मैं, विजय कपूर, 62 साल का रिटायर्ड फौजी, अब गांव में अपनी खेती-बाड़ी संभालता हूँ। फौज की सख्त जिंदगी के बाद गांव की खुली हवा और खेतों की हरियाली मुझे सुकून देती है। मेरी पत्नी का देहांत कई साल पहले हो चुका था, मगर संयुक्त परिवार की वजह से कोई तकलीफ नहीं थी। खाना-पानी समय पर मिल जाता था, और खेतों पर काम करने वाली लड़कियों की वजह से मेरी जिस्मानी भूख भी मिट जाती थी। मेरा शरीर उम्र के हिसाब से अभी भी मजबूत है, चौड़ा सीना, फौजी अनुशासन, और आँखों में एक शरारती चमक, जो मेरी शख्सियत को और निखारती थी।
गर्मियों की छुट्टियों का वक्त था। मेरे बड़े भैया की बेटी, मीना, अपनी 19 साल की बेटी पायल के साथ गांव आई थी। पायल कॉलेज के पहले साल में दाखिला लेने वाली थी। दो साल पहले जब पायल आई थी, तब वो एक नाजुक, शर्मीली-सी लड़की थी, लेकिन अब वो जवानी की आग बन चुकी थी। उसका गोरा रंग, सेब जैसे गाल, 36 साइज की कसी हुई चूचियां, और भारी-भरकम चूतड़ देखकर किसी का भी लंड खड़ा हो जाए। उसकी पतली कमर और चलते वक्त चूतड़ों का लचकना ऐसा था कि कोई भी उसे देखकर पागल हो जाए। उसकी आँखों में मासूमियत थी, मगर देह में जवानी का उफान साफ दिखता था।
मेरा रोज का रूटीन था कि सुबह-सुबह तैयार होकर अपने खेतों पर चला जाता था। वहाँ मेरा फॉर्म हाउस था, जहाँ मैं दिनभर रहता। वहाँ मालिश करवाना, खेतों की देखभाल, और कभी-कभी किसी लड़की के साथ चुदाई का मजा लेना, यही मेरी जिंदगी थी। आने-जाने के लिए मेरे पास एक शानदार घोड़ा था, जिसे मैं बड़े गर्व से चलाता था। पायल के गांव आने का चौथा दिन था।
उस सुबह, मैं अपने घोड़े पर जाने के लिए तैयार हो रहा था। मैंने अपनी पुरानी फौजी पैंट और कुर्ता पहना था, जो मेरी मजबूत काया को और निखारता था। तभी पायल, नीली सलवार-कमीज में सजी-धजी, मेरे पास आई और बोली, “नानू, हमको घुड़सवारी सिखा दीजिए।”
उसकी उत्सुकता देखकर मैंने मुस्कुराते हुए पूछा, “घोड़े पर चढ़ना चाहती हो, बेटा?”
पायल ने मासूमियत से सिर हिलाया, “जी, नानू।”
“ठीक है, तो चलो। आज ही सिखा देता हूँ,” मैंने कहा और अपने घोड़े की ओर इशारा किया।
पायल खुशी से उछल पड़ी, “जी, अभी आई!” वो जल्दी से अंदर चली गई और कुछ ही मिनटों में तैयार होकर आ गई। उसने अपनी नीली सलवार-कमीज को और सँवारा, बालों को चोटी में बाँधा, और आँखों में हल्का-सा काजल लगाया था, जो उसे और भी हसीन बना रहा था।
मैंने उसे घोड़े पर चढ़ाया और खुद भी पीछे चढ़ गया। घोड़ा चलने लगा तो पायल मेरे सामने बैठी थी, और उसकी मुलायम चूतड़ मेरे लंड से बार-बार टकरा रहे थे। उसकी कमर की गर्मी और चूतड़ों की नरमी मेरे जिस्म में सनसनी पैदा कर रही थी। रास्ते भर मेरा लंड तनता गया, और जब हम फॉर्म हाउस पहुँचे, तो मेरे जांघिया में गीलापन साफ महसूस हो रहा था। लंड के टोपे पर कामरस की बूँदें जमा हो चुकी थीं।
