कोठे की रंडी बनने की कहानी

बात उन दिनों की है जब मुंबई में दंगे भड़के हुए थे। पुणे में भी कुछ दिनों के लिए बस सर्विस बंद थी, और सड़कों पर सन्नाटा पसरा था। मैं, रानी, 24 साल की एक शादीशुदा औरत, गोरी-चिट्टी, 34-28-36 की फिगर वाली, लंबे काले बालों और बड़ी-बड़ी आँखों के साथ, पुणे जाने के लिए एक बस में चढ़ी। मेरे पास हल्की नीली साड़ी थी, जो मेरे बदन से चिपककर मेरी जवानी को और उभार रही थी। बस में मेरी बगल की सीट पर उषा आंटी बैठी थीं। उषा आंटी, करीब 45 साल की, भरे हुए बदन वाली, 38-32-40 की फिगर, काले बालों में हल्की सी चांदी की चमक, और चेहरे पर एक रहस्यमयी मुस्कान लिए, बेहद आकर्षक थीं। उनकी साड़ी का पल्लू बार-बार सरक रहा था, जिससे उनकी गहरी नाभि और भारी चूचियां साफ झलक रही थीं।

बस धीरे-धीरे चल रही थी, रास्ते में दंगों की वजह से जगह-जगह रुकावट थी। हमारी बातचीत शुरू हुई, और थोड़ी ही देर में उषा आंटी से मेरी अच्छी जान-पहचान हो गई। वो हंसमुख थीं, लेकिन उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी, जैसे वो कुछ छुपा रही हों। शाम के करीब दो बजे बस अचानक खराब हो गई। ड्राइवर ने बताया कि बस अब आगे नहीं चलेगी। पुणे अभी 40 किलोमीटर दूर था। बस में मेरे और आंटी के अलावा कोई और औरत नहीं थी। कुछ गुंडे टाइप के लोग भी थे, जो रास्ते भर हमें गंदी नजरों से घूर रहे थे। उनकी नजरें मेरी साड़ी के ऊपर से मेरे बदन को चीर रही थीं, और मेरे मन में डर समा रहा था।

आंटी ने मेरी घबराहट भांप ली और धीमे से बोलीं, “रानी, मैंने एक टैक्सी बुलाई है। तू मेरे साथ पुणे तक चल सकती है, लेकिन रास्ते में कुछ जगह रात को बंद रहती हैं।” मैंने राहत की सांस ली और तुरंत कहा, “आंटी, मैं आपके साथ रुक जाऊंगी।” आंटी ने मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखा और बोलीं, “ठीक है, बेटी, लेकिन पहले मैं तुझे कुछ बताना चाहती हूं। मैं एक कोठे की मालकिन हूं। मेरा कोठा बुधवार पेठ में है, जहां 50-60 लड़कियां धंधा करती हैं। दिन-रात उनकी चुदाई चलती है। लेकिन मेरा वादा है, अगर तू मेरे साथ चलेगी, तो तेरी मर्जी के बिना कोई तेरी चूत को हाथ भी नहीं लगाएगा। हां, तेरी चूचियां और चूतड़ दब सकते हैं, क्योंकि मेरे गुंडे मस्ती करने से बाज नहीं आएंगे। अगर तू कहीं और रुकेगी, तो तेरी जवानी लुट भी सकती है, और ब्लू फिल्म बनने का डर अलग है। मुझे पुणे की हर गली का पता है। वैसे, तू शादीशुदा है, कोठे की छेड़खानी में तुझे मजा ही आएगा।”

उनकी बात सुनकर मेरी सांस अटक गई। डर तो लगा, लेकिन मेरी चूत में एक अजीब सी खुजली भी मचने लगी। कोठे की मस्ती का ख्याल मेरे मन को गुदगुदाने लगा। मैंने सोचा, इस बस में तो चुदाई पक्की है, और जान का खतरा भी। मैंने हिम्मत जुटाकर कहा, “आंटी, मुझे ले चलो। कोठा ही सही।” थोड़ी देर में टैक्सी आ गई। आंटी ने पुणे से 5-6 किलोमीटर पहले मुझे और खुद को बुरका पहना दिया, ताकि कोई पहचान न सके।

