मेरे मामाजी का पड़ोसी

हाय दोस्तों! मैं इस साइट पर नया हूँ, लेकिन सेक्स कहानियों का बहुत बड़ा फैन हूँ। तो दोस्तों, तैयार हो जाइए एक गर्मागर्म और ललचाने वाली कहानी के लिए। ये बात 3 साल पुरानी है, जब मैं सर्दियों की छुट्टियों में अपने मामाजी के घर रहने गया था। वो रायगढ़ में रहते हैं। घर से सिर्फ एक रात की ट्रेन की यात्रा थी। मैंने अपना बैग पैक किया और निकल पड़ा। मेरा ड्राइवर मुझे स्टेशन छोड़ आया। ट्रेन टाइम पर थी, और मैं सुबह मामाजी के घर पहुँच गया। उस वक्त मेरी उम्र 21 साल थी।

मेरे मामाजी की दूसरी शादी हुई थी, क्योंकि उनकी पहली बीवी को कैंसर हो गया था और वो चल बसीं। मामाजी की उम्र 42 साल थी और उनकी दूसरी बीवी—मेरी मामी—की उम्र 34 से 35 साल के बीच थी। मैंने मामी को पहली बार देखा था, क्योंकि उनकी शादी में मैं नहीं आया था। मामी बहुत जवान और हॉट दिखती थीं—मोटे-मोटे चूतड़, गोरा बदन, और उनकी चूचियों का साइज़ करीब 38 होगा। ये तो सबको पता ही चल जाता था, क्योंकि वो बहुत लो-नेक ब्लाउज़ पहनती थीं। उनका फिगर 300 मिली कोक की बोतल जैसा था—एकदम 38-28-36। उन्हें देखकर किसी का भी लंड खड़ा हो जाए—तो मैं कौन-सी खेत की मूली था। उनकी शादी को 1 साल हो गया था, लेकिन अभी तक उनका कोई बच्चा नहीं था। इलाज चल रहा था, ये मुझे मामी ने बताया था। अब असली कहानी शुरू होती है।

मैं: मैं मामाजी के यहाँ पहुँचता हूँ। मामाजी और मामी मुझे देखकर बहुत खुश होते हैं। मामाजी मुझसे बहुत प्यार करते थे। उनका कोई बच्चा नहीं था, इसलिए मुझे ही अपना बच्चा मानते थे।

मामाजी का रियल एस्टेट का बिजनेस है, जिसकी वजह से उन्हें अपनी कंपनी के प्रोजेक्ट्स के लिए बाहर जाना पड़ता था। दूसरे दिन ही मामाजी को बाहर जाना पड़ गया।

मामाजी: “जब तक मैं वापस आऊँ, तुम अपनी मामी का ख्याल रखना और यहीं रहना। मैंने तुम्हारी मम्मी से भी बात कर ली है।”

मैं: “ज़रूर मामाजी, आप चिंता मत कीजिए। मैं मामी को आपकी कमी महसूस नहीं होने दूँगा।”

दूसरे दिन मामाजी अपने बिजनेस टूर पर निकल गए। अब घर में सिर्फ हम दोनों थे—मैं और मामी। मेरा दूसरा दिन भी अच्छे से निकल गया, लेकिन दिन में मेरे साथ एक यादगार घटना हुई। मामाजी के पड़ोस में एक लड़का रहता था—सुनील। उसकी उम्र करीब 18 साल थी। उसकी बॉडी लड़कियों जैसी थी—बड़ी गांड, नरम-नरम बदन, चिकनी स्किन, गुलाबी होंठ। वो मुझ पर बहुत मरता था। और क्यों न मरे—मैं 21 साल का गबरू जवान लौंडा था। जिम टोन्ड बॉडी, चौड़ी छाती, डोले-शोले, मज़बूत जाँघें, और ऊपर से 8.5 इंच का लंड—जो खाए पछताए, जो न खाए वो भी पछताए।

दूसरे दिन वो दोपहर में एक डीवीडी लेकर मेरे घर आया और बोला, “हम XXX मूवी देखते हैं।”

