मैं बिहार के पटना की रहने वाली हूँ। मेरा नाम दीपा है, पर मैंने धंधे में अपना नाम वर्षा रखा है, क्यूँकि मेरी सहेलियों ने बताया था कि इस लाइन में असली नाम कभी नहीं बताना। अभी मैं दिल्ली के एक प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ती हूँ। बाहर से देखो तो मैं एक साधारण स्टूडेंट हूँ, लेकिन असल में मैं एक रंडी हूँ। हाँ, सुनकर शायद चौंक जाओ, पर यही सच है। मैं बड़े-बड़े सेठों, बिजनेसमैन और जवान लड़कों से चुदवाकर मोटा पैसा कमाती हूँ। मेरी जिंदगी अब ऐशो-आराम से भरी है, और मैं हर वो चीज खरीद सकती हूँ जो मैं चाहती हूँ। लेकिन ऐसा नहीं था हमेशा। चलो, तुम्हें पूरी कहानी बताती हूँ कि कैसे मैं इस रास्ते पर आई और कैसे मेरी चूत ने मुझे ये रंगीन जिंदगी दी।
जब मैं दिल्ली आई थी, तब मेरी जिंदगी बिल्कुल सादी थी। बिहार में हमारा परिवार मिडिल-क्लास था, और मेरे पास कभी इतने पैसे नहीं थे कि मैं अपनी ख्वाहिशें पूरी कर सकूँ। दिल्ली में कॉलेज जॉइन करने के बाद मैंने देखा कि यहाँ की लड़कियाँ कितनी स्टाइलिश हैं। उनके कपड़े, जूते, बैग, फोन—सब कुछ इतना महंगा और शानदार! मेरे पास तो साधारण सलवार-कमीज और चप्पलें थीं। मुझे जलन होने लगी थी। मैं भी चाहती थी कि मेरे पास ब्रांडेड कपड़े हों, महंगे फोन हों, और मैं हर रात बाहर डिनर कर सकूँ। लेकिन मेरे पापा इतना पैसा कहाँ से भेजते? उनकी छोटी-सी दुकान से बस मेरी फीस और हॉस्टल का खर्चा निकल पाता था।
कॉलेज में मेरी दोस्ती विनीता, कामिनी और दीपिका से हुई। ये तीनों हर दिन नए-नए कपड़े पहनती थीं। उनके पास लेटेस्ट स्मार्टफोन, डिज़ाइनर बैग, और महंगे परफ्यूम थे। मैं हैरान थी कि ये इतना पैसा कहाँ से लाती हैं? एक दिन मैंने हिम्मत करके पूछ ही लिया, “यार, तुम लोग रोज़ नए कपड़े, ज्वेलरी, फोन लाती हो। इतना पैसा कहाँ से आता है?”
विनीता ने मेरी आँखों में देखा और धीरे से बोली, “दीपा, तू किसी से बताएगी तो नहीं?”
“नहीं यार, बिल्कुल नहीं!” मैंने तुरंत जवाब दिया, मेरी उत्सुकता बढ़ चुकी थी।
“ठीक है, सुन,” विनीता ने कहा, और कामिनी-दीपिका ने भी सिर हिलाया। “हम तीनों रात में रंडीबाजी करती हैं। इंडिया गेट के पास बड़े-बड़े सेठ, बिजनेसमैन और अमीर लोग आते हैं। उन्हें 20-21 साल की जवान कॉलेज गर्ल्स बहुत पसंद होती हैं। हम वहाँ जाकर कस्टमर ढूँढती हैं, उनकी गाड़ी में बैठकर उनके घर या होटल चली जाती हैं। वहाँ खूब चुदवाती हैं और एक रात के 5000 से 10000 तक कमा लेती हैं। उसी पैसे से हम ये सब खरीदती हैं।”
मेरा मुँह खुला का खुला रह गया। “क्या?! तुम लोग गैर मर्दों से चुदवाकर पैसा कमाती हो?” मैंने हैरानी से पूछा।
“हाँ, दीपा! इसमें गलत क्या है?” कामिनी ने हँसते हुए कहा। “ये दिल्ली है, यहाँ कोई किसी की परवाह नहीं करता। तू भी आज़मा के देख, मज़ा आएगा और पैसा भी मिलेगा।”
“पर बिहार में तो इसे गलत माना जाता है। वहाँ ऐसी लड़कियों को रंडी, धंधेवाली कहते हैं,” मैंने थोड़ा डरते हुए कहा।
“अरे, ये दिल्ली है, जान!” विनीता ने मेरे कंधे पर हाथ रखकर कहा। “यहाँ कोई तेरे पीछे नहीं पड़ेगा। खा, पी, ऐश कर और जिंदगी जी। बिहार में कौन जानेगा कि तू यहाँ क्या करती है?”
