ये एकदम रियल स्टोरी है, मेरी जिंदगी का सच्चा वाकया। मेरा नाम शिवम है। हमारे घर में टोटल चार लोग हैं—मम्मी, पापा, मैं और मेरी छोटी बहन। छोटी बहन की उम्र 19 साल है, वो 11वीं क्लास में पढ़ती है। मैं इस वक्त 24 साल का हूँ और गवर्नमेंट एग्जाम की तैयारी कर रहा हूँ। मेरी मम्मी का नाम मीना कुमारी है, उनकी उम्र 45 साल है। उनका फिगर 36-30-38 है, और आज भी उन्होंने इसे बखूबी मेंटेन किया हुआ है। बड़े-बड़े बूब्स, मोटी-मोटी गांड, देखकर किसी का भी लंड खड़ा हो जाए। मैंने कई बार मम्मी के बारे में सोचकर मुठ मारी है। हम लोग एक गाँव से बिलॉन्ग करते हैं, पापा मजदूरी करते हैं। पापा को अच्छा काम मिले, इसलिए हम शहर में किराए के मकान में रहने लगे। वहाँ पड़ोस में ही पापा के साथ काम करने वाले लोग भी रहते थे। 2BHK का रूम था, जिसमें हमने एक रूम और किचन लिया था, और वो लोग एक रूम में रहते थे। वो टोटल तीन लोग थे—रमेश, सुरेश और विजय। वो कभी-कभी घर पर चाय पीने आया करते थे, पापा के अच्छे दोस्त थे, और मम्मी भी उनसे बहुत फ्रेंडली रहती थी।
मम्मी मुझे अक्सर दोपहर के टाइम बाहर भेज देती थी, कभी सामान लाने तो कभी गेम खेलने के लिए। मम्मी और उन लोगों की नजदीकियाँ देखकर मुझे शक होने लगा। एक दिन मैंने सोच लिया कि आज घर पर ही रुकूँगा, पढ़ाई का बहाना बनाकर। मैं छत पर पढ़ाई कर रहा था, मम्मी नीचे थीं। तभी उनमें से एक, रमेश अंकल, हमारे घर आया और रूम में बैठ गया। मुझे लगा शायद लंच करने आया है। मैं फिर से पढ़ने में लग गया। हमारी छत से किचन साफ दिखता है। मैंने किचन में देखा, मम्मी खड़े होकर वॉशबेसिन में बर्तन धो रही थीं। मम्मी ने लाल रंग की साड़ी पहनी थी, डीप नेक ब्लाउज, एकदम देसी मिल्फ लग रही थीं। तभी मैंने देखा, रमेश अंकल मम्मी के पीछे खड़ा हो गया, और धीरे से मम्मी की कमर पकड़कर अपना लंड मम्मी की गांड पर टच करने लगा, साड़ी के ऊपर से ही। मम्मी कुछ नहीं बोलीं, चुपचाप बर्तन धोती रहीं। मैं ये सब देखकर हैरान था, मम्मी ने कुछ क्यों नहीं कहा? मैं चुपके से छुपकर देखने लगा।
