Mom Group sex story: मेरा नाम सनी है, मैं वडोदरा, गुजरात से हूँ, मेरी उम्र 20 साल है। मुझे पोर्न देखने में बहुत मजा आता है, और मैं रोज़ पोर्न देखकर मुठ मारता हूँ। सेक्स कहानियाँ पढ़ना भी मुझे बहुत पसंद है, खासकर रिश्तों वाली कहानियाँ, जो मुझे सबसे ज़्यादा उत्तेजित करती हैं। ये कहानी मेरी माँ की है, जो एक स्कूल टीचर हैं। उनका नाम नीता है, उम्र 42 साल। वो दिखने में बहुत खूबसूरत नहीं हैं, लेकिन औरत तो औरत होती है, और यही काफी है। उनका फिगर 34-28-36 है, आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि उनका बदन कितना भरा हुआ और आकर्षक है।
माँ हमेशा साड़ी पहनती हैं, क्योंकि हम गुजराती हैं। मेरे पापा का ट्रांसफर दिल्ली हो गया है, इसलिए अब वो वहाँ रहते हैं। घर में अब सिर्फ हम तीन लोग हैं—मैं, मेरी माँ और मेरी छोटी बहन। ये कहानी उस वक़्त की है, जब माँ स्कूल के प्रिंसिपल के फ्लैट पर एक पार्टी में गई थीं। उस दिन माँ ने मुझसे कहा, “सनी, मुझे आज रात को पार्टी में जाना है, देर हो सकती है, तू मेरा इंतज़ार मत करना। मुझे बस वहाँ तक छोड़ दे।” मैंने हामी भरी और उन्हें अपनी बाइक पर छोड़ने के लिए तैयार हो गया।
माँ ने उस दिन काली रंग की नेट वाली साड़ी पहनी थी, जिसमें उनका पूरा बदन निखर रहा था। गुलाबी रंग का ब्लाउज़, खुले बाल, और नेट की साड़ी की वजह से उनकी कमर, नाभि और पेट साफ़ दिख रहे थे। उनका ये लुक इतना कामुक था कि मैं खुद को देखते रह गया। मुझे शक होने लगा था कि माँ आज शायद कुछ और ही करने वाली हैं, क्योंकि वो बहुत खुश और उत्साहित लग रही थीं। उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी, जो मैंने पहले कभी नहीं देखी थी।
माँ ने कहा, “सनी, मुझे बस पार्किंग तक छोड़ दे, पार्टी ऊपर फ्लैट में है।” मैंने कहा, “ठीक है, माँ।” मैंने उन्हें पुरानी सी दिखने वाली बिल्डिंग की पार्किंग में छोड़ा, जहाँ कोई वॉचमैन भी नहीं था। बिल्डिंग देखकर मुझे थोड़ा अजीब लगा, लेकिन मैंने बाइक पार्क की और सोचा, क्यों ना माँ का पीछा करके देखूँ कि वो किस फ्लैट में जा रही हैं। मैं चुपके से उनके पीछे गया, वो सीढ़ियाँ चढ़ रही थीं, और मैं उनके पीछे-पीछे, बिना उन्हें पता चले।
माँ पाँचवीं मंजिल पर एक फ्लैट में गईं। मैंने देखा कि फ्लैट अंडर कंस्ट्रक्शन था, दरवाज़ा तक नहीं था। बिल्डिंग में ज़्यादातर फ्लैट बंद पड़े थे, शायद कोई वहाँ रहता ही नहीं था। मैं चुपके से अंदर घुस गया, क्योंकि दरवाज़ा ना होने की वजह से कोई दिक्कत नहीं थी। अंदर एक सोफा रखा था, एक एलसीडी टीवी लगा था, और माँ सीधे अंदर के एक कमरे में चली गईं। तभी प्रिंसिपल, जो 55-60 साल का बूढ़ा आदमी था, माँ की कमर में हाथ डालकर उन्हें बाहर लाया। मैं जल्दी से बालकनी में छिप गया और सब कुछ देखने लगा।
