हाय दोस्तों, मेरा नाम सुमित है, २२ साल का जवान लड़का, दिल्ली के एक मिडिल-क्लास मोहल्ले में रहता हूँ। मेरी हाइट ५ फीट १० इंच, गोरा रंग, और जिम की वजह से कसी हुई बॉडी। लेकिन ये कहानी मेरे उस अनुभव की है जो तीन दिन पहले हुआ और मेरी जिंदगी को हिला कर रख दिया। मुझे अब भी यकीन नहीं होता कि मैं अपनी माँ, शालिनी, के साथ ऐसा कुछ कर सकता था। माँ, ४० साल की, गदराया जिस्म, गोरी चमड़ी, भारी-भरकम चूचियाँ, और गोल-मटोल गांड वाली औरत। उनकी लाल रेशमी साड़ी, जो उनकी कमर को चूमती है और गहरी नाभि को उभारती है, उन्हें किसी पुरानी फिल्म की हिरोइन जैसा बनाती है। हमारा घर संयुक्त परिवार वाला है—दादा-दादी, चाचा-चाची, और मेरे छोटे भाई-बहन। लेकिन उस दिन घर में सिर्फ मैं, माँ, और सुबह ऑफिस निकलने वाले पापा थे।
उस सुबह पूरा परिवार गाँव में एक शादी के लिए दो दिन के लिए गया था। पापा, जो सरकारी दफ्तर में क्लर्क हैं, सुबह ९ बजे ऑफिस चले गए। माँ, अपनी पसंदीदा लाल साड़ी में, जिसका पल्लू उनकी गोरी कमर पर बार-बार सरक रहा था, कामवाली के साथ घर की साफ-सफाई में जुटी थी। उनका तंग काला ब्लाउज उनकी चूचियों को इस तरह जकड़े था कि हर साँस के साथ वो उभर रही थीं। पेटीकोट उनकी जाँघों पर चिपका हुआ था, जिससे उनकी रसीली गांड की शेप साफ दिख रही थी। मैं अपने कमरे में, जो छोटा-सा लेकिन मेरी दुनिया है, टेबल पर इंजीनियरिंग की किताबें फैलाए स्टडी कर रहा था। दोपहर करीब एक बजे कामवाली चली गई। मैं नोट्स में डूबा था कि तभी माँ की चीख सुनाई दी, “हाय राम!” मैं भागकर बाहर गया।
किचन में माँ फर्श पर गिरी पड़ी थी। उनकी साड़ी जाँघों तक सरक गई थी, और गोरी, मुलायम जाँघें तेल की तरह चमक रही थीं। पेटीकोट का किनारा थोड़ा ऊपर उठा था, और साड़ी का पल्लू नीचे गिरकर उनकी गहरी क्लीवेज को उजागर कर रहा था। मैं घबरा गया।
“माँ, क्या हुआ?” मैंने झट से उन्हें उठाने की कोशिश की।
“फर्श पर पानी पड़ा था, मैंने देखा नहीं और फिसल गई,” माँ ने दर्द से कराहते हुए कहा।
“चोट तो नहीं लगी?”
“टाँग मुड़ गई, लगता है नस खिंच गई। दर्द बहुत हो रहा है।”
“हल्दी वाला दूध पी लो, आराम मिलेगा।”
“नहीं, बेटा, बस टाँग हिल नहीं रही।”
“चलो, मैं आपको बेडरूम तक ले चलता हूँ।”
मैंने माँ का हाथ पकड़ा और धीरे-धीरे उन्हें उनके बेडरूम तक ले गया। बेडरूम पुराने स्टाइल का था—लकड़ी का पलंग, फूलों वाली चादर, और दीवार पर माँ-पापा की शादी की तस्वीर। माँ को बिस्तर पर लिटाया, लेकिन उनकी सिसकारियाँ रुक नहीं रही थीं। “हाय, टाँग हिलाने में जलन सी हो रही है,” माँ ने कहा, उनकी साड़ी अब भी जाँघों तक उलझी थी।
“मैं थोड़ी मालिश कर दूँ?” मैंने हिचकते हुए पूछा।
“हाँ, बेटा, थोड़ा दबा दे,” माँ ने बिना सोचे कहा।
मैंने माँ की टाँग पकड़ी और धीरे-धीरे दबाना शुरू किया। उनकी साड़ी को मैंने थोड़ा ऊपर किया, ताकि पैर और घुटने दबा सकूँ। माँ की चमड़ी इतनी मुलायम थी कि मेरे हाथ फिसल रहे थे। उनकी गोरी जाँघें देखकर मेरा दिल डोल गया, लेकिन मैंने खुद को संभाला।
“कुछ आराम मिल रहा है, माँ?”