शाम चार बजे हम बुधवार पेठ में आंटी के कोठे पर पहुंचे। कोठा बाहर से पुराना सा दिखता था, लेकिन अंदर से रंग-बिरंगी रोशनी और मादक खुशबू से भरा था। जैसे ही हम अंदर घुसे, एक मोटा-तगड़ा मूंछ वाला गुंडा, जिसका नाम कालू था, मेरे पास आया। उसने मेरे चूतड़ों पर जोर से हाथ मारा और हंसते हुए बोला, “मौसी, क्या माल लाई हो! आज्ञा हो तो इस कुतिया को नंगा कर दूं?” मेरी सांस रुक गई, लेकिन मौसी ने उसे डांटते हुए कहा, “हरामी, हाथ मत लगाइयो! ये मेहमान है। चल, रानी, अंदर चलें।”

अंदर का नजारा मेरे लिए बिल्कुल नया था। चार-पांच लड़कियां, जिनमें से कुछ पूरी नंगी थीं, तो कुछ सिर्फ पेटीकोट और आधे खुले ब्लाउज में थीं। उनके चेहरे पर मेकअप की मोटी परत थी, और वो माहकों को लुभाने के लिए इठला रही थीं। मौसी ने मेरी हैरानी देखकर कहा, “क्यों चौंक रही है, रानी? ये कोठा है। रात को दिखाऊंगी कैसे ये रंडियां 6-6 लंड खाती हैं। चल, थोड़ा रेस्ट कर ले। तुझे भी कोठे की मस्ती सिखा दूंगी, ताकि तुझे याद रहे कि तूने कोठे की सैर की थी। डर मत, तेरी चूत तभी चुदेगी जब तू चाहेगी। लेकिन लंड पकड़ना और चूचियां-चूतड़ दबवाना तो बनता है। ऐसी मस्ती रोज-रोज नहीं मिलती।”

मौसी की बातों में कुछ सच्चाई थी। मैं और मौसी उनके कमरे में पहुंचे, जो किसी फाइव स्टार होटल जैसा था। लाल मखमली पर्दे, बड़ा सा बिस्तर, और हल्की रोशनी कमरे को और कामुक बना रही थी। मौसी ने अपनी साड़ी और ब्लाउज उतार दिया। अब वो सिर्फ पेटीकोट में थीं। उनकी चूचियां पपीते की तरह लटक रही थीं, और निप्पल सख्त होकर बाहर की ओर तने हुए थे। मौसी ने घंटी बजाई, और कालू अंदर आया। मौसी ने कहा, “कालू, जरा पानी ला!” फिर मेरी तरफ मुस्कुराते हुए बोलीं, “शरमा रही है? अभी तुझे नंगा करवाती हूं। कोठे की मस्ती चख ले।”

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मैंने डरते हुए कहा, “नहीं, मौसी, मुझे नंगा नहीं होना।” मौसी ने ठहाका लगाया, “अरे, हमारा वादा सिर्फ चुदाई न होने तक का है।” तभी कालू पानी लेकर आया। उसने बड़े प्यार से हमें पानी पिलाया। मौसी ने कालू से कहा, “देख, तेरी मौसी नंगी खड़ी है, और ये साली कपड़ों में बैठी है। चल, इसे नंगा कर।” कालू ने एक झटके में मेरी साड़ी खींच दी। मेरा ब्लाउज उसने इतनी जोर से खींचा कि वो फट गया। मेरी ब्रा आधी लटक गई, जिसे उसने एक सेकंड में उतार फेंका। अब मैं सिर्फ पेटीकोट में थी। सब कुछ इतनी तेजी से हुआ कि मैं विरोध भी नहीं कर पाई। कालू मेरा पेटीकोट भी फाड़ने वाला था, लेकिन मौसी ने उसे इशारे से बाहर भेज दिया।