प्रिंसिपल और माँ सोफे पर बैठे थे, उसका हाथ माँ के कंधे पर था। तभी कमरे से तीन और आदमी निकले, जो सभी 60 साल से ज़्यादा उम्र के बूढ़े थे। उनके साथ एक औरत भी थी, जो प्रिंसिपल की पत्नी थी। उसका नाम जमना था, वो थोड़ी मोटी थी, उम्र 50 के आसपास, और उसने भी साड़ी पहनी थी। वो तीनों बूढ़े प्रिंसिपल को कह रहे थे, “भाभी गरम हो रही है, जल्दी करो।” मैं समझ गया कि ये कोई साधारण पार्टी नहीं थी।
माँ जमना से मिलीं, कुछ देर बात की, और फिर सब अंदर के कमरे में चले गए। हॉल की लाइट्स बंद कर दी गईं। मैं चुपके से कमरे की तरफ गया। वहाँ दीवार के पास एक बड़ा सा हॉल था, जो शायद कोई स्टोर रूम था, लेकिन मेरे लिए ये जासूसी करने का बेहतरीन मौका था। मैंने अंदर झाँका तो देखा कि ज़मीन पर गद्दे बिछे थे। माँ वहाँ बैठी थीं, उनके बगल में प्रिंसिपल था, जो उनकी कमर पकड़कर उन्हें चूम रहा था। उसका मुँह माँ के गले पर था, और वो धीरे-धीरे उनकी साड़ी के पल्लू को खींच रहा था। माँ की आँखें बंद थीं, और उनके चेहरे पर एक अजीब सी उत्तेजना थी, जैसे वो इस पल का इंतज़ार कर रही थीं।
उधर जमना पर भी दो बूढ़े टूट पड़े थे। एक बूढ़ा उसकी साड़ी उतार रहा था, तो दूसरा उसके होंठों को चूस रहा था। देखते ही देखते माँ और जमना दोनों पूरी नंगी हो गईं। माँ का गोरा बदन, उनकी भारी चूचियाँ और गोल गाँड देखकर मेरा दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा। बूढ़ों ने भी अपने कपड़े उतार दिए और अपने लंड सहलाने लगे। उनके लंड 6-7 इंच के थे, और चमक रहे थे, शायद पहले से ही उत्तेजित थे।
सब बूढ़े माँ और जमना के पास खड़े हो गए और अपने लंड उनके मुँह के पास ले आए। माँ ने एक बूढ़े का लंड पकड़ा और उसे धीरे-धीरे सहलाने लगीं। उनकी उंगलियाँ उस लंड के इर्द-गिर्द लपेटी हुई थीं, और वो उसे प्यार से मसल रही थीं। फिर माँ ने अपनी जीभ निकाली और लंड के सुपारे को चाटने लगीं, जैसे कोई लॉलीपॉप चूस रही हों। उनकी जीभ लंड के ऊपर-नीचे घूम रही थी, और वो धीरे-धीरे पूरा लंड अपने मुँह में लेने लगीं। उधर जमना भी बारी-बारी से दो बूढ़ों के लंड चूस रही थी। कमरे में सिर्फ “आह्ह्ह… उह्ह्ह… अह्ह्ह…” की आवाज़ें गूँज रही थीं। माँ और जमना दोनों मज़े से लंड चूस रही थीं, जैसे उन्हें इसमें बहुत आनंद आ रहा हो।
थोड़ी देर बाद बूढ़ों ने माँ को खड़ा किया और उनकी कमर झुकाई। एक बूढ़ा माँ के सामने आया और अपना लंड उनके मुँह में डाल दिया। प्रिंसिपल पीछे से माँ की चूत के पास आया, उसने अपनी उंगलियों से माँ की चूत को सहलाया, जो पहले से ही गीली थी। उसने अपना लंड माँ की चूत पर रगड़ा और फिर एक झटके में अंदर डाल दिया। माँ की चूत इतनी गीली थी कि लंड आसानी से अंदर चला गया। प्रिंसिपल ने माँ की कमर पकड़ी और ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा। थप-थप-थप की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। माँ के मुँह में लंड होने की वजह से वो सिर्फ “मम्म… उम्म…” की आवाज़ें निकाल रही थीं। उनके बड़े-बड़े दूध हवा में झूल रहे थे, जो हर धक्के के साथ हिल रहे थे।
आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