“हाँ, बेटा, थोड़ा ठीक लग रहा है।”
“मेरे ख्याल से तेल लगाओ तो जल्दी आराम मिलेगा। मेरे पास बॉडी ऑयल है, लाऊँ?”
“हाँ, वो ठीक रहेगा। जा, ले आ।”
मैं अपने कमरे से सरसों की गंध वाला बॉडी ऑयल ले आया। माँ ने साड़ी को घुटनों तक खींचने की कोशिश की, लेकिन दर्द की वजह से ज्यादा नहीं हुआ। मैंने हिम्मत करके कहा, “माँ, अगर आपको बुरा न लगे तो मैं ही तेल लगा दूँ?”
तभी फोन बजा। पापा का कॉल था। “सुमित, मैं आज रात देर से आऊँगा। ऑफिस में मीटिंग है, खाना बाहर खा लूँगा।”
मैंने माँ को बताया, “पापा का फोन था, वो खाना खाने नहीं आएँगे।”
“अच्छा,” माँ ने हल्के से कहा, उनकी साड़ी का पल्लू फिर सरक गया, और ब्लाउज में उनकी चूचियाँ उभर रही थीं।
“तो, तेल लगा दूँ?”
“हाँ, लगा दे, बेटा।”
मैंने माँ के पैरों पर तेल लगाना शुरू किया। उनकी चमड़ी पर तेल की चमक ऐसी थी जैसे कोई चाँदी का बर्तन। साड़ी और पेटीकोट को मैंने धीरे से घुटनों तक उठाया, और उनकी गोरी जाँघें पूरी तरह नजर आने लगीं। मैं घुटनों तक मालिश करता रहा। माँ की सिसकारियाँ कम हो रही थीं। फिर माँ बोली, “बेटा, दर्द तो जाँघों में ज्यादा है, घुटने से ऊपर।”
“माँ, एक काम करते हैं। आप कम्बल ओढ़ लो, मैं कम्बल के अंदर हाथ डालकर जाँघों की मालिश कर दूँगा।”
“मैं खुद कर लूँगी,” माँ ने हिचकते हुए कहा।
“माँ, आप दर्द में हो, मैं कर दूँगा। जल्दी आराम मिलेगा।”
“ठीक है, अलमारी से कम्बल निकाल दे।”
मैंने अलमारी से मोटा कम्बल निकाला और माँ के ऊपर डाल दिया। फिर कम्बल के अंदर हाथ डालकर मैंने माँ की साड़ी और पेटीकोट को धीरे से जाँघों तक उठाया। उनकी काली पैंटी उनकी गोरी चमड़ी पर चमक रही थी। माँ ने आँखें बंद कर लीं, जैसे कुछ देखना नहीं चाहती थीं। मैंने उनकी जाँघों पर तेल लगाना शुरू किया। उनकी जाँघें इतनी मुलायम और गर्म थीं कि मेरे हाथ काँपने लगे। मैं धीरे-धीरे तेल मल रहा था, और मेरा हाथ कभी-कभी उनकी पैंटी के किनारे को छू जाता था। माँ की साँसें थोड़ी तेज हो रही थीं।
“माँ, कहाँ तक तेल लगाऊँ?”
