मेरा नाम अक्षरा सिंह है। मेरी शादी को अब दो साल हो चुके हैं। मेरे पति का नाम पवन है। मैं एकदम सेक्सी औरत हूँ, जब मेरी शादी हुई थी तब मैं पतली-दुबली थी, लेकिन अब थोड़ा मोटी हो गई हूँ। फिर भी, मेरी खूबसूरती और सेक्सी अदा में कोई कमी नहीं आई। मेरी उम्र अभी चौबीस साल है, और जब शादी हुई थी, तब मैं बाईस की थी और पवन पच्चीस के। दोस्तो, मेरी ज़िंदगी में एक बड़ी मुश्किल थी। पवन का लंड बहुत छोटा है। खड़ा होने पर भी बस चार या साढ़े चार इंच का और डेढ़ इंच मोटा। मेरी चूत, जो सुहागरात के समय टाइट और छोटी थी, उस रात पवन के छोटे से लंड से चुदाई के बाद भी खून निकला था। उस रात उन्होंने मुझे पांच बार चोदा, लेकिन मेरी भूख, मेरी वासना को वो कभी शांत नहीं कर पाए।
मैं हमेशा से एक मोटा, लंबा लंड अपनी चूत में लेना चाहती थी। मेरी चूत की आग इतनी थी कि पवन का छोटा लंड उसे बुझा नहीं पाता था। वो चोदते वक्त जल्दी झड़ जाते थे, कभी पांच-दस मिनट से ज़्यादा नहीं टिक पाते। डेढ़ साल तक मैंने उनके छोटे लंड से चुदवाया, लेकिन मज़ा? वो कहीं नहीं था। मैंने कई बार सोचा कि उनसे खुलकर बात करूँ, पर शरम आड़े आती थी। आखिरकार, एक दिन हिम्मत करके मैंने पवन से कहा, “जान, बुरा मत मानना, लेकिन तुम्हारा लंड तो किसी बच्चे जैसा है। इतना छोटा कि मेरी चूत की प्यास नहीं बुझती। मैंने कई मर्दों को पेशाब करते देखा है, उनका ढीला लंड भी तुम्हारे खड़े लंड से बड़ा और मोटा था। सोचती हूँ, उनका लंड जब तनता होगा, तो कितना लंबा और मोटा होगा! शायद इसलिए तुमसे चुदवाने में मुझे मज़ा नहीं आता। पवन, मैं अपनी चूत में एक लंबा, मोटा लंड चाहती हूँ। डेढ़ साल से मैं ये बात छुपाए बैठी थी, पर अब मेरी भूख बर्दाश्त से बाहर है।”
पवन चुपचाप मेरी बात सुनते रहे। फिर बोले, “अक्षरा, मेरी जान, मैं अपनी कमी जानता हूँ। मैं तुम्हारा दर्द समझता हूँ। मैंने बहुत इलाज करवाए, पर ये लंड नहीं बढ़ा। मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ, तुम मुझे छोड़कर मत जाना, नहीं तो मैं मर जाऊँगा।”
मैंने कहा, “मैं भी तुमसे बहुत प्यार करती हूँ, पवन। लेकिन तुम्हारी चुदाई से मेरी चूत की आग शांत नहीं होती। पहले थोड़ा-बहुत मज़ा आता था, पर अब तो वो भी नहीं।” वो सोच में डूब गए।
कुछ देर बाद, पवन ने कहा, “अगर मैं एक मोटी मोमबत्ती लाकर तुम्हें उससे चोदूँ, तो कैसा रहेगा?” मैंने सोचा, ये तो कुछ नया है। कम से कम मेरी चूत की भूख को थोड़ा तो शांत करेगा। मैंने हामी भर दी। अगले दिन वो बाज़ार से एक मोमबत्ती ले आए। वो आठ इंच लंबी और डेढ़ इंच मोटी थी। मैंने देखकर कहा, “ये तो ठीक है, पर मर्दों के लंड से तो पतली है। फिर भी, इससे कुछ तो राहत मिलेगी। चलो, बेडरूम में चलते हैं। आज मुझे इस मोमबत्ती से खूब चोदो।”
