मेरी सुहागरात

मेरा नाम मोना है, मैं पंजाब की रहने वाली हूँ। मेरा फिगर 34-28-34 का है—मेरे उभरे हुए मम्मे, पतली कमर और गोल-मटोल नितंब हर किसी को पागल कर देते हैं। मेरे लंबे काले बाल मेरी पीठ पर लहराते हैं, और मेरा गोरा रंग ऐसा है कि लोग मुझे मॉडल समझते हैं। मैं इतनी खूबसूरत हूँ कि शहर के सारे लड़के मेरे पीछे दीवाने हैं, मेरे जिस्म को घूरते हैं, और मेरे बारे में सोचकर ना जाने क्या-क्या करते होंगे। मेरा मेल आईडी है [email protected]। एक दिन मेरी सहेली रितु का फोन आया। हम दोनों काफी देर तक बातें करते रहे। उसकी अभी-अभी शादी हुई थी, और उसने मुझे बताया कि वो और उसका पति हर रोज सेक्स करते हैं। उसकी आवाज में एक अजीब-सी मादकता थी जब उसने कहा, “मोना, बहुत मजा आता है। उसका लंड मेरे अंदर जाता है तो ऐसा लगता है जैसे सारी दुनिया मेरी मुट्ठी में आ गई। अब तो मैं एक दिन भी इसके बिना नहीं रह सकती।”

उसकी बातें सुनकर मेरे जिस्म में आग-सी लग गई। मेरे मन में एक तूफान उठने लगा, मेरी चूत में गुदगुदी होने लगी। उसने मुझसे पूछा, “क्या तूने कभी सेक्स का मजा लिया है?” मैंने शर्माते हुए कहा, “नहीं।” रितु हँसी और बोली, “मन तो करता होगा ना?” मैंने धीरे से कहा, “हाँ।” मेरे होंठ काँप रहे थे, मेरी साँसें तेज हो गई थीं। फिर मैंने हिम्मत करके कहा, “पर मैं अपनी चूत सिर्फ अपने पति को दूँगी। मैंने इसे उसके लिए संभाल कर रखा है।” वो हँस पड़ी और बोली, “तेरा कुछ नहीं हो सकता, तू पुराने ख्यालों वाली लड़की है।”

मैंने जिद्दी लहजे में कहा, “कुछ भी हो, मैं ये सब अपने हसबैंड के साथ ही करूँगी, वरना नहीं।” उसने कहा, “एक काम कर, मेरे साथ लेस्बोवर्क कर ले। तेरे जिस्म को थोड़ी राहत मिल जाएगी।” मैंने कहा, “मैं सोचकर बताऊँगी।” उस दिन मैं सारा वक्त सोचती रही। मेरे मन में एक लहर-सी उठ रही थी—उसके साथ नंगी होने का ख्याल, उसका जिस्म मेरे जिस्म को छूना, मेरी चूत को सहलाना। आखिरकार मैंने हाँ कर दी और उसे फोन कर कहा, “ठीक है।” मैंने पूछा, “तेरा पति कुछ नहीं कहेगा?” वो बोली, “उसे पता ही नहीं चलेगा।”

मैंने पूछा, “वो कैसे?” उसने कहा, “कल सुबह तू मेरे पास आ जाना। मेरा हसबैंड सुबह ऑफिस चला जाता है, शाम को लौटता है। तब तक हम जितनी बार चाहें मजे कर लेंगे।” मैंने कहा, “ठीक है।” अगले दिन मैं तैयार हुई। हरे रंग का टॉप और डेनिम पहनी, जिसमें मेरे मम्मे उभरकर बाहर झाँक रहे थे। मैं उसकी तरफ चल पड़ी। उसका घर ज्यादा दूर नहीं था। दरवाजा खुला था, मैंने अपनी एक्टिवा अंदर खड़ी कर दी। एक्टिवा की आवाज सुनकर रितु बाहर आई। उसने लाल रंग का नाइट गाउन पहना था, जो इतना पारदर्शी था कि उसका पूरा जिस्म नजर आ रहा था। वो बहुत सेक्सी लग रही थी, उसके मम्मे गाउन से बाहर निकलने को बेताब थे।