मैं: “ठीक है, चलो देखते हैं। वैसे भी मामी अपने कमरे में सो रही हैं।” मैं उसे अंदर बुलाता हूँ और अपने कमरे में ले जाता हूँ। दरवाज़ा बंद कर लेता हूँ। मैं डीवीडी प्ले करता हूँ। मूवी एक हेटरोसेक्सुअल सेक्स की थी। शुरू होती है। हम दोनों बेड पर पीछे की तरफ सहारा लेकर बैठे थे।

मूवी में लड़का लड़की की गांड मार रहा था।

सुनील: “गांड मरवाने में लड़की को बहुत मज़ा आ रहा होगा।”

मैं: ये सुनकर मैं खुश हो गया कि मेरे लंड के लिए छेद का इंतज़ाम हो गया। मूवी देखते-देखते मेरा लंड सेमी-इरेक्ट हो गया, जिसकी वजह से मेरे शॉर्ट्स में टेंट बन गया। मैंने मन ही मन सोचा, “आज तो सुनील को चोदकर ही दम लूँगा।” फिर मैं बोला, “उनका तो पता नहीं, मुझे तो चिकनी गांड मारने में बहुत मज़ा आता है।”

इतने में ही सुनील ने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया और मेरे शॉर्ट्स के ऊपर से उसे दबाने लगा। मैं उसे कुछ नहीं बोलता, जिससे उसकी हिम्मत और बढ़ जाती है। फिर वो मेरे शॉर्ट्स के अंदर हाथ घुसाकर मेरा लंड मसलने लगता है। मैं उसकी गंजी निकालकर फेंक देता हूँ। उसकी छोटी-छोटी चूचियाँ आज़ाद हो जाती हैं। मैं तुरंत सुनील की चूचियों को चूसने लगता हूँ।

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चूऽऽप चुप्पाक… चूऽऽप चुप्पाक… चूऽऽप चुप्पाक… चूऽऽप चुप्पाक… चूऽऽप चुप्पाक… सुनील मुझे जोर से पकड़ लेता है और आहें भरने लगता है। मैं एक चूची चूस रहा था और दूसरी को दबा रहा था। सुनील की आँखें बंद थीं, लेकिन उसके चेहरे पर मस्ती साफ झलक रही थी। सुनील हाथ नीचे ले जाकर मेरा लंड पकड़ लेता है और बोलता है, “इतना बड़ा!”

मैं उसे सहलाने को बोलता हूँ। फिर उसकी शॉर्ट्स उतार देता हूँ। सुनील ने चड्ढी नहीं पहनी थी। मैं उसकी गांड पर हाथ फेरने लगता हूँ। सुनील मेरा लंड आगे-पीछे करते हुए बोलता है, “इतना बड़ा कोई कैसे लेता है?” मैंने जवाब दिया, “सुनील, तुम भी लोगे और उछल-उछलकर लोगे। मज़ा भी खूब आएगा।” फिर हम लोग किस करने लगते हैं। हमारी जीभें एक-दूसरे से मिलती हैं। मज़े से स्मूचिंग चलती है।

मैं सुनील की गांड को दबाते हुए उसे चूम रहा था। उसके निप्पल नुकीले हो गए थे। उसकी साँसें तेज़ चल रही थीं। फिर सुनील नीचे पोजीशन में आ गया। मैंने अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया। सुनील मेरे लंड को चूसते हुए मेरे बॉल्स से भी खेल रहा था। उसके गर्म मुँह का एहसास मेरी सिसकारियाँ निकाल रहा था।

मैं: “अग्घ्ह… लैलो… लैलो… जोर से लंड… अग्घ्ह्ह… घह्घ्ह… हाँ…”

मैं उसके मुँह को चोदने लगा। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं सातवें आसमान पर हूँ। दोनों हाथों से मैं उसकी चूचियाँ मसल रहा था और वो सेडक्टिव आवाज़ें निकाल रहा था। सुनील ने मेरे लंड को करीब 20 मिनट तक चूसा, लेकिन मैंने पानी नहीं निकाला।