उस रात मैं सो नहीं पाई। मेरे दिमाग में विनीता की बातें घूम रही थीं। मैंने अपनी ज़िंदगी के बारे में सोचा। बिहार में मैंने हमेशा गरीबी देखी थी। सस्ते कपड़े, पुराना फोन, और दूसरों की चमक-धमक देखकर मन मसोसना। मैं भी तो चाहती थी कि मेरे पास पैन्टालून, शॉपर्स स्टॉप, और एलन सॉली के कपड़े हों। मैं विक्टोरिया सीक्रेट की लॉन्जरी पहनना चाहती थी, रिबॉक और बाटा के जूते, और लेटेस्ट सैमसंग या iPhone रखना चाहती थी। लेकिन ये सब मेरे लिए सपना था। फिर मैंने सोचा, अगर मैं यहाँ चुदवाती हूँ, तो बिहार में किसे पता चलेगा? और सच कहूँ, मेरे अंदर भी चुदने की आग थी। कॉलेज में कोई बॉयफ्रेंड नहीं बना था, और मेरी चूत हर रात मचलती थी।
अगले दिन मैंने विनीता, कामिनी और दीपिका को बता दिया कि मैं भी उनके साथ धंधा शुरू करूँगी। उन्होंने मुझे गले लगाया और कहा, “वेलकम टु द क्लब, दीपा! अब तू भी ऐश करेगी।”
शनिवार की शाम थी। हम चारों ने मिलकर प्लान बनाया। मैंने अपनी सबसे सेक्सी ड्रेस चुनी—एक टाइट, चटक लाल रंग का टॉप और काली शॉर्ट स्कर्ट। नीचे मैंने विक्टोरिया सीक्रेट की काली लेस वाली ब्रा और पैंटी पहनी। मेकअप में मैंने गहरी लाल लिपस्टिक, काजल, और थोड़ा ब्लश लगाया। मेरे लंबे, घने बाल खुले थे, और मैंने हाई हील्स पहने। जब मैं शीशे में खुद को देखी, तो मैं खुद पर फिदा हो गई। मेरी 36 इंच की छातियाँ टॉप में उभरी हुई थीं, और मेरी चिकनी जाँघें स्कर्ट से झाँक रही थीं।
हम चारों इंडिया गेट की सड़क पर पहुँचे। वहाँ पहले से ही कई लड़कियाँ कतार में खड़ी थीं, ग्राहकों का इंतज़ार कर रही थीं। मेरे दिल की धड़कनें तेज़ थीं। ये मेरा पहला दिन था, और मैं थोड़ा डर रही थी। तभी एक चमचमाती मर्सिडीज़ मेरे पास रुकी। शीशा नीचे आया, और अंदर एक जवान, गोरा, और हैंडसम लड़का था। उसकी उम्र शायद 22-23 साल होगी। उसने मुझे ऊपर से नीचे तक ऐसे घूरा जैसे अपनी नज़रों से ही मेरी चूत चाट लेगा।
“क्या, धंधे में नई आई हो?” उसने मुस्कुराते हुए पूछा।
“हाँ,” मैंने धीमे से जवाब दिया। मेरी आवाज़ में हल्का डर था।
“नाम क्या है?” उसने पूछा।
“वर्षा,” मैंने झूठ बोला, जैसा मेरी सहेलियों ने सिखाया था।
“कितना लोगी?” उसने सीधे सवाल किया।
“5000 रात का, 2000 एक ट्रिप का,” मैंने कहा। विनीता ने मुझे पहले ही रेट बता दिए थे।
“चल, बैठ,” उसने दरवाज़ा खोलते हुए कहा। मैं गाड़ी में बैठ गई, और वो मुझे अपने घर ले गया। रास्ते में वो मेरे साथ छेड़खानी करने लगा। उसका एक हाथ मेरी जाँघ पर था, और वो धीरे-धीरे मेरी स्कर्ट के अंदर उँगलियाँ घुसाने लगा। मेरी पैंटी पहले ही गीली हो चुकी थी। उसका स्पर्श मेरी चूत में आग लगा रहा था। मैंने खुद को संभाला, लेकिन मेरे निपल्स टॉप के ऊपर से सख्त होकर दिखने लगे थे।
