मधवी और जेठालाल की चुदाई कहानी

Jetha Madhvi TMKOC Sex Story – गोकुलधाम सोसाइटी में सुबह की हल्की ठंडक और शांति छाई थी। भिड़े, हमेशा की तरह सुबह-सुबह अपने आचार और पापड़ की डिलीवरी के लिए निकल चुका था। उसकी बेटी सोनू, जो अब कॉलेज की स्टूडेंट थी और 19 साल की हो चुकी थी, सुबह की क्लास के लिए स्कूल चली गई थी। मधवी, 38 साल की खूबसूरत औरत, जिसकी फिगर 36-28-38 थी, अपने किचन में व्यस्त थी। उसकी साड़ी का पल्लू बार-बार सरक रहा था, जिससे उसकी गोरी कमर और गहरे ब्लाउज में कैद भारी-भरकम चुचियाँ झलक रही थीं। उसका चेहरा, जो हमेशा हल्की मुस्कान से सजा रहता था, आज कुछ परेशान लग रहा था। वो बर्तन धो रही थी, तभी टेबल पर रखा फोन जोर-जोर से बज उठा।

मधवी ने गीले हाथ पोंछे और फोन उठाया। दूसरी तरफ से ऐसी बात सुनाई दी कि उसका चेहरा एकदम से सफेद पड़ गया। उसकी आँखों से आंसुओं की धार बहने लगी। वो बार-बार बस यही बुदबुदा रही थी, “ये कैसे हो सकता है… ये कैसे हो सकता है…” उसकी आवाज काँप रही थी, और आंसुओं ने उसकी आँखों को धुंधला कर दिया। लेकिन इससे पहले कि वो कुछ और कह पाती, फोन कट गया। मधवी टेबल के पास रखे सोफे पर धम्म से बैठ गई और फूट-फूट कर रोने लगी। उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था, और दिमाग में सवालों का तूफान उठ रहा था।

कुछ देर बाद फिर से फोन की घंटी बजी। मधवी ने काँपते हाथों से फोन उठाया। दूसरी तरफ से कोई धीमी लेकिन गंभीर आवाज में कुछ कह रहा था। मधवी की आवाज में घबराहट साफ झलक रही थी, “प्लीज… मुझे थोड़ा टाइम दीजिए… मैं आपसे वादा करती हूँ, आपको ऐसा कुछ नहीं करना पड़ेगा… प्लीज, बस मुझे थोड़ा वक्त दीजिए…” उसने फोन पर “ओके” कहकर कॉल कट कर दी।

मधवी अब सोफे पर बैठी थी, उसका चेहरा आंसुओं से भीगा हुआ था। वो सोच में डूब गई, “अब क्या करूँ? अगर मैंने भिड़े को ये सब बताया तो वो तो मुझे लेक्चर दे-दे कर मार ही डालेगा। और मदद तो वो कर ही नहीं पाएगा। अब किससे मदद माँगू?” उसका दिमाग तेजी से चल रहा था। तभी अचानक उसे एक आइडिया सूझा। उसने जल्दी से अपने आंसू पोंछे, साड़ी ठीक की, और तैयार होने के लिए बेडरूम की ओर चल पड़ी। उसने सोचा कि अब सिर्फ एक ही इंसान उसकी मदद कर सकता था।

उधर, जेठालाल अपनी गड़ा इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान पर नहीं था। वो गोदाम में बैठा अपने फोन पर कुछ देख रहा था। उसकी उम्र 42 साल थी, लेकिन उसका बदन अभी भी चुस्त-दुरुस्त था। 5 फीट 8 इंच की हाइट, हल्का पेट, और चेहरे पर वो शरारती मुस्कान, जो गोकुलधाम की हर औरत को उसकी ओर खींच लेती थी। जेठालाल गोदाम के एक कोने में कुर्सी पर बैठा था, और उसके फोन पर एक हॉट वीडियो चल रहा था, जिसे देखकर उसका लंड धीरे-धीरे टाइट होने लगा था।

