मम्मी पापा के साथ अनोखी वॉक

मेरी कहानी का पिछला भाग पढ़ें: पापा के साथ मॉर्निंग वॉक

वॉक से आने के बाद हम तीनों ने बातें की। फिर हमने चाय पी। चाय पीकर मम्मी तो वापस घर के काम में लग गई और मैं और पापा बाहर के कमरे में जाकर बैठ गए। हम दोनों एक ही चारपाई पर दीवार का सहारा लेकर बैठे थे। पापा मेरी चूत सहला रहे थे और मैं पापा का लंड। तब तक मुझे पापा के सामने लंड, चूत, गांड जैसे शब्द बोलने में हिचक थी। पर पापा तो खुलकर बोलते थे। फिर पापा बोले, “तुम्हारी चूत बहुत गर्म है।” मैं भी हिम्मत करके बोली, “आपका लंड भी तो काफी गर्म है।” पापा हंसकर बोले, “क्या बोली?” मैं चुप रही। तब पापा बोले, “अब शर्म कैसी? सब कुछ तो कर चुके हैं, फिर ये बोलने में क्या शर्म?” मैंने कहा, “कहीं आपको बुरा न लगे, इसलिए नहीं बोलती थी।” पापा बोले, “इसमें बुरा क्या? चलो, आज से खुलकर बोलना शुरू कर दो।” मैंने हंसते हुए कहा, “पापा, आपका लंड बहुत अच्छा है।” ये बोलकर मुझे हंसी आ गई और पापा भी हंस पड़े। फिर मैं जानबूझकर चूत-लंड की बातें करने लगी, बिना किसी शर्म के। मैं तो वैसे भी फ्रैंक थी, और अब तो खुली छूट मिल गई थी। पापा मुझे बहुत पसंद करते थे, उन्हें मुझसे प्यार हो गया था। मैं भी उनसे प्यार करने लगी थी। फिर मैंने पापा से कहा, “चलो नहाते हैं।” पापा बोले, “आज मैं तेरी चूत को खूब रगड़कर साफ करूंगा।” मैंने भी जवाब दिया, “और मैं आपके लंड को खूब रगड़ूंगी।” पापा हंस पड़े।

फिर हम दोनों बाहर के कमरे से आंगन में आए। मम्मी तब खाना बना रही थी। मम्मी ने भी हमें नहाने को कहा। पापा बोले, “आज मैं अपनी बेटी की चूत अच्छे से साफ करूंगा।” मैंने हंसकर कहा, “फिर मम्मी की चूत कौन साफ करेगा?” पापा बोले, “वो भी मैं ही करूंगा।” मम्मी बहुत बिंदास थी, वो हंसने लगी। फिर मैं और पापा नहाने वाली जगह गए। पहले पापा ने मुझे पानी से भिगोया, फिर मेरे शरीर के हर हिस्से पर साबुन लगाया। मेरी चूत, गांड, बूब्स, सब पर ध्यान से साबुन लगाया। फिर मैंने भी पापा को साबुन लगाया, उनके लंड को खूब अच्छे से साफ किया। फिर हमने एक-दूसरे पर पानी डाला और साबुन उतारा। कमरे में वापस आकर हमने एक-दूसरे को तेल लगाया। मैंने पापा के लंड और सिर पर तेल लगाया, और पापा ने मेरे बालों, बूब्स, चूत और गांड पर। फिर हम उसी बेड पर लेट गए। मम्मी बोली, “मैं थोड़ा काम करके नहाकर आती हूं, फिर सब साथ में खाना खाएंगे।” हमने कहा, “ठीक है।”

