मेरी मां को मेरे ही दोस्त ने पेला पार्ट – 2

कहानी की शुरुआत वहीं से होती है, जहां मैंने पिछले हिस्से(मेरी मां को मेरे ही दोस्त ने पेला – Part 2) में बताया था। मेरी मम्मी, नीलम, और मेरे दोस्त विनीत ने मोबाइल पर चैट की थी, जो मैंने चुपके से देख लिया था। उस चैट में ऐसी-ऐसी बातें थीं कि मेरा दिमाग हिल गया। मम्मी 38 साल की हैं, लेकिन उनकी जवानी अभी भी वैसी ही है जैसे 20 की उम्र में रही होगी। उनका गोरा रंग, भरा हुआ बदन, 36D के भारी-भरकम बूब्स और गोल-मटोल गांड किसी को भी पागल कर दे। विनीत मेरा दोस्त है, 25 साल का जवान लड़का, लंबा-चौड़ा, कसरती बदन, और चेहरे पर वो शरारती मुस्कान जो लड़कियों को दीवाना बना दे। मैं, अभिनाश, 20 साल का हूँ, कोचिंग जाता हूँ, और घर की हर बात पर नजर रखता हूँ।

सुबह-सुबह मैं कोचिंग के लिए निकल तो गया, लेकिन मेरा मन उसी चैट में अटक गया था। मुझे शक था कि विनीत जरूर घर आएगा, क्योंकि उसे मेरा टाइम पता था। मैं दोपहर 2 बजे तक कोचिंग में रहता हूँ, और वो इसका फायदा उठा सकता था। बस, यही सोचकर मैंने कोचिंग से आधे रास्ते में ही वापस लौटने का फैसला किया। मेरे रूम की खिड़की में एक छोटा-सा छेद है, जो बाहर से बिल्कुल नजर नहीं आता। उस छेद से मैं अपने रूम के अंदर का पूरा नजारा देख सकता था। हमारे घर के पीछे बाउंड्री वॉल है, और वहाँ घनी झाड़ियाँ हैं, तो कोई मुझे देख नहीं सकता। मैं चुपके से बिल्डिंग के पीछे गया, झाड़ियों में छुपा, और खिड़की के छेद से अंदर झाँकने लगा।

जैसा मैंने सोचा था, वही हुआ। मेरी मम्मी और विनीत मेरे रूम में थे। मम्मी ने लाल रंग की साड़ी पहनी थी, जो उनके बदन से चिपकी हुई थी। उनकी साड़ी का पल्लू थोड़ा खिसका हुआ था, जिससे उनके बूब्स का उभार साफ दिख रहा था। विनीत कुर्सी पर बैठा था, और दोनों चाय की चुस्कियाँ लेते हुए हँस-हँसकर बातें कर रहे थे। मम्मी की हँसी में एक अजीब-सी शरारत थी, जो मैंने पहले कभी नहीं देखी थी। विनीत ने चाय का कप टेबल पर रखते हुए कहा, “नीलम आंटी, आप चाय तो कमाल की बनाती हैं।” मम्मी ने शरमाते हुए अपनी आँखें नीचे कीं और बोलीं, “अरे, बस ऐसे ही… तू तो बेकार में तारीफ कर रहा है।” उनकी आवाज में एक नरमी थी, जो मेरे लिए नई थी।

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कुछ देर तक दोनों ऐसे ही बातें करते रहे। फिर विनीत ने धीरे से अपना हाथ मम्मी की जाँघ पर रख दिया। मम्मी ने साड़ी के ऊपर से उसका हाथ महसूस किया, लेकिन उसे हटाया नहीं। विनीत ने हौले-हौले उनकी जाँघ सहलानी शुरू की, और मम्मी बस मुस्कुराती रहीं। उनका चेहरा थोड़ा लाल हो गया था, जैसे वो शरमा रही हों, लेकिन उनकी आँखों में एक चमक थी। विनीत का हाथ धीरे-धीरे ऊपर की तरफ बढ़ रहा था, और मम्मी ने अब भी कोई विरोध नहीं किया। तभी मम्मी उठीं और चाय के कप लेकर किचन की तरफ चली गईं। विनीत भी उनके पीछे उठा और किचन में चला गया।

