मौसी के लड़के ने कंडोम पहन कर मेरी चूत की सीटी खोली

Mausi ke ldke ne condom lga kar choda – कावेरी सिंह की तरफ से सभी पाठकों को दिल से नमस्ते। ये मेरी पहली कहानी है, तो अगर कोई गलती हो जाए, तो माफ कर देना। मैं एक पंजाबी लड़की हूँ, 20 साल की, नाम के हिसाब से हर जवान लड़के का दिल चुरा लेती हूँ। मेरी हाइट 5 फुट 8 इंच है, और मैं देखने में बिल्कुल पटाखा लगती हूँ। मेरी खूबसूरती की चर्चा पूरे शहर में है। मेरे पीछे कई लड़के पागल हो चुके हैं, कुछ ने तो मेरे चक्कर में अपना घर-बार तक छोड़ दिया। मैंने अब तक कई लड़कों के साथ रंगरलियां मनाई हैं, और हर बार नए मजे लिए हैं। मेरे दूध 30 साइज के हैं, अभी बढ़ ही रहे हैं, पर मेरा गोरा-चिट्टा बदन और कातिलाना अदा किसी को भी दीवाना बना देती है। अब मैं आपको अपनी कहानी सुनाती हूँ, जो मेरे और मेरे मौसी के लड़के दिलजीत सिंह के बीच की है।

कुछ दिन पहले की बात है, मेरी मौसी का लड़का दिलजीत मेरे घर आया। वो 24 साल का था, सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था, जालंधर के एक कॉलेज से। दिलजीत को देखते ही मेरे दिल में हलचल मच गई। वो पगड़ी बांधता था, आस्तीन वाली शर्ट और जींस में बिल्कुल जवान मर्द लगता था। उसका गोरा रंग, चौड़ा सीना, और वो हल्की-सी मुस्कान, हाय! मैं तो बस उसे देखते ही पिघल गई। मैंने सोच लिया था कि मुझे इस गबरू जवान से चुदवाना है। वैसे तो मैं खाना बनाने में बड़ी आलसी हूँ, लेकिन दिलजीत के लिए मैंने नौकरों को छुट्टी दे दी और रोज सुबह उसके लिए प्याज के पकोड़े बनाने लगी, जो उसे बहुत पसंद थे। धीरे-धीरे मैं उसे भाने लगी। उसकी नजरें मुझ पर टिकने लगीं, और मैं समझ गई कि अब कुछ ना कुछ तो होगा ही।

एक शाम दिलजीत ने मुझसे पूछा, “कावेरी, तू मेरा इतना ख्याल क्यों रखती है?” मैंने साफ-साफ कह दिया, “दिलजीत, तू मुझे बहुत अच्छा लगता है।” बस, फिर क्या था, उसने मुझे अपने कमरे में चाय और पकोड़ों के साथ बुलाया। मैं समझ गई कि आज कुछ होने वाला है। मैंने जानबूझकर एक डीप-कट टॉप पहना, जिसके नीचे मेरे दूध साफ दिख रहे थे। पतली-सी पीली टॉप और टाइट जींस में मैं बिल्कुल माल लग रही थी। चाय लेकर मैं उसके कमरे में गई। चाय पीते-पीते उसने मुझे अपने पास बिठा लिया, मेरा हाथ अपने हाथ में लिया और धीरे-धीरे मेरे करीब आने लगा। मैंने हल्का-सा विरोध किया, “दिलजीत, ये क्या कर रहा है? मैं तेरी बहन लगती हूँ!” लेकिन अंदर से मैं यही चाहती थी।

दिलजीत ने हंसते हुए कहा, “हाँ जान, आज मैं अपनी बहन को चोदकर बहनचोद बनूंगा!” उसने मुझे अपनी बाहों में कस लिया और मेरे होंठों को चूमने लगा। मैंने थोड़ा नखरा दिखाया, ताकि वो मुझे कोई चुदक्कड़ छिनाल न समझे। लेकिन वो रुका नहीं। उसने मेरे छोटे-छोटे दूध टॉप के ऊपर से दबाने शुरू किए। मेरे दूध अभी पूरी तरह बड़े नहीं हुए थे, पर वो नरम और कोमल थे। उसका हर स्पर्श मेरे जिस्म में आग लगा रहा था। मैंने हल्के से सिसकियां लीं, “उह्ह… दिलजीत…” वो और जोश में आ गया। उसने मेरी जींस का बटन खोला, धीरे-धीरे उसे नीचे सरकाया। मेरी गोरी टांगें देखकर उसकी आँखों में चमक आ गई। फिर उसने मेरा पीला टॉप भी उतार दिया। अब मैं सिर्फ पेंटी और अंडरशर्ट में थी।