फिर रमेश अंकल ने मम्मी के बूब्स पकड़ लिए, और अपना लंड मम्मी की गांड पर सहलाने लगा। ये सब देखकर मेरा लंड भी टाइट हो गया। मुझे मजा आने लगा। अंकल ने मम्मी के बूब्स को जोर-जोर से दबाना शुरू किया, मम्मी भी अब मजा लेने लगी थीं, उनकी साँसें तेज हो रही थीं। फिर अंकल ने मम्मी की गांड पर जोर से थप्पड़ मारा, फिर साड़ी ऊपर करके और जोर से थप्पड़ मारा। मम्मी की गांड लाल हो गई, वो हल्का सा सिसकारी। फिर अंकल ने मम्मी को कमर से पकड़कर अपनी तरफ घुमाया, और उनके होंठों पर किस करने लगा। जोर-जोर से किस करते हुए मम्मी को दीवार से लगा दिया, और उन्हें दीवार पर दबा दिया। वो मम्मी के बूब्स को भी जोर-जोर से दबा रहा था। उसका लंड मम्मी की चूत पर पूरी तरह से दबा हुआ था, साड़ी के ऊपर से ही। फिर उसने मम्मी का एक पैर उठाया, साड़ी को और ऊपर किया, और अपने हाथ से मम्मी की चूत को जोर-जोर से मसलने लगा। मम्मी की फीलिंग्स अब हद से ज्यादा बढ़ गई थीं, वो आहें भरने लगी थीं—उम्म्म… आह्ह्ह…।
तभी अंकल ने मम्मी का कंधा पकड़कर उन्हें नीचे बिठा दिया, एक हाथ से मम्मी के बाल पकड़े, और दूसरे हाथ से अपना लंड बाहर निकाला। उसका लंड एकदम काला, मोटा, और करीब 8 इंच का था। उसने मम्मी के बाल पकड़कर अपना लंड उनके मुँह में डालने की कोशिश की। मम्मी मना कर रही थीं, लेकिन अंकल ने जबरदस्ती मम्मी के मुँह में लंड डाल दिया, और उनका सिर पकड़कर जोर-जोर से अंदर-बाहर करने लगा। थोड़ी देर बाद मम्मी भी उसके लंड को अच्छे से चूसने लगीं। अंकल धीरे-धीरे मम्मी के मुँह में लंड को गले तक डालने लगा। मम्मी उसे रोकने की कोशिश करतीं, लेकिन वो नहीं रुका। वो बार-बार मम्मी को “रंडी, रंडी” बोल रहा था।
अंकल: “चूस, रंडी, चूस मेरा लंड। रोज फोन करके बुला लेती है चुदने के लिए, और फिर चोदूँ तो चिल्लाने लगती है।”
मम्मी: “इस बार नहीं चिल्लाऊँगी, बस थोड़ा धीरे कर।”
अंकल: “चूस, रंडी, अभी तो तुझे चोदना भी है।”
थोड़ी देर बाद अंकल ने मम्मी को फिर से खड़ा किया, उनका एक पैर उठाया, साड़ी को ऊपर किया। मम्मी ने उसका कंधा पकड़ लिया। अंकल ने अपना मोटा लंड मम्मी की चूत पर रखा, और दीवार से लगाकर जोर का झटका मारा, लंड पूरा अंदर डाल दिया। मम्मी की चीख निकल गई, लेकिन अंकल ने तुरंत मम्मी के मुँह पर हाथ रख दिया, ताकि वो चिल्लाएँ नहीं। फिर अंकल जोर-जोर से मम्मी की चूत में लंड डालने लगा। मम्मी की चूत गीली हो चुकी थी, हर झटके के साथ “पच-पच” की आवाज आ रही थी।
अंकल: “रंडी, कैसा लग रहा है मेरा लंड?”