पापा मेरे बूब्स चूसने लगे, फिर मेरे ऊपर आ गए। वो ध्यान रख रहे थे कि मेरे पेट पर दबाव न पड़े। फिर वो मेरी पूरी बॉडी पर kiss करने लगे। मैं मजे में सिसकारियां ले रही थी। पापा मेरी चूत चूसने लगे, तो मैंने अपने पैर बंद कर लिए, जिससे उनका मुंह मेरी चूत में दब गया। मैं अपने बूब्स सहला रही थी। तभी मम्मी नहाकर आ गई। वो तेल लगाने लगी और हमें देख रही थी। कुछ देर बाद मैं झड़ गई। पापा ने मेरा सारा पानी पी लिया। मैं तो पैर फैलाकर लेट गई। फिर मम्मी ने पास आकर पापा का लंड पकड़ लिया। पापा ने मम्मी को मेरे बगल में लिटाया और उनके साथ करने लगे। फिर पापा ने मम्मी को घोड़ी बनाया। मम्मी के बूब्स मेरे सामने लटक रहे थे, तो मैंने उन्हें पकड़कर दबाना शुरू कर दिया। पापा तेजी से चुदाई कर रहे थे, पूरा बेड हिल रहा था। फिर पापा झड़ गए और मम्मी के ऊपर लेट गए। इतनी जोरदार चुदाई के बाद वो हांफ रहे थे। सांस ठीक होने पर हमने खाना खाया।

इसे भी पढ़ें   गाँव की देसी भाभी की देसी चुदाई

खाना खाकर हम बेड पर लेट गए। पापा बीच में थे, मैं और मम्मी उनकी बगल में। पापा बोले, “सुबह हम जल्दी चलेंगे, नंगे ही चलेंगे।” मम्मी बोली, “अगर किसी ने देख लिया तो?” पापा बोले, “तो क्या, वो तुम्हें देखकर ही मर जाएगा।” फिर पापा मम्मी की बॉडी की तारीफ करने लगे। मम्मी पहले मोटी थी, पर अब वो पहले से काफी पतली हो गई थी। नंगी रहने से वो अपनी फिगर का ख्याल रखने लगी थी। उनके बूब्स और गांड थोड़े बड़े थे, पर पेट कम होने से वो बहुत सेक्सी लगने लगी थी। मम्मी अब ज्यादातर घर का काम अकेले करती थी, जिससे उनकी अच्छी एक्सरसाइज हो जाती थी। खाना भी कम कर दिया था, इसलिए वो पहले से स्लिम हो गई थी। फिर हमें नींद आने लगी। तभी कोई बाहर आया। पापा ने जल्दी से लुंगी लपेटी और बाहर गए। मैं और मम्मी ने कपड़े पहने और बाहर आए। गांव की एक दाई आई थी, जो कई डिलीवरी करा चुकी थी। वो मम्मी से कुछ काम की बात करने आई थी। मैं भी उनके पास बैठ गई। दाई ने मुझसे पूछा, “कौन सा महीना चल रहा है? तबीयत कैसी है?” मैंने उसे बता दिया। फिर मैं चाय बनाने रसोई चली गई। गर्मी से मैं पसीने में भीग गई, मेरे बूब्स कपड़ों से दिखने लगे।

चाय लेकर आई तो दाई बेड पर पड़ी मैगजीन देख रही थी। मम्मी बोली, “ये इसकी है।” फिर मम्मी ने मुझे मैगजीन साइड में रखने को कहा। मैंने एक मैगजीन उठाई और रसोई वापस चली गई। फिर पापा को चाय देने बाहर गई। पसीने से मेरी हालत खराब थी, और मैं वो मैगजीन लिए थी, जिसे दाई ने देख लिया। शायद उसे कुछ समझ नहीं आया। बाहर कमरे में पापा नंगे लेटे थे, अपना लंड हिला रहे थे। मैं भी नंगी होकर उनके पास लेट गई। हम मैगजीन देखने लगे और गर्म हो गए। पापा मेरी बॉडी से खेलने लगे, फिर मेरे सामने घुटनों पर खड़े हो गए। मैं उनका लंड हिलाने लगी। तभी लाइट चली गई। मैं उनका लंड चूसने लगी। पापा जोर-जोर से आवाजें कर रहे थे। हम दोनों पसीने से भीग गए थे। कमरा बंद था, हवा नहीं आ रही थी। फिर पापा मेरे मुंह में झड़ गए। मैंने उनका सारा पानी पी लिया। पापा ने लुंगी लपेटी और अंदर चले गए। मैंने नाइटी पहनी और मम्मी-दाई के पास बैठ गई। वहां लोटे में पानी था, मैं पीने लगी। थोड़ा पानी मेरी नाइटी पर गिर गया, जिससे मेरे बूब्स साफ दिखने लगे। मैंने पोंछने की एक्टिंग की। दाई मुझे देखकर हंसने लगी। वो और मम्मी गांव की औरतों की बातें कर रही थी, खुलकर बोल रही थी। मैं चुपचाप उनकी बातें सुन रही थी।