वो मुझे गले लगी, उसकी गर्म साँसें मेरे गालों पर पड़ीं। शादी के बाद हम पहली बार मिल रहे थे। हम अंदर गए। उसका घर बहुत शानदार था, हर तरफ लकड़ी का काम, सजावट ऐसी कि लगता था उसका पति बहुत अमीर है। मैंने पूछा, “तेरा हसबैंड क्या करता है?” उसने कहा, “हमारा इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट का बिजनेस है।” फिर हमने चाय पी, और उसने कहा, “चल, शुरू करें जिस काम के लिए तू यहाँ आई है।” मेरी धड़कनें तेज हो गईं, मैंने कहा, “हाँ, क्यों नहीं।”

मैंने मेन गेट बंद किया और बेडरूम में पहुँच गई। उसने मुझे बाहों में लिया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। पहले तो मुझे अजीब लगा, लेकिन फिर उसकी गर्मी मेरे अंदर समाने लगी। मैं भी उसे चूमने लगी। हम दस मिनट तक एक-दूसरे के होंठ चूसते रहे, उसकी जीभ मेरे मुँह में थी, मेरी साँसें उसकी साँसों से मिल रही थीं। फिर उसने कहा, “ऐसा मजा नहीं आता, बिल्कुल नंगी होकर और मजा आएगा।” मैंने कहा, “ठीक है।” वो बोली, “पहले मैं नंगी होती हूँ, फिर तू।” एक झटके में उसने अपना नाइट गाउन उतार फेंका। उसने नीचे कुछ नहीं पहना था। उसका 36 साइज का नंगा जिस्म मेरे सामने था, भूरे निप्पल और गोल मम्मे देखकर मेरी चूत में आग लग गई।

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अब मेरी बारी थी। मैंने अपना टॉप उतारा, फिर डेनिम। अब मैं सिर्फ काली ब्रा और पैंटी में थी। मेरे मम्मे ब्रा से बाहर आने को बेताब थे। मैंने ब्रा का हुक खोलना चाहा, तो वो बोली, “ऐसे नहीं, मैं खोलूँगी। अपने हाथ से तो हम रोज खोलते हैं, किसी और के हाथों से खुलवाने का अलग मजा है।” उसकी उंगलियाँ मेरी पीठ पर फिरीं, मेरे जिस्म में सिहरन दौड़ गई। उसने मेरी ब्रा खोली, मेरे मम्मे आजाद हो गए। फिर उसने मेरी पैंटी उतारी और मेरी चूत पर हाथ रख दिया। उसका स्पर्श ऐसा था कि मैं जन्नत में पहुँच गई। उसने मुझे लिटाया, मेरे होंठों पर अपने होंठ रखे, उसके नंगे मम्मे मेरे मम्मों से टकरा रहे थे, निप्पल एक-दूसरे को छू रहे थे। मेरे जिस्म में आग भड़क रही थी।

