मेरे भाई ने चोदा मेरी पैंटी फाड़ कर

Bhai behan ki panty fad chudai sex story: दोस्तों, मेरा नाम कोमल है। मैं 22 साल की हूँ, इंजीनियरिंग की तैयारी कर रही हूँ और कोटा में किराए के एक छोटे से कमरे में रहती हूँ। मेरा फिगर 34-28-36 है, और मेरी गोरी त्वचा और लंबे काले बाल मेरी खूबसूरती में चार चाँद लगाते हैं। मैं हमेशा से पढ़ाई में फोकस्ड रही हूँ, लेकिन जवानी की गर्मी और अकेलेपन की रातें कई बार मन को भटकाती हैं। मेरा भाई मुकेश, जो 21 साल का है, पतला-दुबला लेकिन जवान और चुलबुला है। उसका रंग थोड़ा साँवला है, लेकिन उसकी आँखों में एक शरारती चमक है जो उसे और आकर्षक बनाती है। वो गाँव से मेरे पास आया था, मम्मी ने उसके साथ मेरे गरम कपड़े भेजे थे क्योंकि कोटा में सर्दियाँ शुरू हो चुकी थीं।

कल शाम को करीब आठ बजे मुकेश मेरे कमरे पर पहुँचा। मैंने उसे देखते ही गले लगाया, आखिर भाई था मेरा। हमने साथ में खाना खाया, फिर वो मोबाइल पर गेम खेलने लगा और मैं अपनी किताबों में डूबी थी। बीच-बीच में हम पुरानी बातें याद करने लगे, बचपन की शरारतें, मम्मी-पापा की डाँट, और वो स्कूल के दिन जब हम दोनों दोस्तों की तरह हर बात शेयर करते थे। मुकेश ने हँसते हुए पूछा, “दीदी, कोई बॉयफ्रेंड बना कि नहीं?” मैंने हल्के से उसकी टांग खींचते हुए कहा, “नहीं रे, मेरा फोकस तो पढ़ाई पर है। तू बता, तेरा क्या हाल है?” वो शरारती हँसी के साथ बोला, “हाँ, एक लड़की लाइन दे रही है, जल्दी ही खुशखबरी दूँगा।” मैंने उसे चिढ़ाते हुए कहा, “बदमाश, पहले पढ़ाई कर, फिर जो मर्जी करना।”

रात गहराने लगी थी। मैं पढ़ाई में डूबी थी, लेकिन ध्यान नहीं था कि कब मुकेश ने मेरा मोबाइल उठा लिया। अचानक उसने चौंकाते हुए कहा, “दीदी, ये क्या? तुम ये सब देखती हो?” मैंने घबराते हुए उसकी तरफ देखा तो वो मेरा फोन लिए सनी लियोन की वीडियो देख रहा था। मेरे फोन में कुछ पोर्न क्लिप्स डाउनलोड थे, और इंटरनेट हिस्ट्री में भी कुछ चुदाई की कहानियाँ थीं। मैं शरमा गई और झट से फोन छीन लिया। “ये… ये मेरी सहेली गीतिका का है,” मैंने बहाना बनाया। मुकेश ने कमीनेपन से हँसते हुए कहा, “अच्छा? तो गीतिका से मिलवा दो ना, मैं भी दोस्ती करूँगा।” मैंने उसे डाँटते हुए कहा, “शक्ल देखी है अपनी? कमीना कहीं का!” लेकिन मन ही मन मैं समझ गई थी कि मुकेश अब जवान हो चुका है, और उसकी शरारतें अब पहले जैसी मासूम नहीं रहीं।

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रात के करीब 11 बज गए थे। मेरे पास सिर्फ़ एक बेड और एक रजाई थी। मैंने मुकेश से कहा, “यहीं सो जा, और कोई ऑप्शन भी तो नहीं है।” वो बेड के एक कोने पर मुँह फेरकर लेट गया, और मैं दूसरी तरफ। मैं जल्दी ही नींद में चली गई थी, लेकिन आधी रात को मुझे कुछ अजीब सा महसूस हुआ। मेरी नाइटी के ऊपर से कोई मेरे बूब्स को हल्के-हल्के सहला रहा था। मैंने आँखें खोलीं तो देखा मुकेश मेरे करीब था, उसका एक पैर मेरी टाँगों पर चढ़ा था और उसका हाथ मेरी नाइटी के अंदर था। मेरे निप्पल को धीरे-धीरे दबा रहा था। मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई। एक पल को लगा कि उसे डाँट दूँ, लेकिन फिर सोचा कि अगर मैंने कुछ कहा तो ये बात बाहर निकल सकती है, और हम दोनों की इज्जत दाँव पर लग जाएगी। मैं चुप रही, ये सोचकर कि शायद जवानी की गर्मी है, थोड़ी देर में वो शांत हो जाएगा।

