… और तेज़… और तेज़ करो… मजा आ रहा है!” मैं स्तब्ध था। मेरी मम्मी, जिन्हें मैंने हमेशा साधारण औरत समझा था, ऐसी बातें कर रही थीं। पहले तो मुझे गुस्सा आया, आँखों में आँसू आ गए। मैंने सोचा, लाइट जलाकर चिल्ला दूँ, ये सब क्या हो रहा है? लेकिन फिर ध्यान आया कि सुरेश पास में सो रहा है। अगर वो जाग गया, तो कितनी शर्मिंदगी होगी। और सच कहूँ, मेरी हिम्मत ही नहीं हुई।
मैं चुपचाप लेटा रहा, लेकिन मेरा शरीर गर्म हो रहा था। मम्मी की सिसकियाँ और फूफा की भारी साँसें सुनकर मेरा लंड खड़ा हो गया। मैं शर्मिंदा था, लेकिन कंट्रोल नहीं कर पा रहा था। मैंने धीरे से रजाई के अंदर अपनी चड्डी नीचे की और लंड को हाथ में पकड़ लिया। मन में उथल-पुथल थी, लेकिन शरीर कुछ और ही चाह रहा था। मैंने फैसला किया कि जो हो रहा है, उसे बस सुनूँगा।
फूफा मम्मी से कह रहे थे, “रानी, ये रजाई तो दिक्कत कर रही है। इसे हटा दे, पतला कम्बल लेते हैं। तुझे चोदने में और मजा आएगा।” मम्मी ने जवाब दिया, “जीतू, ठंड बहुत है, रजाई हटाई तो मर जाऊँगी।” फूफा ने हँसते हुए कहा, “अरे, सारी ठंड भगा दूँगा, तू देख!” मम्मी ने हल्की हँसी के साथ कहा, “तू तो मानता ही नहीं।” फिर मैंने सुना कि बिस्तर पर कुछ हलचल हुई। मम्मी उठीं, रजाई हटाई, और पतला कम्बल लिया। फूफा ने कहा, “हाँ, अब बात बनी। अब तुझे ऐसे चोदूँगा कि तू भूल न पाए।”
मम्मी ने धीमी आवाज़ में कहा, “जीतू, थोड़ा धीरे कर, बच्चे पास में सो रहे हैं।” लेकिन फूफा पर जैसे जुनून सवार था। मैंने अंधेरे में हल्की-सी हलचल देखी। फूफा ने मम्मी की टाँगें फैलाईं और अपना लंड उनकी चूत पर रगड़ने लगे। मम्मी की सिसकियाँ फिर शुरू हुईं, “आह… ऊह… धीरे… जीतू…” फूफा ने कहा, “रानी, तेरी चूत तो कितनी गर्म है। कितने सालों बाद आज तुझे चोद रहा हूँ।” मम्मी ने जवाब दिया, “हाँ, तू तो बस मौका ढूँढता है।” उनकी बातों से मुझे समझ आया कि ये कोई पहली बार नहीं था। मम्मी और फूफा का चक्कर पहले से चल रहा था।
फूफा ने धीरे-धीरे अपना लंड मम्मी की चूत में डाला। “फच-फच” की आवाज़ तेज़ हो रही थी। मम्मी की सिसकियाँ अब और गहरी थीं, “आआह… ऊऊह… जीतू… और अंदर…” फूफा मम्मी के दूध दबा रहे थे, “रानी, तेरे ये दूध तो कमाल हैं। कितने बड़े और मुलायम!” मम्मी ने हँसते हुए कहा, “तो चूस ले ना, कितना बोलता है!” फूफा ने मम्मी के दूध चूसना शुरू किया, और साथ में लंड को और तेज़ी से अंदर-बाहर करने लगे। कमरे में सिसकियों और चुदाई की आवाज़ों का तूफान था। मम्मी की आवाज़ अब बेकाबू थी, “आह… जीतू… और तेज़… ओह… मर गई!” मैं रजाई में लेटा हुआ मुठ मार रहा था, और मेरे दिमाग में बस यही चल रहा था कि ये सब कैसे हो रहा है।
अचानक फूफा रुक गए। “रानी, मेरा पानी निकलने वाला है, लेकिन पहले तेरी चूत को चूमना चाहता हूँ।” मम्मी ने हल्का विरोध किया, “जीतू, बच्चे पास में हैं, बस कर अब।” लेकिन फूफा नहीं माने। वो नीचे सरक गए और मम्मी की चूत चाटने लगे। मम्मी की सिसकियाँ फिर तेज़ हुईं, “आह… ऊह… जीतू… ऐसे मत कर… ओह…” फूफा ने कहा, “तेरी चूत तो बिल्कुल साफ है। कब से तैयार थी, हाँ?” मम्मी ने हँसते हुए कहा, “जब से शहर आई हूँ, तुझे बुलाने का मन था। कल ही साफ की थी।” फूफा ने जीभ से मम्मी की चूत को और गहराई से चाटा। मम्मी की सिसकियाँ अब चीख में बदल रही थीं, “आआह… बस… जीतू… हो गया… ओह!” मम्मी का शरीर ढीला पड़ गया, शायद उनका पानी निकल चुका था।