फिर उसने मेरे होंठ छोड़े और मेरी गर्दन पर चूमना शुरू किया। उसने मेरे दाएँ मम्मे को हाथ में पकड़ा और बाएँ को चूसना शुरू कर दिया। मेरी चूत से पानी रिसने लगा, मैं सिसक रही थी। फिर उसने मेरी चूत चाटनी शुरू की—कभी होंठों को चूमती, कभी जीभ से चाटती। मैं सातवें आसमान पर थी, मेरे मुँह से सिसकियाँ निकल रही थीं। आखिरकार मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया—पहली बार ऐसा हुआ था, मैं झड़ गई थी। मैं जन्नत में थी। फिर रितु ने मुझे उठाया और कहा, “जैसा मैंने तेरे साथ किया, वैसा तू मेरे साथ कर।” मैं शुरू हुई। सब ठीक था, पर उसकी चूत चाटने में मुझे थोड़ी हिचक हुई। जब मैंने उसके चूत के होंठों पर अपने होंठ रखे, वो “आह्ह्ह” करने लगी। उसकी चूत का स्वाद नमकीन था। मैं कभी चूमती, कभी चाटती। थोड़ी देर में वो भी झड़ गई। मैंने उसका सारा पानी पी लिया। फिर हमने एक-दूसरे को चूमा और सुस्ता गए। उसने पूछा, “कैसा लगा? मजा आया?” मैंने कहा, “हाँ, बहुत।” वो बोली, “लड़की के साथ इतना मजा आया, तो लड़के के साथ कितना आएगा?” मैंने कहा, “तुझसे ज्यादा तुझे पता है।” वो बोली, “क्या तू लड़के के साथ मजा करना चाहती है?” मैंने कहा, “करना तो चाहती हूँ, पर मेरी तमन्ना है कि अपनी चूत में पहला और आखिरी लंड अपने पति का ही लूँ।” वो बोली, “मैंने कब कहा कि किसी और का डलवा? शादी करके डलवा ले।” मैंने कहा, “लड़का भी दमदार होना चाहिए।” रितु बोली, “लड़का है दमदार।” मैंने पूछा, “कौन?” वो बोली, “मेरा देवर। बहुत हैंडसम है, और तुझे पसंद भी करता है। उसने तुझे मेरी शादी में देखा था, तब से तेरा दीवाना है। लेस्बोवर्क तो बहाना था, असल में मैं तेरे साथ तेरी शादी की बात करना चाहती थी। अगर तू हाँ करे, तो मैं तेरे मम्मी-डैडी से बात करूँ।” लड़का हैंडसम और अमीर था, मैंने हाँ कर दी। उसने मेरी शादी की बात चलाई, बात बढ़ी, और हमारी शादी फिक्स हो गई।

फोन पर बातें होने लगीं, मुलाकातें भी हुईं, पर मैंने उसे किस से ज्यादा कुछ नहीं करने दिया। आखिरकार मेरी सुहागरात का दिन आ गया। रितु मुझे बेडरूम तक छोड़ गई और “बेस्ट ऑफ लक” कहकर चली गई। थोड़ी देर बाद मेरा पति मोनू अंदर आया। पास में दूध रखा था, मैंने उसे पिलाया। मैंने लाल रंग का लहंगा-चोली पहना था, नीचे सेक्सी लाल लॉन्जरी। वो बोला, “आर यू रेडी?” मैंने शर्म से सिर झुका लिया। उसने मेरे चेहरे को अपने हाथों से ऊपर उठाया और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए। मेरे जिस्म में आग लग गई, मैं प्यासी थी। मैं भी उसे चूमने लगी। हमने काफी देर तक फ्रेंच किस किया, फिर उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। मैं उसकी जीभ चूसने लगी, मजा आ रहा था, पर डर भी लग रहा था कि उसका लंड मेरी चूत में जाएगा तो क्या होगा। फिर मैंने डरना बंद किया और सोचा, “पगली, आज नहीं तो कल मोनू तेरी सील तोड़ेगा ही, तो आज क्यों नहीं?”

