मैं गोरखपुर की रहने वाली हूँ। मेरे पति मर्चेंट नेवी में हैं, साल में बस एक महीना ही घर आते हैं। घर में मेरे ससुर और मेरे देवर रहते हैं। मेरी सास नहीं हैं, ना ही कोई ननद, तो घर में मैं अकेली औरत हूँ। और दोस्तों, आप तो जानते ही हैं कि अकेली औरत की जिंदगी कैसी होती है।
एक दिन की बात है, मैं अकेले में बैठकर रो रही थी। तभी ससुर जी आए और पूछने लगे, “बेटी, क्या हुआ? क्यों रो रही हो?” मैंने उनसे खुलकर कह दिया, “पति की बहुत याद आ रही है। मैं यहाँ अकेली हूँ। हर पत्नी चाहती है कि उसका पति उसके साथ रहे, सुख-दुख बाँटे, लेकिन मेरे साथ ऐसा नहीं है। मैं अपनी बात किससे कहूँ? घर में अकेली औरत हूँ, कुछ समझ नहीं आता।”
मैंने आगे कहा, “शादी की थी, ताकि खुश रहूँ, अपने पति और परिवार के साथ जिंदगी जियूँ। लेकिन यहाँ तो कोई देखभाल करने वाला तक नहीं। मैं घुट-घुटकर जिंदगी जी रही हूँ।” सच्चाई तो ये है, दोस्तों, कि मैं अपनी जवानी के पूरे जोश में हूँ। मेरी बड़ी-बड़ी चूचियाँ, मेरी गोल-मटोल गाँड, मेरी चूत, मेरे चूतड़—सब कुछ बंजर जमीन की तरह पड़ा है। ना कोई देखने वाला, ना कोई खोजने वाला, ना कोई जो इनका इस्तेमाल करे। बस, सेक्सी कहानियाँ पढ़कर अपनी चूत सहलाती हूँ, और क्या करूँ?
सच कहूँ तो मुझे भी चुदाई की तलब लगती है। कुछ दिन से तो ऐसा लग रहा था कि अगर पति नहीं, तो कोई और ही मुझे चोद दे। मैं चाहती थी कि मेरा ससुर या मेरा देवर, कोई तो मुझे चोदे। अब मैं बिना लंड के रह नहीं सकती थी।
ससुर जी मुझे समझा रहे थे, लेकिन मैं सोच रही थी कि समझाने से क्या होगा? मुझे तो अब लंड चाहिए। मेरी चूत हर रात गीली हो जाती है। तभी हुआ ये कि ससुर जी समझाते-समझाते मेरी पीठ पर हाथ फेरने लगे। उनका स्पर्श ऐसा था कि मुझे एक मर्द का एहसास हुआ, भले ही वो मेरे ससुर थे। लेकिन उनका हाथ फेरना धीरे-धीरे कुछ और ही हो गया।
जब मैंने उनकी ओर देखा, तो वो भी मुझे देखने लगे। धीरे-धीरे उनका हाथ मेरे गालों पर, फिर मेरी छाती पर गया। उस वक्त घर में देवर जी नहीं थे, वो ऑफिस गए थे। ससुर जी की नाइट ड्यूटी थी, वो रात को ऑफिस जाते थे। उनके हाथ मेरे दिल को छूने लगे, फिर वो अपना चेहरा मेरे करीब लाए, अपने होंठ मेरे गालों पर रख दिए और चूमने लगे। मैं सहम गई। मैंने कहा, “ससुर जी, ये क्या कर रहे हैं? मैं आपकी बहू हूँ!”
