मैंने बेटे से सिनेमा हॉल में चुदवाया-8

कहानी का पिछला भाग: मैंने बेटे से सिनेमा हॉल में चुदवाया-7

मैं करिश्मा, इकतालीस साल की औरत, जिसकी जवानी कोलकाता की गलियों में “मस्त माल” का तमगा दिलाती थी। मेरी गोरी चूचियाँ, चिकनी जांघें, और पतली कमर मर्दों की साँसें रोक देती थीं। मेरे पति विजय ने मुझे अपने बेटे विनोद से चुदवाने की खुली छूट दी थी। “मॉडर्न सिनेमा” की बालकनी में, विनोद से चुदने के बाद मैंने उसे एक अनजान औरत के साथ भेज दिया था। अब मैं लल्लन से चुद रही थी, उसका नौ इंच का मूसल मेरी चूत में तूफान की तरह टकरा रहा था।

बालकनी एक गंदी, अंधेरी जगह थी, जहाँ छह खटियाँ चुदाई के ताल पर चरमरा रही थीं। हवा में मर्दों की मर्दानी खुशबू, औरतों की सिसकारियाँ, और पर्दे से आती पोर्न फिल्म की आवाज़ें तैर रही थीं। मॉनसून की नमी खटियों को गीला कर रही थी, और दूर से कोलकाता की सड़कों का शोर सुनाई दे रहा था। मैं लल्लन की बाहों में थी, मेरी टाँगें उसकी कमर से लिपटी थीं, मेरी चूत उसके हर धक्के पर फुदक रही थी। मैं मस्ती की नदी में डूब रही थी। पाँच-सात मिनट की चुदाई में ही मैं समझ गई कि मेरी जवानी को इसी मर्द की ज़रूरत थी।

पास की खटिया पर विनोद और उस औरत, रश्मि, की चुदाई चल रही थी। उनकी खटिया चरमर रही थी, और उनकी बातें मेरे कानों में बिजली की तरह चलीं। “रश्मि रानी,” विनोद बोला, “मैंने अभी जिस औरत—मेरी माँ—को चोदा, वो ज़रूर मस्त, कड़क, चुदासी माल है। लेकिन तू भी गज़ब की है। मुझे और मेरे लौड़े को तेरा मज़ा बहुत आ रहा है।”

रश्मि ने सिसकारी, “विनोद, झूठ नहीं कहूँगी। मैं रंडीपन करती हूँ, लेकिन मेरा पति एक सरकारी कंपनी में मैनेजर है। बीच-बीच में मुफ्त की मलाई खाने यहाँ आती हूँ। लेकिन आज पहली बार असल लौड़े का मज़ा मिला। तू मुझे बहुत पसंद आया। जब चाहे मेरे घर आ, मुझे चोद। उस नमर्द के सामने चोदेगा, तो वो खुश होगा।”

मैंने मन में सोचा, कोई मैनेजर की बीवी इतना खुलकर नहीं बोलेगी। साली ज़रूर सोनागाछी की रंडी होगी। लेकिन विनोद इस बात से प्रभावित नहीं हुआ। “रश्मि रानी,” उसने कहा, “तू मैनेजर की घरवाली हो या सोनागाछी की रंडी, मुझे बस इतना पता है कि तू मस्त औरत है। तेरी रसीली चूत मेरे लौड़े को दीवाना कर रही है। मैं तुझे बार-बार चोदना चाहूँगा।”

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“ज़्यादा इंतज़ार क्यों?” रश्मि ने मादक लहजे में कहा। “यहाँ से निकलकर मेरे घर चल। तुझे पता चल जाएगा मैं कौन हूँ। उफ्फ, विनोद, तू सबसे बढ़िया है।”

रश्मि मस्ती से चुदवा रही थी। उसके साथ वाले दो मर्द, कपड़े पहनकर, मेरी खटिया पर आए और हमारी चुदाई देखने लगे। उनकी भूखी नज़रें मेरी नंगी चूचियों पर आग लगा रही थीं। मैं सिर्फ दिखावे के लिए नहीं, सचमुच मस्ती की सिसकारियाँ मार रही थी। लल्लन ने अपने ज़ोरदार धक्कों से मुझे खुश कर दिया। शादी के तेईस साल बाद भी मैं अपने प्रेमी कुंदन को नहीं भूल पाई थी, लेकिन लल्लन की चुदाई ने कुंदन को मेरे दिमाग से मिटा दिया।

