नमस्ते मेरे प्यारे दोस्तों! मैं, आदित्य, एक बार फिर अपनी सच्ची और आग सी गर्म कहानी लेकर आपके सामने हाज़िर हूँ। मेरी पिछली कहानी में आपने पढ़ा था कि कैसे किराने की दुकान वाले अनिल ने मेरी बीवी रजनी को मेरे सामने रंडी की तरह ठोक दिया था। उस वाकये ने हमारी ज़िंदगी को बदल कर रख दिया। रजनी को अब नए-नए मज़े लेने की भूख जाग गई थी—उसे हर बार कुछ अलग, कुछ चटपटा चाहिए था। उसी सिलसिले में हमने एक नया तजुर्बा किया—मेरे 48 साल के अधेड़ दोस्त अहमद के साथ। ये कहानी इतनी गर्म है कि लंड तन जाएँगे और चूतें गीली हो जाएँगी। तो तैयार हो जाइए इस चुदाई के तमाशे के लिए!
मैं, रजनी, और अहमद—हम तीनों की गहरी दोस्ती थी। अहमद 48 का था, मगर मर्दानगी में अभी भी आग बाकी थी। काला कुर्ता-पायजामा, मूँछें सँवारी हुई, और बातों में वो मज़ा कि हँसी छूट जाए। हमारा एक पर्सनल व्हाट्सएप ग्रुप था—”हवस का अड्डा”—जिसमें हम खुलकर गंदी बातें करते, पॉर्न वीडियो शेयर करते, और हसीन माल की तस्वीरें डालते। रजनी का फिगर तो आप जानते ही हैं—36-28-36, गोरी-चिट्टी, चूचियाँ पके आमों सी, गांड मटकती हुई—कौन न दीवाना हो? अहमद भी उसकी तारीफें करता, पर कभी सोचा न था कि हम तीनों ग्रुप सेक्स करेंगे, या मैं अपनी बीवी को उसके लंड तले सौंप दूँगा।
बात शुरू हुई एक रात व्हाट्सएप चैट से। हम अहमद को हमेशा छेड़ते थे, क्योंकि उसने बताया था कि उसकी बीवी उसे चुदाई का मज़ा नहीं देती। बेचारे को सालों से चूत की प्यास थी। उस रात वो बोला, “यार आदित्य, बहुत दिन हो गए चुदाई किए। चूत चाटने का मन है।” मैंने मज़ाक में कहा, “अहमद, किसी रंडी को बुला ले। मज़े मार!” रजनी ने हँसते हुए जोड़ा, “हाँ अहमद, तुझे तो मौका ही नहीं मिलता। बीवी मना करती है, तो रंडी का जुगाड़ कर!” अहमद का मुँह लटक गया, “साले, तुम दोनों मेरा मज़ाक उड़ाते हो। बड़े हरामी हो!” मैंने हँसकर कहा, “यार, बुरा मत मान। मज़ाक था।”
लेकिन मेरे दिमाग में शैतानी आग लग गई। सोचा, क्यों न रजनी को अहमद से चुदवाया जाए? मुझे पता था अहमद रजनी को ललचाई नज़रों से देखता है। उसकी चूचियों और गांड की तारीफें चैट में करता रहता। मैंने उसे पर्सनल मैसेज किया, “अहमद, अगर तू चाहे तो रजनी को चोद सकता है।” वो चौंक गया, “क्या आदित्य? सच में? तू मज़ाक तो नहीं कर रहा? रजनी मानेगी?” उसे क्या पता था कि कुछ दिन पहले अनिल ने रजनी को कैसे आगे-पीछे से पेलकर उसकी चूत का भोसड़ा बनाया था। मैंने कहा, “हाँ यार, बिलकुल। ग्रुप में सीधे पूछ ले।” वो बोला, “ठीक है, देखता हूँ।”