इसी बीच, दुकान का गेट खुलने की आवाज आई। नट्टू काका, जो दुकान पर बैठा था, ने ऊपर देखा। एक औरत दुकान में दाखिल हुई। नट्टू काका की नजर सबसे पहले उसके गोरे पांवों पर पड़ी, जो हल्की हाई-हील सैंडल में और भी आकर्षक लग रहे थे। उसकी गुलाबी साड़ी का पल्लू हल्का सा सरका हुआ था, जिससे उसकी पतली कमर और गहरा नाभि साफ दिख रहा था। नट्टू काका की नजर ऊपर गई, तो उसने देखा कि ब्लाउज में कैद उसकी भारी-भरकम चुचियाँ मानो आजादी माँग रही थीं। और जब उसका चेहरा देखा, तो नट्टू काका के होश उड़ गए। ये कोई और नहीं, मधवी थी।

मधवी ने नट्टू काका को उसे घूरते देखा और हल्की मुस्कान के साथ कहा, “नट्टू काका, क्या हुआ?” नट्टू काका हड़बड़ाते हुए बोला, “आइए मधवी जी… नटवरलाल ###### उधईवाला आपका स्वागत करता है… गड़ा इलेक्ट्रॉनिक्स में आपका स्वागत है!” मधवी ने हल्का सा मुस्कुराते हुए कहा, “वो मुझे जेठा भाई से कुछ काम था। वो कहाँ हैं?” नट्टू काका ने जवाब दिया, “सेठ जी तो गोदाम में हैं। कोई खास काम है?” मधवी ने हल्का सा झिझकते हुए कहा, “जी, बस थोड़ा सा काम था। ठीक है, मैं गोदाम में जाकर उनसे मिल लेती हूँ। थैंक यू, नट्टू काका।” नट्टू काका मन ही मन बुदबुदाया, “साली ने तो लंड खड़ा कर दिया,” लेकिन चेहरे पर मुस्कान लाते हुए बोला, “इट्स माय प्लेजर!”

मधवी गोदाम में पहुँची। जेठालाल अभी भी अपने फोन पर वीडियो देख रहा था। जैसे ही उसे किसी के आने की आहट हुई, उसने फोन बंद किया और नजर उठाई। सामने मधवी को देखकर उसकी आँखें चमक उठीं। मधवी की गुलाबी साड़ी में उसकी फिगर और भी मादक लग रही थी। उसका ब्लाउज इतना टाइट था कि उसकी चुचियाँ बाहर आने को बेताब थीं।

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“नमस्ते, जेठा भाई,” मधवी ने धीमे स्वर में कहा। “नमस्ते, मधवी भाभी!” जेठालाल ने अपनी शरारती मुस्कान के साथ जवाब दिया। “कहिए, इस नाचीज को कैसे याद किया?” मधवी ने थोड़ा झिझकते हुए कहा, “सॉरी, जेठा भाई, मैंने आपको डिस्टर्ब किया।” जेठालाल ने हँसते हुए कहा, “अरे, मधवी भाभी, आप तो किसी को डिस्टर्ब कर ही नहीं सकतीं। बताइए, क्या काम है?”

मधवी ने गहरी साँस ली और बोली, “जेठा जी, मुझे आपकी थोड़ी सी मदद चाहिए।” जेठालाल ने कुर्सी पर पीछे झुकते हुए कहा, “बोलिए, मधवी भाभी, मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूँ?” मधवी ने अपनी बात शुरू की, “जेठा जी, मैंने भिड़े को बिना बताए अपनी सहेली के कहने पर अपनी ज्वेलरी गिरवी रखकर 3 लाख रुपये शेयर्स में लगाए थे। अब वो पैसे वापस लेने हैं, नहीं तो वो आदमी कल हमारे घर आकर भिड़े को सब बता देगा। इससे हमारी बहुत बदनामी होगी। मेरी सहेली ने भी मदद करने से मना कर दिया। प्लीज, आप मुझे 3 लाख रुपये उधार दे दीजिए। मैं जल्दी ही आपको वापस कर दूँगी। और प्लीज, इस बारे में किसी को मत बताना, नहीं तो हमारी बहुत बदनामी होगी।”