मैंने अपनी पोजीशन थोड़ी बदली, ताकि किचन की खिड़की से देख सकूँ। वहाँ विनीत ने पीछे से मम्मी को अपनी बाँहों में जकड़ लिया। मम्मी ने छटपटाते हुए कहा, “ये क्या कर रहा है, विनीत? छोड़ मुझे!” लेकिन उनकी आवाज में वो गुस्सा नहीं था, जो होना चाहिए था। विनीत ने और कसकर उन्हें पकड़ लिया और उनके कान के पास मुँह ले जाकर बोला, “वही जो हम दोनों चाहते हैं, नीलम।” मम्मी ने एक बार फिर छूटने की कोशिश की, लेकिन वो कमजोर-सी कोशिश थी। विनीत ने उनके कंधों को पकड़कर उन्हें अपनी तरफ घुमाया और उनके होंठों के करीब अपना चेहरा ले गया। मम्मी ने हल्के से कहा, “अभिनाश आ जाएगा… अगर उसने देख लिया तो?” विनीत ने हँसते हुए कहा, “अरे, उसको आने में अभी दो घंटे हैं। और तुम तो जानती हो, मुझे कितना इंतजार करना पड़ा इस पल के लिए।”

मम्मी का चेहरा और लाल हो गया। विनीत ने धीरे से उनके गाल पर एक चुम्मा लिया और फिर उनके बूब्स पर हाथ फेरने लगा। मम्मी ने आँखें बंद कर लीं और एक हल्की-सी सिसकारी निकली, “उम्म…” विनीत ने उनकी साड़ी का पल्लू नीचे खींच दिया, और मम्मी का ब्लाउज उनके भारी बूब्स को मुश्किल से संभाले हुए था। विनीत ने ब्लाउज के बटन खोलने शुरू किए, और मम्मी ने अब कोई विरोध नहीं किया। वो बस खड़ी थीं, उनकी साँसें तेज हो रही थीं। जब ब्लाउज खुल गया, तो उनकी काली ब्रा में उनके बूब्स और भी उभरकर सामने आए। विनीत ने ब्रा के ऊपर से ही उनके बूब्स को दबाना शुरू किया, और मम्मी की सिसकारियाँ अब और तेज हो गईं, “आह… विनीत… धीरे…”

विनीत ने मम्मी को किचन के स्लैब पर टिका दिया और उनकी ब्रा के हुक खोल दिए। उनके बूब्स आजाद हो गए, और विनीत ने बिना देर किए एक निप्पल को मुँह में ले लिया। मम्मी ने अपने होंठ दबाए और एक लंबी सिसकारी निकाली, “उह्ह… आह्ह…” विनीत ने एक हाथ से उनके दूसरे बूब को मसलना शुरू किया, और दूसरा हाथ उनकी साड़ी के नीचे घुस गया। मम्मी की साड़ी अब कमर तक उठ चुकी थी, और विनीत का हाथ उनकी पैंटी के ऊपर से उनकी चूत को सहला रहा था। मम्मी की साँसें और तेज हो गई थीं, और वो अब पूरी तरह से विनीत के हवाले थीं।

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विनीत ने मम्मी को गोद में उठाया और मेरे रूम के पलंग पर ले गया। वहाँ उसने मम्मी को लिटाया और उनकी साड़ी पूरी तरह उतार दी। अब मम्मी सिर्फ पैंटी में थीं, और उनकी चूत पैंटी के ऊपर से ही गीली दिख रही थी। विनीत ने अपनी शर्ट और पैंट उतारी, और उसका 8 इंच का लौड़ा लोहे की तरह तनकर बाहर आया। मम्मी ने उसे देखा और थोड़ा शरमा गईं, लेकिन उनकी आँखों में एक प्यास थी। विनीत ने मम्मी का हाथ पकड़कर अपने लौड़े पर रखा और आगे-पीछे करने को कहा। मम्मी ने हिचकते हुए वैसा ही किया, और विनीत ने एक उंगली मम्मी की पैंटी के अंदर डाल दी। उनकी चूत पूरी तरह गीली थी, और विनीत की उंगली अंदर-बाहर होने लगी। मम्मी की सिसकारियाँ अब और जोरदार हो गई थीं, “आह्ह… उह्ह… विनीत…”