वो बोले, “मुझे पता है, बेटी। एक जवान औरत को क्या चाहिए, जो अपने पति के बिना इतने दिन रहती है, मैं समझता हूँ। देख, शारीरिक सुख किसी से भी ले लो, इसमें कोई बुराई नहीं। अगर नहीं लोगी, तो पति की याद और सताएगी।” मुझे भी यही लगा। पति का भरोसा नहीं कि कब आएँ, कब नहीं। अपनी जिंदगी क्यों बर्बाद करूँ? और ससुर जी जब सब कुछ दे रहे हैं, तो चुदाई में क्या हर्ज है? मैं चुप रही।
वो मुझे चूमने लगे, और मैं भी उन्हें चूमने लगी। धीरे-धीरे मैं जोश में आ गई। मैंने उन्हें लिटा दिया और उनके ऊपर चढ़ गई। मैंने उनका कुरता उतार दिया, उनकी छाती चूमने लगी। फिर मैंने अपना ब्लाउज खोला, ब्रा उतारी और उनके लंड पर बैठ गई। उनका लौड़ा धीरे-धीरे बड़ा होने लगा, मेरी गाँड के बीचों-बीच फँस रहा था। मुझे उसका एहसास गहरा हो रहा था। मैंने उनके कानों में फुसफुसाया, “ससुर जी, आपका लंड कितना गर्म और सख्त हो रहा है।” वो मुस्कुराए और बोले, “बेटी, ये तो अभी शुरुआत है।”
फिर मैंने अपना पेटीकोट उतार फेंका, उनका कपड़ा भी हटा दिया। उनकी छाती पर मेरे निप्पल रगड़ रहे थे, और मैं उनकी आँखों में देखकर सिसकार रही थी, “उफ्फ, ससुर जी, मुझे और तड़पाओ!” उन्होंने मुझे झटके से नीचे किया और मेरे ऊपर चढ़ गए। वो मेरी चूचियाँ दबाने लगे, मेरे निप्पल्स को उंगलियों से मसलने लगे। मैं सिसकार उठी, “आह्ह, ससुर जी, कितना जोर से दबा रहे हो!” फिर वो मेरी चूत को सहलाने लगे, उनकी उंगलियाँ मेरी गीली चूत के होंठों पर फिसल रही थीं। मैंने अपने हाथ ऊपर किए, तो वो मेरी बगल चाटने लगे। “ओह्ह्ह!” मैं चिल्लाई, “ये क्या कर रहे हो? इतना सुख तो पति ने कभी नहीं दिया!”
उन्होंने मेरे कानों में कहा, “बेटी, आज तेरी चूत का बंजरपन खत्म कर दूँगा।” फिर उन्होंने मुझे पलट दिया और मेरी गाँड चाटने लगे। उनकी जीभ मेरी गाँड के छेद को चाट रही थी, और मैं कामुकता में डूब गई। मैं कराह रही थी, “आह्ह, ससुर जी, तुम तो मेरी गाँड को भी चोदने के मूड में हो!” वो बिना शर्म के मेरी गाँड चाटते रहे, उनकी जीभ मेरे छेद के अंदर-बाहर हो रही थी। मैंने चिल्लाकर कहा, “बस करो, अब मुझे लंड चाहिए!”
वो बोले, “रुक, बेटी, अभी तो तुझे और तड़पाना है।” फिर उन्होंने अपना मोटा, लंबा लौड़ा निकाला और मेरे मुँह में दे दिया। उनका लंड इतना बड़ा था कि मेरी साँस रुकने लगी। मैंने उसे चूसना शुरू किया, मेरी जीभ उनके लंड के सुपारे पर घूम रही थी। वो सिसकार रहे थे, “हाँ, बहू, ऐसे ही चूस!” मैं उनके लंड को गले तक ले रही थी, मेरी लार उनके लंड पर टपक रही थी। फिर उन्होंने मेरे पूरे शरीर को चाटा—मेरी चूचियाँ, मेरी कमर, मेरी जाँघें, मेरी बगल। मैं तर-बतर हो गई, मेरी चूत से रस टपक रहा था।
मैं अपनी चूचियाँ खुद मसलने लगी, मेरे दाँत कटकटाने लगे, मैं अपने होंठ काट रही थी। “ससुर जी, अब चोदो मुझे!” मैं चिल्लाई। उन्होंने अपना लौड़ा मेरी चूत पर रगड़ना शुरू किया, ऊपर से नीचे, धीरे-धीरे, पाँच मिनट तक। मेरी चूत का रस उनके लंड पर लग रहा था, और मैं पागल हो रही थी। “उफ्फ, ससुर जी, ये क्या कर रहे हो? डाल दो ना!” लेकिन वो मुझे तड़पाते रहे, मुस्कुराते रहे। फिर अचानक उन्होंने अपना लौड़ा मेरी चूत के बीच में लगाया और जोर से घुसा दिया। मैं दर्द से चीख पड़ी, “आह्ह्ह! ससुर जी, कितना बड़ा है तुम्हारा!” लेकिन मेरी चूत इतनी गीली थी कि उनका लंड पूरा अंदर चला गया।
