Jija Saali Chudai मेरी शादी को अब पंद्रह साल हो चुके हैं। मेरी पत्नी रीता के साथ मेरी जिंदगी खुशहाल थी, लेकिन मेरी कहानी उस वक्त की है जब मेरी साली रजनी, जिसे घर में सब प्यार से बेबो बुलाते हैं, मेरे जीवन में एक अनोखा तूफान लेकर आई। यह कहानी मेरे और बेबो के बीच की उस सच्ची और गर्मजोशी भरी मुलाकात की है, जो मेरे दिलो-दिमाग में आज भी ताजा है। मैं आपको बता दूं कि मेरी पत्नी रीता घर में सबसे बड़ी है। उसकी छोटी बहन बेबो, जो उससे दो साल छोटी है, बी.ए. तृतीय वर्ष में पढ़ रही थी। उनकी उम्र 22 साल थी, और उनका भाई, जो उनसे चार साल छोटा है, उस वक्त कॉलेज में था। बेबो का रंग गोरा, चेहरा नाजुक, और शरीर भरा-भरा सा था, जिसे देखकर कोई भी मचल जाए। उसकी आँखों में एक शरारत और मुस्कान थी, जो उसे और भी आकर्षक बनाती थी। मैं, राकेश, 38 साल का, औसत कद-काठी, लेकिन फिट और एनर्जेटिक। मेरी पत्नी रीता, 35 साल की, सौम्य और घरेलू, लेकिन बच्चे के बाद उसका ध्यान ज्यादातर उसी पर रहता था।
जब हमारा पहला बेटा हुआ, रीता को ससुराल से लेने मैं उनके घर गया। उस वक्त बेबो की गर्मियों की छुट्टियां चल रही थीं, और लगभग एक महीना बाकी था। रीता ने अपने मायके वालों से बात करके बेबो को हमारे साथ गुड़गांव ले आई, ताकि वो बच्चे की देखभाल में मदद कर सके। हम तीनों गुड़गांव वापस आ गए। मैंने दस दिन की छुट्टी ली थी, ताकि परिवार के साथ वक्त बिता सकूं। दिन में रीता और बेबो बच्चे की देखभाल में व्यस्त रहतीं, और जब भी हमें फुर्सत मिलती, मैं और बेबो लूडो या कैरम खेलते। बेबो की हंसी और उसकी शरारती बातें मुझे खींचने लगी थीं। शाम को हम पार्क जाते, और अक्सर बाहर डिनर करते। मैं बेबो से पूछता, “क्या खाएगी?” और उसकी पसंद का खाना ऑर्डर करता। मार्केट जाते वक्त मैं उसे कुछ न कुछ दिलवाता—कभी गॉगल्स, कभी पर्स, कभी कुछ और। बेबो मना करती, लेकिन मैं जिद करके उसे कुछ न कुछ लेने को मजबूर कर देता। चार-पांच दिन में ही हमारी अच्छी दोस्ती हो गई थी। रात को जब रीता बच्चे को दूध पिलाते-पिलाते सो जाती, मैं और बेबो देर तक बातें करते। उसकी बातों में एक अजीब सी मासूमियत और शरारत थी, जो मुझे उसकी ओर खींच रही थी।
एक दोपहर रीता बच्चे को दूध पिलाते-पिलाते सो गई। बेबो नहाने चली गई, और मैं गैरेज में अपनी कार साफ करने लगा। बाथरूम की एक छोटी सी खिड़की गैरेज की तरफ खुलती थी, जो थोड़ी ऊंचाई पर थी। सामान्य तौर पर उससे कुछ दिखता नहीं था, लेकिन उस दिन मैं कार के टायर पर चढ़कर छत साफ कर रहा था। तभी मेरी नजर खिड़की पर पड़ी। बेबो शावर के नीचे पूरी तरह नंगी खड़ी थी। उसका गोरा, चिकना शरीर पानी की बूंदों से चमक रहा था। उसकी पीठ मेरी तरफ थी, और उसके गोल-गोल चूतड़ों की गहराई मेरे सामने थी। पानी की बूंदें