मॉम की चुदाई थिएटर टॉयलेट में हुई

हाय, मैं सनी हूँ, भरूच, गुजरात से। मेरी उम्र 22 साल है। मुझे पोर्न देखने में बहुत मज़ा आता है और मैं रोज़ पोर्न देखकर मुठ मारता हूँ। सेक्स स्टोरी पढ़ना भी मुझे अच्छा लगता है, खासकर रिश्तों वाली और ग्रुप सेक्स वाली स्टोरीज़ मुझे ज्यादा पसंद हैं। मेरी मॉम, नीता, जो 42 साल की हैं और स्कूल टीचर हैं, उनकी चुदाई की कहानी मैं आपके साथ शेयर करने जा रहा हूँ। उनकी शक्ल-सूरत कुछ खास नहीं है, लेकिन औरत तो औरत होती है, और यही काफी है। उनका फिगर 34-28-36 है, जिससे आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि वो कितनी भरी-पूरी और आकर्षक हैं। वो हमेशा साड़ी पहनती हैं, क्योंकि हम गुजराती हैं। साड़ी वो नाभि से दो इंच नीचे बाँधती हैं, जिससे उनकी कमर और पेट का उभरा हुआ हिस्सा साफ दिखता है। उनकी जाँघें गदराई हुई हैं, गाँड भारी और रसीली है, और चूत तो लंड के लिए बनी ही है। मेरे डैड का ट्रांसफर दिल्ली हो गया है, इसलिए अब वो वहाँ रहते हैं। घर में अब सिर्फ मैं, मॉम और मेरी बहन रह गए हैं।

पिछली बार जब मॉम बबूलाल और आसिफ के साथ चुदवा रही थीं, तब दो वर्कर, संजय और अशोक, ने उनकी चुदाई देख ली थी और वीडियो भी बना लिया था। मैं समझ गया था कि ये दोनों कुछ न कुछ गुल खिलाने वाले हैं। संजय और अशोक मेरे साथ काम करते थे, दोनों की उम्र करीब 25 साल थी। एक हफ्ते बाद मॉम फिर से बबूलाल से मिलने आईं। मैं समझ गया कि आज फिर चुदाई होने वाली है, लेकिन काम ज्यादा होने की वजह से मैं देख नहीं पाया। मैंने नोटिस किया कि संजय और अशोक मॉम के बाहर आने का इंतज़ार कर रहे थे। करीब एक घंटे बाद जब मॉम बाहर आईं और जाने लगीं, तो दोनों उनके पीछे-पीछे चले गए। दस मिनट बाद वो वापस आ गए, लेकिन उनके चेहरों पर एक अजीब सी मुस्कान थी, जैसे कोई राज़ हो।

अगले दिन जब मैं काम पर गया, तो दोनों ने मुझे कुछ नहीं बताया। घर पहुँचने पर मॉम ने कहा कि उन्हें अपनी दोस्त की बर्थडे पार्टी में जाना है, इसलिए वो रात को देर से आएँगी। मुझे तुरंत शक हुआ कि ये सब संजय और अशोक का प्लान है। मैंने मॉम से कहा, “ठीक है, मॉम।” रात 8:30 बजे मॉम घर से निकल गईं। उन्होंने काली लेगिंग्स और ऑरेंज टॉप पहना था। लेगिंग्स इतनी टाइट थी कि उनकी गाँड का शेप साफ दिख रहा था, और टॉप का कट इतना गहरा था कि उनकी क्लीवेज और पेट का कुछ हिस्सा झलक रहा था। मॉम सचमुच हॉट लग रही थीं। मैं भी उनके पीछे रिक्शा लेकर निकल गया। शहर में एक थिएटर है, जहाँ बी-ग्रेड मूवीज़ चलती हैं। मॉम वहाँ उतरीं। मैं भी थिएटर से थोड़ी दूर उतरकर वहाँ पहुँच गया।

मैंने देखा कि संजय और अशोक पहले से ही वहाँ मौजूद थे। मेरा शक सही निकला—मॉम आज चुदवाने आई थीं। दोनों ने पहले से टिकट ले रखी थी। मैंने भी जल्दी से टिकट ली, ये भी नहीं देखा कि कौन सी मूवी थी। वो लोग अपनी सीट पर जाकर बैठ गए। मैं मूवी शुरू होने के बाद अंदर गया, ताकि अंधेरे में वो मुझे न देख लें। मूवी शुरू हो चुकी थी, और मैं मॉम और उन दोनों को ढूँढने की कोशिश कर रहा था, लेकिन वो दिख नहीं रहे थे। इंटरवल में मैंने देखा कि थिएटर में मुश्किल से 20-25 लोग थे, जिनमें सिर्फ 3-4 औरतें थीं, और वो भी रंडी टाइप की लग रही थीं। फिर मैंने देखा कि संजय और अशोक बाहर जा रहे हैं। मैं उनके पीछे-पीछे गया। वो वॉशरूम में गए, और मैं भी उनके पीछे चला गया।