जेठालाल कुछ देर सोच में डूब गया। फिर उसने गंभीर स्वर में कहा, “ठीक है, मधवी भाभी, मैं आपको 3 लाख रुपये देने को तैयार हूँ। और मैं किसी को कुछ नहीं बताऊँगा। लेकिन…” मधवी ने घबराते हुए पूछा, “लेकिन क्या, जेठा भाई?” जेठालाल अपनी कुर्सी से उठा और धीरे-धीरे मधवी के पास आया। उसने मधवी की ओर तिरछी नजरों से देखा और बोला, “देखिए, मधवी भाभी, मैं एक कच्चा ब्यापारी हूँ। मैं आपको 3 लाख रुपये दूँगा, लेकिन इसके बदले आपको भी मुझे कुछ देना होगा।” मधवी ने उत्सुकता और घबराहट के मिश्रण के साथ पूछा, “क्या देना होगा, जेठा भाई?”

जेठालाल अब मधवी के और करीब आ गया। उसने धीरे से मधवी की कमर पर हाथ रखा और उसे अपनी ओर खींच लिया। उसकी आवाज में शरारत थी, “आप बहुत भोली हैं, मधवी भाभी। आपको कुछ नहीं करना, बस मेरा साथ देती रहिए… और जो मैं करूँ, उसे करने दीजिए।”

मधवी को कुछ समझ नहीं आया। वो कुछ कह पाती, इससे पहले ही जेठालाल ने उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया और उसके रसीले होंठों पर अपने होंठ रख दिए। मधवी ने पूरी ताकत से खुद को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन जेठालाल की पकड़ इतनी मजबूत थी कि वो नाकाम रही। जेठालाल मधवी के होंठों का रसपान करने लगा, और उसके हाथ धीरे-धीरे मधवी की गोल-मटोल गांड पर चले गए। वो उसकी गांड को जोर-जोर से दबाने लगा। मधवी ने एक बार फिर पूरी ताकत से खुद को छुड़ाने की कोशिश की। इस बार वो कामयाब हो गई और जेठालाल से अलग होकर गुस्से में बोली, “ये क्या कर रहे थे, जेठा जी? मैं आपसे मदद माँगने आई थी, और आप…”

जेठालाल ने शांत लेकिन धूर्त अंदाज में कहा, “मधवी भाभी, आप मान जाइए। मैं आपकी पूरी मदद करूँगा। बस मेरी बात मानती रहिए। नहीं तो मेरा कुछ नहीं बिगड़ेगा, बदनामी आपकी होगी। अगर आपने इस बारे में किसी को बताया, तो भिड़े आपको ही गलत समझकर तलाक दे देगा। इसलिए मेरी बात मानिए, और जो मुझे चाहिए, वो मुझे दे दीजिए।”

मधवी कुछ देर चुप रही। उसका दिमाग तेजी से चल रहा था। वो समझ गई थी कि अब उसके पास कोई और रास्ता नहीं था। उसने धीरे से कहा, “लेकिन ये गलत है, जेठा भाई। मैं ये नहीं कर सकती।” जेठालाल ने हँसते हुए कहा, “कुछ गलत नहीं है, मधवी भाभी। और वैसे भी, वो भिड़े आपको कहाँ अच्छे से चोद पाता होगा। मैं आपको पूरा मजा दूँगा, प्रॉमिस!”