उसके कूल्हों पर लुढ़क रही थीं, और उसकी कमर की पतली लकीर मुझे पागल कर रही थी। मेरे शरीर में सनसनी दौड़ रही थी। फिर वो पलटी, और अब उसका सामने का हिस्सा मेरी आंखों के सामने था। उसके बड़े, गोल स्तन पानी से भीगे हुए थे, और छोटे-छोटे भूरे चुचूक सख्त होकर उभरे हुए थे। उसकी चूत के काले, घने बाल पानी से चिपके हुए थे, और शावर का ठंडा पानी उसके शरीर पर बह रहा था। वो कभी अपने स्तनों को सहलाती, कभी अपनी चूत को रगड़ती, जैसे जानबूझकर मुझे तड़पाने की कोशिश कर रही हो। मेरे लंड में तनाव बढ़ रहा था, और वो हाफ पैंट में तंबू बनाकर उभर रहा था।
जब बेबो नहा चुकी, उसने तौलिया लिया और अपने शरीर को पोंछने लगी। उसने अपने स्तनों को तौलिए से रगड़ा, जिससे वे और सख्त हो गए। फिर उसने अपनी चूत को साफ किया, और तौलिया उसके काले, घुंघराले बालों पर फिसल रहा था। उसकी चूत की चमक मेरे दिमाग में आग लगा रही थी। उसने सफेद ब्रा पहनी, फिर गुलाबी पैंटी, और आखिर में रंग-बिरंगा लोअर और टॉप। तभी उसकी नजर खिड़की पर पड़ी, और उसने मुझे देख लिया। मैं फौरन नीचे कूद गया, लेकिन मेरा लंड हाफ पैंट में उफन रहा था। बेबो तौलिया सुखाने के बहाने गैरेज में आई और शरारत से बोली, “अरे जीजू, आप अभी तक गाड़ी साफ कर रहे हैं? इतना टाइम लगता है क्या?”
उसकी नजर मेरे लंड पर थी, जो हाफ पैंट में साफ दिख रहा था। मैंने हड़बड़ाते हुए कहा, “हां, बस हो गया। चलो अंदर चलें।” मैंने कपड़ा अपने लंड के सामने कर लिया और अंदर चला गया। टॉयलेट में जाकर मैंने अपने उफनते लंड को मुठ मारकर शांत किया।
उस दिन से मेरा रूटीन बन गया। जब भी बेबो नहाने जाती, मैं गैरेज में किसी बहाने चला जाता। बेबो को पता था कि मैं उसे देख रहा हूं। अब वो और दिखा-दिखाकर नहाती। वो जानबूझकर जोर से चिल्लाती, “दीदी, मैं नहाने जा रही हूं!” जैसे मुझे इशारा दे रही हो। मैं खिड़की के पास पहुंचता, और वो कपड़े उतारना शुरू करती। अगर मुझे देर हो जाती, तो वो बाथरूम में टाइम पास करती रहती। जैसे ही गैरेज का गेट खुलने की आवाज आती, वो अपना टॉप उतारती, फिर खिड़की की तरफ मुंह करके ब्रा खोलती। उसके सख्त स्तन उछलकर बाहर आते, और वो उन्हें धीरे-धीरे सहलाती। फिर वो पलटकर लोअर उतारती, और अपनी पैंटी भी खिड़की की तरफ मुंह करके उतार देती। वो अपनी चूत को रगड़ती, बालों को खींचती, और अपने चूतड़ों को मेरे सामने हिलाती। मेरे लंड में आग लग रही थी। मैं हाफ पैंट से लंड निकालकर मुठ मारता, और जब वो कपड़े पहनने लगती, मैं खिड़की से हट जाता।
कई दिनों तक यही चलता रहा। मेरी छुट्टियां खत्म होने वाली थीं, बस दो दिन बचे थे। एक दिन रीता बच्चे के लिए कपड़े लेने अपनी सहेली के साथ मार्केट चली गई। जाते वक्त उसने कहा, “राकेश, तुम यहीं रहना। बेबो सो रही है। रात को छोटे ने उसे बहुत परेशान किया। उसे सोने देना। जब वो उठे, तो उसे खाना गर्म करके दे देना।”