“बेटा, जाँघों के अंदर की तरफ, वहीं दर्द है।”
मैंने माँ की जाँघों के अंदर तेल लगाना शुरू किया। माँ ने अपनी टाँगें हल्की सी फैला दीं, और अब मेरा हाथ उनकी चूत के पास की गर्मी को महसूस कर रहा था। मैं कम्बल के अंदर और खिसक गया, माँ की टाँगें अपनी कमर के पास रखकर मालिश करने लगा। मेरे लौड़े में हलचल शुरू हो गई थी, लेकिन मैंने खुद को रोका।
“माँ, अगर आप उल्टा लेट जाओ तो मैं पीछे से भी मालिश कर दूँगा।”
“अच्छा, ठीक है।”
“माँ, साड़ी और पेटीकोट को थोड़ा और ऊपर कर दूँ?”
“हाँ, बस जाँघों तक ज़रूरत है।”
माँ पेट के बल लेट गईं। मैं उनकी टाँगों के बीच बैठ गया और उनकी जाँघों के पीछे तेल लगाने लगा। उनकी गांड साड़ी और पेटीकोट के नीचे से उभरी हुई थी, जैसे कोई रसीला आम। मैंने तेल उनकी हिप्स की तरफ बढ़ाया, और मेरे हाथ उनकी पैंटी के किनारे तक पहुँच गए।
“माँ, कुछ आराम मिल रहा है?”
“हाँ, बेटा, बहुत अच्छा लग रहा है।”
“माँ, एक बात बोलूँ?”
“बोल।”
“आपकी जाँघें और हिप्स इतनी मुलायम हैं, जैसे मखमल।”
माँ चुप रही, लेकिन उनकी साँसें और तेज हो गईं। मैंने हिम्मत करके कहा, “माँ, आपकी हिप्स को छूकर मन करता है इन्हें बस मसलता जाऊँ। आपकी कमर भी इतनी चिकनी होगी?”
“तुझे नहीं पता? खुद देख ले,” माँ ने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा।
“माँ, फिर पीठ के बल लेट जाओ।”
माँ वापस पीठ के बल लेट गईं। मैंने कम्बल थोड़ा साइड किया और माँ की साड़ी को पेट तक उठाया। उनकी नाभि गहरी और गोल थी, जैसे कोई मोती। मैंने उनके पेट और कमर पर तेल मलना शुरू किया। उनकी साड़ी का पल्लू पूरी तरह हट गया, और तंग ब्लाउज में उनकी चूचियाँ साँसों के साथ हिल रही थीं। मेरे लौड़े ने पैंट में तंबू बना लिया।
“बेटा, मैं अब मोटी हो गई हूँ, ना?” माँ ने शरारत से पूछा।
“नहीं, माँ, आप तो पहले से ज्यादा कामुक लग रही हो।”
“कामुक? ये क्या होता है?”
“मतलब सेक्सी, माँ। आपकी जाँघें, हिप्स, और ये साड़ी जो आपकी कमर को चूम रही है, सब कुछ इतना मादक है कि कोई भी पागल हो जाए।”
“सच्ची? मैं तुझे इतनी सेक्सी लगती हूँ?”
“हाँ, माँ। क्या मैं आपकी हिप्स पर एक चुम्मा ले सकता हूँ?”
“क्या?” माँ ने चौंककर कहा, लेकिन उनकी आँखों में एक शरारती चमक थी।
“प्लीज, माँ, बस एक बार।”
“ठीक है, लेकिन किसी को बताना मत।”
मैंने कम्बल हटाया और माँ की साड़ी को और ऊपर सरकाया। उनकी पैंटी के ऊपर से मैंने उनकी हिप्स पर एक गहरा चुम्मा लिया। माँ की गांड इतनी रसीली थी कि मैं खुद को रोक नहीं पाया और जीभ से चाटने लगा। माँ की सिसकारी निकली, “आह… बेटा, ये क्या कर रहा है?”