जेठालाल ने फिर से मधवी को अपनी बाहों में जकड़ लिया। इस बार उसने मधवी के होंठों को चूसना शुरू कर दिया। मधवी ने शुरू में थोड़ा विरोध किया, लेकिन उसकी साँसें तेज होने लगीं। उसके अंदर की दबी हुई प्यास, जो सालों से भिड़े की बोरिंग चुदाई की वजह से अधूरी थी, अब जागने लगी थी। जेठालाल मधवी के रसीले होंठों को चूस रहा था, और उसके हाथ अब मधवी की भारी-भरकम चुचियों पर चले गए। उसने मधवी की चुचियों को ब्लाउज के ऊपर से ही जोर-जोर से दबाना शुरू कर दिया।

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मधवी की साँसें अब और तेज हो गई थीं। उसके अंदर की आग भड़क उठी थी। वो अब धीरे-धीरे जेठालाल का साथ देने लगी। जेठालाल ने मधवी के होंठों को छोड़ा और उसके ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चुचियों को चूसने लगा। मधवी के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं, “आह्ह्ह… स्स्स्स्स्स… जेठा जी, छोड़िए मुझे… मुझे जाना है… ऐसा मत कीजिए… आह्ह्ह…” लेकिन उसकी आवाज में अब वो गुस्सा नहीं था, बल्कि एक अजीब सी उत्तेजना थी।

जेठालाल ने मधवी की बातों को अनसुना कर दिया। उसने जोश में आकर मधवी के ब्लाउज के बटन खोल दिए। उसका काला ब्रा अब साफ दिख रहा था, जिसमें उसकी 36D की चुचियाँ कैद थीं। जेठालाल ने ब्रा को भी खींचकर उतार दिया और मधवी की नंगी चुचियों को देखकर उसका लंड और टाइट हो गया। उसने एक-एक करके मधवी की दोनों चुचियों को चूसना शुरू किया। उसकी जीभ मधवी के निप्पल्स पर घूम रही थी, और वो उन्हें हल्के से काट भी रहा था। मधवी की सिसकारियाँ अब और तेज हो गई थीं, “आह्ह्ह… स्स्स्स्स… उउउउ… जेठा जी… आह्ह्ह…” उसकी चूत अब पूरी तरह गीली हो चुकी थी, और उसकी पैंटी में गीलापन साफ दिख रहा था।

जेठालाल ने अब मधवी की साड़ी खींचकर उतार दी। उसका पेटीकोट भी नीचे खिसका दिया गया। मधवी अब सिर्फ अपनी गीली पैंटी में थी। उसने शर्म से अपनी चुचियों को अपने हाथों से ढक लिया, लेकिन उसकी पैंटी इतनी गीली थी कि उसकी चूत का गीलापन साफ दिख रहा था। मधवी ने शर्माते हुए कहा, “जेठा जी, प्लीज मुझे छोड़ दीजिए… मुझे घर जाना है…” जेठालाल ने हँसते हुए कहा, “अरे, मधवी भाभी, मैं तो आपको बहुत चोदूँगा!” मधवी ने घबराते हुए कहा, “नहीं, प्लीज, मुझे छोड़ दीजिए…” जेठालाल ने शरारती अंदाज में जवाब दिया, “मैं तो वही कह रहा हूँ, भाभी। आप कह रही हैं चोदने की, तो मैं चोदने की ही बात कर रहा हूँ!”

मधवी समझ गई कि जेठालाल का मतलब क्या था। वो कुछ कह नहीं पाई। तभी जेठालाल ने अपनी शर्ट और पैंट उतार दी। अब वो सिर्फ अपनी निकर में था। उसने मधवी को जमीन पर लिटा दिया और उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी चूत को चाटने लगा। मधवी के मुँह से जोर-जोर की सिसकारियाँ निकलने लगीं, “आह्ह्ह… स्स्स्स्स… उउउउ… जेठा जी… आह्ह्ह…” उसे ऐसी अनुभूति हो रही थी, जो उसे आज तक कभी नहीं हुई थी। भिड़े ने कभी उसकी चूत को इस तरह नहीं चाटा था।