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दिलजीत मेरे कोमल जिस्म से खेलने लगा। उसने मेरी अंडरशर्ट के ऊपर से मेरे दूध दबाए, मेरी निप्पल्स को उंगलियों से छेड़ा। मेरी सांसें तेज हो गईं, “आह्ह… भाई… धीरे…” लेकिन वो कहाँ मानने वाला था। उसने मेरी अंडरशर्ट और पेंटी भी उतार दी। अब मैं पूरी नंगी थी, मेरे गोरे बदन पर सिर्फ मेरी सांवली चूत की झांटें थीं, जो मैंने जानबूझकर नहीं हटाई थीं। दिलजीत ने अपनी पगड़ी नहीं उतारी, लेकिन बाकी सारे कपड़े निकाल दिए। उसका लंड लंबा और पतला था, शायद 7 इंच का, पर उसकी नसें फूली हुई थीं। मैं तो बस उसे देखकर पागल हो रही थी। मेरा मन कर रहा था कि उसका लंड मुँह में लूँ, पर मैंने खुद को रोका, ताकि वो मुझे कोई रंडी न समझे।

उसने मेरी चूत को उंगलियों से सहलाना शुरू किया। मेरी चूत पहले से ही गीली थी। उसकी उंगलियां मेरी चूत की फांकों को छू रही थीं, और मैं “उह्ह… आह्ह…” करके सिसक रही थी। फिर उसने अपनी जीभ मेरी चूत पर रख दी। हाय राम, उसकी गर्म जीभ मेरी चूत को चाट रही थी, मेरी क्लिट को चूस रही थी। मैं पागल हो रही थी, मेरी कमर अपने आप हिल रही थी, “आह्ह… दिलजीत… और चाट… उह्ह…” वो मेरी चूत को चूसता रहा, उसकी जीभ मेरी चूत के अंदर तक जा रही थी। मैंने उसका सिर पकड़ लिया और अपनी चूत पर दबाने लगी। कुछ देर बाद उसने अपना लंड मेरी चूत पर रखा और धीरे से अंदर डाल दिया। उसका लंड मेरी चूत में फिसलता हुआ अंदर गया, और मैं “आह्ह… उह्ह…” करके चिल्ला उठी।

दिलजीत ने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। उसका पतला लंड मेरी चूत में गहराई तक जा रहा था। मेरे दूध हिल रहे थे, और वो उन्हें पकड़कर दबाने लगा। “चट… चट…” की आवाज कमरे में गूंज रही थी। उसका पेडू मेरे पेडू से टकरा रहा था, और हर धक्के के साथ मेरी चूत में आग लग रही थी। मैं “आह्ह… भाई… चोद… और जोर से…” कह रही थी। वो और तेज हो गया, उसका लंड मेरी चूत को रगड़ रहा था। मैंने अपनी टांगें उठाईं और उसकी कमर में लपेट दीं, ताकि वो और गहराई तक जाए। “उह्ह… हाय… दिलजीत… फाड़ दे मेरी चूत…” मैं चुदास में बड़बड़ा रही थी। उसने मेरी चूत में अपना माल छोड़ दिया, और हम दोनों हांफते हुए एक-दूसरे से लिपट गए।

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“दिलजीत, तू तो सच में बहनचोद बन गया!” मैंने हंसते हुए कहा। “हाँ कावेरी, अगर बहन तेरी जैसी माल हो, तो कोई भी बहनचोद बन जाएगा!” उसने हंसकर जवाब दिया।

हम दोनों देर तक प्यार भरी बातें करते रहे। फिर मैं अपने कपड़े पहनकर अपने कमरे में चली गई। अगली शाम दिलजीत ने धीरे से मेरे कान में कहा, “कावेरी, देगी क्या?” मैं हंस पड़ी। घर में उस दिन पापा, मम्मी, चाचा-चाची और कुछ मेहमान थे, तो मैंने कहा, “रात को चुपके से तेरे कमरे में आ जाऊँगी।” रात को मम्मी मेरे कमरे में सो रही थीं, लेकिन मैं चुपके से उठी और दिलजीत के कमरे में पहुंच गई। वो मुझे देखते ही गले से लग गया। हम दोनों बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड की तरह लिपट गए। उसने मेरे कपड़े उतारे, और मैंने भी उसके कपड़े निकाल दिए।

“दिलजीत, आज कंडोम पहन ले, वरना मैं पेट से हो जाऊँगी,” मैंने कहा। उसने अपने पर्स से सनी लियोन वाला मैनफोर्स कंडोम निकाला, उसे फाड़कर अपने लंड पर चढ़ाया। मैंने अपनी टांगें खोल दीं और एक देसी चुदक्कड़ लड़की की तरह लेट गई। उसने अपना कंडोम वाला लंड मेरी चूत में डाल दिया। “सट… सट…” की आवाज के साथ उसका लंड मेरी चूत में अंदर-बाहर होने लगा। कंडोम में चिकनाई थी, तो लंड आसानी से फिसल रहा था। मैं “आह्ह… उह्ह… भाई… चोद… और जोर से…” चिल्ला रही थी। उसने मेरी टांगें अपनी कमर में फंसाईं और गचागच पेलने लगा। मेरी चूत गीली हो चुकी थी, और हर धक्के के साथ “चट… चट…” की आवाज कमरे में गूंज रही थी।