फॉर्म हाउस पर पहुँचकर मैं बेड पर लेट गया। पायल सोफे पर बैठकर एक मैगजीन पलटने लगी। मैंने अपने मालिश वाले लड़के को बुलाया और अपने कपड़े उतार दिए। अब मेरे बदन पर सिर्फ जांघिया था। मालिश करवाते वक्त मैंने पायल की ओर देखा, वो मैगजीन में डूबी थी, लेकिन उसकी आँखों में एक अजीब-सी बेचैनी थी। मालिश के बाद मैंने गन्ने का रस मँगवाया। मैंने और पायल ने साथ बैठकर रस पिया। उसकी गोरी उंगलियाँ गिलास पकड़े हुए थीं, और होंठों पर रस की बूँदें चमक रही थीं। शाम तक हम दोनों घर वापस आ गए।
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अगले दिन फिर वही रूटीन था। मैं और पायल घोड़े पर सवार होकर फॉर्म हाउस पहुँचे। मालिश वाला लड़का आया, और पायल फिर मैगजीन पढ़ने लगी। लेकिन आज टेबल पर रखी मैगजीन्स में दो ऐसी थीं, जिनमें अश्लील कहानियाँ और तस्वीरें थीं। पायल जैसे-जैसे पन्ने पलट रही थी, उसके गाल लाल होने लगे। उसकी साँसें तेज हो रही थीं, और आँखों में एक अजीब-सी चमक थी। मालिश वाले के जाने के बाद पायल ने मुझसे पूछा, “नानू, आप रोज मालिश करवाते हैं क्या?”
मैंने उसकी ओर देखते हुए कहा, “हाँ, बेटा, रोज करवाता हूँ। घुड़सवारी करने वाले को मालिश करानी चाहिए, ताकि टाँगें मजबूत रहें।”
वो बोली, “तो अगर मैं घुड़सवारी करूँगी, तो मुझे भी मालिश करानी पड़ेगी?”
मैंने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, “हाँ, अगर मालिश करवाएगी, तो घोड़े पर तेरा कंट्रोल रहेगा। आ जा, मैं तेरी मालिश कर देता हूँ।”
पायल थोड़ा हिचकिचाई, फिर बेड पर आ गई। मैंने दरवाजा बंद कर दिया। उसकी जवान देह को छूने का ख्याल मेरे लंड में तूफान ला रहा था। पायल ने अपनी सलवार को टाँगों से थोड़ा ऊपर कर लिया। मैंने कहा, “अरे बेटा, मालिश ऐसे थोड़ी होती है। मालिश के लिए कपड़े पूरे उतारने पड़ते हैं।”
वो शरमाते हुए बोली, “मगर नानू… आपके सामने… मैं कैसे उतारूँ?”
मैंने नरम लहजे में कहा, “इसमें शरमाने की क्या बात है? मैं तेरा नाना हूँ, तू मेरी नातिन। मुझसे कैसी शर्म? अगर मालिश करवानी है, तो कपड़े उतारने ही पड़ेंगे, वरना फायदा नहीं होगा।”
वो थोड़ी देर सोच में पड़ गई। फिर हिम्मत करके उसने सलवार का नाड़ा खोलना शुरू किया। जैसे-जैसे सलवार नीचे सरक रही थी, उसकी गोरी, चिकनी जाँघें मेरे सामने नंगी हो रही थीं। मेरे अंदर की हवस का शैतान जाग चुका था। उसकी सलवार पूरी उतर गई, और नीचे उसने काली कच्छी पहनी थी। वो अपनी कमीज से कच्छी को ढकने की कोशिश कर रही थी, मगर कमीज छोटी थी, जाँघें पूरी ढक नहीं पा रही थीं।
वो मेरे सामने पीठ के बल लेट गई। मैंने उसकी नर्म, मुलायम जाँघों को पहले हल्के से छुआ। उसकी कोमल जाँघों का स्पर्श मेरे लंड को तैश में ला रहा था। मेरे जांघिया में मेरा लंड किसी सांप की तरह फुंफकार रहा था। पायल चोर नजरों से मेरे लंड को देख रही थी, मगर साफ नहीं दिखाना चाहती थी कि उसकी नजर मेरे तने हुए लंड पर जा रही है। मैंने तेल की शीशी से तेल लिया और उसकी गोरी जाँघों की मालिश शुरू कर दी।