वॉशरूम में मूतने के बाद वो दोनों वहीं खड़े होकर बात करने लगे। मैंने उनकी बात सुनी—वो मॉम को उसी वॉशरूम के टॉयलेट में चोदने की प्लानिंग कर रहे थे। फिर वो वापस अपनी सीट पर चले गए। मैं भी अपनी सीट पर बैठ गया। मूवी फिर से शुरू हो गई। पाँच मिनट बाद मैंने देखा कि मॉम, संजय और अशोक तीनों उठकर जाने लगे। मैं समझ गया कि वो टॉयलेट की ओर जा रहे हैं। दो मिनट बाद मैं भी टॉयलेट की ओर चला गया।

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वॉशरूम का दरवाजा हल्का सा बंद था। मैंने धीरे से उसे खोला और अंदर गया। वहाँ कोई नहीं था। वॉशरूम में तीन टॉयलेट बने थे, जो ऊपर से खुले हुए थे। एक टॉयलेट से कुछ आवाज़ें आ रही थीं। मैं समझ गया कि मॉम उसी टॉयलेट में हैं। मैं बगल वाले टॉयलेट में धीरे से गया और दरवाजा बंद कर लिया। टॉयलेट ज्यादा गंदा नहीं था, और इसका साइज़ करीब 3×3 फीट था। वहाँ इंग्लिश कमोड लगा था। मैं उस पर चढ़ गया और ऊपर से देखने की कोशिश की। सब कुछ साफ दिख रहा था। मॉम का ऑरेंज टॉप और काली लेगिंग्स एक कोने में पड़ी थीं।

संजय मॉम के होंठों पर किस कर रहा था, उसके दोनों हाथ मॉम की गाँड पर थे, और वो उनकी गाँड को ज़ोर-ज़ोर से दबा रहा था। अशोक पीछे से मॉम की पीठ को चाट रहा था, उनकी पीठ पर किस कर रहा था। मॉम दोनों के बीच सैंडविच बनी हुई थीं। उन्होंने काली ब्रा और पैंटी पहनी थी, जो उनकी गदराई बॉडी को और सेक्सी बना रही थी। मॉम की आँखें मज़े से बंद थीं, और उनके चेहरे पर एक अजीब सी तृप्ति थी। संजय और अशोक ने अपनी टी-शर्ट उतार दी। संजय की हाइट करीब 6 फीट थी, और अशोक की हाइट मॉम जितनी, यानी 5 फीट। दोनों दुबले-पतले थे, लेकिन उनके चेहरों पर हवस साफ झलक रही थी।

दोनों ने अपनी पैंट उतारी और कपड़े मॉम के कपड़ों के पास कोने में रख दिए। फिर संजय ने मॉम को कमोड पर बिठा दिया। उसने मॉम की ब्रा का हुक खोला और उसे कोने में फेंक दिया। अब दोनों मॉम के एक-एक बूब्स को दबाने लगे। मॉम के बूब्स भारी और मुलायम थे, और उनके निप्पल्स सख्त हो चुके थे। संजय और अशोक की आँखों में चमक थी, जैसे उन्हें कोई खजाना मिल गया हो। फिर दोनों ने अपनी चड्डी उतारी। संजय का लंड पतला लेकिन लंबा और गोरा था, उसका टोपा गुलाबी रंग का था। अशोक का लंड काला और मोटा था, उसका टोपा भी काला था। संजय का लंड करीब 6 इंच और अशोक का 5.5 इंच का होगा। मॉम ने दोनों के लंड को अपने हाथों में पकड़ लिया और मुठ मारने लगीं।

मैं समझ गया कि ये सब मॉम की मर्ज़ी से हो रहा है। मॉम ने संजय का लंड मुँह में लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं। उनकी जीभ लंड के टोपे पर गोल-गोल घूम रही थी, और वो उसे गले तक ले जा रही थीं। ये देखकर मुझे लगा कि मॉम लंड चूसने में उस्ताद हो गई हैं। दूसरे हाथ से वो अशोक का लंड हिला रही थीं। फिर उन्होंने संजय का लंड छोड़कर अशोक का लंड मुँह में लिया। ऐसे ही बारी-बारी से दोनों के लंड को करीब 7-8 मिनट तक चूसा। मॉम का चेहरा लाल हो गया था, और उनकी साँसें तेज़ थीं।