“मेरे भाई… मेरे सैंया… चोद डाल अपनी बहना की चूत… उह्ह… फाड़ दे मेरी बुर…” मैं जोश में बड़बड़ा रही थी। दिलजीत और जोश में आ गया, उसने मेरे दूध पकड़ लिए और जोर-जोर से धक्के मारने लगा। मेरी चूत पिघल रही थी, मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। “आह्ह… हाय… दिलजीत… और जोर से… उह्ह…” मैं चिल्ला रही थी। कुछ देर बाद उसने मेरी चूत में अपना माल छोड़ दिया। फिर वो मेरे होंठ चूसने लगा, और मैंने भी उसका पूरा साथ दिया। उसने कंडोम निकालकर फेंक दिया।

“भाई, मुझे तेरा लंड चूसना है,” मैंने कहा। उसने अपना लंड मेरे हाथ में दे दिया। मैंने उसे धीरे-धीरे मसलना शुरू किया। वो मेरे दूध चूस रहा था, और मैं उसका लंड सहला रही थी। कुछ ही देर में उसका लंड फिर से खड़ा हो गया। “भाई, अब तू रुक, पहले मैं तेरा लंड चूस लूँ,” मैंने कहा। वो लेट गया, और मैंने उसका लंबा लंड अपने मुँह में ले लिया। “उम्म… उम्म…” मैं उसके लंड को चूस रही थी, मेरी जीभ उसकी नसों पर फिर रही थी। मैंने उसकी गोलियों को भी मुँह में लिया, जो बालों से भरी थीं। मैं पागल हो चुकी थी, बस लंड और चुदाई के बारे में सोच रही थी। मैंने उसके लंड को गले तक लिया, और “ग्लक… ग्लक…” की आवाज के साथ चूसने लगी।

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“कावेरी, तूने कभी गांड मरवाई है?” उसने पूछा। “नहीं भाई,” मैंने कहा। “तो आज मैं तेरी गांड मारूंगा,” उसने कहा। उसने मुझे कुतिया की तरह घुटनों और हाथों पर झुका दिया। पीछे से मेरी गांड को चूमने लगा, अपनी जीभ मेरे छेद पर फिराने लगा। फिर उसने एक और कंडोम अपने लंड पर चढ़ाया और मेरी गांड के छेद पर रख दिया। जैसे ही उसने लंड अंदर डाला, मुझे तेज दर्द हुआ। “आह्ह… भाई… रहने दे… बहुत दर्द हो रहा है…” मैंने कहा, लेकिन वो नहीं माना। धीरे-धीरे उसका लंड मेरी कसी हुई गांड में घुस गया। मैं दर्द से चीख रही थी, “उह्ह… हाय… भाई… मत कर…” लेकिन वो रुका नहीं। उसने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। “चट… चट…” की आवाज के साथ उसका लंड मेरी गांड में अंदर-बाहर हो रहा था।

करीब 40 मिनट बाद मेरा दर्द कम हुआ, और मुझे मजा आने लगा। मैं अब चुप थी, बस “आह्ह… उह्ह…” करके सिसक रही थी। मेरी गांड अब ढीली हो चुकी थी, और दिलजीत घपाघप मेरी गांड मार रहा था। “कावेरी, तेरी गांड कितनी कसी है… उह्ह… मजा आ रहा है…” वो बड़बड़ा रहा था। कुछ देर बाद उसने अपना लंड निकाला और मेरी गांड का फोटो खींचकर दिखाया। “देख छिनाल, तेरी गांड का छेद कितना बड़ा हो गया!” उसने कहा। मैंने फोटो देखी, मेरा छेद सचमुच बड़ा हो गया था। मैंने फोटो को चूम लिया। फिर उसने दोबारा लंड मेरी गांड में डाला और कुत्ते की तरह चोदने लगा। मैं “आह्ह… उह्ह… भाई… और मार… मेरी गांड फाड़ दे…” कह रही थी। घंटों चुदाई के बाद उसने मेरी गांड में माल छोड़ दिया।

उसने कंडोम निकाला, और मैंने उसे छीन लिया। मैंने कंडोम उल्टा करके उसके माल को अपने मुँह में डाला और सारा वीर्य पी गई। “उम्म… कितना टेस्टी है…” मैंने कहा। हम दोनों हांफ रहे थे, लेकिन खुश थे। मैं चाहती थी कि ये चुदाई कभी खत्म न हो।

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