उसकी मखमली जाँघों पर मेरे सख्त फौजी हाथ पड़े, तो शायद उसे भी मर्द की छुअन का अहसास उत्तेजित करने लगा। अब वो अपनी कच्छी को छिपाने की कोशिश नहीं कर रही थी। उसकी कच्छी के अंदर उसकी चूत छिपी थी, और मैं उसे गर्म करने की पूरी कोशिश कर रहा था। गांव की काली चूतें तो मैंने बहुत चोदी थीं, मगर अब उनमें वो मजा नहीं आता था। पायल की गुलाबी, कुंवारी चूत मेरे लिए किसी खजाने से कम नहीं थी। मेरा लंड जांघिया में पूरा तन चुका था, और लाल जांघिया में मेरा सांवला लंड बार-बार फन उठा रहा था।
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पायल की हालत भी खराब हो रही थी। जैसे-जैसे मेरे हाथ उसकी चूत की तरफ बढ़ रहे थे, उसकी जाँघें अपने आप फैलने लगी थीं। मैं जानबूझकर अपने अँगूठे को उसकी चूत के पास ले जा रहा था, और कच्छी के ऊपर से उसकी चूत को छूने की कोशिश कर रहा था। उसकी चूत के आसपास एक भी बाल नहीं था, और ऐसा लग रहा था कि उसकी चूत बिल्कुल चिकनी और कुंवारी होगी।
जब मेरी बर्दाश्त की हद पार हो गई, तो मैंने बहाने से उसकी चूत को अपने अँगूठे से छूना शुरू किया। बार-बार मेरा अँगूठा उसकी कच्छी को हल्का सा उठाकर उसकी चूत की फांकों को छू रहा था। पायल की आँखें बंद होने लगी थीं, और उसके होंठ हल्के से खुल रहे थे। उसके चेहरे पर शर्म और हवस का मिश्रण साफ दिख रहा था। मेरे जांघिया में लंड के टोपे पर कामरस का धब्बा बन चुका था।
अब मैंने उसकी जाँघों को और जोर से मसलना शुरू किया। मेरी उंगलियाँ उसकी चूत तक पहुँच रही थीं। पहली बार जब मेरी उंगली उसकी नर्म चूत की फांकों तक पहुँची, तो वो अहसास मेरे लिए बिजली का झटका था। पायल की तरफ से कोई विरोध नहीं था। मैंने उसकी चूत को कभी अँगूठे से, तो कभी उंगलियों से छूना शुरू किया। उसकी कच्छी के अंदर मेरी उंगलियाँ उसकी गर्म चूत की गर्मी महसूस कर रही थीं। उसकी कच्छी गीली हो चुकी थी, और मेरा लंड भी बेकाबू हो रहा था।
मैंने हिम्मत करके उसकी चूत पर पूरा हाथ रख दिया। जैसे ही मेरा हाथ उसकी चूत पर लगा, मेरा लंड टनटना गया। पायल के मुँह से हल्की-सी सिसकारी निकली, “आह्ह…” मैं समझ गया कि अब देर करने से काम बिगड़ सकता है।
मैंने पूछा, “बेटा, कैसा लग रहा है?”
वो शरमाते हुए बोली, “अच्छा लग रहा है, नानू।”
मैंने कहा, “क्या मैं तेरी कच्छी उतार दूँ? नहीं तो तेल के दाग लग जाएँगे।”
वो बोली, “उतार दो, नानू।”
उसके जवाब में समर्पण साफ झलक रहा था। मैंने बिना देर किए उसकी कच्छी को खींचकर उसकी जाँघों से नीचे सरका दिया। उसकी गुलाबी, कुंवारी चूत को देखकर मेरा मन प्रफुल्लित हो उठा। उसकी चूत इतनी चिकनी और ताजा थी कि मैं उसे चूमने को बेताब हो गया। मैंने मालिश का बहाना बनाकर उसकी चूत को अपने अँगूठे से रगड़ना शुरू किया। उसकी चूत से निकल रहा कामरस उसकी उत्तेजना का सबूत था।
मैं उसे और गर्म करना चाहता था, ताकि वो खुद मेरे लंड की माँग करे। मैंने उसकी जाँघों और चूत के आसपास ही अपनी उंगलियाँ घुमाईं। उसकी टाँगें अब पूरी फैल चुकी थीं। उसकी चूत को देखकर मैं खुद को रोक नहीं पा रहा था, मगर मैं चाहता था कि वो खुद लंड के लिए तड़पे।
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मैंने कहा, “पायल बेटा, ऊपर वाले हिस्से की मालिश भी करवाएगी?”