जेठालाल ने मधवी की पैंटी को नीचे खींच दिया और उसकी गीली चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा। मधवी की चूत से पानी रिस रहा था, और जेठालाल उस पानी को चाट-चाट कर और उत्तेजित कर रहा था। मधवी अब पूरी तरह से चरम पर थी। उसने जोर से सिसकारी भरी, “आह्ह्ह… स्स्स्स्स… उउउउउउ… मैं मर गई…” और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। जेठालाल ने उसका सारा पानी चाट लिया।

अब जेठालाल ने अपनी निकर उतारी। उसका 10 इंच का मोटा लंड बाहर आया, जिसे देखकर मधवी के होश उड़ गए। उसने अनायास ही बोल दिया, “अघो बाई… इतना बड़ा लौड़ा…” जेठालाल ने मधवी के मुँह से ऐसी बात सुनकर हँसते हुए कहा, “हाँ, भाभी, ये लौड़ा आज तुम्हारी चूत की सैर करेगा।” मधवी ने पहले दया भाभी से जेठालाल के लंड की तारीफ सुनी थी, लेकिन आज उसे खुद देखकर मन ही मन खुशी हो रही थी।

जेठालाल ने अपने लंड का सुपारा मधवी की चूत के मुँह पर रगड़ना शुरू किया। मधवी की उत्तेजना अब और बढ़ गई। वो अपनी कमर को हिलाने लगी, ताकि लंड उसकी चूत में घुस जाए। लेकिन जेठालाल जानबूझकर उसे तड़पा रहा था। वो लंड को चूत के पास रगड़ता और फिर हटा लेता। मधवी को अब गुस्सा आ गया। वो चिल्लाई, “जेठा जी, अब मत तड़पाओ… डाल दो अपना ये लौड़ा मेरी चूत में… मैं मरी जा रही हूँ… जल्दी करो!”

जेठालाल ने इस बार मधवी की चूत के मुँह पर लंड रखा और जैसे ही उसे हटाने वाला था, मधवी ने अपनी कमर को जोर से ऊपर उछाला। लंड का सुपारा उसकी चूत में घुस गया। मधवी ने आँखें बंद कर लीं और उस अनुभव का मजा लेने लगी। जेठालाल ने मधवी की इस हरकत को देखकर मुस्कुराते हुए अपना लंड बाहर निकाला और फिर से एक जोरदार धक्का मारा। इस बार उसका लंड आधे से ज्यादा मधवी की चूत में घुस गया। मधवी की चीख निकल गई, “आह्ह्ह… स्स्स्स्स…” जेठालाल ने तुरंत उसके होंठों को अपने होंठों से बंद कर दिया और जोर-जोर से धक्के मारने लगा।

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अब जेठालाल का पूरा 10 इंच का लंड मधवी की चूत में था। उसने मधवी के होंठों को छोड़ दिया। मधवी की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं, “आह्ह्ह… स्स्स्स्स… उउउउ… और चोदो… आह्ह्ह… मुझे मार डालो… आह्ह्ह…” जेठालाल बार-बार अपना लंड बाहर निकालता और फिर जोर से अंदर डालता। मधवी की चूत से फच-फच की आवाजें आने लगीं, क्योंकि उसकी चूत पूरी तरह गीली थी।

लगभग 20 मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद मधवी ने कहा, “जेठा जी, मैं अब और नहीं सह सकती…” वो अब तक तीन बार झड़ चुकी थी। जेठालाल ने अपनी स्पीड और बढ़ा दी और 5 मिनट बाद उसने अपना सारा माल मधवी की चूत में छोड़ दिया। चुदाई के बाद दोनों निढाल होकर जमीन पर लेट गए।

