मामी ने मुठ मारना सिखाया

दोस्तो, मेरा नाम पुष्पेंद्र है। मैं पटना का रहने वाला हूँ, उम्र 21 साल है और अभी इंजीनियरिंग कर रहा हूँ। मैं एकदम ठरकी किस्म का बंदा हूँ, लेकिन अब तक किसी लड़की को चोदा नहीं है। हर रोज़ पोर्न वीडियो देखता हूँ, सेक्स स्टोरी पढ़ता हूँ और अपने लंड को सहलाता हूँ। ये सब करते वक्त मुझे इतना जोश चढ़ जाता है कि बस पूछो मत। सेक्स चैट करना भी मुझे बहुत पसंद है। जब भी मैं ऐसी चीजें देखता या पढ़ता हूँ, मेरा लंड एकदम टाइट हो जाता है और मैं बेकाबू सा हो जाता हूँ।

अब मैं तुम्हारा ज्यादा टाइम ना लेते हुए अपनी कहानी पर आता हूँ। जैसा कि मैंने बताया, मैं अभी तक वर्जिन हूँ। ये कहानी मेरी एक फंतासी है, जिसमें मैंने अपनी हवस को खुलकर जिया है। ये कहानी मेरी मामी की है, जो दिल्ली में रहती हैं। मेरी मामी का नाम रीना है, और वो एकदम टॉप का माल है। उनकी उम्र 30 साल के आसपास है, और उनका फिगर 34-32-36 तो होगा ही। उनकी चूचियाँ इतनी बड़ी और टाइट हैं कि बस देखते ही लंड खड़ा हो जाए। उनकी मोटी गांड और गोरी चमड़ी देखकर मेरे मन में हमेशा वासना भड़क उठती थी। मैं हमेशा से ऐसी चूचियों को छूने और चूसने का सपना देखता था, लेकिन कभी मौका नहीं मिला।

मेरे मामा दिल्ली में नौकरी करते हैं। उनका एक 2 साल का बेटा है, जिसका नाम करण है। मैं दिखने में शरीफ सा लगता हूँ, लेकिन अंदर से इतनी हवस भरी है कि हर वक्त बस औरतों की चूचियों और गांड को ही ताड़ता रहता हूँ। ये बात उस वक्त की है जब मैं बोर्ड्स के एग्जाम देकर छुट्टियों में मामा के घर दिल्ली गया था। स्टेशन पर मामा मुझे लेने आए थे। हम दोनों घर के लिए निकल पड़े।

घर पहुँचते ही मामी ने दरवाजा खोला और मुस्कुराकर मेरा स्वागत किया। उनकी साड़ी में उनकी चूचियाँ एकदम उभरी हुई दिख रही थीं। उस वक्त मैंने ज्यादा कुछ नहीं सोचा, क्योंकि मैं नया-नया जवान हुआ था। हवस तो थी, लेकिन इतना ठरकी नहीं था कि अपनी मामी की चूत के बारे में सोचने लगूँ। मुझे मुठ मारने या चुदाई के बारे में ज्यादा कुछ पता भी नहीं था।

पहला दिन मैंने आराम से बिताया। अगले दिन मामा की छुट्टी थी, तो मैं उनके साथ दिल्ली घूमने निकल गया। हमने बाहर ही खाना खाया और रात को घर लौट आए। घर आकर मैंने थोड़ा टीवी देखा और फिर सोने चला गया। मामा-मामी अपने बेटे करण के साथ अपने रूम में सोने गए, और मैं दूसरे रूम में था। रात को मुझे नींद नहीं आ रही थी। मेरी आदत थी कि मैं देर रात तक फेसबुक और यूट्यूब पर वीडियो देखता रहता था। कभी-कभी किसी लड़की से चैट करते हुए अपने लंड को सहलाता रहता था। उसमें मुझे बहुत मज़ा आता था।