“माँ, आपकी हिप्स तो रेशम से भी मुलायम हैं।”
“अच्छा, शैतान,” माँ ने हँसते हुए कहा।
“माँ, मैं आपकी नाभि पर भी चुम्मा लेना चाहता हूँ।”
“नहीं, बेटा, हिप्स पर तो मैंने करने दिया, लेकिन अब बस।”
“प्लीज, माँ, जब हिप्स पर कर लिया तो नाभि से क्या फर्क?”
“तो तू आखिर चाहता क्या है?”
“माँ, मैं तो आपकी जाँघों को भी चूमना चाहता हूँ। आपकी साड़ी जब आपकी जाँघों पर लिपटती है, तो मन करता है बस उन्हें चूम लूँ।”
माँ ने एक गहरी साँस ली और बोली, “पता नहीं तूने मुझमें क्या देख लिया। ठीक है, जो भी करेंगे, सिर्फ आज करेंगे। इसके बाद कभी इसकी बात नहीं होगी। प्रॉमिस?”
“प्रॉमिस, माँ। मैं आपकी साड़ी और पेटीकोट को और ऊपर कर दूँ?”
“हाँ, कर दे।”
मैंने माँ की साड़ी और पेटीकोट को कमर तक उठा दिया। अब वो सिर्फ ब्लाउज, ब्रा, और पैंटी में थी। उनकी गोरी जाँघें तेल की चमक में चमक रही थीं। मैं उनकी नाभि पर झुका और जीभ से चाटने लगा। माँ ने आँखें बंद कर लीं, उनकी साँसें सिसकारियों में बदल रही थीं। मैंने उनकी जाँघों को दबाया, चूमा, और जीभ से चाटा। उनकी पैंटी के ऊपर से मैंने उनकी चूत पर एक हल्का सा चुम्मा लिया।
“आह… बेटा… ये क्या… उफ्फ, अच्छा लग रहा है,” माँ की आवाज काँप रही थी।
“माँ, मैं आपकी चूत चखना चाहता हूँ।”
“क्या चखना चाहता है?”
“आपकी चूत।”
“चूत क्या होती है, शैतान?”
“चूमकर बताऊँ?”
मैंने फिर से पैंटी के ऊपर से उनकी चूत को चूमा। माँ ने सिसकते हुए कहा, “आह… बेटा, मेरी चूत को और चूम… थोड़ा और।”
“पैंटी के ऊपर से?”
“नहीं, पैंटी निकाल दे।”
मैंने झट से माँ की पैंटी उतार दी। उनकी चूत गुलाबी, गीली, और हल्के बालों से ढकी थी। मैंने जीभ से उनकी चूत को चाटना शुरू किया। माँ की सिसकारियाँ कमरे में गूँजने लगीं, “ईस्स… आह… बेटा, तेरी जीभ… हाय, मेरी चूत में आग लग रही है।” मैंने उनकी चूत के होंठों को चूसा, जीभ अंदर तक डाली, और उनके रस का स्वाद लिया। माँ की कमर हिल रही थी, वो अपनी चूत को मेरे मुँह पर दबा रही थीं। मैंने उनकी चूत की गहराई में उंगली डाली और जीभ से चाटता रहा। माँ की सिसकारियाँ चीखों में बदल गईं, “आह… बेटा… मेरी चूत… उफ्फ, मैं मर जाऊँगी!”
करीब १० मिनट तक मैं उनकी चूत चाटता रहा। माँ की चूत से रस टपक रहा था, और मेरा लौड़ा अब पैंट फाड़ने को तैयार था। मैंने कहा, “माँ, मेरा लौड़ा अब बेकरार है।”
“लौड़ा क्या होता है?” माँ ने शरारत से पूछा।
मैंने पैंट और अंडरवियर उतार दिया। मेरा ७ इंच का लौड़ा, मोटा और सख्त, माँ के सामने तनकर खड़ा था। माँ ने चौंककर कहा, “हाय राम, ये क्या… इतना बड़ा? तू कब से इतना गंदा हो गया कि अपनी माँ के सामने लौड़ा निकाल दे?”