अहमद ने ग्रुप में एक फोटो डाली—एक बूढ़ा जवान लड़की की चूत चाट रहा था। लिखा, “रजनी, मुझे ऐसी चूत चाहिए।” रजनी समझ गई। उसने ठहाका लगाया, “अहमद, मतलब मेरी चूत चाटना चाहता है?” वो बोला, “हाँ, अगर तुझे इजाज़त हो तो ज़रूर।” रजनी ने तड़ाक से जवाब दिया, “इजाज़त की क्या बात? कल घर आ जा। मज़े करेंगे!” बस फिर क्या—ग्रुप में देर रात तक चुदाई की खुली बातें हुईं। अहमद ने लिखा, “रजनी, कल तेरी चूत चाटकर लाल कर दूँगा।” रजनी बोली, “हाँ, और मैं तेरा लंड चूसकर माल निकालूँगी।” मैंने जोड़ा, “अहमद, कल तेरा लंड मेरी बीवी की चूत में रॉकेट बनेगा।” हम तीनों हँसते-हँसते चैट करते रहे। मेरा लंड तन गया—सोच रहा था, पहली बार एक मुसलमान का लंड रजनी की चूत में जाएगा। रजनी की आँखों में हवस की चमक थी—वो भी बेताब थी।
अगला दिन था आग का दिन। रजनी सुबह से बेचैन थी। उसने लाल साड़ी चुनी—पतली, पारदर्शी, नीचे सिर्फ़ पेटीकोट और ब्लाउज़। ब्रा-पैंटी छोड़ दी। चूचियाँ ब्लाउज़ में उभरी हुई, निप्पल सख्त। साड़ी में उसकी गांड मटक रही थी—मानो कह रही हो, “आज मुझे फाड़ दो।” मैंने कहा, “रजनी, आज तो तू अहमद की जान ले लेगी।” वो हँसी, “देखना आदित्य, कैसे इसका लंड चूसकर माल गटकती हूँ।” मैंने मज़े में कहा, “चल, इसे जन्नत दिखा दे। फिर मैं भी तुझे ठोकूँगा।”
दोपहर 2 बजे अहमद आया। काला कुर्ता-पायजामा, मूँछें सँवारी हुई, आँखों में हवस। 48 का अधेड़, पर मर्दानगी में आग। वो थोड़ा शरमाया। रजनी ने उसे सोफे पर बिठाया, पास बैठकर उसकी जाँघ सहलाने लगी। मैंने फ्रिज से बीयर की बोतलें निकालीं—तीनों ने गटकना शुरू किया। अहमद की नज़रें रजनी की चूचियों पर अटकी थीं—ब्लाउज़ से निप्पल साफ दिख रहे थे। रजनी बोली, “क्या घूर रहा है, अहमद? चूत चाटने की बात कर रहा था न?” वो हँसा, “हाँ रजनी, आज मौका दे दे। सालों की प्यास बुझा दूँ।” मैंने कहा, “यार, शुरू हो जा। मैं देखता हूँ।”
रजनी खड़ी हुई, साड़ी खींचकर फेंक दी। पेटीकोट और ब्लाउज़ में थी—चूचियाँ बिना ब्रा के हिल रही थीं। अहमद का मुँह खुला रह गया। उसने कुर्ता उतारा—चौड़ा सीना, हल्के बाल। रजनी ने उसका पायजामा खींचा—लंड बाहर उछला। मोटा, 7 इंच, सुपारा लाल, चमकता हुआ। मैंने सोचा, “वाह, अधेड़ है, पर लंड किसी जवान से कम नहीं।” रजनी घुटनों पर बैठी, लंड मुँह में ठूँसा। चप्प-चप्प… चूस्स-चूस्स… जीभ सुपारे पर नाच रही थी। अहमद सिसकारा, “आह… रजनी, क्या चूसती है! बीवी ने कभी ऐसा मज़ा न दिया।” मैंने बीयर पीते हुए कहा, “अहमद, इसका मुँह चूत से कम नहीं। पूरा लंड गटक लेती है।”
रजनी ने 5 मिनट चूसा—लंड चिकना, गीला। फिर ब्लाउज़ फाड़ा—चूचियाँ उछलीं—गोल, रसीली, निप्पल सख्त। अहमद ने लपककर चूसना शुरू किया—चूस्स-चूस्स… निप्पल काटे। रजनी सिसकारी, “आह… अहमद, चूत चाट न!” उसने पेटीकोट खींचा—रजनी नंगी। चूत गीली, चमक रही थी। अहमद चूत पर टूट पड़ा—चप्प-चप्प… जीभ अंदर-बाहर। रजनी चीखी, “हाय… चाट ले मेरी चूत! सालों बाद कोई चाट रहा है!” 10 मिनट चाटने के बाद वो झड़ गई—रस अहमद के मुँह पर बरसा। वो चाटता रहा। मैंने कहा, “अहमद, अब चोद दे इसे!”