रात के करीब 12 बज गए थे। मैं अपने लंड को सहला रहा था। तभी मुझे पेशाब लगी, तो मैं बाथरूम की ओर गया। जाते वक्त मामा-मामी के रूम से कुछ धीमी-धीमी आवाजें सुनाई दीं। मैंने ध्यान से सुना तो मामी की आवाज थी, “आह्ह… आह्ह… ईस्स… थोड़ा आराम से करो ना, अगर पुष्पेंद्र सुन लेगा तो क्या सोचेगा?” मैं समझ गया कि मामा और मामी अंदर चुदाई कर रहे थे। मेरे मन में एकदम से जोश चढ़ गया, लेकिन हिम्मत नहीं हुई कि मैं उनकी चुदाई देखने की कोशिश करूँ। मैं डरता हुआ अपने रूम में वापस आ गया और अपने लंड को सहलाते हुए सो गया।

अगली सुबह रविवार था। मामा घर पर ही थे। मैं फ्रेश होकर किचन में गया, जहाँ मामी नाश्ता बना रही थीं। उनकी साड़ी में उनकी गांड एकदम गोल-मटोल दिख रही थी। मैंने पानी का गिलास भरते हुए पूछा, “मामी, रात में आपको कुछ हुआ था क्या?” वो चौंक गईं और बोलीं, “नहीं तो, मुझे क्या होने वाला था? तू ऐसा क्यों पूछ रहा है?” मैंने कहा, “पता नहीं, आपके रूम से कुछ दर्द भरी आवाजें आ रही थीं। मुझे लगा शायद आपकी तबीयत ठीक नहीं है।” मेरी बात सुनकर मामी की जुबान जैसे लड़खड़ा गई। वो हड़बड़ा कर बोलीं, “न… नहीं तो… ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।” फिर वो मेरे सामने आने से कतराने लगीं।

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दोपहर को मैंने मूवी देखी और शाम को बाहर घूमने चला गया। रात को खाना खाकर मैं फिर सोने चला गया। उस रात मैंने मामा-मामी के रूम की तरफ ध्यान दिया, लेकिन कोई आवाज़ नहीं आई। मैं निराश सा होकर सो गया।

अगले दिन मामा सुबह 8 बजे ऑफिस चले गए। मैं मामी के साथ ड्राइंग रूम में बैठकर बातें कर रहा था। तभी करण रोने लगा। वो अभी छोटा था, उसे बार-बार संभालना पड़ता था। मामी ने उसे गोद में लिया और मेरे सामने ही अपनी साड़ी का पल्लू सरकाकर ब्लाउज़ के ऊपर से अपनी चूची बाहर निकाली। करण को दूध पिलाने लगीं। उनकी मोटी, गोरी चूची देखकर मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं। मैं बस उनकी चूची को घूरता रहा। उनका निप्पल गुलाबी और टाइट था, और चूची इतनी भरी हुई थी कि बस मन कर रहा था कि उसे पकड़ लूँ।

मामी ने मुझे घूरते हुए देख लिया और बोलीं, “क्या देख रहा है?” मैं घबरा गया और बोला, “कुछ नहीं मामी, सॉरी।” वो हँसकर बोलीं, “ठीक है, कोई बात नहीं।” फिर पता नहीं उनके मन में क्या आया, वो पूछ बैठीं, “पुष्पेंद्र, तूने अभी तक कोई गर्लफ्रेंड बनाई है कि नहीं?” मैंने शर्माते हुए कहा, “नहीं मामी, मेरी तो कोई गर्लफ्रेंड नहीं है।” वो बोलीं, “ऐसा कैसे हो सकता है? तू जवान हो गया है। अभी तक बस हाथ से ही काम चला रहा है क्या?” मैंने अनजान बनते हुए कहा, “मामी, मैं आपकी बात समझा नहीं। हाथ से मतलब?” वो हँस पड़ीं और बोलीं, “नाटक मत कर, सीधे-सीधे बता, मुठ नहीं मारता क्या?”