“माँ, ये लौड़ा तुम्हारी चूत के लिए मचल रहा है।”
“बेटा, माँ की चूत में बेटे का लौड़ा नहीं जा सकता। ये पाप है।”
“माँ, तुम सबसे पहले एक औरत हो, और मैं एक मर्द। एक मर्द का लौड़ा औरत की चूत में न जाए तो कहाँ जाए?”
“लेकिन… अगर बच्चा हो गया?”
“माँ, मैं अपना माल बाहर निकालूँगा। प्रॉमिस।”
माँ ने एक गहरी साँस ली और बोली, “ठीक है, बेटा। अपनी माँ की चूत की आग बुझा दे। मेरी चूत तेरे लौड़े की भूखी है।”
“माँ, पहले तुम मेरे लौड़े को चूम तो लो।”
“क्या?”
“प्लीज, माँ, बस एक बार।”
माँ ने हिचकते हुए मेरा लौड़ा पकड़ा। उनकी उंगलियाँ मेरे लौड़े पर ऐसी फिरीं जैसे कोई रेशमी रस्सी। फिर वो झुकीं और मेरे लौड़े के सुपारे पर एक हल्का सा चुम्मा लिया। उनकी गर्म साँसों ने मेरे लौड़े में आग लगा दी। मैंने कहा, “माँ, इसे मुँह में लो।” माँ ने मेरे लौड़े को मुँह में लिया और धीरे-धीरे चूसने लगी। उनकी जीभ मेरे लौड़े के चारों तरफ घूम रही थी, और मैं सातवें आसमान पर था। “आह… माँ, तुम्हारा मुँह तो जन्नत है।” माँ ने मेरे लौड़े को गहराई तक लिया, और उनकी सिसकारियाँ मेरे लौड़े को और सख्त कर रही थीं।
करीब ५ मिनट तक माँ मेरे लौड़े को चूसती रही। फिर मैंने कहा, “माँ, अब तुम्हारी चूत की बारी है।”
मैंने माँ को पीठ के बल लिटाया और उनकी टाँगें धीरे-धीरे फैलाईं। उनकी चूत गीली और गर्म थी, जैसे कोई भट्टी जल रही हो। उनकी साड़ी और पेटीकोट कमर पर उलझे थे, और उनकी चूचियाँ ब्लाउज से बाहर झाँक रही थीं। मैंने अपना लौड़ा उनकी चूत पर रगड़ा, और माँ की सिसकारी निकली, “आह… बेटा, डाल दे… मेरी चूत तड़प रही है।” मैंने धीरे से लौड़े का सुपारा उनकी चूत के होंठों पर रखा। उनकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लौड़ा अटक सा गया। मैंने एक हल्का धक्का मारा, और माँ की चीख निकली, “आह… धीरे, बेटा… तेरी माँ की चूत फट जाएगी!”
मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। माँ की चूत मेरे लौड़े को निचोड़ रही थी, और हर धक्के के साथ उनकी चूचियाँ ब्लाउज में उछल रही थीं। मैंने उनके ब्लाउज के बटन खोले और काली ब्रा को साइड किया। माँ की चूचियाँ, गोल और भारी, मेरे सामने थीं। मैंने उनके गुलाबी निप्पलों को चूसा, और माँ की कमर हिलने लगी। “आह… बेटा… मेरी चूचियाँ… चूस ले… अपनी माँ का दूध पी।” मैंने एक हाथ से उनकी चूची मसली और दूसरा निप्पल मुँह में लिया, जबकि मेरा लौड़ा उनकी चूत में गहराई तक जा रहा था।
माँ की साँसें तेज थीं, और उनकी चूत से रस टपक रहा था। मैंने धक्कों की रफ्तार बढ़ाई, और कमरे में चप-चप की आवाज गूँजने लगी। माँ की आँखें आधी बंद थीं, और वो मेरे कंधों को नाखूनों से खुरच रही थीं। “आह… बेटा… तेरा लौड़ा… मेरी चूत को चीर रहा है… और जोर से चोद!” मैंने उनकी टाँगें अपने कंधों पर उठाईं, जिससे मेरा लौड़ा उनकी चूत की गहराई तक पहुँच गया। माँ की कमर अचानक अकड़ने लगी, और उनकी चूत मेरे लौड़े को जकड़ रही थी। “आह… बेटा… मैं झड़ रही हूँ!” माँ की चीख कमरे में गूँजी, और उनकी चूत से गर्म रस बहने लगा, जो मेरी जाँघों तक पहुँच गया। उनका शरीर काँप रहा था, और उनकी आँखें आनंद से बंद थीं।
माँ के पहले झड़ने के बाद मैंने उन्हें पलटा और घोड़ी बनाया। उनकी साड़ी और पेटीकोट कमर पर उलझे थे, और उनकी गांड मेरे सामने थी, गोल, रसीली, और तेल से चमकती हुई। मैंने उनकी गांड को दोनों हाथों से पकड़ा और सहलाया। माँ की सिसकारी निकली, “आह… बेटा, तूने तो मेरी चूत को जन्नत दे दी… अब क्या करेगा?” मैंने उनकी चूत में पीछे से लौड़ा डाला, और माँ की कमर झटके से हिल गई। “आह… बेटा… तेरा लौड़ा… मेरी चूत को फिर से जला रहा है!” मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए, और माँ की चूत मेरे लौड़े को निचोड़ रही थी।
मैंने उनकी गांड पर हल्का सा थप्पड़ मारा, और माँ की चीख निकली, “उफ्फ… शैतान… मार और… चोद अपनी माँ को!” मैंने उनकी कमर पकड़ी और तेज धक्के मारने शुरू किए। माँ की चूचियाँ नीचे लटक रही थीं, और हर धक्के के साथ वो हिल रही थीं। मैंने एक हाथ आगे बढ़ाकर उनकी चूची मसली, और माँ की सिसकारियाँ गालियों में बदल गईं, “आह… मादरचोद… और जोर से चोद… मेरी चूत को फाड़ दे!” मैंने उनकी गांड के छेद पर उंगली फेरी, और माँ उछल पड़ी, “नहीं, बेटा… वहाँ नहीं… मेरी गांड अभी कुंवारी है।”
“माँ, तुम्हारी गांड भी चोदूँगा,” मैंने शरारत से कहा।
“शैतान… पहले मेरी चूत को और झाड़ दे,” माँ ने हाँफते हुए कहा।
मैंने धक्कों की रफ्तार और बढ़ाई। माँ की चूत से रस बह रहा था, और कमरे में चप-चप की आवाज गूँज रही थी। मैंने उनके बाल पकड़े और हल्के से खींचा, जिससे माँ की कमर और पीछे झुक गई। माँ की साँसें तेज हो गईं, और उनकी चूत फिर से कसने लगी। “आह… बेटा… मेरी चूत… मैं फिर झड़ रही हूँ!” माँ की चीख के साथ उनकी चूत ने मेरे लौड़े को जकड़ लिया, और उनका रस मेरी जाँघों पर बहने लगा। उनका शरीर काँप रहा था, और वो बिस्तर पर लटक गईं, हाँफते हुए बोलीं, “बेटा… तूने मेरी चूत को पागल कर दिया।”
माँ के दूसरे झड़ने के बाद मैंने खुद बिस्तर पर लेट गया और कहा, “माँ, अब तुम मेरे लौड़े पर बैठो।” माँ ने अपनी साड़ी और पेटीकोट को और ऊपर किया और मेरे लौड़े पर बैठ गई। उनकी चूत मेरे लौड़े को निगल रही थी, और माँ की सिसकारी निकली, “आह… बेटा… तेरा लौड़ा… मेरी चूत को भर रहा है।” माँ ने धीरे-धीरे उछलना शुरू किया, और उनकी चूचियाँ मेरे सामने हिल रही थीं। मैंने उनकी चूचियों को पकड़ा और मसला, और माँ की सिसकारियाँ तेज हो गईं, “आह… बेटा… मेरी चूचियाँ… दबा और… चोद अपनी माँ को!”