लेकिन मुकेश रुका नहीं। उसने धीरे से मेरी नाइटी को ऊपर सरकाया और मेरी ब्रा का हुक खोल दिया। मेरी 34 साइज़ की चूचियाँ आज़ाद हो गईं। उसने मेरे एक निप्पल को मुँह में लिया और चूसने लगा। उसका गर्म मुँह मेरे निप्पल पर था, और दूसरी चूची को वो हल्के-हल्के दबा रहा था। मेरी साँसें तेज हो गईं। मैं जवानी की उम्र में थी, और उसकी हरकतें मेरे शरीर में आग लगा रही थीं। उसने मेरी नाभि में उँगली डालकर गोल-गोल घुमानी शुरू की, और मेरी पैंटी को धीरे-धीरे नीचे सरका दिया। मेरी चूत पहले से ही गीली हो चुकी थी। मैंने अपने पैर फैला दिए, जैसे मेरा शरीर खुद-ब-खुद उसकी हरकतों का जवाब दे रहा था।

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मुकेश अब और नीचे सरका और मेरी चूत के पास आ गया। उसने अपनी जीभ मेरी चूत पर रखी और धीरे-धीरे चाटना शुरू किया। “आह्ह… ऊह्ह…” मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं। उसकी जीभ मेरी चूत की दरार में ऊपर-नीचे हो रही थी, और वो मेरे दाने को हल्के से चूस रहा था। मैंने उसका सिर पकड़ लिया और अपनी चूत पर और जोर से रगड़ने लगी। मेरी चूत से पानी रिस रहा था, और वो उसे चाट रहा था। मेरे पूरे शरीर में करंट सा दौड़ रहा था। मैंने उसे खींचकर ऊपर किया और उसके होंठों को चूसने लगी। उसका मुँह मेरे चूत के रस से गीला था, और उसका स्वाद मुझे और उत्तेजित कर रहा था। वो मेरी चूचियों को जोर-जोर से दबा रहा था, और उसकी जीभ मेरे मुँह में अंदर-बाहर हो रही थी।

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मैंने उससे कहा, “मुकेश, कमीने, और कितना तड़पाएगा? आज तो तूने मुझे आग लगा दी।” वो हँसते हुए बोला, “दीदी, ये तो बस शुरुआत है।” मैंने उसे और ऊपर खींचा और उसकी पैंट खोल दी। उसका लंड बाहर आया, करीब 7 इंच लंबा और मोटा, जैसे कोई पोर्न स्टार का। मैंने उसे मुँह में लिया और चूसने लगी। उसका लंड मेरे गले तक जा रहा था, और मुझे गजब का मजा आ रहा था। मैं उसकी टोपियों को जीभ से चाट रही थी, और वो सिसकारियाँ ले रहा था, “आह्ह… दीदी… उफ्फ…” वो मेरे मुँह में लंड को अंदर-बाहर करने लगा। मेरी चूत बार-बार पानी छोड़ रही थी।

मैंने कहा, “मुकेश, अब और मत तड़पा, मेरी चूत की गर्मी बुझा दे।” उसने मुझे बेड पर लिटाया और मेरी टाँगें फैलाईं। उसने अपने लंड पर थूक लगाया और मेरी चूत पर सेट किया। एक जोरदार धक्के के साथ उसका लंड मेरी चूत में घुस गया। “आउच… आह्ह…” मेरे मुँह से चीख निकली, लेकिन दर्द के साथ मजा भी आ रहा था। वो धीरे-धीरे धक्के देने लगा, और मैं नीचे से अपनी गांड उठा-उठाकर उसका साथ देने लगी। “चपक… चपक…” की आवाज़ से कमरा गूँज रहा था। मैंने उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया और अपनी टाँगों से उसकी कमर को लपेट लिया। वो मेरी मोटी गांड को नीचे से पकड़कर जोर-जोर से पेल रहा था। “आह्ह… मुकेश… और जोर से… चोद दे मुझे…” मैं चिल्ला रही थी।

