मायके में तन्हाई के दिन और मम्मी पापा

मेरी कहानी का पिछला भाग पढ़ें:  शादी के बाद मेरी जिंदगी कैसे बदली

अब से सभी कहानियाँ हिंदी में ही होंगी। अब तक आपने पढ़ा कि मेरे पति के जाने के बाद पापा मुझे वापस मायके ले आए। कुछ दिन तो आराम से कटे, लेकिन फिर मुझे पति की याद आने लगी। मैं पहली रात के दृश्यों को याद करके गर्म होती रहती थी। पहली रात को पति ने मुझसे कई बार चुदाई की और मैंने भी उनका पूरा साथ दिया। लेकिन मुझे उनकी बहुत याद आती थी। मम्मी को भी मुझे उदास देखकर समझ आ गया था।

शाम के समय मम्मी नहाने के बाद कुछ नहीं पहनती थीं, नंगी ही रहती थीं और पापा के पास चली जाती थीं। लेकिन मैं अकेली ही पड़ी रहती थी। फिर मैं भी नंगी होकर सोने लगी और अपनी चूत में उंगली डालकर हिलाने लगती थी, जिससे मैं झड़ जाती थी। हमारे खेत में सब्जियाँ लगी रहती हैं, जैसे बैंगन, लौकी वगैरह। तो मैं उन्हें अपनी चूत में डालने लगी।

मम्मी के सामने ही मैं ये सब करती थी, तो मम्मी भी गर्म हो जाती थीं। फिर मम्मी मेरी चूत में बैंगन डालकर हिलाने लगती थीं। मैं भी मम्मी की चूत में बैंगन या लौकी डालकर हिलाती थी और उन्हें मज़ा देती थी। फिर हम दोनों माँ-बेटी हर रोज़ ऐसा करने लगीं। जब हम साथ सोती थीं, तो मैं मम्मी के बूब्स दबाने लगती थी और चूसने लगती थी। इससे उन्हें बहुत मज़ा आता था और मम्मी भी मेरे साथ ऐसा ही करती थीं।

जब पापा घर पर नहीं होते थे, तो हम दोनों नंगी ही रहती थीं। धीरे-धीरे मम्मी पापा के सामने भी ऊपर से नंगी रहने लगी थीं। फिर धीरे-धीरे वो नीचे भी बस तौलिया लपेट लेती थीं। रात को तो नंगी होकर सोना जैसे उनका रूटीन ही बन गया था। गर्मी के मौसम के अलावा सर्दियों में भी मम्मी रात को नंगी ही सोती थीं।

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सर्दियों में हम सब एक ही कमरे में सोते थे। पापा और मम्मी बेड पर सोते थे और मैं साइड में एक चारपाई पर। मम्मी सोने से पहले रजाई में बैठकर अपने कपड़े निकाल देती थीं और साइड में रख देती थीं। पापा भी रात को लुंगी में सोते थे, लेकिन वो भी नीचे से नंगे हो जाते थे और मम्मी के साथ चुदाई करने लगते थे। उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता था कि मैं वहाँ सो रही हूँ या नहीं।

फिर मैं भी अपनी सलवार खोल देती थी और अपनी चूत सहलाने लगती थी। लाइट बंद करने के बाद मैं भी नंगी होकर सोने लगी। कमरे की लाइट बंद करने का बटन मम्मी की साइड था और उसे खड़े होकर बंद करना पड़ता था। तो मम्मी नंगी ही खड़ी होकर लाइट बंद कर देती थीं।

एक रात हम सो रहे थे। पापा शराब पीते थे, तो उन्हें रात में बहुत खाँसी आती थी। उस रात उनकी खाँसी बहुत ज़्यादा थी और उनका बुरा हाल हो गया था। मम्मी नंगी ही बैठी थीं और उनकी छाती मसल रही थीं। पापा भी नंगे थे। फिर पापा का साँस बंद होने लगा खाँसते-खाँसते। मम्मी ने तेज़ी से उनकी छाती मसली और उन्हें बैठा दिया।

फिर मम्मी ने मुझे आवाज़ दी। मैं भी नंगी ही सो रही थी, तो वैसे ही खड़ी हो गई और उनके पास चली गई। मैं और मम्मी दोनों मिलकर पापा की छाती मसलने लगीं। फिर मम्मी ने उन्हें खाँसी की दवाई दी, जिससे कुछ देर में पापा को आराम मिल गया। फिर मैं पापा के पास उनकी साइड में लेट गई और उनकी छाती धीरे-धीरे सहलाने लगी।

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पापा तो सो गए और मैं भी उनके साथ वैसे ही सो गई। मम्मी भी दूसरी तरफ सो गई थीं। सुबह जब मुझे और मम्मी को नींद खुली, तो मेरा एक हाथ पापा के पेट पर था। मैंने अपना हाथ नीचे खिसकाया, तो मुझे महसूस हुआ कि मम्मी का हाथ पापा के लंड पर था। ये देखकर मम्मी मेरी तरफ थोड़ा हँसीं।

फिर मम्मी खड़ी हुईं और बैठकर अपने बाल सँवारने लगीं। मैं पापा से चिपककर सोई रही। मेरा हाथ पहले पापा के पेट पर था, फिर धीरे-धीरे नीचे की ओर खिसकता गया और पापा के लंड तक पहुँच गया। मेरे मन में न जाने क्या आया और मैंने पापा का लंड पकड़ लिया और सहलाने लगी।

मेरा हाथ पापा के लंड पर चल रहा था, तो रजाई हिल रही थी। मम्मी का ध्यान वहाँ गया और वो सब समझ गई थीं। मैंने जल्दी से हाथ हटा लिया और नज़रें नीचे करके मुस्कुराने लगी। पापा का लंड पकड़ने से मेरे बदन में करंट-सा दौड़ गया था। मुझे नहीं पता था कि ये सही था या गलत, लेकिन मुझे अच्छा लग रहा था।

मैं फिर से उनका लंड हिलाने लगी। पापा करवट लेकर मेरी तरफ हो गए, तो उनका हाथ मेरी कमर पर चला गया। मैंने भी उनकी कमर में हाथ डाला और उनका लंड मेरी चूत पर लगने लगा। फिर मम्मी ने रजाई साइड में की और पापा को अपनी तरफ खींच लिया। उन्होंने पापा को अपनी तरफ करवट दिलाकर सुला लिया।

मैं अपनी चूत सहलाती हुई खड़ी हुई और अपने बिस्तर पर चली गई। मैंने वहाँ एक लौकी रखी थी, उसे निकाला और अपनी चूत में डालकर हिलाने लगी। मैं पूरी उल्टी होकर सो गई। लौकी लंबी थी, तो पूरी अंदर नहीं गई थी। मैं धीरे-धीरे अपनी कमर हिला रही थी, जिससे लौकी अंदर-बाहर हो रही थी।

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फिर मम्मी चाय बनाकर ले आईं और पापा को उठा दिया। पापा ने चाय पी और खेतों की तरफ चले गए। मम्मी मेरे पास सो गईं। मैं झड़ चुकी थी, तो मम्मी ने मेरी चूत से लौकी निकाली। उनका पूरा हाथ मेरे पानी से भीग गया था। फिर मम्मी ने मेरी चूत साफ की और पूछने लगीं कि आज ज़्यादा मन कर रहा है क्या। मैंने कहा, हाँ।

फिर हम दोनों ऐसे ही बातें करने लगीं और फिर उठकर घर का काम करने लगीं।

जारी रखें पढ़ना मेरी कहानी: मेरी प्रेगनेंसी और मायका

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