माँ की कमर लचक रही थी, और उनकी चूत मेरे लौड़े पर ऊपर-नीचे हो रही थी। उनकी साड़ी का पल्लू पूरी तरह गिर चुका था, और उनका ब्लाउज खुला हुआ था। मैंने उनकी ब्रा को पूरी तरह उतार दिया, और उनकी चूचियाँ मेरे सामने नंगी थीं। मैंने उनके निप्पलों को चूसा, और माँ की कमर और तेजी से हिलने लगी। “आह… बेटा… तेरा लौड़ा… मेरी चूत की गहराई तक जा रहा है… उफ्फ, ये क्या सुख है!” माँ ने मेरे सीने पर हाथ रखा और और तेजी से उछलने लगी। उनकी चूत मेरे लौड़े को जकड़ रही थी, और उनका रस मेरे लौड़े पर चिपक रहा था।
मैंने माँ की गांड को पकड़ा और उनकी रफ्तार को और बढ़ाया। माँ की चीखें कमरे में गूँज रही थीं, “आह… बेटा… मेरी चूत… तेरा लौड़ा… हाय, मैं फिर से झड़ रही हूँ!” माँ की कमर अकड़ गई, और उनकी चूत ने मेरे लौड़े को इस तरह जकड़ा जैसे कोई मखमल की मुट्ठी। उनका रस मेरे लौड़े पर बह रहा था, और माँ का शरीर काँपते हुए मेरे ऊपर गिर गया। वो हाँफते हुए बोली, “बेटा… तेरे लौड़े ने मेरी चूत को स्वर्ग दिखा दिया।”
माँ के तीसरे झड़ने के बाद मैंने उन्हें बगल में लिटाया और उनके पीछे लेट गया। उनकी साड़ी अब पूरी तरह बिस्तर पर बिखरी थी, और उनकी गांड मेरे लौड़े के सामने थी। मैंने उनका एक पैर थोड़ा ऊपर उठाया और पीछे से उनकी चूत में लौड़ा डाला। माँ की सिसकारी निकली, “आह… बेटा… तेरा लौड़ा… मेरी चूत को और गहराई तक चोद रहा है।” मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए, और माँ की चूत मेरे लौड़े को गर्मी से लपेट रही थी।
मैंने एक हाथ से माँ की चूची पकड़ी और दूसरा हाथ उनकी कमर पर रखा। माँ की साँसें तेज थीं, और वो मेरे धक्कों के साथ अपनी कमर हिला रही थीं। “आह… बेटा… तेरे लौड़े का स्पर्श… मेरी चूत को पागल कर रहा है।” मैंने उनके गले पर चुम्मा लिया और उनके कानों में फुसफुसाया, “माँ, तुम्हारी चूत मेरे लौड़े की जन्नत है।” माँ ने सिसकते हुए कहा, “आह… बेटा… और जोर से चोद… अपनी माँ की चूत को फिर से झाड़ दे।”
मैंने धक्कों की रफ्तार बढ़ाई, और माँ की चूत से फिर रस बहने लगा। कमरे में चप-चप की आवाज और माँ की सिसकारियाँ गूँज रही थीं। माँ की कमर फिर से अकड़ने लगी, और उनकी चूत ने मेरे लौड़े को जकड़ लिया। “आह… बेटा… मैं फिर झड़ रही हूँ!” माँ की चीख के साथ उनका रस मेरे लौड़े पर बहने लगा, और उनका शरीर काँपते हुए मेरे खिलाफ सट गया। वो हाँफते हुए बोली, “बेटा… मेरी चूत अब और नहीं सह सकती… लेकिन तेरा लौड़ा रुकता क्यों नहीं?”