मौसी ने मेरी चूचियों पर हाथ फेरते हुए कहा, “रानी, तेरा माल तो बड़ा तगड़ा है। एक रात के दस हजार तो आराम से लगेंगे। बोल, चुदवाना है? पूरे दस हजार तेरे!” मेरी चूत में हलचल होने लगी। मौसी ने मुझे बिस्तर पर लिटाया और खुद मेरे बगल में लेट गईं। उनकी उंगलियां मेरे पेट पर धीरे-धीरे फिसलने लगीं। वो बोलीं, “रानी, मैं तुझे कोठे की मस्ती करवाती हूं। देख, कैसे रंडियां लंड से खेलती हैं, उनकी मुठ मारती हैं, लंड चूसती हैं। तुझे भी सिखाऊंगी। अगर चुदने का मन हो, तो बता। चूत और गांड दोनों की चुदाई करवा दूंगी। आज रात फुल मस्ती कर, जिंदगी भर याद रहेगी।”

मौसी की बातों से मेरी चूत में आग सी लगने लगी। मेरा मन मूंछ वालों गुंडों के सामने नंगी होने का करने लगा। मेरी चूत से पानी रिसने लगा था। मौसी ने मेरी हालत देखकर कहा, “अब तू मेरे कोठे की रंडी है। तेरी चूत और गांड तेरी मर्जी पर छोड़ती हूं, लेकिन बाकी आज रात के लिए तुझे रंडी बनाती हूं। रंडीबाजी का मतलब है नंगी अदाएं दिखाना, चूचियां दबवाना, लंड चूसना, लंड की मुठ मारना, और चूत चुसवाना। चुदाई तो आखिर में आती है।”

शाम के पांच बज रहे थे। मौसी ने मेरी चूचियों पर एक पतली चुन्नी डाल दी और बोलीं, “चल, तेरा रंडियों जैसा सिंगार करवाती हूं।” वो मुझे सिंगार रूम में ले गईं। रास्ते में उनके गुंडे मेरी नंगी चूचियों को घूर रहे थे। सिंगार रूम का नजारा मेरे लिए हैरान करने वाला था। चार-पांच रंडियां शीशे के सामने मेकअप कर रही थीं। सभी टॉपलेस थीं, कुछ पूरी नंगी होकर अपनी चूत में क्रीम लगा रही थीं। कुछ गुंडे कमरे में घूम रहे थे, और दो-तीन रंडियों की चूचियां मसल रहे थे। सीन इतना सेक्सी था कि मेरी चूत और गीली हो गई।

मौसी ने मुस्कुराते हुए कहा, “चल, तू भी नंगी हो। तेरा माल भी देखें जरा।” मैंने शरमाते हुए कहा, “मौसी, मुझे शर्म आ रही है।” मौसी ने डांटते हुए कहा, “शरमा नहीं, रंडी बन जा आज रात के लिए। देख, सब रंडियां कैसे मस्ती कर रही हैं।” मेरी चूचियां पहले से ही नंगी थीं। मैंने शरमाते हुए अपना पेटीकोट उतार दिया। अब मैं सिर्फ चड्डी में थी। चड्डी उतारने में मुझे शर्म आ रही थी। मौसी ने सीटी बजाकर कालू को बुलाया। कालू ने पीछे से आकर मेरी चूचियां जोर से मसलीं। मैं “उई…” चिल्लाई। उसी बीच राजू नाम का एक और मूंछ वाला गुंडा आया और उसने मेरी चड्डी एक झटके में उतार दी। अब मैं पूरी नंगी थी।

मौसी ने मेरी झांटों वाली चूत देखकर कहा, “साली, तू पति को भी मस्ती ठीक से नहीं देती? ये क्या काला जंगल उगा रखा है?” उन्होंने एक रंडी को इशारा किया, और वो झांट साफ करने वाली क्रीम ले आई। मौसी ने मेरी चूत पर क्रीम लगाई और मुझे एक गद्दे पर बैठने को कहा। पांच मिनट बाद मोनी नाम की रंडी ने मेरी चूत को गीले कपड़े और पानी से साफ किया। अब मेरी चिकनी चूत चमक रही थी। मेरी शर्म धीरे-धीरे कम हो रही थी।