उसका घर एक शानदार बंगला था। ऑडी, मर्सिडीज़, और शेवरले की गाड़ियाँ बाहर खड़ी थीं। अंदर का नज़ारा तो और भी रईसी भरा था—मखमली सोफे, बड़ा सा LED टीवी, और फर्श पर मुलायम कारपेट। वो मुझे सीधे अपने बेडरूम में ले गया। कमरा किसी फाइव-स्टार होटल से कम नहीं था। चारों तरफ डिम लाइट्स थीं, और एक बड़ा सा बेड बीच में था।
“क्या पिएगी, जान? व्हिस्की, बीयर, या कुछ और?” उसने पूछा।
“नहीं, थैंक्स। मैं शराब नहीं पीती,” मैंने कहा। उसने अपने लिए व्हिस्की ली और मेरे लिए ठंडा थम्स अप लाया। हमने ड्रिंक पी, और वो मेरे पास आकर बैठ गया। उसने जैज़ म्यूज़िक चला दिया, जिससे माहौल और रूमानी हो गया। फिर उसने टीवी पर एक हॉट ब्लू फिल्म चला दी। स्क्रीन पर एक लड़की की जोरदार चुदाई चल रही थी, और उसकी सिसकारियाँ पूरे कमरे में गूँज रही थीं। मेरी चूत और गीली हो गई।
वो मेरे करीब आया और मुझे अपनी बाहों में भर लिया। उसने मेरे होंठ चूसने शुरू किए। उसके होंठ गर्म थे, और उसकी जीभ मेरे मुँह में खेल रही थी। मैं भी उसका साथ देने लगी। धीरे-धीरे उसने मेरा टॉप उतार दिया। मेरी काली लेस वाली ब्रा में मेरे 36 इंच के दूध उभरे हुए थे। उसने मेरी ब्रा खींचकर उतारी और मेरे निपल्स को देखकर बोला, “क्या माल है तू, वर्षा!” फिर वो मेरे दूध चूसने लगा। उसका मुँह मेरे निपल्स पर था, और वो उन्हें ज़ोर-ज़ोर से चूस रहा था। मेरे निपल्स कड़क हो गए, और मेरी सिसकारियाँ निकलने लगीं— “आह्ह… ऊँह… माँ…!”
मैं पूरी तरह नंगी हो चुकी थी। उसने मेरी स्कर्ट और पैंटी भी उतार दी। मेरी गुलाबी चूत अब उसके सामने थी। वो मेरे ऊपर चढ़ गया और मेरी चूत में जीभ डालकर चाटने लगा। उसकी जीभ मेरी चूत के दाने को रगड़ रही थी, और मैं पागल हो रही थी। “उफ्फ… आह्ह… हाय माँ…!” मैं सिसकार रही थी। उसने 20 मिनट तक मेरी चूत चाटी, और मैं दो बार झड़ चुकी थी। मेरी चूत का रस उसकी जीभ पर था, और वो उसे मज़े से पी रहा था।
फिर उसने मुझे पेट के बल लिटाया और मेरी चिकनी पीठ को चूमने लगा। उसकी जीभ मेरी कमर से होते हुए मेरी गांड तक गई। उसने मेरे हिप्स खोले और मेरी गांड के छेद को चाटना शुरू किया। मैं चिहुंक उठी। “हाय… ये क्या कर रहा है…?” मैंने सिसकारी भरी। पर मुझे मज़ा आ रहा था। उसने मेरी गांड को इतना चाटा कि मेरा पूरा शरीर काँपने लगा। फिर उसने मेरे पैर और चौड़े किए और मेरी चूत में उँगलियाँ डाल दीं। उसकी दो उँगलियाँ मेरी चूत में अंदर-बाहर हो रही थीं, और मैं मस्ती में चिल्ला रही थी, “हाय… और कर… आह्ह…!”