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उसने मेरी चोली खोलनी शुरू की और धीरे-धीरे उतार दी। अब मैं लहंगे और लाल ब्रा में थी। मेरे मम्मे ब्रा से बाहर आने को बेताब थे। वो भूखे शेर की तरह उन पर टूट पड़ा, एक झटके में ब्रा खोल दी। मेरे गुलाबी निप्पल देखकर वो पागल हो गया और बोला, “आई एम वेरी लकी जो मुझे तेरे जैसा खूबसूरत जिस्म मिला।” मैं शर्मा गई। उसने दोनों हाथों से मेरे मम्मों को दबाना शुरू किया। थोड़ा दर्द हुआ, मैं “आह्ह्ह” कर रही थी, पर मजा भी आ रहा था। फिर वो एक-एक करके मेरे मम्मे चूसने लगा। मेरी चूत गीली होने लगी, जितना वो चूसता, मैं “आह्ह्ह आह्ह्ह” करती। फिर उसने मेरी नाभि को चूमा, मैं “ओह्ह्ह नो बस करो” करने लगी। उसने मेरा लहंगा ऊपर किया, मेरी लाल बिकिनी साफ दिख रही थी। दो मिनट वो उसे देखता रहा, फिर मेरी गांड को थोड़ा ऊपर उठाया और पैंटी खींचकर उतार दी। मेरी गुलाबी चूत देखकर वो पागल हो गया और बिना रुके अपने होंठ मेरी चूत के होंठों पर रख दिए। मैं मस्त हो गई। मेरा मन कर रहा था कि उसका लंड मेरे अंदर जाए। मेरी चूत पूरी गीली थी।

फिर उसने अपनी उंगली मेरी चूत में डाली। चूत टाइट थी, उंगली मुश्किल से गई। पहली बार कुछ अंदर गया था, मुझे दर्द हुआ, मैं “उईई माँ” चिल्लाई। पर मोनू ने मेरे दर्द की परवाह नहीं की, वो उंगली अंदर-बाहर करने लगा। थोड़ी देर बाद दर्द कम हुआ, मैं झड़ने वाली थी। मैं सिसकने लगी। मोनू समझ गया, उसने स्पीड बढ़ा दी। मैं जोर-जोर से “आह्ह्ह” करने लगी और झड़ गई। अब फाइनल राउंड की बारी थी। मोनू उठा, मुझे भूखे कुत्ते की तरह देखने लगा। उसने अपने कपड़े उतारने शुरू किए। आखिर में सिर्फ अंडरवियर बचा। उसका खड़ा लंड साफ दिख रहा था। उसने कहा, “मेरा अंडरवियर तुम उतारो।” मैंने उतारा, उसका लंड एक झटके से बाहर आया। मैं देखकर दंग रह गई—8 इंच लंबा, 2.5 इंच मोटा, गोरा और साफ-सुथरा। उसने सारे बाल शेव किए थे। लंड मेरे चेहरे को छू रहा था। उसने कहा, “पकड़ोगी नहीं?” मैंने हाथ रखा, ऐसा लगा जैसे गर्म लोहे को छू लिया। वो सख्त था। उसने कहा, “मुँह में नहीं लोगी?” मेरा मन कर रहा था कि पूरा निगल जाऊँ, पर शर्म आ गई। मैंने कुछ नहीं कहा। उसने कहा, “चल, इस पर एक किस तो कर दे।” मैंने अपने काँपते होंठ रखे, ऐसा लगा जैसे गर्म गुलाबजामुन को चूमा हो। वो कुछ नहीं बोला और कहा, “आज के लिए इतना काफी है। सारी जिंदगी चूसवाऊँगा तुझसे। आज हमारी सुहागरात है, जो काम है वो पूरा करूँ।”