मैंने लंबी साँस ली, मेरे मुँह से “अअअअअ” की आवाज निकली। फिर उन्होंने जोर-जोर से धक्के मारने शुरू किए। हर धक्के के साथ वो “है! है! है!” कर रहे थे, और मैं “आह! आह! आह! ऊह्ह!” की सिसकारियाँ ले रही थी। उनका लंड मेरी चूत की गहराई में जा रहा था, मेरी बच्चेदानी को छू रहा था। मैं चिल्लाई, “हाँ, ससुर जी, और जोर से! मेरी चूत फाड़ दो!” वो मेरी चूचियाँ दबाते, मेरे निप्पल्स को चूसते, मेरी बगल चाटते। मैं जोश में गाँड गोल-गोल घुमाकर उनका लंड अंदर-बाहर कर रही थी। “उफ्फ, ससुर जी, तुम्हारा लंड मेरी चूत को रगड़ रहा है!” मैं सिसकार रही थी।
फिर उन्होंने मुझे पलट दिया और पीछे से चोदना शुरू किया। उनका लंड मेरी चूत में इतनी गहराई तक जा रहा था कि मैं चीख रही थी, “आह्ह! ससुर जी, मेरी बच्चेदानी तक जा रहा है!” मैं भी जोर-जोर से अपनी गाँड पीछे धकेल रही थी, “हाँ, और जोर से पेलो!” वो मेरी कमर पकड़कर मुझे चोद रहे थे, हर धक्के के साथ मेरी चूचियाँ हिल रही थीं। “पच-पच-पच” की आवाज मेरी चूत से आ रही थी, और मैं सिसकार रही थी, “आह्ह! ऊह्ह! हाँ, ससुर जी, चोदो मुझे!” करीब एक घंटे तक वो मुझे चोदते रहे, कभी मेरे ऊपर, कभी पीछे से, कभी मेरी चूचियाँ चूसते, कभी मेरी गाँड पर थप्पड़ मारते। मैं पूरी तरह संतुष्ट थी, ऐसा सुख मुझे पहले कभी नहीं मिला।
फिर हम दोनों एक-दूसरे को चूमते हुए सो गए। एक घंटे बाद उठे, कपड़े पहने। ये सिलसिला चलता रहा। लेकिन एक दिन मेरे देवर ने हमें चुदाई करते देख लिया और वीडियो बना लिया। जब ससुर जी रात नौ बजे ड्यूटी पर गए, तो देवर ने मुझे वीडियो दिखाया और बोला, “अब मैं ये अपने भैया को भेजता हूँ।” मैं डर गई, सोचा अब क्या होगा? वो मुझे डराने लगा, गालियाँ देने लगा, लेकिन उसकी नजर मेरे ब्लाउज पर थी। मैं समझ गई, इसे भी चुदाई चाहिए। मैंने तुरंत अपना ब्लाउज खोला, ब्रा उतारी और बोली, “अब बोल, भेजेगा ये वीडियो?” वो बोला, “नहीं!” और मुझसे लिपट गया।
उसने मुझे लिटाकर मेरी चूत चाटना शुरू किया। उसकी जीभ मेरी चूत के होंठों पर फिसल रही थी, मेरे क्लिट को चूस रहा था। मैं सिसकार रही थी, “आह्ह, देवर जी, कितना अच्छा चाट रहे हो!” फिर उसने मेरी चूचियाँ इतनी जोर से दबाईं कि मैं चिल्ला पड़ी, “उफ्फ, धीरे! मेरी चूचियाँ दुख रही हैं!” वो मेरे होंठ चूसने लगा, मेरी जीभ को अपने मुँह में खींच रहा था। फिर उसने अपना लंड निकाला और मेरी चूत में डाल दिया। “आह्ह!” मैं चीखी, “तुम्हारा लंड भी कितना सख्त है!” वो जोर-जोर से धक्के मारने लगा, “पच-पच-पच” की आवाज कमरे में गूँज रही थी। मैं सिसकार रही थी, “आह! ऊह! हाँ, देवर जी, चोदो मुझे! मेरी चूत को और रगड़ो!”
वो मेरी चूचियाँ चूस रहा था, मेरे निप्पल्स को दाँतों से काट रहा था। मैं चिल्ला रही थी, “हाँ, और जोर से! मेरी चूत फाड़ दो!” उसने मुझे पलट दिया और पीछे से चोदना शुरू किया। उसका लंड मेरी चूत की गहराई में जा रहा था, और मैं “आह! आह! ऊह्ह!” की सिसकारियाँ ले रही थी। पूरी रात उसने मुझे चोदा, कभी मेरे ऊपर, कभी पीछे से, कभी मेरी गाँड दबाते हुए। मुझे बिल्कुल बुरा नहीं लग रहा था, बल्कि मजा आ रहा था। अब मुझे दो-दो लंड मिल रहे थे। दिन में ससुर जी मेरी चुदाई करते, और रात को देवर। मैं अब रानी की तरह जीती हूँ। कोई कमी नहीं। वो मेरे लिए अच्छी-अच्छी चीजें लाते हैं, खिलाते हैं। कल ही मुझे सोने की चेन मिली। अब मुझे और क्या चाहिए? सब कुछ है, सब कुछ मिल रहा है।
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