“राजा,” मैंने सिसकारते हुए कहा, “मैंने सोचा था तेरा ये मूसल मेरी हालत खराब कर देगा। लेकिन मुझे ज़िंदगी में पहली बार चुदाई का असल मज़ा मिल रहा है। विजय बढ़िया चोदता है, विनोद ने भी मस्त चोदा, लेकिन सब तेरे सामने बेकार हैं।”

लल्लन ने तेज़ धक्के मारते हुए मेरी चूचियाँ सहलाईं और मुझे चूमा। उसकी साँसें मेरे चेहरे पर आग की तरह टकरा रही थीं। “रानी,” वो बोला, “मैंने छोटी उम्र से चुदाई शुरू की। अब पच्चीस साल से चुदाई कर रहा हूँ। मुझे बहुत कम औरतें पसंद आती हैं। तू मुझे पहली झलक में पसंद आ गई। मैं तुझे एक-दो बार नहीं, ज़िंदगी भर चोदना चाहता हूँ। जैसा उस दिन कहा था, मेरे साथ रिश्ता रखेगी, तो तेरा फायदा होगा।”

उसके हर धक्के पर मेरी कमर ऊपर उछल रही थी, मेरी चूत की नमी मेरी जांघों पर टपक रही थी। “फायदा हो या नुकसान,” मैंने कहा, “मैं तुझे नहीं छोड़ूँगी। तू और तेरा लौड़ा मुझे दीवाना कर चुके हैं। मैं तुझसे ज़िंदगी भर का रिश्ता चाहती हूँ।”

दोनों मर्द मेरे पास बैठकर हमारी चुदाई देख रहे थे। “मुझे तुम दोनों के सामने चुदवाना अच्छा नहीं लग रहा,” मैंने चिल्लाया। “जाओ, अपनी माल को देखो, मेरा यार उसे कितने प्यार से चोद रहा है।”

रश्मि ने मेरी बात सुन ली। “ये दोनों नमर्द बहुत अमीर हैं,” वो चिल्लाई। “मुझे बड़ी कीमत देकर एक घंटे के लिए बुक किया, लेकिन आधे घंटे में खल्लास हो गए। लगता है ये आपके साथ वक्त गुज़ारना चाहते हैं। मैं जवान हूँ, लोग मुझे सुंदर कहते हैं। लेकिन आप जैसा बढ़िया, खूबसूरत, कड़क माल कम ही होगा, और आपका यार भी वैसा मर्द है जैसा मैं चाहती थी। उफ्फ, विनोद, तूने मुझे मुफ्त में खरीद लिया।”

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रश्मि की बात सुनकर एक मर्द बोला, “मैडम, आपके जैसा बढ़िया माल हमने पहले नहीं देखा। आप जो माँगेंगी, हम देंगे। आपका रेट चार गुना, पाँच गुना देंगे। बस एक घंटा हमारे साथ गुज़ारिए।”

कुंदन ने मुझे मुफ्त में चोदा था। लल्लन के साथ भी कोई लेन-देन नहीं था। ये दो मर्द मेरी नंगी जवानी से खेलने को तैयार थे। मैं सोच ही रही थी कि लल्लन बोला, “तुम दोनों बाहर जाओ, और कल दोपहर दो बजे बड़े बाज़ार के संगम होटल में आ जाना। ये मैडम वहाँ तुमसे बात करेगी।”

मुझसे पूछे बिना लल्लन ने मेरी डील कर दी। मैं नाराज़ नहीं हुई। मैं नए मूसल का मज़ा लेना चाहती थी। लल्लन ने यकीन दिलाया कि मैं अगले दिन संगम होटल में रहूँगी, और वो अपनी खटिया पर लौट गए।