माँ के चौथे झड़ने के बाद मैंने उन्हें खड़ा किया और बेड के किनारे झुकाया। उनकी साड़ी अब पूरी तरह बिस्तर पर गिरी थी, और वो सिर्फ खुले ब्लाउज में थी। मैंने पीछे से उनकी चूत में लौड़ा डाला, और माँ की चीख निकली, “आह… बेटा… तेरा लौड़ा… मेरी चूत को चीर रहा है।” मैंने उनकी कमर पकड़ी और तेज धक्के मारने शुरू किए। माँ की चूचियाँ हवा में हिल रही थीं, और उनकी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं, “आह… बेटा… और जोर से… चोद अपनी माँ को!”
मैंने उनकी गांड को सहलाया और एक हल्का थप्पड़ मारा। माँ की सिसकारी निकली, “उफ्फ… शैतान… मार और… मेरी चूत को पेल!” मैंने धक्कों की रफ्तार और बढ़ाई, और माँ की चूत मेरे लौड़े को निचोड़ रही थी। मैंने उनके बाल पकड़े और हल्के से खींचा, जिससे माँ की कमर और पीछे झुक गई। माँ की साँसें तेज हो गईं, और उनकी चूत फिर से कसने लगी। “आह… बेटा… मेरी चूत… मैं फिर से झड़ रही हूँ!” माँ की चीख के साथ उनकी चूत ने मेरे लौड़े को जकड़ लिया, और उनका रस मेरी जाँघों पर बहने लगा। उनका शरीर काँप रहा था, और वो बेड पर टिक गईं, हाँफते हुए बोली, “बेटा… तूने मेरी चूत को बार-बार झाड़ दिया… अब तू कब झड़ेगा?”
करीब २५ मिनट तक मैंने माँ को इन सभी पोज में चोदा। माँ की चूत मेरे लौड़े को निचोड़ रही थी, और उनकी सिसकारियाँ मेरे कानों में रस घोल रही थीं। मैंने उनकी चूचियों को चूसा, उनकी गांड को मसला, और उनकी चूत को गहराई तक पेला। माँ भी पूरी तरह खुल गई थीं। वो मेरे लौड़े पर उछल रही थीं, “आह… बेटा… तेरा लौड़ा… मेरी चूत का मालिक है… चोद… और चोद!”
मैं भी अब झड़ने के करीब था। “माँ, मेरा माल निकलने वाला है!”
“बाहर निकाल, बेटा!” माँ ने हाँफते हुए कहा।
मैंने लौड़ा उनकी चूत से निकाला और उनकी चूचियों पर सारा माल छोड़ दिया। माँ की चूचियाँ मेरे रस से चमक रही थीं। हम दोनों हाँफते हुए बिस्तर पर गिर पड़े। माँ ने मुझे गले लगाया और मेरे माथे पर चूमा। “बेटा, ये हमारा राज रहेगा,” माँ ने धीरे से कहा।
“हाँ, माँ, ये सिर्फ हम दोनों का है।”
थोड़ी देर बाद माँ ने अपनी पैंटी, ब्रा, और साड़ी ठीक की। उनकी साड़ी अब भी उनकी कमर पर लिपटी थी, लेकिन उनकी आँखों में एक नई चमक थी। मैंने भी कपड़े पहने और किचन में जाकर खाना बनाया। हमने साथ खाना खाया, और माँ ने मुझे शरारती नजरों से देखा। “बेटा, तूने अपनी माँ की आग बार-बार बुझाई, लेकिन ये आग फिर लगेगी,” माँ ने हँसते हुए कहा।
“माँ, जब भी आग लगे, तेरा बेटा तैयार है,” मैंने पलटकर कहा।
उस रात पापा देर से आए, और हमने कुछ नहीं बताया। लेकिन अब हर बार जब माँ मुझे अकेले में देखती हैं, उनकी आँखों में वही शरारत चमकती है। दोस्तों, ये मेरी जिंदगी का वो सच है जो मैं कभी नहीं भूल सकता। माँ की चूत और मेरे लौड़े की ये कहानी सिर्फ हमारा राज है।