रीता के जाने के बाद मैंने चुपके से बेबो को देखा। वो स्कर्ट और टी-शर्ट में सो रही थी। उसकी टी-शर्ट ऊपर उठी हुई थी, जिससे उसकी सफेद ब्रा दिख रही थी। स्कर्ट उसकी जांघों तक चढ़ी थी, और उसकी लाल पैंटी साफ दिख रही थी। उसकी चूत का उभार पैंटी के ऊपर से उभरा हुआ था। मैंने उसे आवाज दी, “बेबो! बेबो!” लेकिन वो न उठी, न करवट बदली। मैं उसे निहारता रहा। उसका गोरा पेट, चिकनी टांगें, और भरी-भरी जांघें मुझे पागल कर रही थीं। मैं सोफे पर बैठ गया, लेकिन मेरा दिमाग उसी की तरफ था। मैं फिर कमरे में गया। बेबो वैसे ही सो रही थी। मैं उसके पास बैठ गया और हल्के से आवाज दी, “बेबो!” वो नहीं जागी। मैंने धीरे से उसकी जांघ पर हाथ रखा। उसकी चिकनी, मुलायम जांघ मेरे हाथों में गर्म थी। मैंने हल्के-हल्के उसकी जांघ सहलाई, फिर मेरा हाथ उसकी पैंटी पर चला गया। उसकी चूत का उभार मेरी हथेली में सेट हो गया। मैं हल्के-हल्के उसकी चूत को दबाने लगा। बेबो वैसे ही पड़ी रही, शायद सोने का नाटक कर रही थी।
मेरी हिम्मत बढ़ रही थी। मैंने उसकी पैंटी के अंदर हाथ डालने की कोशिश की, लेकिन स्कर्ट की वजह से मुश्किल हो रही थी। मैंने सावधानी से उसकी स्कर्ट का हुक और चेन खोल दी। अब मेरा हाथ उसकी पैंटी के अंदर चला गया। मैंने उसके घने, काले बालों पर हाथ फेरा। फिर मेरी उंगली उसकी चूत की फांक पर पहुंची। मैंने उसकी फांक को हल्के-हल्के खोला और बंद किया। उसकी चूत गर्म और गीली थी। मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाली और धीरे-धीरे उसके जी-स्पॉट को रगड़ने लगा। बेबो की सांसें तेज होने लगीं, लेकिन वो अभी भी सोने का नाटक कर रही थी। मैंने उसकी पैंटी को धीरे-धीरे उसके घुटनों तक खींच दिया, फिर पूरी तरह उतार दिया। मैंने उसकी टांगें थोड़ी चौड़ी कीं और उसके बगल में लेट गया। मेरा हाथ उसकी चूत पर था, और मैं उसे रगड़ रहा था। मेरी उंगलियां उसकी चूत की फांक में अंदर-बाहर हो रही थीं। कुछ देर बाद उसकी चूत से गीलापन रिसने लगा।
अचानक बेबो की सिसकारी निकली, “आह्ह…” उसने आंखें खोलीं और अनजान बनते हुए बोली, “अरे जीजू, आप कब आए? ये क्या कर रहे हैं?”
मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “बस अभी आया, बेबो। सोचा तुझे थोड़ा मजा दूं। सच बता, मजा तो आ रहा है ना? मुझे पता है तू जाग रही थी। वरना तेरी चूत से ये गीलापन नहीं निकलता।”
बेबो शरमाई और बोली, “नहीं जीजू, मैं तो सो रही थी। ये क्या, मेरी पैंटी क्यों उतारी?”
मैंने हंसते हुए कहा, “अरे बेबो, झूठ मत बोल। चल, अब मजा करेंगे। तू मेरा साथ दे।”
वो मुस्कुराई और बोली, “कैसा साथ, जीजू? और मेरी पैंटी में क्या ढूंढ रहे थे?”