बेडरूम में मैं बिस्तर पर लेट गई। पवन ने मेरी साड़ी ऊपर उठाई, मेरी पैंटी उतारी, और मेरी चूत को चाटने लगे। मेरी चूत में हमेशा आग लगी रहती थी। दो-तीन मिनट में ही मैं जोश में आ गई, सिसकारियाँ भरने लगी। “पवन, अब और मत तड़पाओ। मेरी चूत भूखी है। डाल दो पूरी मोमबत्ती और ज़ोर-ज़ोर से चोदो।”
वो बोले, “ठीक है, जान। मैं मोमबत्ती से तुम्हें चोदता हूँ, और तुम मेरा लंड चूसो।” वो नंगे होकर मेरे ऊपर 69 की पोज़िशन में आ गए। मैं उनका छोटा सा लंड चूसने लगी, और उन्होंने मोमबत्ती मेरी चूत में डालनी शुरू की। मोमबत्ती उनके लंड से ज़्यादा मोटी नहीं थी, तो आसानी से पांच इंच तक घुस गई। मेरे मुँह से हल्की सी सिसकारी निकली। पवन ने मोमबत्ती को और ज़्यादा अंदर नहीं डाला और अंदर-बाहर करने लगे। मैं सिसकारियाँ भरने लगी, “उफ्फ… हाय… और तेज़, पवन!” पांच मिनट तक वो मोमबत्ती को मेरी चूत में चलाते रहे। मैं जोश में पागल हो रही थी। उनके लंड को और तेज़ी से चूसने लगी। वो समझ गए कि मैं झड़ने वाली हूँ। दो मिनट में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया।
मैंने कहा, “पवन, पूरा अंदर डालो ना, बहुत मज़ा आ रहा है!” उन्होंने मोमबत्ती को और अंदर डाला, अब छह इंच तक घुस चुकी थी। मुझे हल्का दर्द हुआ। मैंने कहा, “रुक जाओ, बस इतना ही। अब ज़ोर-ज़ोर से चोदो।” पवन ने तेज़ी से मोमबत्ती को मेरी चूत में चलाना शुरू किया। मैं सिसकारियाँ भर रही थी, “हाय… उफ्फ… और तेज़!” वो भी जोश में थे और मेरे मुँह में झड़ गए। मैंने उनका सारा पानी निगल लिया। वो मोमबत्ती को और तेज़ी से चलाने लगे। आठ-दस मिनट बाद मैं फिर झड़ गई।
मैंने चिल्लाकर कहा, “पवन, काश तुम पहले ये मोमबत्ती ले आते! इतने दिन मैं भूखी न रहती। अब पूरी डाल दो और ज़ोर से चोदो!” पवन ने पूरी मोमबत्ती मेरी चूत में डाल दी। थोड़ा दर्द हुआ, पर मज़ा इतना था कि मैंने अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर मोमबत्ती को पूरा अंदर लिया। दस मिनट बाद मैं तीसरी बार झड़ गई। मैं चिल्ला रही थी, “पवन, और तेज़! मेरी चूत को फाड़ दो इस मोमबत्ती से!” उनका लंड फिर से तन गया था।
वो बोले, “अक्षरा, मेरा लंड फिर खड़ा है। अब मैं तुम्हें चोदूँ?” मैंने कहा, “नहीं, अभी मोमबत्ती से ही चोदो। बाद में जितनी बार चाहो चोद लेना।” वो मेरे जोश को देखकर हैरान थे। उन्होंने मोमबत्ती से चोदना जारी रखा। पांच मिनट बाद मैं चौथी बार झड़ गई। पवन ने मोमबत्ती निकाली, तो मैंने कहा, “क्यों निकाल लिया? और चोदो, एक बार और झड़ने दो!”