फिर संजय ने मॉम को खड़ा किया और उनकी पैंटी उतारकर कोने में फेंक दी। अशोक नीचे बैठ गया और मॉम की चूत को चाटने लगा। उसने दो उंगलियाँ मॉम की चूत में डाल दीं और अंदर-बाहर करने लगा। एक हाथ से वो मॉम की गाँड को दबा रहा था। मॉम की सिसकारियाँ निकल रही थीं—आह्ह्ह… म्म्ह्ह्ह…। संजय मॉम के बूब्स को चूस रहा था, कभी उनके होंठों को चूम रहा था। मॉम की चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी, और अशोक की उंगलियाँ उसमें आसानी से फिसल रही थीं। दस मिनट बाद अशोक उठा, और संजय नीचे बैठ गया। अब संजय मॉम की चूत चाटने लगा, उसकी जीभ मॉम की चूत के दाने को सहला रही थी। अशोक मॉम के होंठों को चूमने लगा और उनके बूब्स को मसलने लगा। अशोक का जोश देखकर लग रहा था कि वो पहली बार किसी औरत के साथ इतना करीब है।

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करीब 15 मिनट बाद अशोक ने अपनी पैंट की जेब से दो कंडोम निकाले और मॉम को दे दिए। मॉम कमोड पर बैठ गईं और अपने दाँतों से कंडोम का पैकेट फाड़ा। उन्होंने दोनों के लंड पर अपने हाथों से कंडोम चढ़ाया। मॉम की हरकतें ऐसी थीं जैसे वो कोई प्रो रंडी हों। फिर मॉम खड़ी हुईं, और संजय कमोड पर पैर फैलाकर बैठ गया। उसने मॉम को अपनी गोद में बिठाने की कोशिश की। मॉम ने संजय के लंड पर थूक लगाया और उसे अपनी चूत पर सेट करके धीरे-धीरे बैठ गईं। लंड पतला था, तो आसानी से चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया। संजय ने अपनी आँखें बंद कर लीं और मॉम के बूब्स को दोनों हाथों से दबाने लगा। मॉम खुद ही संजय के लंड पर उछलने लगीं। उनकी सिसकारियाँ—आह्ह्ह… म्म्ह्ह्ह…—धीमी लेकिन मादक थीं। मॉम को मज़ा आ रहा था, और उनका चेहरा ये बता रहा था। अशोक पास खड़ा होकर अपना लंड हिला रहा था, उसकी आँखें मॉम की उछलती गाँड पर टिकी थीं।

करीब 12 मिनट बाद मॉम संजय के लंड से उतरीं, और संजय भी खड़ा हो गया। अब अशोक कमोड पर बैठ गया। मॉम ने उसी तरह अशोक के लंड को अपनी चूत पर सेट किया और उस पर उछलने लगीं। अशोक का लंड मोटा था, तो मॉम की चूत में थोड़ा रगड़ खा रहा था, लेकिन मॉम मज़े से उछल रही थीं। अशोक पागल हो रहा था, वो मॉम की पीठ को चाट रहा था और उनके बूब्स को ज़ोर-ज़ोर से दबा रहा था। मॉम की सिसकारियाँ अब और तेज़ हो गई थीं—आह्ह्ह… उह्ह्ह… चोदो… और ज़ोर से…। ये सुनकर अशोक और जोश में आ गया।

15 मिनट बाद मॉम उठीं। तभी संजय ने मॉम को दीवार के सहारे खड़ा कर दिया। उसने मॉम की गाँड पर थूक लगाया और अपना लंड उनकी गाँड पर सेट किया। एक ज़ोरदार धक्के में उसका लंड मॉम की गाँड में घुस गया। मॉम के मुँह से चीख निकल गई—आह्ह्ह्ह… हाय… धीरे…। शायद मॉम को नहीं पता था कि उनकी गाँड में लंड जाने वाला है। संजय ने उनकी कमर पकड़कर ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने शुरू कर दिए। मॉम की सिसकारियाँ अब दर्द और मज़े का मिश्रण थीं—आह्ह्ह… हाय… उह्ह्ह…। संजय ने करीब 12 मिनट तक मॉम की गाँड मारी। जैसे ही उसने अपना लंड बाहर निकाला, अशोक ने मॉम को अपनी गोद में बिठा लिया। उसने भी अपना लंड मॉम की गाँड पर सेट किया और उन्हें धीरे-धीरे बिठाया। मॉम की आँखें बंद हो गईं, और वो चीख रही थीं—आह्ह्ह… बस… धीरे…।