अहमद उठा, रजनी को सोफे पर लिटाया। लंड चूत पर रगड़ा—रजनी की कमर उछली। एक धक्का मारा—जड़ तक घुसा। रजनी बोली, “आह… मोटा है तेरा लंड! फाड़ देगा।” अहमद ने ठोकना शुरू किया—धप-धप-धप… चूचियाँ उछल रही थीं। मैं पास बैठा लंड सहलाने लगा—दृश्य देख मेरा भी तन गया। 10 मिनट बाद अहमद ने पोज़ बदला—रजनी को घोड़ी बनाया, पीछे से ठोका। गांड लाल हो गई। रजनी चिल्लाई, “ज़ोर से, अहमद! फाड़ दे मेरी चूत!” वो ट्रेन की रफ्तार से पेलने लगा—धप्प-धप्प… 15 मिनट बाद रजनी फिर झड़ी—चूत ने रस छोड़ा।
अहमद बोला, “आदित्य, गांड मारूँ?” मैंने कहा, “मार यार, इसका हर छेद ले ले!” रजनी बोली, “हाँ अहमद, मेरी गांड भी ठोक।” अहमद ने लंड गांड पर सेट किया, धीरे से घुसाया। रजनी तड़पी, “आह… धीरे!” पर वो पूरा ठूँसकर ठोकने लगा—थप-थप… गांड का छेद फैल गया। 10 मिनट गांड मारने के बाद वो झड़ने को हुआ। “कहाँ निकालूँ?” रजनी बोली, “मेरे मुँह में!” उसने लंड निकाला, रजनी के मुँह में ठूँसा—पिचकारी छूटी। गाढ़ा, गर्म माल रजनी ने गटक लिया, लंड चाटकर चमकाया।
अहमद हाँफते हुए लेट गया। रजनी मेरी गोद में आई, “मज़ा आया, आदित्य। इसका लंड तो चूत का बाप है।” मैंने कहा, “अहमद, तूने रजनी को जन्नत दिखाई।” वो हँसा, “यार आदित्य, तूने मेरी ज़िंदगी बना दी।” हम तीनों बीयर पीते हुए हँसने लगे। रजनी बोली, “अहमद, अगली बार तेरा लंड मेरी चूत में और ज़्यादा देर ठोकेगा।” अहमद ने आँख मारी, “रजनी, अगली बार तेरी गांड और चूत दोनों फाडूँगा।”
रात को अहमद चला गया। रजनी ने मुझे बाँहों में भरा, “आदित्य, तुझे बुरा तो नहीं लगा?” मैंने कहा, “नहीं जान, मुझे मज़ा आया। तू खुश, मैं खुश।” उस रात मैंने भी रजनी को जमकर ठोका—उसकी चूत अभी भी अहमद के लंड की गर्मी महसूस कर रही थी।
ये थी मेरे दोस्त अहमद और मेरी बीवी रजनी की चुदाई की आग भरी दास्तान। दोस्तों, कैसी लगी कहानी? आपकी चूत गीली हुई या लंड तना? मेल करके ज़रूर बताएँ: aaditya03agr@gmail.com। अगली कहानी में और गंदे कारनामे सुनाने आऊँगा—तैयार रहें!
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