मैंने उसे अपनी बाहों में खींच लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उसके नरम, गुलाबी होंठ मेरे होंठों में समा गए। मैं उन्हें चूसने लगा, और वो भी मुझे कसकर पकड़ने लगी। मैंने अपना एक हाथ उसकी टी-शर्ट के अंदर डाला और उसके सख्त स्तनों को दबाने लगा। उसके चुचूक ब्रा के ऊपर से सख्त हो रहे थे। मैंने उसकी टी-शर्ट उतारने की कोशिश की, तो वो बोली, “जीजू, ये क्या? दीदी आ जाएंगी!”
मैंने कहा, “अरे, वो मार्केट गई है। दो-तीन घंटे तक नहीं आएगी।”
मैंने उसकी टी-शर्ट उतार दी। अब वो सिर्फ सफेद ब्रा में थी। उसके बड़े, गोल स्तन ब्रा में कैद थे। मैंने ब्रा के ऊपर से उसके स्तनों को दबाया, फिर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया। उसके नंगे, गोरे स्तन मेरे सामने थे। मैंने उसके चुचूकों को हल्के-हल्के मसला, और वो सिसकारियां लेने लगी, “आह्ह… जीजू…” मैंने उसके एक स्तन को अपने मुंह में लिया और चूसने लगा। उसका चुचूक मेरी जीभ से और सख्त हो गया। मैंने उसकी स्कर्ट भी उतार दी। अब वो पूरी तरह नंगी थी। उसका गोरा, चिकना शरीर मेरे सामने चमक रहा था।
मैंने अपने कपड़े उतारे और पूरी तरह नंगा होकर बेबो से लिपट गया। मेरा 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लंड उसकी चिकनी जांघों से रगड़ खा रहा था। मैंने उसकी जांघों पर हाथ फेरा, फिर उसकी चूत पर। उसकी चूत गीली और गर्म थी। मैंने उसकी चूत को हथेली से दबाया, और वो सिसकारियां लेने लगी, “उह्ह… आह्ह…” वो मेरे बालों में उंगलियां फिराने लगी और मेरे होंठ चूसने लगी। मैंने उसे बिस्तर पर सीधा लिटाया और उसकी चूत की फांक पर उंगलियां फिराने लगा। मेरी उंगलियां उसकी चूत में अंदर-बाहर होने लगीं। उसकी सिसकारियां तेज हो गईं, “आह्ह… ओह्ह… जीजू…” उसकी चूत से गीलापन रिस रहा था।
मैंने उसका हाथ पकड़कर अपने लंड पर रखा। उसने बिना झिझक मेरे लंड को पकड़ लिया और उसे दबाने लगी। मेरा लंड और सख्त हो गया। वो उसे मुट्ठी में लेकर आगे-पीछे करने लगी। मैंने उसकी चूत में उंगली डाली और जी-स्पॉट को रगड़ने लगा। वो मछली की तरह तड़पने लगी, “आह्ह… जीजू… और करो…” मैंने उसकी टांगें और चौड़ी कीं और उसके ऊपर चढ़ गया। मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी चूत पर रगड़ रहा था। मैंने धीरे से सुपाड़ा उसकी चूत में डाला। वो चीख पड़ी, “आह्ह… जीजू, दर्द हो रहा है!”