उन्होंने फिर मोमबत्ती डाली और ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगे। मैं अपने चूतड़ उठा-उठा कर उनका साथ दे रही थी। दो मिनट बाद मैं फिर झड़ गई। मेरी चूत से ढेर सारा पानी निकला। मैंने कहा, “पवन, मेरी चूत का सारा पानी चाट लो। बहुत मेहनत से निकला है।” उन्होंने मेरी चूत को चाट-चाट कर साफ किया। फिर बोले, “अब मैं तुम्हारी गाँड मारूँ?”
मैंने कहा, “जान, तुमने आज मुझे ज़िंदगी का मज़ा दिया। अब जितनी बार चाहो चोदो।” उनका लंड पहले से खड़ा था। उन्होंने मेरी चूत में लंड डाला, लेकिन मोमबत्ती की वजह से मेरी चूत ढीली हो चुकी थी। उनका लंड बिना किसी पकड़ के अंदर-बाहर हो रहा था। वो बोले, “जान, तुम्हारी चूत तो ढीली हो गई। मुझे मज़ा नहीं आ रहा।”
मैं जोश में थी। मैंने कहा, “मेरी गाँड अभी टाइट है। चाहो तो मेरी गाँड मार लो। लेकिन एक शर्त है। तुम मेरे लिए किसी मोटे, लंबे लंड वाले का इंतज़ाम करो। मैं वादा करती हूँ, तुम्हारे अलावा सिर्फ़ उसी से चुदवाऊँगी।” पवन सोच में पड़ गए। फिर बोले, “क्या कोई पति अपनी बीवी को किसी गैर मर्द से चुदवाएगा? ये गलत नहीं है?”
मैंने कहा, “पवन, मैं तुमसे प्यार करती हूँ। लेकिन मेरी चूत की भूख तुम्हारा छोटा लंड नहीं मिटा सकता।” वो फिर सोच में डूब गए। थोड़ी देर बाद बोले, “ठीक है, मैं तुम्हारी ख़ुशी के लिए कुछ भी करूँगा। अब तुम्हारी गाँड मारूँ?”
मैं पेट के बल लेट गई। पवन ने अपने लंड पर थूक लगाया और मेरी गाँड के छेद पर रखा। मैंने अपने कूल्हे ऊपर उठाए ताकि लंड आसानी से घुसे। एक धक्के में उनका आधा लंड मेरी गाँड में घुस गया। मैं चीख पड़ी। उनका लंड छोटा था, लेकिन मेरी गाँड अनचुदी थी। दर्द हुआ, पर वो रुके नहीं। उन्होंने अंदर-बाहर करना शुरू किया। दो मिनट बाद दर्द कम हुआ, और मुझे मज़ा आने लगा। मैं अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर गाँड मरवाने लगी।
मैंने कहा, “पवन, तुम्हारा छोटा लंड मेरी गाँड के लिए ही बना है। जब कोई और मेरी चूत चोदेगा, तो मेरी चूत ढीली हो जाएगी। तुम मेरी गाँड मार लिया करना।” वो बोले, “ठीक है, मेरी रानी।” दस मिनट गाँड मारने के बाद वो मेरी गाँड में झड़ गए। मैंने उनका लंड चाट-चाट कर साफ किया।
अगले दिन, वासना फिर जागी। पवन ने फिर मोमबत्ती से मुझे चोदा। मैं जोश में थी। मैंने कहा, “कल की बात का क्या हुआ? कोई इंतज़ाम किया?” वो बोले, “मेरा बचपन का दोस्त खेसारी लाल है। उसका लंड सबसे लंबा और मोटा था। गोरा भी है। अभी उसकी शादी नहीं हुई। मैं उससे बात करूँ?”
