मेरी बहन की चुदाई उसके रूम में

मेरा नाम सूरज है। मैं 20 साल का हूँ, गोरा रंग, ठीक-ठाक कद-काठी, और मेरी आँखों में हमेशा कुछ न कुछ शरारत भरी रहती है। मेरे घर में मम्मी-पापा, मेरी तीन बहनें और दो भाई हैं। मेरी सबसे बड़ी दीदी की शादी हो चुकी है, वो अब मायके में ही रहती हैं। मेरी दूसरी बहन, सलू, जिसकी उम्र 25 साल है, वो मामा के घर पर रहती है। सलू का फिगर कमाल का है—गोरी, लंबे काले बाल, और वो टाइट कपड़ों में और भी हॉट लगती है। उसका 34-28-36 का फिगर किसी को भी पागल कर सकता है। पापा का फोटो स्टूडियो है, वो रात को 11 बजे के आसपास ही घर लौटते हैं। मम्मी घर का काम संभालती हैं, और हम सब अपनी-अपनी पढ़ाई में लगे रहते हैं। मैं और मेरे भाई-बहन पढ़ाई के साथ-साथ अपने मस्ती-मजाक में भी मस्त रहते हैं।

बात उस वक्त की है जब मैं मामा के घर गया था। मामा का घर बड़ा है, वहाँ कुछ किरायेदार भी रहते हैं। एक लड़का, जो किराये पर रहता था, मुझे कुछ अजीब सा लगा। वो सलू के आसपास ज्यादा ही मंडराता था। एक दिन मैंने देखा कि वो सलू से गुपचुप बातें कर रहा था। मैंने चुपके से उनकी बातें सुनने की कोशिश की, लेकिन कुछ खास समझ नहीं आया। फिर एक दिन मैंने देखा कि उसने सलू का हाथ पकड़ लिया और कुछ बोल रहा था। मैंने तुरंत अपना फोन निकाला और चुपके से उनकी तस्वीर खींच ली। वो लड़का सलू को चूमने की कोशिश कर रहा था, और सलू थोड़ा हँसते हुए उसे हल्के से धक्का दे रही थी। मैंने सोचा, ये मौका अच्छा है। मैंने तस्वीरें सेव कर लीं और चुपके से देखने लगा कि आगे क्या होता है। थोड़ी देर बाद उसने सलू को एक छोटा सा किस किया और चला गया।

मैंने मौका देखकर सलू के पास जाकर उसे वो तस्वीरें दिखाईं। मैंने कहा, “दीदी, ये क्या चल रहा है? मैं मम्मी-पापा को बता दूँ?” सलू घबरा गई। उसकी आँखें डर से बड़ी हो गईं, और वो बोली, “नहीं सूरज, प्लीज, किसी को मत बताना।” मैंने मौके का फायदा उठाया और बोला, “ठीक है, लेकिन एक शर्त है।” वो चौंककर बोली, “क्या?” मैंने हँसते हुए कहा, “दीदी, बस एक बार मुझे तुम्हारे साथ टाइम स्पेंड करने दे, फिर मैं किसी को कुछ नहीं बताऊँगा।” सलू शरमा गई, उसका चेहरा लाल हो गया। वो बोली, “नहीं सूरज, ये गलत है।” मैंने तस्वीरें दिखाते हुए कहा, “ठीक है, फिर मैं ये मम्मी-पापा को दिखा देता हूँ।” वो डर गई और बोली, “रुक, सोचने दे।”

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शाम को सलू मेरे पास आई और बोली, “ठीक है, लेकिन ये बात किसी को पता नहीं चलनी चाहिए। रात को जब मैं टॉयलेट के लिए निकलूँगी, तुम मेरे रूम में आ जाना।” मैंने हामी भर दी। मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा मौका मिलेगा। रात के करीब 12:30 बजे, जब सब सो चुके थे, सलू ने मुझे इशारा किया और टॉयलेट की तरफ चली गई। मैं चुपके से उसके रूम में घुस गया। रूम में सिर्फ एक छोटा सा बल्ब जल रहा था, जिसकी हल्की रोशनी में सलू का गोरा बदन और भी निखर रहा था। वो एक टाइट कुरती और लेगिंग्स में थी, जिससे उसका फिगर साफ दिख रहा था।

मैंने दरवाजा बंद किया और सलू की तरफ बढ़ा। वो थोड़ा घबराई हुई थी, लेकिन उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक भी थी। मैंने उसका हाथ पकड़ा और धीरे से उसे अपनी तरफ खींचा। वो बोली, “सूरज, ये गलत है, हम भाई-बहन हैं।” मैंने कहा, “दीदी, बस एक बार, कोई नहीं जानेगा।” वो चुप रही, और मैंने उसका चेहरा अपने हाथों में लिया। उसकी साँसें तेज थीं। मैंने धीरे से उसके होंठों पर अपने होंठ रखे। पहले तो वो हल्का सा पीछे हटी, लेकिन फिर उसने भी जवाब देना शुरू कर दिया। हम दोनों एक-दूसरे को पागलों की तरह चूमने लगे। उसकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मैं उसकी जीभ को चूस रहा था। करीब 10 मिनट तक हम बस चूमते रहे, मेरे हाथ उसके बालों में थे, और उसकी साँसें मेरे चेहरे पर गर्माहट दे रही थीं।