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मुझे मुठ मारने का मतलब तो थोड़ा-थोड़ा पता था, लेकिन मैंने अनजान बनकर कहा, “मुठ क्या होता है, मामी?” वो बोलीं, “अच्छा, तुझे सच में नहीं पता? इतना बड़ा हो गया है, अपनी हवस को कैसे कंट्रोल करता है?” मैंने कहा, “मामी, आप साफ-साफ बताओ ना, क्या कहना चाह रही हो?” वो बोलीं, “अच्छा, सेक्स के बारे में तो पता होगा, या वो भी नहीं पता?” मैंने शरमाते हुए कहा, “हाँ, उसमें तो लड़की को किस करते हैं।” वो ज़ोर से हँस पड़ीं और बोलीं, “किस से तो बहुत आगे की बात होती है। तुझे तो कुछ भी नहीं पता। अच्छा, ये बता, तूने कभी अपने लंड को हिलाने की कोशिश नहीं की? अगर तू अपने लंड को हिलाएगा तो तुझे बहुत मज़ा आएगा।”

मुझे अपने लंड को सहलाने की आदत तो थी, लेकिन मामी शायद कुछ और बात कर रही थीं। मैंने कहा, “मुझे तो नहीं पता कि लंड को कैसे हिलाया जाता है।” मामी ने मुस्कुराकर कहा, “कोई बात नहीं, मैं तुझे सिखा दूँगी, लेकिन ये बात किसी को बताना मत।” मैंने हाँ में सिर हिलाया।

मामी करण को दूध पिला रही थीं। दूध पिलाते-पिलाते उन्होंने अपना पल्लू पूरी तरह हटा दिया। उनकी गोरी, भरी हुई चूचियाँ मेरे सामने नंगी थीं। मैं बस फटी आँखों से देखता रहा। उनकी चूचियों का गोलापन, गुलाबी निप्पल, और वो मुलायम चमक मेरे दिमाग को हिला रही थी। मामी बोलीं, “पहले कभी नहीं देखा क्या?” मैंने कहा, “मामी, देखा तो है, लेकिन इतने पास से कभी नहीं।” वो बोलीं, “कभी छूकर देखा है इनको?” मैंने शरमाते हुए कहा, “कभी नहीं।”

तभी मामी ने अपना ब्लाउज़ पूरी तरह खोल दिया। उनकी दोनों चूचियाँ बाहर लटक रही थीं। एक चूची को करण चूस रहा था, और दूसरी हवा में झूल रही थी। मैंने पूछा, “मामी, आपके दूध इतने बड़े कैसे हो गए?” वो हँसकर बोलीं, “पता नहीं, बस हो गए। ये करण दिनभर इन्हें चूसता रहता है, और तेरे मामा भी रात को इन्हें नहीं छोड़ते। दोनों बाप-बेटे मेरे दूधों को चूस-चूसकर शायद इतना बड़ा कर दिया।” मैंने पूछा, “मामाजी और क्या करते हैं इनके साथ?” वो बोलीं, “इनको दबाते हैं, चूसते हैं, और कभी-कभी तो काट भी लेते हैं।” मैंने पूछा, “आपको दबवाने में मज़ा आता है?” वो बोलीं, “हाँ, बहुत मज़ा आता है। तू भी दबाकर देखेगा?” मैंने शरमाते हुए कहा, “मुझे तो शर्म आती है, मामी।”

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मामी ने हँसकर कहा, “जब देख ही लिया तो अब दबाकर भी देख ले। मज़ा आएगा।” मैंने घबराते हुए अपने हाथ उनकी चूचियों की ओर बढ़ाए। मामी ने मेरा हाथ पकड़कर अपनी चूची पर रख दिया और बोलीं, “अब दबा!” मैंने हल्के-हल्के उनकी चूची को दबाना शुरू किया। वो इतनी मुलायम थी कि मेरे हाथ काँपने लगे। मेरा लंड एकदम टाइट हो गया। मैंने दोनों हाथों से उनकी चूचियों को दबाना शुरू किया। मामी ने करण को झूले में लिटा दिया, जो अब सो चुका था। फिर उन्होंने अपना ब्लाउज़ पूरी तरह उतार फेंका। उनकी दोनों चूचियाँ मेरे सामने नंगी थीं, और मैं बस उनको दबाता रहा।