मैंने उसे शांत किया, “बेबो, पहली बार ऐसे ही होता है। थोड़ा बर्दाश्त कर, फिर मजा आएगा।”
मैंने एक और धक्का मारा, और मेरा आधा लंड उसकी चूत में चला गया। वो तड़पने लगी, “उह्ह… जीजू, निकालो… बहुत दर्द हो रहा है!” उसकी चूत से खून टपक रहा था। मैं रुक गया और उसे चूमने लगा। मैंने उसके माथे, गालों और होंठों को चूमा। उसकी आंखों से आंसू निकल रहे थे। मैंने उसे अपनी बाहों में कस लिया। कुछ देर बाद उसका दर्द कम हुआ। मैंने धीरे-धीरे अपने लंड को उसकी चूत में अंदर-बाहर करना शुरू किया। वो अब सिसकारियां ले रही थी, “आह्ह… उह्ह… जीजू…” उसकी चूत टाइट थी, और मेरा लंड उसे चीर रहा था। मैंने धीरे-धीरे रफ्तार बढ़ाई। अब वो भी अपनी कमर हिलाने लगी थी। उसकी चूत से थोड़ा खून निकला, जो उसकी कुंवारी चूत की सील टूटने का सबूत था।
मैंने तेज धक्के मारने शुरू किए। बेबो की सिसकारियां कमरे में गूंज रही थीं, “आह्ह… ओह्ह… जीजू… और जोर से… उह्ह…” उसने अपनी टांगें मेरी कमर पर लपेट लीं। मैं उसके स्तनों को दबाते हुए उसकी चूत में तेज-तेज धक्के मार रहा था। वो चिल्ला रही थी, “सी… सी… और जोर से… जीजू… उह्ह… आह्ह… और अंदर… हां… येस्स…” उसकी चूत की चिकनाहट मेरे लंड को और आसान बना रही थी। मैंने उसके कूल्हों को पकड़ लिया और तेज-तेज शॉट मारने लगा। उसकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी। करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद वो झड़ने वाली थी। उसने मुझे कसकर पकड़ लिया और चिल्लाई, “जीजू… मैं… आह्ह… हो गई… उह्ह… येस्स…” उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया, और वो ढीली पड़ गई।
मेरा लंड अभी भी तना हुआ था। मैंने तेज-तेज धक्के मारने शुरू किए। वो रोने लगी, “जीजू… बस… अब और नहीं…” लेकिन मैं रुका नहीं। दो-तीन मिनट बाद मैं भी झड़ने वाला था। मैंने अपना लंड उसकी चूत से निकाला और उसके झांटों पर झड़ गया। उसकी चूत के काले, घुंघराले बालों में मेरे वीर्य की बूंदें चमक रही थीं। मैं उसके ऊपर लेट गया, हमारी सांसें तेज चल रही थीं। कुछ देर बाद हम उठे। बेबो ने चादर पर लगे खून को गीले कपड़े से साफ किया और पंखा चला दिया।
मैंने पूछा, “बेबो, कैसा लगा?”
वो बोली, “जीजू, शुरू में तो बहुत दर्द हुआ, लेकिन बाद में ऐसा मजा आया कि मैं बता नहीं सकती। मैं तो आपकी दीवानी हो गई। अब जब चाहे मेरे साथ ये सब कर सकते हैं।”
मैंने उसे फिर से बाहों में लिया और उसके होंठ चूसने लगा। वो भी मुझसे लिपट गई। मैंने उसके स्तनों को फिर से दबाया और बोला, “एक बार और?”
वो हंसकर अलग हुई और बोली, “जीजू, आप तो बड़े गंदे हो। इतना सब हो गया, फिर भी मन नहीं भरा? अब बस, दीदी आ जाएंगी। मेरी चूत में दर्द हो रहा है। शायद कट भी लग गया। गर्म पानी से सिकाई करूंगी, तो ठीक हो जाऊंगी। वरना दीदी को मेरी चाल से शक हो जाएगा। कल फिर करेंगे।”
वो शरारत से मुस्कुराई और बाथरू म की ओर चली गई। मैं उसे जाता हुआ देखता रहा। उस दिन मेरी मन की इच्छा पूरी हो गई थी। बाद में, मौका मिलने पर हमने दो साल में कई बार सेक्स किया—9 बार हमारे घर में, 3 बार बेबो के घर में, और एक रात होटल में 3 बार। हर बार का मजा अलग था। अगर मौका मिला, तो मैं बाकी किस्से भी सुनाऊंगा।
दो साल बाद बेबो की शादी हो गई। अब वो दो बच्चों की मां है। हम साल में दो-तीन बार मिलते हैं, और फोन पर बात होती रहती है। लेकिन हम अपने पुराने अनुभवों की बात कभी नहीं करते। शादी के बाद हमने फिर सेक्स नहीं किया, और शायद यही वजह है कि हमारे दिलों में एक-दूसरे के लिए प्यार आज भी बरकरार है।
तो दोस्तों, आपको मेरी कहानी कैसी लगी?