इसे भी पढ़ें   होटल रूम में मौसी को चुदवाया

पापा नहाने लगे और तौलिया मांगा। मैं तौलिया लेकर गई। बाहर देखा तो पापा नंगे नहा रहे थे। मैं हंसते हुए उनके पास गई। पापा ने मुझ पर पानी के छींटे मारे, मैं गीली हो गई। फिर पापा बाहर के कमरे में चले गए। मम्मी ने चाय बनाने को कहा। मैंने चाय बनाई और मम्मी-दाई को दी। दाई बोली, “तुझे गर्मी ज्यादा लगती है।” मैंने कहा, “हां,” और हम हंसने लगे। फिर मैं पापा को चाय देने गई। वहां नंगी हो गई। दाई जाने लगी तो मम्मी उसे गेट तक छोड़ने गई। पापा ने मुझे खिड़की के पास झुकाकर खड़ा किया और पीछे से चुदाई शुरू की। हम मम्मी और दाई को देख रहे थे। वो दूर गए तो पापा ने स्पीड बढ़ा दी। मेरे मुंह से आवाजें निकलने लगी। पापा झड़ गए, उनका पानी मेरे अंदर गया। दाई जा चुकी थी, मम्मी गेट बंद करके आई। हम बाहर चौकी पर आए। मैंने गांड निकालकर कहा, “पापा, आपने तो मेरी गांड का बुरा हाल कर दिया।” पापा हंसने लगे और मेरी गांड सहलाने लगे। मम्मी आई तो पापा ने पूछा, “दाई क्या कह रही थी?” मम्मी बोली, “बस गांव की बातें।” मैंने कहा, “नीरू की डिलीवरी तुम्हें करवानी है।” दाई बोली, “वो आएगी।”

शाम हो गई। मम्मी नंगी होकर काम में लग गई। मैं और पापा पहले उनके साथ गए, फिर बाहर चौकी पर बैठ गए। फिर हम राउंड लगाने लगे। अंधेरा हो गया तो नहाकर चौकी पर बैठ गए। मैं और पापा अलग-अलग चारपाई पर थे। मैं पीठ करके लेटी थी, अपनी गांड पर हाथ फेर रही थी। पापा मेरी गांड देखकर लंड सहला रहे थे। मैं उन्हें गांड खोलकर दिखा रही थी। पापा से रहा नहीं गया, वो मेरे पास आए, मेरी गांड में मुंह दिया, थूक लगाया और पीछे से लंड डालकर चुदाई शुरू की। मैं उनका साथ दे रही थी। पापा झड़ने वाले थे, वो मेरे ऊपर आए, घुटनों पर खड़े होकर मेरा सारा पानी मेरे बूब्स पर निकाला। मैं उस पानी को बूब्स पर मसलने लगी। मम्मी खाने बुलाने आई। पापा मेरे ऊपर से हटे। मम्मी ने मुझे बूब्स धोने को कहा। मैं धोकर आई। फिर हमने खाना खाया। खाने के बाद मैं और पापा बाहर आए। मम्मी भी आई। पापा ने मम्मी को पकड़ लिया और उनकी बॉडी से खेलने लगे। मैं उन्हें देख रही थी। दोनों गर्म हो गए। पापा मम्मी के ऊपर आए और चुदाई शुरू की। मम्मी पूरा साथ दे रही थी। मुझे देखते-देखते नींद आ गई।