मामी ने पूछा, “कैसा लग रहा है?” मैंने कहा, “मामी, बहुत मज़ा आ रहा है।” वो बोलीं, “लंड खड़ा हुआ?” मैंने शरमाते हुए कहा, “हाँ, एकदम टाइट हो गया।” मामी ने हँसकर कहा, “आज मैं तुझे मुठ मारना सिखाऊँगी। अपनी पैंट उतार दे।” मैं शरमा रहा था। उनके सामने पैंट उतारने में अजीब सा लग रहा था। वो बोलीं, “शरमा क्यों रहा है? मैंने भी तो तेरे सामने ब्लाउज़ उतारा है। तू भी उतार दे।” मैंने हिम्मत करके अपनी पैंट और अंडरवियर उतार दिया। मेरा लंड बाहर आ गया। मेरे झाँट घने थे, क्योंकि मैंने कभी उन्हें साफ नहीं किया था।

मामी ने मेरे लंड को देखा और मुस्कुराईं। बोलीं, “तू अपने बाल साफ नहीं करता क्या? कितने घने हैं!” मैंने कहा, “मामी, मैंने तो कभी यहाँ के बाल काटे ही नहीं।” वो बोलीं, “कोई बात नहीं, मैं शेव कर दूँगी। वैसे, मेरे पास भी नीचे बाल हैं, लेकिन मैंने पिछले हफ्ते शेव किया था। मुझे झाँटें बहुत पसंद हैं।” फिर वो बोलीं, “चल, अब मैं तुझे मुठ मारना सिखाती हूँ।”

मामी ने अपनी मुट्ठी बनाकर दिखाया और बोलीं, “इस तरह अपने लंड को मुट्ठी में पकड़।” मैंने वैसा ही किया। फिर बोलीं, “अब इसकी स्किन को नीचे कर।” मैंने स्किन नीचे की। वो बोलीं, “अब ऊपर कर।” मैंने ऊपर किया। फिर बोलीं, “अब ऐसे ही जल्दी-जल्दी कर।” मैंने अपने लंड को तेज़ी से ऊपर-नीचे करना शुरू किया, लेकिन बीच-बीच में रुक रहा था। मामी ने कहा, “रुक, मैं करके दिखाती हूँ।”

मामी ने मेरा लंड अपनी मुलायम मुट्ठी में पकड़ लिया। जैसे ही उनका हाथ मेरे लंड को छुआ, मेरे पूरे शरीर में करंट सा दौड़ गया। वो जोर-जोर से मेरे लंड को हिलाने लगीं। उनका गर्म हाथ मेरे लंड पर ऊपर-नीचे हो रहा था, और मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि मैं बता नहीं सकता। मेरी साँसें तेज़ हो गईं। मामी बीच में रुक गईं और बोलीं, “अब तू खुद कर। मैं जरा अपनी चूत को देख लूँ। मेरा भी मन कर रहा है।”

मामी ने धीरे-धीरे अपनी साड़ी खोल दी। फिर पेटीकोट और पैंटी भी उतार फेंकी। मेरे सामने वो बिल्कुल नंगी थीं। उनकी चूत पर हल्के-हल्के बाल थे, जो उनकी गोरी चमड़ी पर बहुत सेक्सी लग रहे थे। उनकी चूत गीली थी, और उसकी चमक मेरे दिमाग को हिला रही थी। मैं मुठ मारना भूलकर उनकी चूत को घूरने लगा। वो बोलीं, “क्यों रुक गया? ऐसे ही हिलाते रह। कुछ देर बाद तुझे ऐसा मज़ा आएगा जैसे करंट लगे।”