मैं: सुनील से बोला, “गांड मारूँ तेरी?” वो बोला, “हाँ, जल्दी से—बहुत खुजली हो रही है।” मैंने उसे डॉगी स्टाइल में आने को कहा और बेड के कोने पर सुनील की सेटिंग कर दी, ताकि मैं जोरदार झटके मार सकूँ। अपने बैग से मैंने डबल एप्पल फ्लेवर्ड कंडोम निकाला और सुनील को पकड़ाकर कहा, “चल, चढ़ा इसे मेरे डंडे पर। फिर तुझे सैर कराऊँगा।” वो खुशी-खुशी कंडोम मेरे लंड पर चढ़ा देता है और फिर से चूसने लगता है, फ्लेवर का मज़ा लेने लगता है। अब मेरा लंड पूरी तरह सुनील की गांड चोदने के लिए तैयार था।

उसे फिर से बेड के किनारे डॉगी स्टाइल में लाता हूँ।
सुनील: “भैया, धीरे से करना। आपका लंड बड़ा और मोटा है।”
मैं: “चिंता मत कर मेरी जान, आज अच्छे से पेलूँगा तेरी गांड।”

मैं सुनील के ऊपर आके एक ही झटके में अपना पूरा लंड डाल देता हूँ।
सुनील: जोर से चीखता है और बोलता है, “निकालो, बहुत दर्द हो रहा है!”

उसकी आँखों से पानी निकल जाता है। दर्द के मारे उसका मुँह लाल हो जाता है।
मैं: लेकिन मैं कहाँ निकालने वाला था। मैंने कहा, “2 मिनट रुक। पहले दर्द होगा, फिर तू सातवें आसमान पर होगा।” मैंने उसकी गांड और पैरों को थोड़ा सहलाया और फिर धीरे-धीरे अपने लंड का कमाल शुरू किया। फिर जोर-जोर से चुदाई शुरू हो जाती है। घच्चा घच्च… घच्चा घच्च… घच्चा घच्च…

सुनील चूतड़ उठा-उठाकर मस्ती में चुदवा रहा था।
सुनील: “आहह… भैया, मज़ा आ रहा है। डालो रे ये मूसली लंड, डालो। फाड़ डालो मेरी गांड को। आहह्ह्ह… आहह्ह्ह…”
मैं: “ले मेरी गांडू, ले। आज मैं गांडू चोद बन गया। लेकिन तुझे चोदने में बड़ा मज़ा आ रहा है, सुनील।”

फिर सुनील चूतड़ ऊपर उठाकर मेरा साथ देने लगा। अब चोदने में बड़ा मज़ा आ रहा था। लंड बड़ी आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। कमरे में बहुत ही भीनी-भीनी खुशबू फैल रही थी। चुदाई की आवाज़ और मज़ा दे रही थी। घपाक घाप… घपाक घाप… घपाक घाप… घपाक घाप… सुनील पूरा मदद कर रहा था।

एक चीज़ हम गलती से भूल गए थे—अपने कमरे की खिड़की बंद करना। मुझे लगा कोई हमें वहाँ से देख रहा है। हम चुदाई में मग्न थे। बहुत मज़ा आ रहा था। चूचियों को चूसने में बड़ा आनंद आ रहा था। तभी एक आवाज़ ने हमें चौंका दिया।

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मामी: “राहुल, ये क्या हो रहा है? वो भी एक लड़के के साथ? शर्म नहीं आती तुम्हें?”

जिस हालत में मैं था, उस वक्त अब कुछ शर्माने लायक नहीं था।
मैं: “मामी जान, आप भी आजाओ। आपको भी चोद देता हूँ।” और अपना लंड सुनील की गांड से बाहर निकालकर उनके हाथ में दे देता हूँ।

मामी: “अच्छा, तो तुम बचने के लिए मुझे चुदाई का लालच दे रहे हो? कोई बात नहीं, मुझे ये रिश्वत चल जाएगी। अब तुम मुझे भी चोदो न। मैंने खिड़की से सब देख लिया है। जब मुझे सहन नहीं हुआ तो मैं अंदर आ गई।”

मैं: “लेकिन अंदर कैसे आईं आप?”