उसने मुझे सीधा लिटाया, मेरी टाँगें फैलाईं और अपना लंड मेरी चूत पर रखा। मेरी चूत टाइट थी, लंड अंदर जाने का नाम ही नहीं ले रहा था। वो थोड़ा जोर लगाता, मेरी चीख निकल जाती। 10 मिनट कोशिश के बाद भी लंड अंदर नहीं गया। वो उदास हो गया। मैंने पूछा, “क्या हुआ?” वो बोला, “मैं तुझे हर्ट नहीं करना चाहता, थोड़ा साथ दे।” मैंने कहा, “अब मैं नहीं चिल्लाऊँगी।” मैंने कहा, “क्रीम लगा लो।” उसके पास क्रीम नहीं थी। मैंने अपने पर्स से कोल्डक्रीम निकालकर दी। उसने अपने लंड पर लगाई और मेरी चूत पर भी। क्रीम से लंड चिकना हो गया। उसने एक झटका लगाया, लंड थोड़ा अंदर गया। मेरी चीख निकली, उसने मेरा मुँह दबा दिया। मुझे बहुत दर्द हो रहा था, वो और जोर लगा रहा था। मेरी आँखों से आँसू निकलने लगे, लगा जैसे मर जाऊँगी। आधा लंड अंदर था। उसने जोर लगाना बंद किया और पूछा, “कैसा लग रहा है?” मैं बोल नहीं पाई, सिर्फ सिर हिलाया। वो थोड़ी देर रुका, फिर धीरे-धीरे लंड आगे-पीछे करने लगा। थोड़ी देर बाद मैं रिलैक्स हुई, “आह्ह्ह आह्ह्ह” करने लगी। वो समझ गया कि मैं ठीक हूँ। उसने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी। 20-25 धक्कों के बाद एक जोरदार झटका मारा, पूरा लंड मेरी चूत में समा गया। मैं “ओईई माँ मैं मर गई” चिल्लाई। वो रुका, मुझे रिलैक्स होने दिया। जब मैं रुक गई, उसने धीरे-धीरे धक्के शुरू किए। दर्द बहुत था, पर वो रुकने का नाम नहीं ले रहा था। जब दर्द कम हुआ, मैं “आह्ह्ह आह्ह्ह” के साथ उसका साथ देने लगी। उसे पता चला कि अब मुझे मजा आ रहा है। उसने स्पीड बढ़ा दी। मैं अपनी गांड उठाकर साथ देने लगी। थोड़ी देर में मैं फिर झड़ गई। मेरा काम हो गया, पर मोनू धक्के लगाता रहा। मैंने कहा, “मेरा काम हो चुका, जल्दी करो।” उसने स्पीड और बढ़ा दी, ऐसा लगा जैसे रेल का इंजन चल रहा हो। आखिरकार एक जोरदार झटका मारा और उसने सारा गर्म पानी मेरे अंदर छोड़ दिया। उसकी गर्मी मेरे अंदर फैलते ही मुझे अजीब-सी संतुष्टि हुई।

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मैंने आँखें बंद कर लीं, हिलने का मन नहीं था। मोनू मेरे ऊपर लेटा रहा। 10 मिनट बाद हम अलग हुए। मैं हिल नहीं पा रही थी। मोनू ने मुझे खींचकर बिठाया। मैंने चूत पर हाथ लगाया, खून और वीर्य निकल रहा था। उसने कहा, “बाथरूम में साफ कर ले, मैं चादर बदलता हूँ।” मैंने कहा, “मुझसे हिला नहीं जा रहा।” उसने मुझे बाहों में उठाया, बाथरूम ले गया और अपने हाथों से मेरी चूत साफ की। गर्म पानी से कुछ राहत मिली। उसने पूछा, “कैसा लगा?” मैं शर्म से चुप रही। मुझे बहुत मजा आया, पर कुछ नहीं बोली। साफ करने के बाद उसने मुझे खड़ा किया, हम बेड की तरफ गए। मैं लंगड़ाकर चल रही थी। बेड पर लेटते ही मैं सो गई। एक घंटे बाद मुझे लगा कोई मेरे मम्मे दबा रहा है। देखा तो मोनू था। मैंने कहा, “क्या कर रहे हो?” वो बोला, “फिर से मन कर रहा है।” उस रात हमने दो बार और किया। मुझे बहुत मजा आया। इसके बाद मेरी रोज दो बार चुदाई होने लगी, संडे को तीन बार। मैं और रितु कभी-कभी लेस्बोवर्क भी कर लेते थे।

ये थी मेरी सुहागरात की कहानी। अगली कहानी में बताऊँगी कि कैसे मैंने चूसना शुरू किया और मोनू ने मेरे साथ एनल सेक्स किया। मुझे मेल जरूर करना—[email protected]। कहानी पढ़ने के बाद अपने विचार नीचे कमेंट में जरूर लिखें, ताकि हम आपके लिए रोज और बेहतर कामुक कहानियाँ पेश कर सकें।

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