मौसी बोलीं, “छह बज गए। धंधे का टाइम हो रहा है। मैं जरा कोठे का जायजा लूं। तू मोनी के साथ घूम और रंडियों की तरह मटक।” उन्होंने मोनी को मेरे साथ ड्यूटी पर लगाया और कहा, “आठ बजे तेरे ऊपर भी एक-दो माहक चढ़वाती हूं।” मोनी ने मुझे बताया, “रानी, तू मेहमान है, इसलिए मौसी इतने प्यार से बात कर रही हैं। वरना जो रंडी गुस्सा करवाए, उसकी गांड और चूत पूरी रात अपने मूंछ वालों से चुदवाती हैं। उनके लंड मोटे और लंबे हैं। मौसी की एक इशारे पर ये जेल पहुंच जाते हैं। चल, तुझे कोठे की सैर कराती हूं।”

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मोनी ने मुझे एक पेटीकोट और ब्लाउज दिया, जो बहुत टाइट था। ब्लाउज में सिर्फ एक हुक था, जिससे मेरी चूचियां आधी बाहर झांक रही थीं। पेटीकोट मेरी नाभि के काफी नीचे बंधा था। मैं बिल्कुल रंडी जैसी लग रही थी। मौसी की क्रीम से मेरी चूत में लंड खाने की इच्छा और बढ़ रही थी। मैंने मोनी से कहा, “मोनी, मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही है।” मोनी हंस पड़ी, “मौसी तुझे चुदवाकर ही छोड़ेंगी। बड़की गुरु हैं वो।”

मोनी मुझे डांस रूम में ले गई। वहां मौसी गद्दी पर बैठी थीं, और चारों तरफ उनके मूंछ वाले घूम रहे थे। पांच-छह रंडियां अधनंगी होकर डांस कर रही थीं। वो लहंगे बार-बार उठाकर अपनी चूत दिखा रही थीं। कुछ माहक नोट फेंक रहे थे। मोनी ने बताया, “यहां तीन रेट की रंडियां हैं। सस्ती वाली 100-300 रुपये घंटा, साइड वाली 500-1000 रुपये, और मौसी के पास वाली 1000 से ऊपर।”

मौसी हर माहक का ध्यान रखती थीं। अगर कोई रंडी मस्ती नहीं देती, तो उसकी खाल उतार देती थीं। मोनी ने बताया कि एक रंडी ने नेताजी का लंड चूसने से मना किया था, तो मौसी ने उसे जला दिया। अब वो सब करती है। मौसी की बातों और कोठे के नजारों से मेरी चुदने की इच्छा बढ़ती जा रही थी।

शाम सात बजे मौसी ने मुझे अपने पास बुलाया। मैं उनके बगल में बैठ गई। डांस रूम में भीड़ बढ़ गई थी। मौसी बोलीं, “30 लड़कियां चुदने जा चुकी हैं। 25-30 बाकी हैं। आठ बजे तक सब बिक जाएंगी।” तभी एक माहक आया और सोना नाम की रंडी का दाम पूछने लगा। मौसी ने कहा, “5000 रुपये। चूत और गांड दोनों चुदवाएगी।” माहक ने 3000 की पेशकश की, लेकिन मौसी ने डांटते हुए कहा, “तेरा 8 इंच का लंड गांड फाड़ देता है। पिछली बार रेशमा एक घंटे तक उठ नहीं पाई थी। चल, 4000 दे और ले जा।”

मौसी ने राजू से सस्ती रंडियों का हिसाब लिया। राजू बोला, “20 धंधे पर बैठी हैं। 30 को निपटा चुकी हैं। कुल 14000 रुपये जमा हुए।” मौसी ने पूछा, “टॉप पर कौन है?” राजू ने बताया, “अंगूरी टॉप पर है। 1200 रुपये उसके नाम हैं।” मौसी ने पप्पू से 500-1000 वाली रंडियों का हिसाब लिया। पप्पू बोला, “24 लड़कियां धंधे पर हैं। 16000 रुपये जमा हुए।”