फिर मैंने धीरे से उसकी कुरती ऊपर की। उसने नीचे एक काली ब्रा पहनी थी, जो उसके 34 साइज के बूब्स को और आकर्षक बना रही थी। मैंने उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके बूब्स को दबाना शुरू किया। वो सिसक रही थी, “आह्ह… सूरज… धीरे…” मैंने उसकी ब्रा का हुक खोला और उसके गोरे, गोल बूब्स मेरे सामने थे। मैंने एक निप्पल को मुँह में लिया और चूसने लगा। सलू की सिसकियाँ तेज हो गईं, “आह्ह… ऊह्ह… सूरज… मम्म…” मैंने दोनों बूब्स को बारी-बारी से चूसा और दबाया। उसका बदन गर्म हो रहा था, और वो मेरे बालों को पकड़कर मुझे और करीब खींच रही थी।

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मैंने उसकी लेगिंग्स नीचे खींची। उसने नीचे लाल रंग की पैंटी पहनी थी, जो गीली हो चुकी थी। मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाया। वो तड़प उठी, “आह्ह… सूरज… प्लीज…” मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी। उसकी चूत गुलाबी और पूरी तरह गीली थी। मैंने अपनी उंगलियाँ उसकी चूत पर फिराईं, और वो सिसकने लगी, “ऊह्ह… आह्ह… सूरज… मत तड़पा…” मैंने अपनी एक उंगली उसके चूत के छेद में डाली, और वो चिल्ला पड़ी, “आह्ह… धीरे… दर्द हो रहा है…” मैंने धीरे-धीरे अपनी उंगली अंदर-बाहर की, और वो सिसकियाँ लेती रही।

फिर सलू ने मेरी पैंट की तरफ देखा और बोली, “सूरज… अब तू भी…” मैंने अपनी पैंट और अंडरवियर उतार दिया। मेरा 7 इंच का लंड पूरी तरह खड़ा था। सलू ने उसे देखा और शरमा गई। उसने धीरे से मेरे लंड को हाथ में लिया और सहलाने लगी। फिर वो नीचे झुकी और मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया। उसकी गर्म जीभ मेरे लंड के टॉप को चाट रही थी, और मैं सिसक रहा था, “आह्ह… दीदी… कितना मजा आ रहा है…” वो मेरे लंड को गहरे तक चूस रही थी, और मैं उसके मुँह में धक्के देने लगा। करीब 5 मिनट तक उसने मेरा लंड चूसा, और मैं पागल हो रहा था।

मैंने उसे बेड पर लिटाया और उसकी टाँगें चौड़ी कीं। उसकी चूत चमक रही थी। मैंने अपना लंड उसकी चूत के छेद पर रखा और बोला, “दीदी, अब तैयार हो?” वो डरते हुए बोली, “सूरज… धीरे करना… छोटा सा छेद है…” मैंने धीरे से अपने लंड का टॉप उसकी चूत में डाला। वो चिल्ला पड़ी, “आह्ह… मर गई… धीरे…” मैंने धीरे-धीरे अपने लंड को अंदर डाला। उसकी चूत टाइट थी, और मेरा लंड पूरा अंदर जाने में वक्त लगा। मैंने एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। सलू चीख पड़ी, “आह्ह… सूरज… मर गई… निकाल दे…” लेकिन मैंने धीरे-धीरे धक्के शुरू किए।

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“थप… थप… थप…” मेरे धक्कों की आवाज रूम में गूँज रही थी। सलू की सिसकियाँ अब मजे में बदल गई थीं, “आह्ह… ऊह्ह… सूरज… और जोर से… आह्ह… चोद दे मुझे…” मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। उसकी चूत गीली थी, और मेरा लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। मैंने उसके बूब्स को दबाते हुए जोर-जोर से धक्के मारे। वो चिल्ला रही थी, “आह्ह… ऊह्ह… सूरज… और जोर से… आह्ह… मजा आ रहा है…” करीब 15 मिनट तक मैंने उसे चोदा। उसकी चूत ने मेरे लंड को जकड़ लिया था, और मैं अब झड़ने वाला था। मैंने कहा, “दीदी… मेरा निकलने वाला है…” वो बोली, “मुँह में डाल दे…” मैंने अपना लंड उसकी चूत से निकाला और उसके मुँह में डाल दिया। मेरे लंड से गर्म-गर्म माल निकला, और सलू ने उसे पूरा पी लिया।

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हम दोनों हाँफ रहे थे। मैंने अपने कपड़े पहने और अपने रूम में चला गया। सलू बेड पर लेटी रही, उसकी साँसें अभी भी तेज थीं। मैं अपने रूम में लौट आया, लेकिन मेरा दिल अभी भी धड़क रहा था। ये थी मेरी और सलू की पहली बार की कहानी।

अब आप बताइए, क्या आपको मेरी कहानी पसंद आई? क्या आप चाहेंगे कि मैं अगला हिस्सा भी सुनाऊँ?

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