सुबह पापा का 3 बजे का अलार्म बजा। पापा ने पहले मम्मी को, फिर मुझे उठाया। हम तीनों मुंह धोकर नंगे ही चल पड़े। गेट खोलकर बाहर आए और सड़क पर चलने लगे। पापा ने टॉर्च ली थी। मैं और मम्मी आगे थी, पापा पीछे से हम पर टॉर्च की लाइट मार रहे थे। मम्मी बोली, “लाइट मत जलाओ, कोई देख लेगा।” पापा बोले, “कोई नहीं देखेगा।” हम हाथ हिलाकर कसरत करने लगे। घर से काफी दूर आ गए थे। फिर मुझे और मम्मी को लैट्रिन लगी। हमने पापा से कहा। पापा बोले, “यहीं कर लो, यहां कौन आएगा?” मम्मी बोली, “पानी नहीं लाए।” पापा बोले, “घर जाकर धो लेना।” मम्मी सड़क किनारे बैठकर करने लगी। मैं झुककर करने लगी। पापा पुलिया पर बैठे थे। उन्होंने मुझे अपने पैरों पर बैठने को कहा। मैंने थोड़ा लैट्रिन किया, फिर उनके पास गई। उनकी तरफ मुंह करके उनके पैरों पर बैठी। लैट्रिन और पेशाब करने लगी। मेरा पेशाब पापा के लंड पर गिर रहा था। मम्मी भी करके आ गई। मैंने भी कर लिया और पापा के पैरों से उतर गई। पापा मेरे पेशाब से भीग गए थे।

इसे भी पढ़ें   Makan malkin bhabhi ki sexy ada par mera lauda fida

फिर हम चलने लगे। पापा पीछे से हमारी गांड पर लाइट मार रहे थे। मैंने मम्मी से कहा, “पीछे की ओर गांड निकालकर दिखाओ।” मम्मी ने वैसा किया, फिर मैंने भी। पापा गर्म हो गए। वो हमारे पास आए और हमारी गांड दबाने लगे। फिर पापा ने मम्मी से सड़क पर घोड़ी बनने को कहा, बोले, “आज तुझे सड़क पर चोदूंगा।” मम्मी गर्म थी, वो घोड़ी बन गई। पापा ने चुदाई शुरू की। दोनों सब भूलकर चुदाई में मगन थे। मैं भी मम्मी के बगल में घोड़ी बन गई। पापा मेरी चूत में उंगली करने लगे। फिर वो कभी मम्मी की गांड में लंड डालते, कभी चूत में। मम्मी झड़ गई। पापा मेरे पीछे आए और मेरी चूत में लंड डालकर करने लगे। फिर वो झड़ गए। उनका लंड और हाथ हमारी लैट्रिन से भर गया था। पापा ने पत्तों से हाथ पोंछ लिया। हमें बहुत मजा आया।

आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

थोड़ी देर बाद दिन उगने लगा, अंधेरा कम हुआ। हम वापस चलने लगे। पूरा दिन निकल गया और हम सड़क पर नंगे थे। हम जल्दी-जल्दी चलने लगे, फिर भागने लगे। पापा बोले, “कोई आए तो खेतों में चले जाएंगे।” पर कोई नहीं आया। हम घर के सामने पहुंचे। थोड़ी देर सड़क पर खड़े रहे, इधर-उधर देखा। फिर घर आए। पहले नहाए, फिर चौकी पर बैठकर चाय पी। मैंने मम्मी से पूछा, “कैसा लगा?” मम्मी बोली, “मजा तो बहुत आया, पर ये रिस्की है। जब तक पकड़े न जाएं, तब तक मजा है। अगर किसी को पता चला तो बेइज्जती होगी।” मैंने कहा, “आगे से ध्यान रखेंगे।” मम्मी बोली, “सड़क के बजाय खेत में नंगे घूम लिया करें, वहां रिस्क कम है।” पापा बोले, “हां, ये ठीक है। कभी मन किया तो सड़क पर चले जाएंगे।” फिर मम्मी भैंसों का दूध निकालने लगी, मैं घर का काम करने लगी। पापा खेत देखने गए। इस तरह हम नंगे घूमकर आए। मेरी डिलीवरी तक हम ऐसे ही मस्ती करते रहे। आठवां महीना लगा तो मैं ज्यादातर आराम करती थी।

अगले भाग में बताऊंगी कि मेरी डिलीवरी कैसे हुई…

Related Posts

Report this post

1 thought on “मम्मी पापा के साथ अनोखी वॉक”

Leave a Comment