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मैंने फिर अपने लंड को हिलाना शुरू किया। मामी अपनी चूत को रगड़ने लगीं। वो अपनी उंगलियों से अपनी चूत को सहला रही थीं, कभी उंगली अंदर डाल रही थीं। उनकी साँसें तेज़ हो रही थीं, और वो आहें भर रही थीं, “आह्ह… ऊह्ह…” मैं उनकी चूत को देखते हुए अपने लंड को और तेज़ी से हिलाने लगा। उनकी चूत की गंध मेरे नाक में जा रही थी, और मेरा लंड एकदम पत्थर सा हो गया था।

मामी ने अपनी चूत में दो उंगलियाँ डाल दीं और तेज़ी से अंदर-बाहर करने लगीं। उनकी चूचियाँ हिल रही थीं, और वो मेरे लंड को देखकर और जोश में आ रही थीं। मैं भी उनकी चूत को देखकर पागल सा हो रहा था। कुछ ही देर में मुझे लगा कि मेरे लंड से कुछ निकलने वाला है। मैंने कहा, “मामी, लगता है कुछ निकलने वाला है।” वो बोलीं, “रुकना मत, हिलाते रह!”

पाँच-दस सेकंड बाद मेरा वीर्य छूट गया। गर्म-गर्म पिचकारी मेरे लंड से निकली और मेरे पेट पर गिर गई। मुझे ऐसा लगा जैसे सारी ताकत निकल गई हो। मामी मेरे वीर्य को देखकर और जोश में आ गईं। वो अपनी चूत को और तेज़ी से रगड़ने लगीं। उनकी उंगलियाँ उनकी चूत में गीली हो रही थीं, और वो ज़ोर-ज़ोर से सिसकारियाँ ले रही थीं, “आह्ह… हाय… और तेज़…” कुछ ही पल बाद वो भी झड़ गईं। उनकी चूत से गीला रस टपक रहा था, और वो हाँफते हुए मेरी ओर देखकर मुस्कुराईं।

मामी ने पूछा, “कैसा लगा?” मैंने हाँफते हुए कहा, “मामी, इतना मज़ा तो मैंने कभी नहीं लिया।” वो बोलीं, “तू इतने दिन इस मज़े से अनजान था, और तेरी मामी ने तुझे सिखाया। अब मुझे थैंक्स बोल।” मैंने कहा, “थैंक्स, मामी।” वो बोलीं, “ऐसे नहीं, इधर आ और मेरी चूचियों को चूस।” मैंने पहले उनकी चूचियों को फिर से दबाया, फिर एक निप्पल को मुँह में लिया और चूसने लगा। उनका निप्पल मेरे मुँह में गर्म और मुलायम था। मैंने दूसरी चूची को दबाते हुए चूसना जारी रखा। मामी की सिसकारियाँ फिर शुरू हो गईं, “आह्ह… पुष्पेंद्र… और चूस…”

हमने कुछ देर तक ऐसे ही मज़ा लिया। फिर मामी बोलीं, “सेक्स के बारे में मैं तुझे कल सिखाऊँगी। आज के लिए इतना बहुत है।” हमने अपने कपड़े पहने और किचन में चाय बनाने चले गए। उस रात जब मैं सोने की तैयारी कर रहा था, तो फिर मामा-मामी के रूम से आवाज़ें आईं। मामी की सिसकारियाँ, “आह्ह… और ज़ोर से… हाय…” सुनकर मैं समझ गया कि मामा उनकी चूत में लंड पेल रहे थे। मैं अपने रूम में लेटकर फिर मुठ मारने लगा, मामी की चूत और चूचियों को याद करते हुए।

दोस्तो, इस तरह मामी ने मुझे मुठ मारना सिखाया। उस दिन के बाद से मुझे मुठ मारने की लत लग गई। मैं हर रात अपने लंड को हिलाता और मामी की चूचियों और चूत को याद करता। अगली बार मैं बताऊँगा कि कैसे मामी ने मुझे चुदाई का मज़ा सिखाया।

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