फूफा फिर उठे और बोले, “रानी, मेरा तो अभी बाकी है। प्लीज, एक बार मुँह में ले ले।” मम्मी ने मना किया, “जीतू, मुझे घिन आती है। ये नहीं करूँगी।” लेकिन फूफा ने जिद की। मम्मी ज्यादा विरोध नहीं कर पाईं, शायद इसलिए कि मैं और सुरेश पास में थे। फूफा ने अपना लंड मम्मी के मुँह में डाल दिया। मम्मी ने छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन फूफा ने उनके सिर को पकड़ लिया। कुछ देर बाद फूफा ने मम्मी के मुँह में ही पानी निकाल दिया। मम्मी ने तुरंत थूक दिया और उठकर पानी पीने चली गईं। उन्होंने लाइट जलाई। मैंने हल्की आँखें खोलकर देखा – मम्मी सिर्फ़ पेटीकोट में थीं, उनके बाल बिखरे हुए थे, और वो गिलास में पानी भर रही थीं। फिर लाइट बंद करके वो बिस्तर पर लौट आईं।
करीब आधे घंटे बाद फूफा ने फिर कहा, “रानी, एक बार और करते हैं। इस बार पीछे से।” मम्मी ने हँसते हुए कहा, “तू तो पागल है, जीतू। अभी भी मन नहीं भरा?” फूफा ने जवाब दिया, “तेरी इस मोटी गांड को देखकर मन थोड़े ही भरता है।” मम्मी ने कहा, “ठीक है, लेकिन सूखा मत डालना। तेल ले आ।” फूफा ने लाइट जलाई, तेल की शीशी उठाई। मैंने हल्के से देखा – फूफा का लंड बड़ा और मोटा था, मेरा तो आधा भी नहीं होगा। फूफा ने मम्मी की गांड पर तेल लगाया और धीरे-धीरे लंड डालने लगे। मम्मी की हल्की चीख निकली, “आह… जीतू… धीरे… दर्द हो रहा है!” लेकिन फूफा रुके नहीं। उन्होंने धीरे-धीरे पूरा लंड मम्मी की गांड में डाल दिया। मम्मी की सिसकियाँ अब दर्द और मजा दोनों की थीं, “आह… ऊह… बस कर… नहीं होगा मुझसे…” लेकिन फूफा ने धक्के तेज़ कर दिए। कमरे में फिर “थप-थप” की आवाज़ गूँज रही थी। फूफा बोले, “रानी, तेरी गांड तो जन्नत है। पहली बार इतना मजा आ रहा है।”
मैं रजाई में मुठ मार रहा था, और मेरा पानी फिर निकल गया। मैंने चुपके से चड्डी पहनी और तकिए से अपने लंड का पानी पोंछ लिया। फूफा अब जोर-जोर से मम्मी की गांड मार रहे थे। मम्मी की चीखें अब सिसकियों में बदल गई थीं, “आह… जीतू… बस… ओह…” फूफा का पानी भी निकल गया, और वो मम्मी के पास लेट गए। मम्मी ने कहा, “जीतू, अब अलग रजाई में सो जा। सुबह बच्चे उठ जाएँगे, तो दिक्कत होगी।” फूफा दूसरी रजाई में चले गए। धीरे-धीरे कमरे में सन्नाटा छा गया, और मैं भी सो गया।
सुबह जब उठा, तो फूफा अभी सो रहे थे। मम्मी नहाकर तैयार हो रही थीं। मैंने पूछा, “मम्मी, आज इतनी जल्दी क्यों उठ गईं?” मम्मी ने जवाब दिया, “तेरे फूफा रात को आए थे। भूखे ही सो गए। उनके लिए नाश्ता बनाना है। तू स्कूल के लिए तैयार हो जा।” मैंने हल्का मुस्कुराया, लेकिन कुछ कहा नहीं। मुझे पता था कि रात को क्या हुआ, लेकिन मैंने जाहिर नहीं होने दिया।
ये कहानी यहीं खत्म होती है। लेकिन अवैध संबंध की शुरुआत हो जाए, तो बार-बार चुदाई होती है। आप बताइए, क्या आपको लगता है कि मम्मी और फूफा का ये रिश्ता आगे भी चला होगा?