मौसी ने देखा कि रेखा और सीमा कम बिक रही थीं। वो गुस्से में बोलीं, “कल से इन सलियों को सस्ती वाली में बैठाऊंगी। रिक्शे वालों से चुदवाएंगी, तब मजा आएगा।” तभी दो लड़के मेरी तरफ आए और बोले, “मौसी, नया माल है। कितने में दोगी?” मौसी ने मेरी चूचियों का हुक खोल दिया। मेरी गोल-गोल चूचियां बाहर निकल पड़ीं। मैं शर्म से मर गई और उन्हें ढक लिया। मौसी डांटीं, “नखरे किए तो यहीं मूंछ वालों से चुदवा दूंगी।” मैंने हाथ हटा लिया।

लड़कों ने कहा, “मौसी, इसके संतरे लाजवाब हैं। 5000 में दो घंटे दे दो।” मौसी ने कहा, “10000 से कम नहीं। नई रंडी है।” एक लड़के ने मेरी चूचियां कसकर मसलीं। मेरे मुंह से “आह… ऊह…” निकल गया। मेरी चूत पानी-पानी हो रही थी। मौसी ने दो दूसरी रंडियां उनके हवाले कर दीं और मुझसे कहा, “मजा आया? तेरी चूचियां दिखाकर दोनों 2000 में उठा दीं।”

मैंने कहा, “मौसी, बहुत मजा आया।” मौसी बोलीं, “अभी तो तूने लंड पकड़ा भी नहीं। फुल मस्ती कर। चूत और गांड तभी चुदेगी जब तू कहेगी।” तभी मौसी ने कहा, “चल, अब नीचे माहकों की गोद में बैठ।” मोनी मुझे हॉल में ले गई। वहां सस्ती रंडियों की चुदाई चल रही थी। एक मोटी औरत पर 50 साल का बूढ़ा चढ़ा था। मोनी बोली, “देख, इसका लंड झड़ा पड़ा है, फिर भी चूत पर चढ़ा है।”

हम ऊपर वाली मंजिल पर गए, जहां 500-1000 वाली रंडियां चुद रही थीं। मोनी ने एक छेद से झांकने को कहा। मैंने देखा, एक लड़की लॉलीपॉप की तरह लंड चूस रही थी। लड़का बोला, “रानी, घोड़ी बन।” उसने लड़की की चूत में 6 इंच का लंड एक झटके में घुसा दिया। लड़की चिल्लाई, “आह… मर गई…” लड़के ने तेज-तेज धक्के मारे। मैं ये सब देखकर गरम हो गई। मेरी चूत से पानी रिसने लगा।

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मोनी ने मेरी गांड में उंगली डाल दी। मैं चिल्लाई, “उई… मर गई!” मोनी हंसी, “दूसरे की गांड चुदाई देखने में मजा आ रहा है? रात को तेरी बारी आएगी।” मैंने कहा, “मोनी, अब चुदने का बहुत मन कर रहा है।” मोनी बोली, “चुदेगी तू। मौसी तुझे मोटे लंड से चुदवाएंगी।”

हम सबसे ऊपरी मंजिल पर गए, जहां महंगी रंडियां चुदती थीं। एक कमरे में एक माहक रंडी को गोद में बिठाए था, उसका लंड उसकी चूत में घुसा था। मैं ये सब देखकर पागल हो रही थी। राजू बोला, “रानी, तेरा माल देखकर मेरा लंड खड़ा है। चूचियों का दूध तो पिला।” मैंने हंसते हुए कहा, “चल, थोड़ा दूध पिला देती हूं।”

हम एक खाली कमरे में गए। मैंने ब्लाउज का हुक खोला। मेरी चूचियां बाहर निकल पड़ीं। राजू ने उन्हें जोर-जोर से चूसा। मेरी चूत से पानी बहने लगा। मैं बोली, “राजू, मेरी चूत फाड़ दो। मेरे होंठ चूस डालो।” राजू ने मुझे कसकर भींच लिया और मेरे होंठ चूसने लगा। तभी मौसी आ गईं और मेरे चूतड़ों पर जोर से मारा, “रंडी रानी, यहां रंडीबाजी कर रही है?”