मैंने कहा, “खेसारी लाल तो हैंडसम है। अगर उसका लंड इतना मोटा और लंबा है, तो वो बिल्कुल ठीक रहेगा।” फिर मस्ती में मैंने पूछा, “बचपन में तुम लोग सिर्फ़ नुन्नी नापते थे, या गाँड भी मारते थे?” पवन झेंप गए। बोले, “खेसारी लाल कभी-कभी मेरी गाँड मारता था। वो तो तुम पर पहले से फिदा है।” ये सुनकर मैं खुशी से पागल हो गई और खेसारी लाल के लंड के सपने देखने लगी।
अगले दिन पवन ने कहा, “जान, मुझे एक हफ्ते के लिए बाहर जाना है। सामान पैक कर दो।” मैंने सामान पैक किया। रात को जब वो घर आए, मैंने पूछा, “खेसारी लाल से बात हुई?” वो बोले, “अभी नहीं, वापस आते ही बात करूँगा।” मैं उदास हो गई। खाना खाने के बाद, जब वो जाने लगे, तो मुस्कुराते हुए बोले, “मैंने खेसारी लाल से बात कर ली। वो रात दस बजे आएगा। मेरे वापस आने तक तुम जी भरकर चुदवा लेना।”
मैं खुशी से फूली नहीं समाई। मैंने उनके होंठों पर चूम लिया और कहा, “तुम देवता हो, पवन! आई लव यू!” उनके जाने के बाद मैं खेसारी लाल का इंतज़ार करने लगी। मेरी चूत पहले से गीली थी। वासना ने मुझे पागल कर दिया था। मैंने साड़ी और ब्लाउज़ उतार फेंके, पेटीकोट ऊपर उठाया, और मोमबत्ती से खुद को चोदने लगी। दो-तीन बार झड़ने के बाद रात दस बजे घंटी बजी।
मैं धड़कते दिल से दरवाज़े की ओर बढ़ी। खेसारी लाल था। मैं मुस्कुराई, वो भी मुस्कुराया। दरवाज़ा बंद करते ही मैंने उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया। वो मर्द था, मेरी शरम देखकर उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। मैं तो पहले से वासना की आग में जल रही थी। मैंने उसकी पीठ सहलानी शुरू की, और वो मेरे होंठों को बेतहाशा चूमने लगा। मैंने भी उसके होंठ चूमे। उसने मेरे गाल, गर्दन को चूमा। मैं सिसकारियाँ भरने लगी, “उफ्फ, खेसारी लाल, चूम अपनी भाभी को!”
उसने मेरी ब्रा खोल दी। मैंने हाथ ऊपर किए, और उसने ब्रा उतार फेंकी। अब मैं सिर्फ़ पेटीकोट में थी। खेसारी लाल ने मेरी एक चूची को ज़ोर से मसला, दूसरे हाथ से मेरी पीठ सहलाने लगा। उसका लंड पायजामे में तन चुका था। मैं उसे अपनी चूत के पास महसूस कर रही थी। वो लंड बहुत बड़ा और मोटा लग रहा था। उसने मेरे पेटीकोट का नाड़ा खींचा, और वो ज़मीन पर गिर गया। मैंने पैंटी नहीं पहनी थी, तो मैं पूरी नंगी थी।
खेसारी लाल ने मेरी चूत पर हाथ रखा। मैं सिसकारियाँ भरने लगी, “उफ्फ… हाय… खेसारी लाल!” वो मेरी चूत सहलाने लगा। मैंने उसे अपनी ओर खींचा और उसके चूतड़ों पर हाथ फेरने लगी। उसने एक उंगली मेरी चूत में डाली। मेरी चूत गीली हो चुकी थी। मैंने उसका पायजामा खोला, वो भी बिना अंडरवियर के था। उसका लंड मेरे सामने था, लेकिन मैंने अभी उसे देखा नहीं था। मैंने उसे हाथ से सहलाना शुरू किया। वो गर्म और मोटा था। उसने दो उंगलियाँ मेरी चूत में डालीं। मुझे हल्का दर्द हुआ, लेकिन मैं जोश में थी।