“मैंने तुमसे पूछे बिना कह दिया…” लल्लन ने शुरू किया। मैंने उसकी बात काटी। “तूने कल की बात की,” मैंने कहा। “तू मुझे आज होटल ले जाता, तो भी मैं चली जाती। राजा, तू मुझे बहुत पसंद आया। पति के अलावा तू पहला मर्द है जो मुझे चोद रहा है। तू और तेरा लौड़ा मुझे इतना पसंद आ गए कि मैं तेरी रंडी बनने को तैयार हूँ।”

लल्लन ने और तेज़ धक्का मारा, उसका मूसल मेरी चूत में तलवार की तरह चीर रहा था। “और विनोद?” उसने पूछा।

मैंने इधर-उधर देखा, फिर धीरे बोली, “चाहे मुझे ब्लैकमेल कर, सोनागाछी में कोठे पर बिठा। तुझसे झूठ नहीं बोलूँगी। पति के अलावा तू पहला मर्द है जो मुझे चोद रहा है। विनोद मेरा बेटा है। परसों तेरा लौड़ा चूसकर मैं इतनी चुदासी हो गई थी कि बेटे से चुदवा लिया। विनोद मेरा इकलौता बेटा है।”

लल्लन ने मुझे कसकर दबाया और चूमा। चुदाई करते हुए उसने धीरे कहा, “रानी, मैं तुम दोनों को बदनाम क्यों करूँगा? विनोद तुझे दो दिन से चोद रहा है। मैं जब विनोद से कई साल छोटा था, तब से अपनी माँ को चोद रहा हूँ। अब वो छप्पन-सत्तावन की है, फिर भी चोदता हूँ। पिछली रात उसे दो बार चोदा, उसकी गांड भी मारी।”

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“मुझे गर्म करने के लिए झूठ बोल रहा है,” मैंने हँसकर कहा। “मैं तुझे इतना पसंद करने लगी हूँ कि तू मुझे गली के कुत्तों से चुदवाए, तो भी चुदवा लूँगी।”

लल्लन अपने ताल में चोदता रहा। “तेरे इस लौड़े की कसम,” वो बोला, “इस लौड़े ने सबसे पहले अपनी माँ की चूत का स्वाद लिया। मैं तुझे सब बताता हूँ।”

रश्मि चिल्लाई, “उफ्फ, विनोद, गज़ब चोद रहा है। आठ साल से चुदवा रही हूँ, दस-बारह मर्दों ने चोदा, लेकिन ऐसा मज़ा कभी नहीं आया। थैंक यू, मैडम, आपने अपने यार को चोदने की ट्रेनिंग दी।”

रश्मि मुझे शुक्रिया कह रही थी कि मैंने अपने बेटे को चोदना सिखाया। “मुझसे झूठ मत बोल,” मैंने लल्लन से कहा। “सब सच-सच, शुरू से सुना।”

लल्लन ने अपनी कहानी शुरू की। “मैं एक अमीर घर का बेटा हूँ। मेरे बाबूजी मंत्री थे। सुदेश भी एक मंत्री का बेटा है। जब मेरा लौड़ा पहली बार टाइट हुआ, मैं डर गया। मैंने दोस्तों का लौड़ा देखा, उन्हें अपना दिखाया। सबने कहा कि मैं गलती से किसी लड़की को चोदने की कोशिश न करूँ, वो मर जाएगी। मेरे दोस्तों ने अपने घरवालों, अपनी माँ से भी कहा कि मेरा लौड़ा बहुत लंबा और मोटा है। मैं जिस दोस्त के घर जाता, उसकी माँ या औरतें मुझसे खुशामद करतीं कि मैं अपना लौड़ा दिखाऊँ। लेकिन मैं भाग जाता था।”

उसका लौड़ा कितना लंबा और मोटा था, मैं चालीस-पैंतालीस मिनट से महसूस कर रही थी। “एक दिन स्कूल की छुट्टी थी,” लल्लन बोला। “मैं नहाने के लिए बाथरूम में घुसा ही था कि पीछे से मेरी माँ भी बाथरूम में घुस आई। मैं माँ को देखकर घबरा गया।”

आगे की कहानी अगले हिस्से में।

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