वो बोली, “हाँ, नानू।”
मैंने कहा, “तो अपनी कमीज उतार दे।”
वो उठी और एक झटके में अपनी कमीज उतार दी। उसने नीचे ब्रा नहीं पहनी थी। उसकी गोरी, कसी हुई चूचियां और गुलाबी निप्पल मेरे सामने थे। मैं पागल हो गया। उसकी चूचियां इतनी खूबसूरत थीं कि किसी भी मर्द का लंड तन जाए। मैंने तेल लिया और उसके पेट पर मालिश शुरू की, धीरे-धीरे उसकी चूचियों तक पहुँचा।
अब कोई शर्म नहीं बची थी। मेरे हाथ उसकी चूचियों पर थे, और मैं उन्हें मसल रहा था। पायल का बदन काँप रहा था, और मेरी टाँगें भी। इतनी कामुकता मैंने सालों बाद महसूस की थी। मैं उसके संगमरमर जैसे बदन को जितना हो सके, भोगना चाहता था। उसकी चूचियों को दबाते हुए मैं उसकी चूत को भी रगड़ रहा था। वो अपनी गाँड उठाकर मेरे हाथों की ओर बढ़ रही थी, जैसे उसका जिस्म मेरे लंड की माँग कर रहा हो।
मैंने उसकी चूचियों को जोर से दबाया, तो उसके मुँह से सिसकारी निकली, “आह्ह… नानू… ऐसा मत करो…”
मैंने पूछा, “क्या हुआ, बेटा?”
वो चुप रही, आँखें बंद करके लोचने लगी। उसका बदन नागिन की तरह बलखा रहा था। मैंने उसकी चूत में उंगली डाल दी। उसकी कुंवारी चूत इतनी टाइट थी कि मेरी उंगली को रास्ता बनाने में मेहनत करनी पड़ी। वो मुझे अपनी ओर खींचने लगी। उसकी उत्तेजना मेरे से कहीं ज्यादा थी। मैंने उसे अपने पास लिटाया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उसकी चूत मेरे जांघिया पर रगड़ खाने लगी। वो बार-बार मेरे तने हुए लंड पर अपनी चूत को रगड़ रही थी।
हम दोनों का हाल बेहाल था। मैंने उसके होंठों का रस पीते हुए उसकी चूत में उंगली से चोदना शुरू किया। उसकी चूत से निकल रहा रस मेरे लंड को और बेकाबू कर रहा था। मैंने उसके होंठ छोड़कर उसकी चूचियों को मुँह में लिया और निप्पलों को चूसने लगा। वो मेरे लंड को जांघिया के ऊपर से मसलने लगी।
मेरा फौजी लंड अब उसकी कुंवारी चूत में जाने को तड़प रहा था। मैंने उसकी चूचियों के निप्पलों को हल्के से काटा, तो वो सिसक उठी, “उह्ह… नानू…” उसने मेरे जांघिया को खींचकर उतार दिया और मेरे लंड को अपने कोमल हाथों में ले लिया। वो मेरे लंड के सुपारे को ऊपर-नीचे करने लगी। उसकी नरम उंगलियों में मेरा लंड और सख्त हो गया।
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मैंने उसे पीठ के बल लिटाया और उसकी चूत को चाटना शुरू किया। उसकी कुंवारी चूत की खुशबू मुझे पागल कर रही थी। मैंने उसकी चूत की फांकों को जीभ से चाटा, और वो सिसकियाँ लेने लगी, “आह्ह… ओह्ह… नानू…” उसकी चूत से रस टपक रहा था। मैंने दो मिनट तक उसकी चूत को जीभ से चोदा, फिर उसकी टाँगें फैलाईं और अपना जांघिया पूरी तरह उतार दिया।
मैंने पायल को अपनी गोद में बिठाया। अब हम दोनों पूरी तरह नंगे थे। मैंने कहा, “तूने घोड़े की सवारी तो कर ली, अब मेरे लौड़े की सवारी भी कर ले। जैसा मैं कहूँ, वैसा करना। उठ जा।”