विनीत ने मम्मी की पैंटी उतार दी और उनकी चूत को चाटना शुरू किया। मम्मी की टाँगें काँप रही थीं, और वो बार-बार सिसकारियाँ ले रही थीं, “उम्म… आह्ह… और कर… आह्ह…” विनीत ने अपनी जीभ उनकी चूत के दाने पर फिराई, और मम्मी का पूरा बदन झटके खाने लगा। कुछ देर बाद विनीत ने अपना लौड़ा मम्मी के मुँह के पास लाया, लेकिन मम्मी ने मना कर दिया। विनीत ने ज्यादा जोर नहीं दिया और सीधे उनकी चूत पर अपना लौड़ा सेट किया। उसने एक जोरदार धक्का मारा, और मम्मी की चीख निकल गई, “आह्ह… धीरे… दर्द हो रहा है!” विनीत ने उनके मुँह पर हाथ रखा और धीरे-धीरे धक्के मारने लगा।

पहले तो मम्मी दर्द से कराह रही थीं, लेकिन धीरे-धीरे उनकी कराहें मजे की सिसकारियों में बदल गईं। “आह्ह… उह्ह… और जोर से… विनीत…” विनीत का कसरती बदन मम्मी के नाजुक बदन पर हावी था। हर धक्के के साथ पलंग की चरमराहट और मम्मी की सिसकारियाँ कमरे में गूंज रही थीं। “थप… थप… थप…” की आवाजें आ रही थीं, जैसे विनीत का लौड़ा मम्मी की चूत को चीर रहा हो। विनीत ने मम्मी के बूब्स को मसलते हुए पूछा, “मजा आ रहा है न, मेरी नीलम डार्लिंग?” मम्मी ने सिसकारी लेते हुए कहा, “हाँ… विनीत… सालों से ऐसे लौड़े की तलाश थी… आज मेरी चूत की प्यास बुझ रही है…”

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विनीत ने हँसते हुए कहा, “अरे, मेरी जान, ये तो बस शुरुआत है। जब तक मैं हूँ, तुम्हारी चूत को रोज ऐसा मजा दूँगा।” वो और जोर-जोर से धक्के मारने लगा। मम्मी की सिसकारियाँ अब चीखों में बदल गई थीं, “आह्ह… उह्ह… मार डाला… और जोर से…” करीब 40 मिनट तक ये चुदाई चलती रही। विनीत ने मम्मी को अलग-अलग पोजीशन में चोदा—कभी उनकी टाँगें उठाकर, कभी उन्हें घोड़ी बनाकर। हर धक्के के साथ मम्मी की चूत और गीली होती जा रही थी। आखिर में विनीत ने एक लंबा धक्का मारा और मम्मी के अंदर ही झड़ गया। मम्मी भी उसी वक्त झड़ गईं, और उनकी सिसकारियाँ धीमी पड़ गईं, “उम्म… आह्ह…”

मैं ये सब देखकर हैरान था। मेरा लौड़ा भी पैंट में तन गया था, लेकिन मन में एक अजीब-सा गुस्सा भी था। फिर मैंने सोचा, शायद पापा मम्मी को सही से चोद नहीं पाते, तभी वो इतनी तड़प रही थीं। मैं चुपके से वहाँ से निकल गया। इसके बाद विनीत रोज मम्मी को चोदने लगा। मम्मी पहले से ज्यादा खुश रहने लगीं, उनका चेहरा चमकने लगा था। मैंने भी इसे नॉर्मल मान लिया। आखिर मम्मी की खुशी ही मेरे लिए सब कुछ थी।

इस कहानी को मैं अगले हिस्से में और आगे बढ़ाऊँगा। आपको ये कहानी कैसी लगी? अपने कमेंट्स जरूर शेयर करें!

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