तभी एक और बूढ़ा माँ के नीचे आया और उनके दूध दबाने लगा। वो माँ की चूचियों को मुँह में लेकर चूसने लगा, कभी एक निप्पल को, तो कभी दूसरा। उसकी जीभ माँ के निप्पल्स पर गोल-गोल घूम रही थी, और वो उन्हें हल्के से काट भी रहा था। माँ की सिसकारियाँ और तेज़ हो गईं। उधर जमना को एक बूढ़ा नीचे लिटाकर उसकी चूत मार रहा था। जमना के पैर हवा में थे, और वो ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रही थी, “आह्ह्ह… चोदो मुझे… और ज़ोर से… आह्ह्ह… फक मी…” उसकी चीखें और चुदाई की थप-थप की आवाज़ पूरे कमरे में गूँज रही थी।
प्रिंसिपल अब तेज़ी से माँ की चूत में धक्के मार रहा था। उसकी पकड़ माँ की कमर पर इतनी सख्त थी कि माँ की गाँड लाल हो गई थी। हर धक्के के साथ उसकी गाँड पर चट-चट की आवाज़ आ रही थी। अचानक प्रिंसिपल ने ज़ोर से हाँफते हुए अपना सारा वीर्य माँ की चूत में उड़ेल दिया। वो थोड़ी देर वैसे ही खड़ा रहा, उसका लंड अभी भी माँ की चूत में था। फिर वो हट गया। उधर जमना को चोद रहा बूढ़ा भी उसकी चूत में झड़ गया। प्रिंसिपल और जमना ने कपड़े पहने और बाहर चले गए। मैं जल्दी से बालकनी में छिप गया।
जब मैं दोबारा कमरे के पास गया, तो माँ की चीखें सुनाई दीं, “आह्ह्ह… उह्ह्ह… थप-थप-थप…” मैंने झाँका तो देखा कि जो बूढ़ा माँ के मुँह में लंड दे रहा था, वो अब माँ को सीधा लिटाकर उनके पैर अपने कंधों पर रखकर उनकी चूत में ज़ोर-ज़ोर से लंड पेल रहा था। उसका हर धक्का इतना ज़ोरदार था कि माँ की चूचियाँ उछल रही थीं। दूसरा बूढ़ा माँ की चूचियों पर चढ़ा था और अपना लंड उनके मुँह में डाल रहा था। माँ की चूत और मुँह, दोनों एक साथ चोदे जा रहे थे।
वो बूढ़ा जो माँ के मुँह में लंड दे रहा था, अचानक उनके मुँह में ही झड़ गया। माँ को उसका सारा वीर्य पीना पड़ा। वो बूढ़ा कपड़े पहनकर चला गया। मैं फिर बालकनी में छिप गया। जब मैं वापस आया, तो देखा कि माँ घोड़ी बनी थीं, और आखिरी बूढ़ा उनकी गाँड में लंड डालने की कोशिश कर रहा था। माँ की गाँड का छेद बहुत टाइट था, सिर्फ लंड का सुपारा ही अंदर गया था। माँ चिल्ला रही थीं, “नहीं… प्लीज़… गाँड में नहीं… मेरी चूत मारो… प्लीज़… मैं मर जाऊँगी…” लेकिन वो ठरकी बूढ़ा नहीं माना। उसने माँ की चूचियाँ पकड़ीं और एक ज़ोरदार झटका मारा। माँ की चीख निकल गई, “आआआ… माँआआ… मर गई…” उनकी आँखों से आँसू बहने लगे। बूढ़ा उनकी गाँड में लंड अंदर-बाहर करने लगा, और माँ चिल्लाती रहीं, “प्लीज़… छोड़ दो… आह्ह्ह… नहीं…”
आखिरकार वो बूढ़ा माँ की गाँड में ही झड़ गया। उसने लंड निकाला तो उस पर थोड़ा खून लगा था। माँ वहीँ उलटी लेटी रहीं, थकान और दर्द से कराह रही थीं। बूढ़ा कपड़े पहनकर चला गया। मैं भी चुपके से बालकनी में गया और वहाँ से निकल गया।
करीब दो घंटे बाद माँ का फोन आया। मैं उन्हें लेने गया। माँ ठीक से चल भी नहीं पा रही थीं, लडख़ड़ा रही थीं। मैंने उन्हें बाइक पर बिठाया और घर ले आया। रात के 2 बज रहे थे। माँ उसी साड़ी में अपने कमरे में गईं और बिना कुछ बोले सो गईं।