उसने अपना लंड बाहर निकाला। उसका लंड 7 इंच लंबा और मोटा था। मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं। “ये तो बहुत बड़ा है!” मैंने डरते हुए कहा।
“अरे, कुंवारी माल है तू, है ना?” उसने हँसते हुए पूछा।
“हाँ… मैंने पहले कभी नहीं किया,” मैंने सच बोला।
वो और जोश में आ गया। उसने मेरी चूत पर थूक लगाया और धीरे से अपना लंड मेरी चूत की दरार में रगड़ने लगा। फिर उसने एक ज़ोरदार धक्का मारा, और उसका लंड मेरी चूत की सील तोड़ता हुआ अंदर चला गया। मुझे इतना दर्द हुआ कि मेरी चीख निकल गई। “हाय माँ… मर गई…!” मेरी चूत से खून निकलने लगा। उसने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए, और कुछ ही देर में मेरा दर्द मज़े में बदल गया। मैं अपनी कमर उठा-उठाकर उसका साथ देने लगी। “चोद… और ज़ोर से चोद…!” मैं चिल्ला रही थी।
उसने मेरी चूत को आधा घंटा चोदा। हर धक्के के साथ मेरी चूत की गहराइयों में उसका लंड गोते लगा रहा था। मैं पूरी तरह वासना में डूब चुकी थी। फिर उसने एक बैंगन लिया और मेरी गांड में धीरे-धीरे डाल दिया। “ये क्या…?” मैंने हैरानी से पूछा।
“मज़ा ले, रंडी,” उसने कहा और मेरी चूत में लंड और गांड में बैंगन डालकर मुझे चोदने लगा। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरे दोनों छेद भरे हुए हैं। मैं मस्ती में सिसकार रही थी, “आह्ह… हाय… और कर… फाड़ दे मेरी चूत…!” उसने 45 मिनट तक मुझे चोदा और आखिर में मेरी चूत में ही झड़ गया। उसका गर्म माल मेरी चूत में भर गया, और मैं तृप्त होकर बेड पर लेट गई।
“चल, मेरा लंड चूस,” उसने कहा और मेरे मुँह में अपना लंड डाल दिया। मैंने पहली बार किसी का लंड चूसा। उसका लंड अभी भी मेरे रस से गीला था। मैंने उसे मज़े से चूसा, और वो मेरे बाल पकड़कर मेरे मुँह में लंड अंदर-बाहर करने लगा। मैंने भी उसे निराश नहीं किया और जीभ से उसके लंड को चाट-चाटकर साफ कर दिया।
थोड़ी देर बाद हमने फिर से ड्रिंक ली। वो व्हिस्की पी रहा था, और मैं थम्स अप। जैज़ म्यूज़िक अभी भी चल रहा था, और माहौल फिर से गर्म होने लगा। उसने मुझे स्पूनिंग पोज़िशन में लिटाया। मैं उसकी तरफ करवट करके लेटी थी, और उसने मेरी चूत में पीछे से लंड डाल दिया। उसका एक हाथ मेरे दूध दबा रहा था, और दूसरा मेरी कमर पर था। वो धीरे-धीरे मुझे चोद रहा था, और मैं उसके होंठ चूस रही थी। उसका लंड मेरी चूत की गहराइयों में जा रहा था, और मैं मस्ती में डूब रही थी। “आह्ह… और ज़ोर से… चोद मुझे…!” मैं चिल्ला रही थी।
उसने मेरी चूत को इतनी बेदर्दी से चोदा कि मेरा पूरा शरीर काँपने लगा। मेरे दूध उछल-उछलकर लाल हो गए थे। वो बीच-बीच में मेरी चूत में उँगलियाँ भी डाल देता था और मेरे दाने को रगड़ता था। मैं बार-बार झड़ रही थी, और मेरी चूत का रस बेडशीट पर फैल रहा था। उस रात उसने मुझे तीन बार चूत में और दो बार गांड में चोदा। हर बार वो मेरी चूत को नए तरीके से रगड़ता, चाटता, और चोदता। मैं पूरी तरह से उसकी रंडी बन चुकी थी।
सुबह उसने मुझे 8000 रुपये दिए। मैंने उन पैसों से शॉपर्स स्टॉप से दो ब्रांडेड ड्रेस खरीदीं और एक नया परफ्यूम लिया। उस दिन के बाद मेरी ज़िंदगी बदल गई। मुझे चुदाई का नशा चढ़ गया। मैं हर वीकेंड विनीता, कामिनी और दीपिका के साथ इंडिया गेट जाती और नए-नए कस्टमर्स से चुदवाती। धीरे-धीरे मैंने इतना पैसा कमा लिया कि मैंने दिल्ली में एक छोटा सा फ्लैट खरीद लिया। अब मैं एक हाई-क्लास एस्कॉर्ट हूँ। मेरे पास ब्रांडेड कपड़े, लेटेस्ट फोन, और एक शानदार लाइफस्टाइल है।
मेरी चूत ने मुझे वो सब दिया जो मैं बिहार में सपने में भी नहीं सोच सकती थी। आज मैं अपनी जिंदगी के मजे ले रही हूँ, और मुझे कोई पछतावा नहीं है। मैंने सीख लिया है कि दिल्ली में जिंदगी जीने के लिए पैसा चाहिए, और पैसा कमाने के लिए चूत की ताकत। बस, मैंने अपनी चूत को अपना हथियार बना लिया।