10 मिनट बाद जेठालाल उठा और उसने अपना लंड मधवी के मुँह के पास रख दिया। मधवी ने थोड़ा ना-नुकुर की, लेकिन फिर उसने लंड को अपने मुँह में ले लिया। वो उसे चूसने लगी, और धीरे-धीरे जेठालाल का लंड फिर से खड़ा हो गया। जेठालाल ने मधवी को उठाया और उसे गोदाम की टेबल पर उल्टा लिटा दिया। अब मधवी की गोल-मटोल गांड जेठालाल की ओर थी।

मधवी समझ गई कि अब उसकी गांड की बारी थी। भिड़े ने कभी उसकी गांड नहीं मारी थी, क्योंकि वो इसे गलत मानता था। जेठालाल ने अपने लंड पर थूक लगाया और मधवी की चूत पर थूक गिराकर उसे उसकी गांड के छेद पर फैला दिया। उसने अपने लंड को मधवी की गांड के छेद पर टिकाया और एक जोरदार धक्का मारा। आधा लंड मधवी की गांड में घुस गया। मधवी की चीख निकल गई, “आह्ह्ह… बचाओ…” जेठालाल ने तुरंत उसके मुँह को अपने हाथ से दबा दिया। उसने देखा कि मधवी की गांड से खून निकल रहा था।

जेठालाल ने बिना रुके एक और धक्का मारा, और इस बार उसका पूरा लंड मधवी की गांड में घुस गया। मधवी का दर्द अब धीरे-धीरे आनंद में बदल रहा था। वो सिसकारियाँ लेने लगी, “आह्ह्ह… स्स्स्स्स… उउउउ… जेठा जी… और चोदो… मेरी गांड फाड़ दो…” जेठालाल ने अपनी स्पीड बढ़ा दी। आधे घंटे की ताबड़तोड़ गांड चुदाई के बाद मधवी चार बार झड़ चुकी थी। जब वो पाँचवीं बार झड़ने वाली थी, उसने कहा, “जेठा जी, मैं झड़ने वाली हूँ…” जेठालाल ने और तेज धक्के मारे। मधवी ने अपना पानी छोड़ दिया।

जेठालाल ने अपना लंड मधवी की गांड से निकाला और उसे घुटनों पर बिठाकर उसके मुँह में डाल दिया। कुछ ही देर में उसने अपना सारा माल मधवी के मुँह में छोड़ दिया। मधवी ने उसका सारा माल पी लिया। उसकी नजर जेठालाल के लंड पर पड़ी, जिस पर खून लगा था। वो समझ गई कि ये उसकी गांड का खून था। उसने अपनी गांड को चेक किया और सोचा, “इस मूसल लंड ने तो मेरी गांड फाड़ दी।”

उठते वक्त उसे दर्द हुआ, लेकिन ये दर्द उसे अच्छा लग रहा था। तभी उसकी नजर घड़ी पर पड़ी। शाम के 5 बज चुके थे। वो घबरा गई। उसने जल्दी से अपनी साड़ी और ब्लाउज पहना, मुँह साफ किया और जेठालाल के पास गई। उसने जेठालाल के लंड को हाथ में लिया और उसे चूमकर कहा, “थैंक्स, जेठा जी। आज आपने तो मुझे अपना कायल बना लिया। अब आपका काम हो गया, तो मेरे पैसे का कुछ कीजिए।”

जेठालाल ने कुर्सी पर बैठे-बैठे कहा, “जरूर, मधवी भाभी। आप दुकान पर चली जाइए। मैं नट्टू काका से कह देता हूँ, वो आपको पैसे दे देंगे।” मधवी ने मुस्कुराते हुए कहा, “ओके, जेठा जी। थैंक्स और… बाय!”

मधवी अपनी गांड मटकाते हुए दुकान पर गई, नट्टू काका से पैसे लिए और घर चली गई। इधर, जेठालाल भी तैयार हुआ और दुकान पर गया। आज की दमदार चुदाई ने उसे थका दिया था। उसने सोचा, “चलो, अब घर जाकर थोड़ा आराम किया जाए।” थोड़ी देर बाद उसने दुकान बंद की और घर चला गया।

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