शिल्पा (मामी): “मेरे पास हर गेट की डुप्लीकेट चाबी है। पहले तुम्हारी चुदाई देखी, फिर आ गई।”

सुनील: “राहुल, चोदते रहो। क्या मूसल लंड है रे तुम्हारा। ऐसे ही चोदते रहो। अग्घ्ह्घ्ह्घ्ह… आहह्ह… घ्घ्ह्घ्ह… आहह्ह…” घपाक घाप… घपाक घाप…

शिल्पा: “राहुल, मुझे भी चोदो न, प्लीज़।”

सुनील: “राहुल, तुम आंटी की चूत चाटो। मैं इनकी चूची चूसता हूँ। तब तक तुम मुझे और चोदो और अपना माल मेरी गांड में निकाल दो। मैंने बहुत दिनों से गरम-गरम माल गांड के अंदर फील नहीं किया। आओ न, चोदो।”

फिर मैंने शिल्पा की चूत अपने मुँह के सामने की और उसे चाटने लगा। सुनील उनकी चूचियों को चूसने लगा। मेरी चुदाई फिर शुरू हो गई। फच्च्घ्ह्हा फच्च्घ्ह्ह… फच्च्घ्ह्हा फच्च्घ्ह्ह… सुनील मामी के निप्पल चूस रहा था। मैं उनकी चूत को चाट रहा था। क्या मस्त चूत थी—गुलाबी, प्यारी-सी। उसकी खुशबू मुझे पागल कर रही थी। सुनील अब मुझे अपनी गांड में पानी डालने के लिए बोल रहा था। मैंने अब जबरदस्त झटके मारने शुरू किए। मैं भी झड़ने वाला था। सुनील ने कहा, “थोड़ा-सा गांड में डालने के बाद बाकी मेरे मुँह में गिरा देना। मैं तुम्हारा गाढ़ा रस पीना चाहता हूँ।”

शिल्पा ने आँखें बंद करके कहा, “राहुल, बहुत मज़ा आ रहा है। मुझे तुम्हारा लंड चाहिए।” तभी मैं झड़ने लगा। थोड़ा-सा अंदर गिराने के बाद मैंने लंड बाहर निकाला और पिचकारी सुनील के मुँह में छोड़ दी। सुनील का मुँह मेरे गाढ़े रस से भर गया।

शिल्पा: “हाँ राहुल, बहुत गाढ़ा है तुम्हारा रस। ये लंबा लंड मुझे भी डलवाना है।”
सुनील: “आंटी, अब ये लंड थोड़ा मुरझा गया है। मैं इसे चाटता हूँ और बाद में चूत चाटूँगा, जिससे आपको इसे लेने में आसानी हो।”

सुनील ने पहले अपनी जीभ से मेरे लंड को साफ किया और शिल्पा को चूसने के लिए दे दिया। फिर वो शिल्पा की मुलायम चूत को चाटने लगा। शिल्पा मेरे लंड को मज़े से चूस रही थी। सुनील अब अपनी जीभ उनकी चूत के अंदर तक डाल रहा था—बहुत अंदर तक। शिल्पा मामी और गर्म हो गई थीं और तड़पने लगी थीं। मैं उनकी चूचियों को मसल रहा था।

वो चीख रही थी, “आआहह्ह्ह… धीरे राहुल, बहुत मज़ा आ रहा है।” शिल्पा मामी एक बार झड़ चुकी थीं। सुनील उनका रस पी रहा था। मेरा लंड अब फिर से खड़ा होने लगा—इस मुलायम जिस्म को देखकर और उसके मस्त चाटने से। सुनील ने मामी को बेड पर लिटाया, उनकी कमर के नीचे तकिया लगाया, जिससे चूत खुली दिखने लगी। फिर सुनील ने शिल्पा को किस करना शुरू किया, ताकि अगर वो मेरे बड़े और मोटे लंड के घुसने से चीखें तो आवाज़ बाहर न जाए।

सुनील ने मेरा लंड उनकी चूत के मुँह पर टिकाया और मुझसे कहा, “भाई, धीरे से डालना।” मैंने हल्का-सा झटका लगाया। लंड थोड़ी दूर जाकर फँस गया। सुनील ने शिल्पा का मुँह अपने मुँह से बंद कर दिया। लेकिन मामी के आँसू न रुक सके—उनके गालों पर बहने लगे। सुनील उन्हें किस करने लगा। मैं उनकी जाँघ और कमर सहलाने लगा। मैंने कहा, “क्यों मामी, मामाजी का छोटा है क्या, या अभी तक आपको चोदा नहीं?”

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मामी: “तुम्हारे मामाजी कुछ कर ही नहीं सकते।”
मैं: “कोई बात नहीं मामी, मैं हूँ न। चिंता क्यों करती हो?”