मैंने उसका कुर्ता उतारा। अब हम दोनों नंगे थे। मैं उसके लंड को ज़ोर से पकड़कर आगे-पीछे करने लगी। वो मेरी चूत में उंगलियाँ चलाता रहा। दो मिनट बाद मैं झड़ गई। खेसारी लाल नीचे बैठा और मेरी चूत का पानी चाटने लगा। चाटने के बाद भी वो मेरी चूत चूसता रहा। मैंने उसके बाल पकड़कर अपनी चूत पर दबाए। पांच मिनट बाद उसने मुझे गोद में उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया।
उसका लंड मेरे मुँह के पास था। मैंने पहली बार उसे देखा। आठ इंच लंबा, दो इंच मोटा, और एकदम गोरा। मैंने उसका लंड चाटना शुरू किया, फिर मुँह में लेकर चूसने लगी। वो मेरे बालों में हाथ फेरने लगा। मैं पागल सी हो रही थी। खेसारी लाल ने मुझे लिटाया, मेरे चूतड़ों के नीचे दो तकिए रखे, और मेरी टाँगें फैलाईं। उसने अपने लंड का सुपड़ा मेरी चूत पर रखा।
मैंने कहा, “खेसारी लाल, अब बर्दाश्त नहीं होता। डाल दो पूरा लंड और चोदो मुझे!” उसने लंड डालना शुरू किया। दो इंच घुसते ही हल्का दर्द हुआ। उसने और धक्का मारा, चार इंच घुसा। मैं चीख पड़ी। छह इंच घुसने पर उसने धीरे-धीरे चोदना शुरू किया। मेरा दर्द कम हुआ, और मैं अपने चूतड़ उछालने लगी। वो तेज़ी से चोदने लगा, मेरी चूचियों को मसलते हुए। आठ-दस मिनट बाद उसका पूरा लंड मेरी चूत में था। मैं उसके बॉल्स को अपनी गाँड पर महसूस कर रही थी।
मैं झड़ गई, लेकिन वो रुका नहीं। दस मिनट बाद मैं फिर झड़ गई। उसने मेरी चूत को चादर से साफ किया और फिर लंड डाला। दर्द फिर हुआ, लेकिन वो बिना रुके चोदता रहा। मैं उसके हर धक्के का जवाब अपने चूतड़ उछालकर दे रही थी। बीस मिनट बाद मैं दो बार और झड़ गई। खेसारी लाल ने मेरी चूचियाँ पकड़कर एक ज़ोरदार धक्का मारा। उसका पूरा लंड मेरी चूत में समा गया। वो तेज़ी से चोदने लगा। मैं ज़न्नत में थी। बीस मिनट बाद वो मेरी चूत में झड़ गया। मैं भी उसी वक्त झड़ गई। मैंने उसका लंड चाटकर साफ किया।
हम थककर लेट गए। तीस मिनट बाद खेसारी लाल ने मेरी चूत सहलानी शुरू की। मैं समझ गई कि वो फिर तैयार है। मैं 69 की पोज़िशन में आई, उसका लंड चूसने लगी, और वो मेरी चूत चाटने लगा। पांच मिनट बाद उसने मुझे डॉगी स्टाइल में किया। मेरी कमर पकड़कर एक ज़ोरदार धक्का मारा। मैं चीख पड़ी, लेकिन वो रुका नहीं। आठ-दस धक्कों बाद उसका पूरा लंड मेरी चूत में था। वो आँधी की तरह चोदने लगा। मैं तीन बार झड़ चुकी थी। कमरे में फच-फच की आवाज़ गूँज रही थी। पांच मिनट बाद वो मेरी चूत में झड़ गया, और मैं भी साथ में झड़ गई। मैंने उसका लंड चाटकर साफ किया।
पवन के आने तक मैंने खेसारी लाल से एक हफ्ते तक जी भरकर चुदवाया। हर रात वो मुझे अलग-अलग तरीके से चोदता। कभी मेरी चूचियाँ मसलता, कभी मेरी गाँड पर थप्पड़ मारता। मेरी चूत की भूख आखिरकार शांत हुई। मैंने ज़िंदगी में पहली बार चुदाई का असली मज़ा लिया।