कुछ देर बाद उसने मुझे घोड़ी बनाया। मैं अपने घुटनों और हाथों के बल थी, और मेरी गांड हवा में थी। उसने मेरी पैंटी को पूरी तरह फाड़ दिया और मेरी चूत में फिर से लंड डाल दिया। “उफ्फ… आह्ह…” मैं सिसकारियाँ ले रही थी। वो मेरी गांड पर थप्पड़ मार रहा था और कह रहा था, “साली, तू तो रंडी से कम नहीं। आज तुझे चोद-चोदकर तेरी चूत फाड़ दूँगा।” मैं भी जोश में थी, “हाँ, कमीने, चोद अपनी बहन को, देख कितना मजा आ रहा है।” उसने मेरी चूत को 15 मिनट तक पेला, और फिर उसने कहा, “दीदी, अब तेरी गांड मारूँगा।” मैंने मना किया, “नहीं, मुकेश, गांड में दर्द होगा। चूत को जितना मर्जी चोद ले।” लेकिन वो नहीं माना। उसने अपने लंड पर और थूक लगाया और धीरे-धीरे मेरी गांड में डालना शुरू किया। पहले तो दर्द हुआ, लेकिन धीरे-धीरे मजा आने लगा। “आह्ह… उह्ह… धीरे कर कमीने…” मैं कराह रही थी।

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उसने मेरी गांड को 10 मिनट तक चोदा, फिर मुझे फिर से लिटाया। मेरी टाँगें उसने अपने कंधों पर रखीं और मेरी चूत में लंड डालकर जोर-जोर से धक्के देने लगा। मेरी चूत सूज चुकी थी, और दर्द भी हो रहा था। मैंने कहा, “मुकेश, अब बस, मेरी चूत दुख रही है। तू तो दो घंटे से चोद रहा है।” वो हँसते हुए बोला, “अभी तो मजा शुरू हुआ है, साली। आज तुझे पूरी रात चोदूँगा।” उसने और जोर से धक्के दिए, और फिर “आह्ह… आह्ह…” करते हुए मेरी चूत में ही झड़ गया। उसका गर्म वीर्य मेरी चूत में भर गया, और वो मेरे ऊपर ढेर हो गया।

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पाँच मिनट बाद वो फिर से उठा और 69 की पोजीशन में आ गया। उसने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया, और मेरी चूत को चाटने लगा। मैं उसके लंड को चूस रही थी, और वो मेरी चूत का रस पी रहा था। हम दोनों एक-दूसरे के रस को चाटकर साफ कर चुके थे। फिर हम नंगे ही एक-दूसरे को बाहों में लेकर सो गए।

सुबह पाँच बजे वो फिर से मेरे ऊपर चढ़ गया। मेरी चूत और गांड दोनों सूज चुकी थीं, लेकिन मजा इतना था कि मैंने मना नहीं किया। उसने मुझे फिर से चोदा, इस बार 40 मिनट तक। “आह्ह… उह्ह… मुकेश… बस कर अब…” मैं कराह रही थी, लेकिन वो रुका नहीं। आखिरकार वो फिर से झड़ गया। सुबह हम दोनों मॉर्निंग वॉक के लिए गए, लेकिन मेरी चूत और गांड के दर्द की वजह से मुझे चलने में दिक्कत हो रही थी।

वापस कमरे पर आए, नहाए, और नाश्ता किया। मुकेश ने हँसते हुए कहा, “दीदी, आज ब्रा और पैंटी मत पहनना।” मैंने उसे चिढ़ाते हुए कहा, “कमीने, तूने तो मेरी पैंटी फाड़ दी।” दोपहर बारह बजे वो फिर से मेरे ऊपर चढ़ गया। उस दिन उसने मुझे तीन बार और चोदा। दर्द तो बहुत हुआ, लेकिन मजा भी उतना ही आया। मुकेश के साथ वो रात और दिन मेरे लिए एक अजीब सा अनुभव था, जिसमें शर्म, गिल्ट, और मजा सब मिला हुआ था।

दोस्तों, आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी? क्या आपने कभी ऐसा कुछ अनुभव किया? अपनी राय कमेंट में जरूर बताएँ।

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