अशोक ने मॉम की कमर पकड़कर उन्हें ऊपर-नीचे करना शुरू किया। संजय ने मॉम के होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उन्हें चूमने लगा। फिर संजय ने मॉम के दोनों पैर पकड़े और अपनी चूत में लंड डालने की कोशिश की, लेकिन ये आसान नहीं था। तब अशोक ने मॉम को अपनी गोद में उठा लिया, उनका लंड मॉम की गाँड में ही था। मॉम हल्की थीं, तो अशोक को कोई दिक्कत नहीं हुई। संजय ने फिर से मॉम की चूत पर अपना लंड सेट किया और एक ज़ोरदार धक्का मारा। लंड सीधा उनकी चूत में घुस गया। मॉम की हालत खराब थी, वो ज़ोर-ज़ोर से चीख रही थीं—आह्ह्ह… ओह्ह्ह… नहीं… बस करो…। लेकिन उनके चेहरे पर मज़ा भी साफ दिख रहा था।

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अशोक पीछे से मॉम की गाँड में धक्के मार रहा था, और संजय आगे से उनकी चूत में। मॉम के दोनों पैर हवा में थे, जिन्हें संजय ने पकड़ रखा था। अशोक ने मॉम के पेट को अपने दोनों हाथों से जकड़ रखा था। मॉम ने अपने दोनों हाथ संजय की गर्दन में डाल रखे थे और उससे चिपक गई थीं। संजय लगातार मॉम के होंठों को चूम रहा था, और उसका लंड उनकी चूत में अंदर-बाहर हो रहा था। ये सब देखकर मैंने भी अपना लंड बाहर निकाला और मुठ मारने लगा। मॉम की चूत और गाँड की एक साथ चुदाई करीब 20 मिनट तक चली। मॉम भी इसका पूरा मज़ा ले रही थीं। मैंने पहले मॉम को सिर्फ बूढ़ों के साथ चुदवाते देखा था, लेकिन आज वो दो जवान लंडों से चुद रही थीं, और वो इसे खुलकर एंजॉय कर रही थीं।

फिर अशोक का निकलने वाला था। वो ज़ोर-ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगा—आह्ह्ह… उह्ह्ह…। उसने दो-तीन ज़ोरदार धक्के मारे और रुक गया। उसका वीर्य कंडोम में निकल गया। उसने मॉम की गाँड से लंड निकाला और कमोड पर बैठ गया। उसने अपने मुरझाए लंड से कंडोम उतारा और साइड में रख दिया। उधर, संजय मॉम को गोद में उठाए हुए चोद रहा था। वो लगातार 15 मिनट से मॉम के होंठों को चूम रहा था। अशोक ने अपने कपड़े पहनने शुरू किए और अपना मोबाइल निकालकर फिर से वीडियो बनाने लगा। मॉम और संजय चुदाई में इतने मस्त थे कि उन्हें इसका पता ही नहीं चला।

पाँच मिनट बाद संजय का भी निकलने वाला था। उसने मॉम की चूत से लंड निकाला और उन्हें नीचे उतारा। उसने कंडोम उतारा और मॉम को नीचे बिठाकर अपना लंड उनके मुँह में दे दिया। मॉम ने लंड को मज़े से चूसना शुरू किया। संजय ने मॉम का सिर पकड़ लिया और सिसकारियाँ लेने लगा—आह्ह्ह… हाय…। उसने एक ज़ोरदार धक्का मारा, और उसका वीर्य मॉम के मुँह में निकल गया। वीर्य की पिचकारी सीधे मॉम के गले में उतर गई। संजय ने मॉम का सिर पकड़कर लंड उनके मुँह में डाले रखा। करीब एक मिनट बाद उसने लंड बाहर निकाला। मॉम के होंठों पर वीर्य की कुछ बूँदें लगी थीं। मॉम ने तुरंत नल खोला और मुँह में पानी डालकर कुल्ला किया। ये सब अशोक ने अपने मोबाइल में रिकॉर्ड कर लिया था, और मॉम को इसका पता नहीं था।

फिर मॉम और संजय ने अपने कपड़े पहनने शुरू किए। ये देखकर मैं जल्दी से टॉयलेट से बाहर निकल गया। मूवी अभी खत्म नहीं हुई थी। मैं सीधा घर पहुँच गया। करीब आधे घंटे बाद, रात के 12 बजे, मॉम घर आईं। वो लंगड़ाकर चल रही थीं। चुदवाने की वजह से उनकी चाल अब बदल गई थी। मैं अपने कमरे में जाकर सो गया, और मॉम भी सो गईं। सुबह उठकर मॉम रोज़ की तरह स्कूल चली गईं।

कहानी कैसी लगी, मेरी मॉम की चुदाई की सेक्स स्टोरी? मज़े करो, खूब चूत मारो, गाँड मारो, मुठ मारो, लेकिन किसी भी औरत के साथ ज़बरदस्ती मत करना। उसका सम्मान करो।

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