मम्मी: “आह्ह… धीरे करो, दर्द हो रहा है… उफ्फ्फ…”
आप यह Antarvasna Sex Stories हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
अंकल: “रंडी है तू, और रंडी ऐसे ही चुदती है।”
कुछ देर बाद मम्मी को भी मजा आने लगा, वो आहें भरने लगीं—आह्ह्ह… उफ्फ्फ… स्स्स्स…। बीच-बीच में अंकल मम्मी के होंठ चूसने लगता, उनके बूब्स को मसलता। अंकल के झटके और तेज हो गए, मम्मी की साड़ी अब कमर तक चढ़ी थी, उनकी मोटी गांड हर झटके के साथ हिल रही थी। करीब 30 मिनट की जबरदस्त चुदाई चली। मेरा लंड एकदम टाइट था, मुझे ये सब देखकर इतना मजा आ रहा था कि मैंने छत पर ही मुठ मारना शुरू कर दिया।
फिर अंकल ने अपना लंड बाहर निकाला, मम्मी ने साड़ी ठीक की। मम्मी ने अंकल का हाथ पकड़ा और उन्हें रूम में ले गईं। मैं छत पर था, और छत से सिर्फ किचन दिखता था। लेकिन मेरा दिमाग अब ये जानने को बेकरार था कि रूम में क्या हो रहा है। मैंने सोचा, किसी तरह देखना पड़ेगा। मैं धीरे से छत से उतरा, और रूम की खिड़की के पास गया, जो हल्की सी खुली थी। खिड़की से पर्दा हटाकर मैंने अंदर देखा।
रूम में मम्मी और अंकल बेड पर थे। मम्मी की साड़ी अब पूरी उतर चुकी थी, वो सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज में थीं। अंकल ने मम्मी का ब्लाउज खोल दिया, उनकी ब्रा भी उतार दी। मम्मी के बड़े-बड़े बूब्स बाहर थे, अंकल उनके निप्पल्स को मुँह में लेकर चूस रहा था। मम्मी की आँखें बंद थीं, वो सिसकारियाँ ले रही थीं—आह्ह… उफ्फ… और जोर से…। अंकल ने मम्मी का पेटीकोट भी ऊपर कर दिया, उनकी चूत पूरी गीली थी, चमक रही थी। अंकल ने अपनी उंगलियाँ मम्मी की चूत में डालीं, और जोर-जोर से अंदर-बाहर करने लगा। मम्मी की साँसें और तेज हो गईं, वो बेड पर तड़प रही थीं।
अंकल: “रंडी, तेरी चूत तो एकदम रसीली है। कितनों से चुदी है तू?”
मम्मी: “बस तू ही तो चोदता है, और जोर से कर… आह्ह…”
अंकल ने मम्मी को बेड पर लिटाया, उनके दोनों पैर फैलाए, और अपना लंड फिर से मम्मी की चूत पर रखा। इस बार उसने धीरे-धीरे लंड अंदर डाला, मम्मी की सिसकारी निकली—उम्म्म… स्स्स्स…। फिर अंकल ने स्पीड बढ़ा दी, हर झटके के साथ मम्मी के बूब्स उछल रहे थे। मम्मी की चूत से “पच-पच” की आवाज पूरे रूम में गूँज रही थी। अंकल ने मम्मी को घोड़ी बनाया, उनकी मोटी गांड को थप्पड़ मारते हुए लंड फिर से अंदर डाला। मम्मी की गांड हर झटके के साथ हिल रही थी, वो चिल्ला रही थीं—आह्ह… चोद दे मुझे… और जोर से…।
अंकल ने मम्मी की कमर पकड़ी, और 20 मिनट तक लगातार चोदा। फिर उसने मम्मी को फिर से सीधा लिटाया, उनके ऊपर चढ़ गया, और लंड को चूत में इतनी जोर से पेला कि मम्मी की चीख निकल गई। अंकल ने मम्मी के मुँह पर हाथ रखा, और तेज-तेज झटके मारने लगा। मम्मी की आँखों में आँसू थे, लेकिन वो मजा भी ले रही थीं। आखिर में अंकल ने लंड बाहर निकाला, और मम्मी के बूब्स पर अपना माल गिरा दिया। मम्मी हाँफ रही थीं, उनका चेहरा लाल था, बाल बिखरे हुए थे।
मैं ये सब देखकर पागल हो गया था। मेरा लंड अभी भी टाइट था, मैंने खिड़की के पास ही मुठ मार दी। फिर मैं चुपके से वापस छत पर चला गया, जैसे कुछ हुआ ही न हो। मम्मी और अंकल ने कपड़े ठीक किए, और अंकल चाय पीकर चला गया। लेकिन मेरे दिमाग में बस यही चल रहा था कि मम्मी ऐसी क्यों हैं? और मुझे ये सब देखकर मजा क्यों आया? मैं अब और जानना चाहता था, कि क्या ये रोज होता है, और बाकी दोस्तों के साथ भी कुछ है?