थोड़ी देर में जब मामी का दर्द कम हुआ, मैं उतनी ही दूरी में आगे-पीछे करने लगा। हर दो-तीन झटकों के बाद एक थोड़ा तेज़ झटका लगा देता। मैंने आँखों ही आँखों में सुनील को इशारा किया। सुनील समझ गया। उसने उनका मुँह पूरी तरह अपने मुँह से ढक लिया। फटाक्घ्ह्ह! और पूरा लंड अंदर। शिल्पा की सील टूट गई। वो थोड़ा छटपटाने लगीं। सुनील उनका शरीर सहलाने लगा। मैं थोड़ी देर रुक गया। फिर धीरे-धीरे चुदाई शुरू की। फच्चा फच्चा फच्च…

मामी को दर्द हो रहा था, लेकिन मैं कहाँ रुकने वाला था। मुझे टाइट चूत चोदने में मज़ा आ रहा था। थोड़ी देर बाद वो भी मज़ा लेने लगीं। उनका दर्द कम होने लगा होगा। फिर सुनील ने उनके मुँह को आज़ाद कर दिया। वो अब मज़े से गांड उठा-उठाकर मेरे धक्कों का जवाब दे रही थीं। सुनील नीचे जाकर कभी मेरे बॉल्स चूस रहा था, तो कभी शिल्पा मामी की चूत के नीचे का रस चाट रहा था। फिर सुनील ऊपर आया और मामी के मुँह में अपना लंड दे दिया।

सुनील: “चूसो आंटी, चूसो मेरा लंड।”
शिल्पा मामी: “हाँ सुनील, दो मुझे। आज तुम्हारा पानी पीना है।”

फिर मामी सुनील का 6 इंच का लंड चूसने लगीं। मैं मज़े से उनकी टाइट चूत चोद रहा था। उनकी मखमली कमर पकड़कर शॉट्स लगा रहा था। थोड़ी देर बाद मुझे शिल्पा मामी को उल्टा करके चोदने का मन हुआ। उनके चूतड़ महसूस करने का मन कर रहा था। मैंने सुनील से कहा, “भाई, अब लेट जा और मामी से अपना लंड चुसवाओ। मैं इन्हें पीछे से चोदूँगा अब।”

मैंने शिल्पा मामी को कुतिया स्टाइल में कर दिया। पीछे से उनकी चूत में लंड डाल दिया। उनके बाल पकड़कर चोदने लगा। उनका मुँह सुनील के लंड पर था। हर झटके के बाद वो सुनील का लंड पूरा अपने मुँह में लेती थीं। बाल छोड़कर अब कमर पकड़कर जोर-जोर से शॉट्स लगाने लगा। घप्पाक घाप… घप्पाक घाप… घप्पाक घाप…

पूरा कमरा चुदाई और सिसकारियों की आवाज़ से गूँज रहा था। शिल्पा अब झड़ चुकी थीं। सुनील की चूसाई हो रही थी। वो भी अब झड़ने वाला था। शिल्पा सुनील का रस पी रही थीं। मैं भी अब झड़ने वाला था। मैं जोर-जोर से चोदते हुए अपना सारा माल शिल्पा मामी की चूत में ही गिरा दिया। मेरे आखिरी झटके के बाद मैं उन पर गिर गया और उनका मुँह सुनील के लंड पर था। फिर थोड़ी देर तक हम तीनों ऐसे ही पड़े रहे।

मामी उठीं और अपनी चूत साफ की। सुनील को उठाकर बेडशीट बाथरूम में डाल दी। उस पर खून के धब्बे पड़ गए थे और हम लोगों का रस भी लगा था। फिर हम तीनों ने कपड़े पहने और सो गए।

तो दोस्तों, ये थी मेरी एक नई कहानी। कैसी लगी? ये मेरी इस साइट पर 49वीं कहानी है। आपके कमेंट्स, सुझाव और मार्गदर्शन का इंतज़ार है। मज़े लीजिए चुदाई की कहानियों के! कहानी पढ़ने के बाद अपने विचार नीचे कमेंट्स में ज़रूर लिखें, ताकि हम आपके लिए रोज़ और बेहतर कामुक कहानियाँ पेश कर सकें।

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