वो उठी, और मैंने अपने मोटे लंड पर तेल लगाया। फिर मैंने कहा, “अपनी चूत को मेरे लंड पर टिका दे, और झटके से बैठ जा।”
उसने मेरे लंड को अपनी चूत के मुँह पर टिकाया और एक झटके में बैठ गई। मेरे लंड का सुपारा उसकी टाइट चूत में घुसा, और उसकी चीख निकल गई, “उम्म्ह… आह्ह… हाय…” मगर वो रुकी नहीं। उसने दर्द सहा और मेरे सीने से लिपट गई। मैंने नीचे से एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा लंड उसकी चूत में पूरा घुस गया। वो मेरी पीठ पर अपने नाखून गड़ाने लगी, और मैंने उसे अपनी बाँहों में कस लिया।
दो मिनट तक वो मेरे सीने से चिपकी रही। जब दर्द कम हुआ, तो उसने मेरी आँखों में देखा। उसकी आँखों में लंड की मदहोशी साफ दिख रही थी। मैंने कहा, “अब तू मेरे लौड़े पर सवार हो गई। मेरे कंधों को पकड़ और अपनी चूत की सवारी शुरू कर।”
उसने मेरे कंधों को थामा और उछलना शुरू किया। “गच-गच” की आवाज के साथ मेरा लंड उसकी चूत में अंदर-बाहर होने लगा। उसकी चूचियां मेरे सामने उछल रही थीं। मैंने एक चूची को मुँह में लिया और चूसने लगा। पायल ने मेरे बाजुओं को पकड़ा और पूरे रिदम में मेरे लंड पर कूदने लगी। मैंने उसकी कमर थामकर उसे और तेज उछालना शुरू किया। पंद्रह मिनट की चुदाई में उसकी चूत ने तीन बार पानी छोड़ा। “आह्ह… ओह्ह… नानू…” वो हर धक्के के साथ सिसक रही थी।
अब मेरा लंड भी हांफने लगा था। मैंने उसे बेड पर पटका, उसकी टाँगें उठाईं, और अपना लंड उसकी चूत में पेलना शुरू किया। “पच-पच” की आवाज कमरे में गूँज रही थी। वो कराह रही थी, “उह्ह… नानू… धीरे…” मगर उसकी कुंवारी चूत का मजा इतना था कि मैं रुक नहीं सका। उसकी चूत चरमरा रही थी, और मेरा वीर्य निकलने को तैयार था।
दो मिनट के जोरदार धक्कों के बाद मेरे लंड ने उसकी चूत में पिचकारी मारनी शुरू की। “पिच्च… पिच्च…” उसकी चूत मेरे वीर्य से भर गई। मैं उसके ऊपर हांफता हुआ लेट गया। वो भी थककर चूर हो चुकी थी। मेरा लंड बाहर निकाला, तो उसकी चूत का खून उस पर लगा था। उसकी चूत फैलने के बाद अपने आकार में आने की कोशिश कर रही थी।
मैंने अपना जांघिया पहन लिया। पायल अभी भी बेड पर पड़ी थी। जब वो उठने लगी, तो उसकी चूत में दर्द हुआ, और वो बैठ गई। मैंने उसकी चूत को मसाज दी, जिससे उसे थोड़ी राहत मिली। फिर वो उठी, मगर उसकी टाँगें काँप रही थीं।
मैंने पूछा, “कैसी लगी मेरे लौड़े की सवारी?”
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वो कुछ नहीं बोली, मेरे सीने से लिपट गई और मेरे लंड को हल्के से सहलाते हुए मेरे सीने पर चूमने लगी। जब तक पायल गांव में रही, उसने मेरे लौड़े की सवारी लगभग रोज की।
कहानी आपको कैसी लगी? अपनी राय जरूर बताएँ।
Maja aa gaya
Nice