मैंने कहा, “मौसी, अब मुझे चुदवाओ। मेरी चूत फड़क रही है।” मौसी बोलीं, “पहले लंड से खेलना सीख।” राजू ने अपना 8 इंच का मोटा लंड बाहर निकाला। मैंने उसे कसकर पकड़ा और मसलने लगी। मौसी ने कहा, “रानी, इसका लंड चूस।” मैंने भूरा नाम के मूंछ वाले का काला लंड मुंह में लिया। पहले तो घिन आई, लेकिन चूसने में मजा आने लगा।

मौसी ने मुझे और मोनी को सात रंडियों के साथ हाल में भेजा। हम सब नंगी थीं, सिर्फ चूचियों पर चुन्नी और चूत पर पतली चड्डी थी। मौसी बोलीं, “माहक तुम्हारी चूत सहलाएंगे, तुम उनके लंड मसलो।” हाल में माहकों की भीड़ थी। दो रंडियां नंगी होकर नाच रही थीं। मैंने अपनी चूत पर केला फेरा और माहकों को चुम्मी फेंकी। मेरा दाम 2200 में लगा। एक नेताजी ने मुझे गोद में बिठाया और मेरी चूचियां मसलने लगा। मैंने उसका 6 इंच का लंड मसला। मेरी चूत पानी-पानी हो रही थी।

नेताजी मेरी चूत में उंगलियां डाल रहे थे। तभी पुलिस आई और नेताजी को पकड़ लिया। मौसी ने बताया कि वो बैंक डकैत था। इसके बाद एक 55 साल का बूढ़ा मेरे पास आया। उसने मेरी चूचियां मसलीं और बोला, “तेरी चूचियां मेरी बहू जैसी हैं।” मैंने उसका 4 इंच का लंड मसला। उसने पानी छोड़ दिया।

तभी छोटा खलील और उसका चेला आया। मौसी ने कहा, “ये 12000 दे चुके हैं। चुदाई का मजा ले।” खलील ने मेरी चूचियां मसलीं और 8 इंच का लंड मेरी चूत पर फेरा। उसने एक झटके में लंड अंदर पेल दिया। मैं चिल्लाई, “उई… मर गई… फट गई…” खलील ने तेज-तेज धक्के मारे। “फच-फच” की आवाज कमरे में गूंज रही थी। मेरी चूत में आग लग रही थी। तभी उसका फोन बजा, और वो भाग गया।

मौसी ने मुझे और मोनी को अपने कमरे में बुलाया। वहां हब्शी कोबरा आया। मौसी ने सीमा की गांड चुदवाकर सजा दी। फिर कोबरा ने मौसी को चोदा। उसका 11 इंच का लंड देखकर मैं कांप गई। मौसी ने कहा, “रानी, अब मोंटी साहब आएंगे। तेरी चूत का उद्घाटन होगा।”

मौसी ने मेरी चूत और गांड में क्रीम डाली। हम मोंटी साहब के पास गए। वो 40 साल के थे, मूंछों वाले, और काले चश्मे में खतरनाक लग रहे थे। मोंटी ने मुझे गोद में बिठाया और मेरी चूचियां चूसने लगा। उसने मेरी चूत में उंगली डाली। मैं “आह… ऊह…” कर रही थी। उसने अपना 9 इंच का लंड मेरी चूत में घुसाया। “फच-फच” की आवाज के साथ वो मुझे चोदने लगा। मैं चिल्लाई, “उई… मर गई… जोर से चोदो!” मोंटी ने 20 मिनट तक मुझे चोदा। मेरा पानी दो बार निकला। उसने मेरे मुंह में अपना रस डाला। मैंने लपालप पी लिया।

मौसी बोलीं, “रानी, तू अब मेरे कोठे की रंडी बन गई।” साठियों, मैंने कोठे की मस्ती में खुद को रंडी बनने दिया। आपको ये कहानी कैसी लगी, बताइए।

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